Sex kahani अधूरी हसरतें
03-31-2020, 03:31 PM,
#67
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला अपने बेटे के कमरे में खड़े-खड़े अपने बेटे के टनटनाए हुए लंड को देख कर चुदवासी हुए जा रही थी। कार के अंदर अपने बेटे से जबरदस्ती चुदाई का वह एहसास अभी भी उसके मन में ताजा था वह जानती थी कि उसके बेटे का मोटा लंड उसकी बुर में एकदम रगड़ता हुआ अंदर बाहर होता था। जिसकी रगड़ की गर्मी में उसकी बुर की अंदरूनी दीवारे पसीज पसीज कर पानी छोड़ रही थी। अपने बेटे के लंड को देखकर उसका जोर-जोर से कमर हिलाना याद आ गया जो कि बिना रुके अपनी गति को बिना परिवर्तित कीए एक ही लय में उसकी बुर में अंदर बाहर डालते हुए उसे चोद रहा था। शुभम की जबरजस्त कमर हिलाई से ही वह समझ चुकी थी कि उसके बेटे में बहुत दम है। क्योंकि इस तरह के जबरदस्त प्रहार के साथ आज तक अशोक ने कभी भी उसकी चुदाई नही किया था,,, अशोक का लंड को बुर की पूरी तरह से गहराई भी कभी नहीं नाप पाया था और शुभम हर धक्के के साथ निर्मला की बुर की गहराई में उतर जाता था। उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि सुबह इतनी जबरदस्त धक्कों के साथ उसकी चुदाई करेगा और इतनी देर तक टिका भी रहेगा वरना अशोक तो पत्ते की महल की तरह दो चार धक्को मेही ढेर हो जाता था।
निर्मला की सांसो की गति गति तीव्र गति से चल रही थी बड़ा ही मोहक और मादक नजारा कमरे का बना हुआ था शुभम बिस्तर पर पीठ के बल एकदम चित लेटा हुआ था,,, उसका लंड नींद में होने के बावजूद भी पूरी तरह से छत की तरफ मुंह उठाए खड़ा था। निर्मला के बदन में हलचल सी मची हुई थी उसकी बुर उत्तेजना के मारे पानी पानी हुए जा रही थी पेंटी पूरी तरह से गीली होने लगी थी। निर्मला की बुर में चीटियां रेंगने लगी थी एक ही दिन में यह दूसरी बार था जब उसका मन चुदवाने को व्याकुल हुए जा रहा था। निर्मला की सांसे बड़ी ही तीव्र गति से चल रही थी। रिश्तो के बीच की मर्यादा की डोरी को उसने रात को ही कार के अंदर तोड़ चुकी थी,,,, मान मर्यादा संस्कार सब कुछ पीछे छुट़ चुका था
शुभम के कुंवारेपन को खुद उसकी मां ही तोड़ चुकी थी।
शुभम के मन में कोई भी पछतावा नहीं था इसलिए तू एकदम गहरी नींद में बेफिक्र होकर वह सो रहा था और निर्मला थी की,, एक बार फिर से उसके मन में चुदवाने की कसक जगने लगी थी। वैसे भी वह कर भी क्या सकती थी चुदाई का सुख होता है इतना बेहतरीन और आनंद दायक कि इंसान उस सुख को पाने के लिए हमेशा लालायित रहता है। एक बार निर्मला ने अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में ले चुकी थी इसलिए सारी सरमाया दूर हो चुकी थी लेकिन थोड़ी सी झिझक अभी भी उसके मन में थी। क्योंकि उस समय तो मौसम भी कुछ हद तक बेईमानी पर उतर आया था दोनों के मन में एक दूसरे के प्रति आकर्षण का बल कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था। जो कि धीरे-धीरे वह आकर्षण संभोग में तब्दील हो गया पर यहां तो शुभम गहरी नींद में सो रहा था। लेकिन उसका लंड पूरी तरह से ऐसा खड़ा था कि मानो किसी की चुदाई करने जा रहा हो,,, तभी निर्मला को ख्याल आया कि कुछ ही घंटे पहले शुभम ने उसकी जमकर चुदाई किया था हो सकता है अभी भी उसके सपने में वह उसे ही चोद रहा हो तभी तो उसका लंड इस तरह से टनटना कर खड़ा है। जैसे कि उस रात वह शुभम से चुदने का सपना देख रही थी।
निर्मला को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें कमरे का माहौल पूरी तरह से गरमा चुका था एक तरफ उसका बेटा पूरी गहरी नींद में लेटा हुआ था जिसका लंड तनकर एकदम छत की तरफ मुंह उठाए खड़ा था। और दूसरी तरफ निर्मला जोशी उसके बिस्तर के करीब खड़ी होकर उसके लंबे लंड को ही देखे जा रही थी और एक बार फिर से उसकी बुर कुबुलाने लगी थी अपने बेटे के लंड को पूरी तरह से अपने अंदर उतारने के लिए। निर्मला की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी इसलिए उसने अपने साड़ी पूरी तरह से कमर तक उठा कर पैंटी के ऊपर से ही अपनी बुर को रगड़ना शुरु कर दी थी जो की पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। निर्मला घर आने पर अपने कपड़े चेंज नहीं की थी । यह वही उत्तेजक कपड़े थे जिसे देखकर शुभम का मनं डगमगाने लगा था। उसकी आंखों में अपनी मां के बदन से संसर्ग करने लिए एक चमक सी नजर आने लगी थी। निर्मला के साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिर चुका था जिससे उसकी भारी भरकम छातियां शुभम के होश उड़ाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी वह अभी नींद में था निर्मला को यह समझ में नहीं आ रहा था कि उसे जगाना ठीक रहेगा या नहीं। क्योंकि उसे इस तरह से गहरी नींद में जगाने से कहीं उसका जोस ठंडा ना हो जाए यही सोचकर उस ने उसे नींद से नहीं जगाई। लेकिन अपनी उत्तेजना अपनी प्यास कैसे बुझाएं यह भी उसे समझ में नहीं आ रहा था। धीरे-धीरे उत्तेजना के मारे उसने अपनी पैंटी को जांघो तक सरका दी थी। उसकी चिकनी रसीली बुर फुल कर गरम रोटी की तरह हो गई थी जो कि उसमें से मालपुआ के समान रस टपक रहा था। यह मालपुआ कारण मर्दों के लिए किसी अमृत से कम नहीं था जिसे वह किसी बर्तन से नहीं बल्कि खुद ही अपनी जीभ लगा कर उसके स्वाद का रसपान करने के लिए तड़पते रहते हैं। मर्द औरत के मालपुआ में से टपक रहे मदन रस का रसपान किस तरह से करते हैं उसका अनुभव अभी तक पूरी तरह से निर्मला को भी नहीं था क्योंकि उसने अभी तक अशोक द्वारा एक कला का उपयोग पूरी तरह से नहीं कर के देखी थी शुरु शुरु में इस तरह की कला का प्रदर्शन अशोक द्वारा जरुर हुआ था लेकिन उस समय के माहौल के अनुसार इस समय का माहौल पूरी तरह से बदल चुका था जो कि उसके मानस पटल पर से पूरी तरह से बिसर चुके थे। वह धीरे धीरे अपनी बुर में अपनी उंगली को उतारना शुरू कर दी,,, साथ ही जैसे जैसे वह अपनी उंगली को अंदर बाहर करते जा रही थी,, उसकी सांसो की गति और भी ज्यादा तीव्र होती जा रही थी। निर्मला अपनी बुर की प्यास बुझाने के लिए पूरी तरह से तड़प रही थी व्याकुल हुए जा रहे थे उसे कुछ सूझ नहीं रहा था तभी उसने कुछ ऐसा कर डाला जिसके बारे में उसने कभी सोची भी नहीं थी और ना ही कभी आज तक ऐसा की थी।
निर्मला धीरे धीरे करके अपनी पेंटि को पूरी तरह से अपनी लंबी चिकनी टांगो से बाहर कर दी,,,, और साड़ी को भी उतार फेंकी,,,, साड़ी को उतार ने के बाद वह अपनी पेटीकोट की डोरी को खोलकर पेटीकोट को भी नीचे फर्श पर फेंक दी। उसे अपने बदन की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी इसलिए जल्दी-जल्दी अपने ब्लाउज के बटन को खोलकर ब्रा सहित उसे भी उतार फेंकी,,, निर्मला इस समय बिल्कुल नंगी हो चुकी थी किस तरह से उसने अब तक शर्म की चादर ओढ़ कर अपनी संस्कार को अपने अंदर से कभी भी दूर नहीं होने दी थी उसी तरह से आज उसने अपने संस्कार और शर्म की चादर को अपने ऊपर से पूरी तरह से उतार कर पूरी तरह से बेशर्म हो चुकी थी। निर्मला का यह रूप आज तक किसी ने नहीं देखा था खुद शुभम भी उसका नया और कामी रुप देख कर हैरान हो चुका था। लेकिन अपनी मां के इस नए रूप को देखकर क्रोध करने की जगह वह इस कामुक रूप देखकर पूरी तरह से प्रशन्न और उत्तेजित हो चुका था। अगर ईस समय वह जाग रहा होता तो शायद जिस तरह का वाक्या रात को दोनों के बीच घट चुका था उसे देखते हुए इस समय निर्मला को कुछ भी करने की जरूरत नहीं थी जो भी करना था वह शुभम खुद ही करता। वह खुद ही अपनी मां की साड़ी को उतारता उसकी ब्लाउज के बटन को खोलता उसकी पेटीकोट की डोरी को खोलकर उस की पेटीकोट को नीचे सरका देता,,,,और ऊसकी गीली पेंटी को उतार कर कब अपने मुसल जेसे लंड को उसकी बुर में उतार देता इसका अंदाजा शायद निर्मला को भी नहीं था। लेकिन अभी शुभम सो रहा था इसलिए जो भी करना था वह निर्मला को ही करना था निर्मला एक बार अपनी दूर को अपनी हथेली से रगड़ी और अगले ही पल अपने बेटे के बिस्तर पर चढ़ गई,,,,


Messages In This Thread
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें - by sexstories - 03-31-2020, 03:31 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,459,764 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 539,726 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,215,491 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 919,118 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,629,290 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,061,390 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,917,829 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,947,040 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,989,426 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 280,929 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 19 Guest(s)