RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
चुदने की,,ओर कीसकी,,, ( थोड़ा रुककर बोली,,,,, )
मैं कितना तड़प रही हूं इसका एहसास शायद किसी को नहीं होगा एक औरत अपने पति से क्या चाहती है प्यार प्यार और बस प्यार,,,, लेकिन तेरे पापा ने तो मुझसे जैसे मुंह मोड़ लिया हो। मैं रात भर बिस्तर पर करवट बदलती रहती हूं मैं कितने बदनसीब हूं कि तेरे पापा के करीब होने के बावजूद भी मुझे कोई सुख नहीं है। तेरे पापा कभी कबार जब उनका मूड करता है तो मेरे साथ बिना बताए बिना प्यार किए ही चोदने लगते हैं।
( शुभम अपनी मां के बगल में बिल्कुल सट कर बैठा हुआ था अपनी मां की बातें सुनकर उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी जोंकि उसके लंड पर साफ असर कर रही थी।
वह कभी सपने में भी सोच नहीं सकता था कि उसकी मां उससे इस तरह की बातें करेगी,,,, चोदने चुदने जेसी अश्लील शब्दों का प्रयोग वह बिल्कुल सहज भाव से कर रही थी। शुभम को आप इतना तो समझ में आ रहा था कि उसकी मां उसके सामने पूरी तरह से खुल चुकी है तो उसे इस तरह से दबे दबे रहने से कोई फायदा नहीं था,,,, इसलिए वह भी अपनी मां के सामने खुलते हुए बड़ी हिम्मत जुटाकर बोला।)
मुझे तो मम्मी बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है आप इतनी खूबसूरत है तुम्हारा बदन इतना खूबसूरत है जब दूसरों का मन हो जाता है तो आप तो पूरी तरह से पापा की हो और वह जब चाहे तब आप को चोद सकते हैं तो वह ऐसा क्यों कर रहे हैं।
यही तो मुझे नहीं पता चल रहा है आज कितने बरस बीत गए लेकिन तेरे पापा मुझे ढंग से प्यार नहीं कर सके,,,, और यही कारण है कि मेरा झुकाव तेरी तरफ बढ़ने लगा,,,,
मेरी तरफ,,,, मेरी तरफ क्यों मम्मी,,,,,
बेटा इतने से तू समझ तो गया होगा कि मैं कितने वर्षों से प्यासी हूं और वह भी तेरे पापा से चुदने के लिए लेकिन तेरे पापा मेरी प्यास कभी भी बुझाने की जरूरत नहीं समझे,,,
मै दीन रात चुदाई के सपने देखा करती थी,,,,( शुभम अपनी मां की बातों को सुनकर एकदम चुदवासा हो गया था,,,, पजामे में उसका लंड पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया था,,,
जिसे वह बार बार हाथ लगाकर एडजस्ट करने की कोशिश कर रहा था और निर्मला की निगाह में उसकी यह हरकत साफ आ रही थी।) मैं बरसों से अपनी प्यास को अपने अंदर दबा कर रखी हूं लेकिन मेरी प्यास उस समय एकदम भड़क गई जब मैं तुझे पहली बार तेरे कमरे में बिल्कुल नंगा खड़ा देखी थी,,,,( अपनी मां की आवाज सुनकर शुभम एकदम से चौक उठा और बोला,,,)
बिल्कुल नंगा,,,, मुझे और मेरे कमरे में,,,,, कब मम्मी,,,,?( शुभम आश्चर्य के साथ बोला उसकी यह बात सुनकर निर्मला मुस्कुराने लगी उसे पता था कि इस रिश्ते को हमेशा कायम रखना है तो दोनों के बीच की दीवार मजबूत होनी चाहिए इसलिए उन दोनों के बीच की सारी ग़लतफ़हमियां की दीवारों को गिराना बहुत जरूरी था इसलिए मुस्कुराते हुए निर्मला बोली।)
शुभम जब मैं तुझे पहली बार उस अवस्था में देखी थी तो मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि यह मेरा ही बेटा है शाम को किचन में मदद कराने के लिए मुझे तेरी जरूरत थी,,,
किचन में मदद कराने के उद्देश्य से मैं तेरे कमरे की तरफ गई कमरे का दरवाजा तो बंद था लेकिन खिड़की हल्की सी खुली हुई थी जिसमे मेरी नज़र पड़ते ही मैं वह देखी जिस पर मुझे कभी विश्वास ही नहीं हो रहा था,,,,
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