RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला के हाथ में अभी भी उसके बेटे का टनटनाया हुआ लंड था जिसे वह रह रह कर आगे पीछे कर के हिला दे रही थी। शुभम के चेहरे पर उत्तेजना की आवाज साफ नजर आ रही थी उसका मुंह खुला हुआ था और वह जोर जोर से सांसे ले रहा था हल्के होने के बावजूद भी उसके बदन में भारी-भारी सी गुदगुदी सी हो रही थी उसे उम्मीद नहीं थी कि आज की रात उसके साथ कुछ ऐसा होगा,,,,, शुभम अपनी मां की आंखों में देख रहा था और उसकी आंखों में वासना का समंदर साफ नजर आ रहा था उसे अपनी मां की कही गई बात याद आने लगी थी आज हम लोग कार में ही पार्टी मनाएंगे,,,,, निर्मला का दहकता बदन शुभम पर सोने बरसा रहा था उसकी अधनंगी आधी चूचियां किसी जीते-जागते बंम से कम नहीं थी जो कि कभी भी शुभम के सीने पर फट सकती थी। निर्मला की हथेली में शुभम का गरम लंड और भी ज्यादा टाइट हो चुका था निर्मला को शुभम के लंड का सुपाड़ा किसी हथौड़े की तरह ही मजबूत लग रहा था वह मन ही मन उस सुपाड़े को अपने बुर की दीवारों पर रगड़ता हुआ महसूस कर रही थी। निर्मला के बर्तन में उत्तेजना और वासना पूरी तरह से सवार हो चुका था वह धीरे-धीरे अब अपने बेटे के लंड को मुठीयाना शुरु कर दी जिसमें शुभम को भी बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी। अब तो निर्मला के लिए भी पीछे हट पाना बड़ा मुश्किल था बरसों से प्यासी बदन में चुदास से भरी हुई चिंगारी,, धीरे धीरे भड़क रही थी।
निर्मला शुभम के खड़े लंड को मुठीयाते हुए बोली,,,
शुभम लगता है कि तुझे काफी देर से पेशाब लगी थी लेकिन तूने अब तक किया क्यों नहीं,,,,
क्या करता मम्मी पेशाब करने गया था बाथरूम में लेकिन वहां तुम एकदम नंगी होकर नहा रही थी तो मेरी पेशाब ही बंद हो गई।
( शुभम की बात सुनते ही निर्मला को हंसी आ गई और हंसते हुए बोली।)
क्या शुभमं इस तरह से कोई अपनी पेशाब रोकता है अरे चले आना चाहिए था ना बाथरूम में,,,, जैसे अभी मेरे सामने पेशाब कर रहा है वैसे उधर भी कर लिया होता।
तुझे पेशाब करता हुआ देखकर मुझे भी पेशाब लग गई। अब क्या करूं कैसे करूं मैं भी कार के नीचे नहीं जा सकती नीचे पानी पानी होगा और घास झाड़ियों में जंगली जानवरों के होने का खतरा बना ही रहता है और बारिश भी बहुत तेज हो रही है। ( निर्मला जान बुझकर इस तरह से बोल रही थी क्योंकि वह शुभम के मन की बात जानना चाहती थीे ।वह देखना चाहती थी कि शुभम क्या कहता है। लेकिन शुभम क्या कहता वह तो खुद ही अचंबित हो चुका था अपनी मां के मुंह से पेशाब लगने की बात सुनकर। उत्तेजना के मारे निर्मला के हाथ में ही उसका लंड ठुनकी लेने लगा,,, निर्मला अबी भी शुभम की तरफ सवालिया नजरों से देख रही थी। शुभम यही चाहता था कि उसकी मां उसकी आंखों के सामने ही पेशाब करें वह फिर से आज बाथरूम वाले नजारे को एकदम नजदीक से देखना चाहता था। इसलिए वह अपनी मां से बोला।
मम्मी तुम भी यही कर लो,,,,,
यहां पर लेकिन मैं कैसे कर सकती हूं तू तो लड़का है कहीं से भी खड़ा होकर कर लेगा लेकिन मैं,,,,,
तो क्या हुआ मम्मी तुम भी मेरी तरह सीट पर घुटने के बल बैठ कर बाहर की तरफ कर लो,,,,,
तू ठीक कह रहा है,,,, ( इतना कहने के साथ ही निर्मला कार की सीट पर थोड़ा सा पाव को ऊपर की तरफ रख कर,,,, अपनी कमर को कार की खिड़की की तरफ़ थोड़ा सा आगे बढ़ा ली,,,,, शुभम तो एकदम खुश हो गया और अपनी मां के इस फैसले पर उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी उसके दिल की धड़कन तेज होने लगी,,,, उसे लगने लगा कि आज वह है जो अभी तक नहीं देख पाया आज उस अंग को देख लेगा और वह भी एक दम करीब से,,, निर्मला भी होशियार थी वह एक हाथ स्टेरिंग पर रखकर और दूसरे हाथ से सीट को पकड़ ली और ऐसा जताने लगी की वह सहारा लेकर खड़ी है और स्टेरिंग और सीट पर से अपने हाथ को हटा नहीं सकती। शुभम ठीक अपनी मां के पीछे ही था और अपनी मां की हरकत को देख रहा था उसकी साड़ी घुटनों तक चढ़ी हुई थी और निर्मला की बड़ी बड़ी गांड साड़ी में होने के बावजूद भी शुभम के ऊपर कहर बरसा रही थी वह फटी आंखों से अपनी मां को देखे जा रहा था। तभी निर्मला पीछे की तरफ नजर घुमाकर शुभम से बोली।
शुभम मैं अपनी साड़ी ऊपर नहीं कर सकती क्योंकि मैं दोनों हाथों से टेका ली हुई हूं। तू खुद ही मेरी साड़ी को ऊपर चढ़ा कर मेरी मदद कर दे।
इतना सुनते ही शुभम की तो सांसे ऊपर नीचे हो गई उसकी मां जो करने को कह रही थी उसे करने के लिए दुनिया का कोई भी मर्द तुरंत तैयार हो जाए यहां तो निर्मला खुद अपने बेटे से कह रहे थे जो कि वह अपनी मां की खूबसूरत बदन से पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था। उसका दिल जोरो से धड़कने लगा वह कभी सोच नहीं सकता था कि उसकी मां उससे ऐसा कुछ कराएगी,,,, वह तोें अपनी मां की साड़ी ऊपर उठाने के लिए पहले से ही तैयार बैठा था,, बस अपनी मां के इशारे का इंतजार कर रहा था। इशारा मिलते ही उसने तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर दोनों छोर से साड़ी को पकड़ लिया और धीरे-धीरे उपर की तरफ उठाने लगा,,,, जैसे-जैसे साड़ी ऊपर की तरफ उठ रही थी वैसे वैसे निर्मला की नंगी जांघ चमक उठ रही थी,,,, शुभम की हालत खराब हुए जा रही थी उसके लंड की ऐंठन बढ़ती जा रही थी निर्मला भी बराबर नजर घुमाकर अपनी बेटे की हरकत को देख रही थी।
धीरे-धीरे करके आखिरकार शुभम ने अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठा ही दिया,,,, निर्मला की बड़ी-बड़ी और वराह अवतार गांड लाल पैंटी में लिपटी हुई शुभम की आंखों के सामने लपलपा रही थी उसे छल रही थी अपनी मायाजाल में और शुभम अपनी मां के नितंबों के माया जाल में फंसता चला जा रहा था और फंसता भी कैसे नहीं इस मायाजाल से आज तक कोई भी मर्द बच नहीं पाया तो शुभम. क्या चीज है। शुभम अपनी मां के नितंबों को फटी आंखो से देखे जा रहा था और उसकी मां भी नजरें घुमा कर अपने बेटे की हालत को देख कर मन ही मन मुस्करा रही थी। शुभम कुछ समझ पाता इससे पहले ही उसकी मां बोली,,,
बेटा मैं अपने हाथों से अपनी पेंटिंनहीं निकाल पाऊंगी तू खुद ही मेरी पैंटी को नीचे कर दे,,,,,
( शुभम को तो मुंह मांगी मुराद मिल रही थी उसने तुरंत अपने कांपते हाथों को आगे बढ़ाकर अपनी उंगलियों को पैंटी के दोनों छोर पर फसा लिया और धीरे-धीरे पैंटी को नीचे सरकाने लगा,,,, जैसे जैसे शुभम अपने कांपते हाथों से पेंटिं को नीचे सरका रहा था वैसे वेसे वह नंगी होती चली जा रही थी। और अगले ही पल शुभम ने अपनी मां की पैंटी को खींच कर नीचे जांघो तक कर दिया। अब शुभम की आंखों के सामने उसकी मां की नंगी गांड कार की डिम लाइट में चमक रही थी। वह अपनी नजर उठा कर अपनी मां की तरफ देखा तो उसकी मां उसे धन्यवाद देते हुए बोली।
थैंक्यू बेटा मदद करने के लिए ( और इतना कहने के साथ ही वह छल छला कर पेशाब करने लगी,,, बुर से पेशाब की धार निकलते ही उसमें से सीटी की आवाज आने लगी और उसकी आवाज शुभम के कानों में पड़ते ही वह बेचैन हो गया
वह एकदम तड़प उठा और अपने आप ही वह थोड़ा सा आगे आकर अपनी मां की बुर से निकलती पेशाब की धार को देखने लगा,,,,ऊफ्फ्फ्फ,,,,,, यह नजारा देखकर शुभम के मुंह से गर्म आह निकलने लगी वह कभी सोच भी नहीं सकता था कि ऐसा अद्भुत नजारा वो कभी इतने करीब से देख पाएगा,,,
मोह माया छल कपट प्यार वासना जादू सब कुछ था इस नजारे में और ऐसे नजारे को देखकर भला कौन सा दर्द होगा जो जानबूझकर इस अद्भुत नजारे को ना देख कर अपना मुंह मोडेगा। शुभम तो फटी आंखों से अपनी मां की बुर से निकलते पेशाब की धार को देखकर एकदम कामोत्तेजित हो गया। निर्मला अपने बेटे की हालत को देख कर मुस्कुरा रहेी थी,, और वह मुस्कुराते हुए बोली।)
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