Sex kahani अधूरी हसरतें
03-31-2020, 03:29 PM,
#56
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
( इस बार सुबह अपनी मां की अधनंगी जांघो और ब्लाउज के खुले बटन मैसे आधे से ज्यादा बाहर निकली हुई चूचीयो की तरफ पैंट के ऊपर से अपने लंड को मसलता हुआ ना में सिर हिला दिया। और अपनी बेटे का इशारा समझ कर वह मुस्कुराने लगी,,,, अपने बेटे के इशारे पर उसे वह समझ गई कि उसका बेटा वाकई में इस मामले में एकदम बुद्धू है भले ही उसके पास घोड़े के लंड की तरह हथियार है लेकिन उसकी बातों से साफ पता चलता है कि उसने अभी तक अपने लंड को सिर्फ हाथों से ही लाया है उसने अभी तक किसी भी लड़की या औरत की बुर का स्वाद नहीं चखा है। इस बात से वह एकदम प्रसन्न हो गई की उसका लड़का अभी तक एक दम कुंआरा था और सितल की बात याद आते हीै उसके मन में सतरंगी तरंग बजने लगे कि इस उम्र में जवान लंड से चुदवाने का मजा ही कुछ और होता है।.. निर्मला के होठो पर कुटिल मुस्कान फैल गई वह अपने बेटे की नादानी देख कर खुशी से गदगद होने लगी। उसे बड़ा अजीब लगा कि इस उम्र में उसका बेटा अभी तक यह नहीं जानता कि लड़के लड़की के किस अंग में लंड डालकर उसे छोड़ते हैं बल्कि उसकी उम्र में तो लड़की ना जाने क्या-क्या कर चुके होते हैं। निर्मला अपने बेटे की तरफ देखकर अपनी जवानी का जलवा दिखाते हुए मुस्कुराते हुए बोली।)

क्या सच में तुझे बिल्कुल भी नहीं मालूम है कि लंड किस अंग में डाल कर चुदाई की जाती है या तो सिर्फ ऐसे ही भोला बन रहा है।

सच मम्मी मुझे बिल्कुल भी नहीं मालूम मैंने तो अभी तक कुछ देखा ही नहीं तो कैसे बता दूं।( शुभम के बदन मे भी उत्तेजना की लहर पुरी तरह से अपना जाल बिछा चुकी थी इसलिए वह अपनी मां की आंखों के सामने जो अभी तक लंड को पैंट के ऊपर से ही दबा दे रहा था वह अब जान बूझकर मसलने लगा था।यह देखकर निर्मला की भी बुर कुलबुलाने लगी थी। उत्तेजना के मारे निर्मला का चेहरा लाल लाल हो गया था जोकिं इस समय बेहद कामुक लग रहा था।
वो फिर से अपने सूखे होंठ पर जीभ फिराते हुए बोली।)
क्या शुभम मुझे तो लगता था कि मेरा बेटा जरूर दो चार लड़कियों को अपनी गर्लफ्रेंड बना कर रखा होगा।

( अपनी मां की बात सुनकर शुभम हंसने लगा और शुभम को इस तरह हंसता हुआ देखकर निर्मला बोली।)

क्यों क्या हुआ हंस क्यों रहा है।

अब हंसु नहीं तो क्या करूं मम्मी मुझे देखकर तुम्हें ऐसा लगता है कि मैं ऐसा कर सकता हूं।

क्यों तुम मर्द नहीं ह?

ऐसी बात नहीं है मम्मी,,,,,

फिर कैसी बात है,,,, हथियार तो बड़ा भारी रखा है,,,, लगता ही नहीं कि इंसान का है।
( शुभम अपनी मां की यह बात सुनकर उसे एकटक देखने लगा उसे समझ में नहीं आया कि उसकी मां क्या कह रही है बहुत बड़े ही आश्चर्य के साथ अपनी मां को देखते हुए बोला।)

क्या मतलब मैं कुछ समझा नहीं,,,,,,


तू सच में एकदम बुद्धू का बुद्धू ही है। इतना भी नहीं समझता। अच्छा क्या तुझे गर्मी महसूस हो रही है। ( निर्मला अपने माथे पर से पसीने को पोंछते हुए बोली।)

हां मम्मी मुझे भी गर्मी महसूस हो रही है देखो मेरे माथे पर भी पसीना ऊपस आया है,,,,।

तुझे मालूम है ऐसी बारिश के मौसम में पूरा वातावरण ठंडा हो जाता है और ऐसे में गर्मी महसूस नहीं होनी चाहिए लेकिन इस गर्मी के महसूस होने का कारण तु शायद नहीं जानता।

क्या कारण है मम्मी?

हम दोनों जिस तरह की बातें कर रहे हैं यह उन बातों में थोड़ी मस्ती की गर्मी है। तू भी अच्छी तरह से जानता है कि तेरे दोस्त भी इसी तरह की बातें करते हैं। और उनकी बातों को सुनकर तुझे भी मजा आता है सच सच बताना सुबह तेरे दोस्तों की बातें सुनकर तुझे भी मजा आता था ना। देखो झूठ मत बोलना सब कुछ खुलकर बोले झुकाते हैं अभी बोल दो आज की रात तेरे और मेरे बीच में शर्म की कोई दीवार नहीं होनी चाहिए मैं तुझसे पहले ही कह चुका हूं कि तुम मुझसे अपना दोस्त अपनी गर्ल फ्रेंड समझ कर बात कर,,,,,

हां मम्मी उन लोगों की बातें गंदी जरूर थीै लेकिन मुझे भी मजा आता था।

तो जब वो तेरी मम्मी के बारे में मतलब कि मेरे बारे में गंदी बातें कर रहे थे तो तो तू ऊनसे झगड़ा क्यों करने लगा,,,,।


तो क्या करता वह लोग तुम्हारे बारे में गंदी गंदी बातें कर रहे थे और ऐसी गंदी गंदी बातें जो कि मैंने कभी सोचा भी नहीं था तो ऐसी बातें सुनकर मुझे गुस्सा आ गया और,,,,, और मैं उन लोगों से झगड़ा कर बैठा।
( अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला मुस्कुराने लगी और मुस्कुराती भी कैसे नहीं क्योंकि उसे भी अपने लिए उसके दोस्तों से उसका झगड़ा करना अच्छा लगा,,, तभी वह मुस्कुराते हुए अपने ब्लाउज की दूसरे बटन को भी खोलते हुए बोली।)

देख लगता है कि हम दोनों की बातें कुछ ज्यादा ही गर्म होती जा रही है इसलिए मुझे गर्मी कुछ ज्यादा ही लग रही है। ( ऐसा कहते हुए लेकिन मेरा नहीं अपने दूसरे बटन को भी खोल दी दूसरे बटन के खुलते ही उसकी आधे से भी ज्यादा चूचियां ऐसा लग रही थी कि अभी ब्लाउज की बाकी बचे बटन को तोड़कर बाहर आ जाएंगी। शुभम तो यह नजारा देख कर उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच गया उसकी सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी और वह अपनी फटी आंखों से अपनी मां के सीने की गोलाइयों को देखने लगा। सांसों के साथ साथ ऊपर नीचे होती हुई निर्मला की चूचीयां किसी समुंदर में तैरते हुए पहाड़ की तरह लग रही थी। निर्मला भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसके हुस्न का जादू शुभम पर पूरी तरह से छा चुका था। निर्मला को अपनी बेटी की हालत पर हंसी आ रही थी आज पहली बार निर्मला ऐसे हालात के दौर से गुजर रही थी कि किसी के सामने वह अपने हुस्न का जलवा बिखेरते हुए अपने अंदर दबी हुई चिंगारी को भड़का रही थी। आज वह अपने बेटे के साथ रिश्तो की मर्यादा को तार-तार करने के लिए पूरी तरह से उतारू हो चुकी थी। बरसों की प्यासी निर्मला आज हर रिश्ते को भूल जाना चाहती थी । समाज के पन्ने पर लिखे हुए मां-बेटे के रिश्ते को वह वासना के रबड़ से मिटा देना चाहतेी थी। शुभम की सबसे बड़ी तेजी चल रही थी और उसका हाथ उसके लंड पर पेंट के ऊपर से ही उसे सहना रहा था वह भी अपनी शर्म को भूल चुका था इसमें उसकी भी कोई गलती नहीं थी हालात ही कुछ ऐसे बन चुके थे कि जिससे नजर. फेर पाना ऊसके बस मे नहीं था और वह कर भी क्या सकता था जिस उम्र के दौर सेवह गुजर रहा था ऐसे मैं अक्सर जवान होते लड़को की नजर ना चाहते हुए भी आपसी रिश्तो के पीछे छुपे खूबसूरत आकर्षण के प्रति आकर्षित हुए बिना नहीं रह पाते।
यही हाल शुभम का भी हो रहा था उसके सामने तो रूप खूबसूरती और सेक्स से भरा हुआ एक पतीला पड़ा था जिसमें से वह पेट भरना चाहता था,,, अपनेी प्यास को बुझाना चाहता था अपनी भुख मिटाना चाहता था। लेकिन स्वादिष्ट व्यंजन से भरे हुए पतीले में वह हाथ बढ़ाने से डरता था जबकि निर्मला तो खुद ही शुभम के सामने परोसी हुई थाली बन कर बैठी थी। भाभी शुभम के आगे हाथ बढ़ाने का इंतजार कर रही थी लेकिन उसकी हालत देखकर वह समझ गई थी कि शुभम से कुछ होने वाला नहीं है जो भी करना है उसे ही करना होगा।
रात गहराती जा रहे थे बादल अभी भी बरस रहे थे और साथ में गरज भी रहे थे दूर-दूर तक खाली बिजली के चमकने की रोशनी नजर आ रही थी सब कुछ वीरान पड़ा था ऐसे में निर्मला और शुभम एक ही कार में बैठ कर एक दूसरे के मन को उधेड़ रहे थे। आपसी बातचीत के दौरान दोनों को एक दूसरे को समझने में काफी मदद मिल रही थी। दोनों इतना तो जान ही चुके थे कि इस तूफानी बारिश का दूसरा अध्याय दोनों के लिए कुछ अजीब और अद्भुत लेकर आने वाला है।

निर्मला सही मौके का इंतजार कर रहे थे अपनी जिंदगी में जिसने कभी गाली को भी अपने होठों पर नहीं आने दी थी आज वह खुद अपने बदन को अपने बेटे के सामने खोलकर धीरे-धीरे उसे उकसा रही थी। उसकी साड़ी जांघो पर चढ़ी हुई थी ब्लाउज के दोनों बटन खुले हुए थे जिसमें से आधे से भी ज्यादा चुचीयां बाहर को लटकी हुई थी। यह सब देख कर शुभम की हालत संभाले नहीं संभल रही थी वह अपने लंड को पेंट के ऊपर से ही मसल रहा था। अपने बेटे को इस तरह से उसकी आंखों के सामने लंड को मसलता हुआ देखकर निर्मला की बुर में चीटियां रेंगने रखी थी। वह अपने बेटे के हथियार को अच्छी तरह से अपने हाथों में लेकर देख चुकी थी इसके लिए वह जानती थी कि उसमें कितना दम है बस आजमाना बाकी था। निर्मला अच्छी तरह से जानती थी कि उसके एक इशारे पर उसका बेटा उस पर टूट पड़ेगा और बरसों से ना बुझने वाली प्यासा कौ वह अपने लंड से रगड़ कर एकदम तृप्त कर देगा। निर्मला अपने आपको अपने बेटे के साथ सांभोगिक मुठभेड़ के लिए पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी लेकिन फिर भी अभी आगे बढऩे मैं थोड़ा सा कतरा रही थी। अभी भी थोड़ी सी झिझक ऊसके अंदर बाकी थीै और वह इस झिझक को बातचीत से खत्म करना चाहती थी।
रात काफी हो चुकी थी रात के तकरीबन 1:00 बज चुके थे। बातों की मस्ती में दोनों इस तरह से खोए की समय का ऊन्हे जरा भी पता ही नहीं चला। दोनों की आंखों से नींद कोसों दूर थी दोनों को नींद नहीं आ रही थी। हाथ में बड़ी गाड़ी पर नजर गई तो निर्मला के होश उड़ गए कब तीन-चार घंटे बीत गए उसे पता ही नहीं चला। उसे अब इस बात का डर था कि अगर ऐसे ही सिर्फ बातों में ही उलझे रहे तो सुबह हो जाएगी और यह सुनहरा मौका उसके हाथ से निकल जाएगा। बारिश थी कि थमने का नाम ही नहीं ले रही थी। शुभम प्यासी आंखों से अपनी मां को गोरे जा रहा था ।और उसका यह घूरना निर्मला को बेहद आनंद की अनुभूति करा रहा था। निर्मला समय को ऐसे गुजरने नहीं देना चाहती थी इसलिए वह हाथ में घडी घडी की तरफ देखते हुए शुभम से बोली।

अरे सुबह देखो तो बातों ही बातों में कब समय गुजर गया इसका पता ही नहीं चला 1:00 बज रहा है।

क्या बात कर रही हो मम्मी सच में 1:00 बज रहा है।

हां रे ले तू भी देख ले (शुभम की तरफ घड़ी दीखा़ाते हुए)

हां मम्मी सच में समय का तो पता ही नहीं चला।

अब तो शीतल की पार्टी भी ना जाने कब से खत्म हो चुकी होगी हम लोग उसकी पार्टी में जा नहीं पाए,,,,, लेकिन शुभम तू सच बताना पार्टी से ज्यादा मजा तुझे इधर एकांत में मेरे साथ आ रहा है कि नहीं।

हां मम्मी तुम सच कह रही हो पार्टी से ज्यादा मजा इधर आ रहा है । (शुभम अपनी मां की चुचियों की तरफ देखता हुआ बोला)

तु शायद नहीं जानता कि मैं तुझसे ऐसी बातें क्यों कर रही हूं मेरे अंदर यह सब बरसों से दबा हुआ है मैं यह सब बातें तेरे पापा से करना चाहती थी और एक पति भी अपनी पत्नी से इसी तरह की बातें करता है मस्ती करता है लेकिन तेरे पापा को मुझ पर ध्यान ही नहीं देते (इतना कहते हुए निर्मला में थोड़ा सा अपने घुटनों को मोदी जिससे उसकी सारी पूरी तरह से उसकी कमर तक चल गई और उसकी लाल रंग की पैंटी नजर आने लगी शुभम की नजर सीधे अपनी मां की पैंटी पर चली गई और वह अपने मां की लाल पेंटिं को देखे कर एकदम से उत्तेजना का अनुभव करने लगा और उसकी सांसे तेज चलने लगी उसका हाथ अपने आप पेंट के ऊपर से लंड को जोर-जोर से मसलने लगा,,,, यह तो बड़ा ही काम उत्तेजना से भरपूर नजारा था और एक जवान होते लड़के के लिए यह तो बेहद ही कामोत्तेजना और रोमांच से भरा हुआ नजारा था। निर्मला को भी आवास हो गया कि उसका लड़का और की पेंटिं को देखकर एकदम उत्तेजित हो चुका है लेकिन वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली।)


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RE: Sex kahani अधूरी हसरतें - by sexstories - 03-31-2020, 03:29 PM

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