RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
तु जैसे भी नहा तेरी मर्जी तेरा घर है,,,, (इतना कहकर वह बिना पेशाब की यही बाथरुम से बाहर चली गई,,, जैसी वह बाथरुम से बाहर गई उसकी जान में जान आई आज वह बाल बाल बची थी,,,, लेकिन एक बार फिर से अपनी मां पर वह क्रोधित होने लगी किसी गुस्सा आने लगा कि बेवजह चली आई गांव में आराम से रह रही थी,,,,। यहां खुद भी परेशान होने आई है और दूसरों को भी परेशान करने आई है,,, निर्मला का मन व्यथित हो गया था,,, आज कई दिनों बाद उसे फिर से मौका मिला था अपने बेटे के लंड को बुर में लेकर चुदवाने का लेकिन उसकी मां ने सारे किए कराए पर पानी फेंर दी थी,,,
निर्मला की कामवासना जिस तरह से भर के तू इस तरह से उसकी मां के बाथरूम में आ जाने की वजह से,,,, तुरंत ठंडी भी हो गई थी। लेकिन अपने बेटे के लंड की मोटाई और उसकी रगड़ अभी तक वह अपनीं बुर के अंदर महसूस कर रही थी,,,, एक बार फिर से वह चुदाई के सुख से वंचित रह गई थी,,,, निर्मला का सारा मजा किरकिरा हो गया था वह बेइमान से स्नान करने लगी,,,,
दूसरी तरफ कमरे में पहुंचते ही शुभम का ख्याली घोड़ा दौड़ने लगा था,,,, उसके मन में तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि,,,, आखिर उसकी नानी बाथरूम में आ कैसे गई,,,, तभी उसे ख्याल आया कि जब वह बाथरुम में प्रवेश किया था तो वह अपनी मां को अर्धनग्न अवस्था में देखकर एकदम से उत्तेजित हो गया था और उसी उत्तेजना की वजह से वह बाथरुम में लॉक लगाना भूल गया था। अपनी ईस गलती पर उसे अपने आप पर बहुत गुस्सा आने लगा,,,,, उसके मन में ढेर सारी ख्याल आ रहे थे वह मन ही मन में सोच रहा था कि कहीं उसकी नानी ने उन दोनों को उस अवस्था में देख तो नहीं लिया था,,,, अगर कहीं सच में उन्होंने देख लिया होगा तब तो आज घर में कोहराम मच जाएगा,,,, सब कुछ बर्बाद हो जाएगा यही सब सोचते हुए वह कपड़े पहनने लगा,,,,, बस सोचने लगा कि आज अपने आप को बचाने के लिए वह बाथरुम में से पूरी तरह से नंगा ही भागते हुए अपने कमरे में आया था लेकिन अपनी अवस्था का उसे जरा भी भान नहीं था। अगर ऐसी हालत में कोई उसे देख लेता तो क्या सोचता,,, वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगा कि उसकी नानी ने उसे बाथरूम में ना देखी हो,,,
यही सब सोचते हुए मन में घबराहट लिए वह अपने कमरे से शाम हो गई लेकिन बाहर नहीं आया,,,
दूसरी तरफ निर्मला पूरी तरह से निश्चिंत हो चुकी थी वह समझ गई थी कि उसकी मां ने उन दोनों को नग्नावस्था में नहीं देख पाई थी नग्न अवस्था में क्या दोनों चुदाई ही कर रहे थे,,, ऐसा भी कह सकते हैं कि निर्मला की मां ने अपने बेटी को अपने ही नाती से चुदवाते हुए नहीं देख पाई थी,,,, मां बेटी दोनों बैठ कर बातें कर रहे थे कि तभी उसकी मां बोली,,,,
बेटी शाम हो गई लेकिन अभी तक सुबह मैं अपने कमरे से बाहर नहीं आया है जा कर देख तो कहीं उसकी तबीयत तो नहीं खराब है,,,,,
( अपने बेटे का इस तरह से कमरे में घुस कर बैठे रहना इसके पीछे का कारण उसे अच्छी तरह से मालूम था वह जानती थी कि शुभम बाहर आने से इस बात से डर रहा है कि कहीं नानी ने उसे बाथरुम में देख ना ली हो,,, इसलिए वह अपनी मां से बोली,,,।)
ठीक है मम्मी मैं अभी देख कर और उसे बुलाकर लातीे हुं।
( इतना कहकर वह शुभम के कमरे की तरफ जाने लगी लेकिन पकड़े ना जाने की पूरी तसल्ली के कारण निर्मला मन ही मन में मुस्कुरा रही थी,,,, वह अपने बेटे के कमरे के दरवाजे तक पहुंच कर जैसे ही दरवाजे पर दस्तक देने के लिए हाथ लगाई दरवाजा खुद-ब-खुद खुल़ गया,,,, उसे फिर से एक बार शुभम की गलती पर गुस्सा आने लगा और वह कमरे में प्रवेश करके देखी तो,, बिस्तर पर शुभम आराम कर रहा था वह सो रहा था बाहर केसे दरवाजे को बंद करके बिस्तर पर जाकर बैठ गई। और शुभम को ऊपर से नीचे तक बड़े प्यार से देखने लगी,,,,, नींद मैं होने के बावजूद भी उसका लंड की तरह से टाइट था और पजामे में तंबू बनाए हुए था। निर्मला से रहा नहीं गया और वहां झटसे पजामे के ऊपर से ही शुभम के लंड को अपनी हथेली में भर ली,,,, लंड के कड़क पन को अपनी हथेली में महसूस कर के उत्तेजना के मारे निर्मला ने कस के दबा दी,,,, और शुभम तुरंत नींद से जाग गया,,,, आंख खुलते ही बिस्तर पर अपनी मां को पजामे के ऊपर से लंड पकड़ा देखकर उसके बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ गई लेकिन बाथरूम वाले,,, लफड़े की वजह से,,,वह बोला,,,
मम्मी नानी को क्या सब कुछ पता चल गया क्या उन्होंने हम दोनों को उस अवस्था में देख ली,,,
( अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला को समझते देर नहीं लगी कि उसका बेटा अभी भी डरा हुआ है।
और अपने बेटे को थोड़ा सा परेशान करने के उद्देश्य से वह अपने चेहरे का भाव बदलते हुए बोली,,,,
तू एकदम बेवकूफ है बुद्धू है कितना बड़ा हो गया लेकिन जरा सी भी अक्कल नहीं है तुझमें,,,,
क्यों क्या हुआ मम्मी मुझसे कौन सी गलती हो गई,,, (शुभम परेशान होता हुआ बोला लेकिन इस दौरान निर्मला अपनी मुट्ठी में पजामे के ऊपर से ही अपने बेटे के लंड को पकड़े हुए थी।)
कौन सी गलती हो गई,,,, तुझसे तो बहुत बड़ी गलती हो गई है मैं कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तू इतनी बड़ी बेवकूफी वाली हरकत कर देगा,,,,( शुभम के चेहरे पर डर के भाव साफ नजर आ रहे थे जिसे देखकर निर्मला मन ही मन खुश हो रही थी)
क्या हो गया मम्मी,,,,
तू आज सब कुछ बर्बाद करके रख दिया इतना सपना देख कर रखी थी कि मैं तेरे साथ अच्छे तरीके से दिन रात चुदाई का सुख भोगूंगी,,, हमेशा तेरे लंड से मजे लूंगी,,,,, दिन रात हम दोनों ऐश करेंगे लेकिन तुनें सब किए कराए पर पानी फेर दिया,,,,,
( अपनी मां की बात सुनकर से तुम पूरी तरह से डर गया था वह समझ गया कि कोई जरूर बड़ी बात हो गई है उसकी नानी ने उन दोनों को नग्नावस्था में चुदाई करते हुए देख ली है,, शुभम का तो रोने जेसा मुंह बन गया,,,, उसका चेहरा देखते बन रहा था,,, निर्मला बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,,)
तुझे किसने कहा था दरवाजा खुला छोड़ने के लिए जब तू बाथरुम के अंदर आया तो क्या दरवाजा बंद नहीं कर सकता था,,,,,( शुभम को अपनी गलती का पूरी तरह से एहसास हो चुका था वह मन में मानने लगा कि ऊससे बहुत बड़ी गलती हो गई है। वह लगभग रोने जैसा हो गया और अपनी मां से बोला।)
मम्मी मुझसे सच में बहुत बड़ी गलती हो गई है बाथरूम में आते ही मुझे दरवाजा बंद कर देना चाहिए था लेकिन क्या करता,,, तुम्हें सामने देखते ही ना जाने मुझे क्या हो गया और तो और तुम खुद ही अपने कपड़े उतार रहे थे और ऐसी हालत में तुम्हें देखते ही मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया,,,, और मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और तुमसे जाकर लिपट गया,,,, ऐसी हालत में मैं दरवाजे को बंद करना एकदम से भूल गया।,,,,( शुभम अपने चेहरे पर घबराहट के भाव लिए हुए बोला,,,, अपने बेटे की बातें और उसके चेहरे पर घबराहट देखकर निर्मला को मजा आ रहा था वह थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,,)
एकदम पागल हो गया था क्या,,,,, अरे मैं कहीं भाग थोड़ी रही थी,,,, मैंने जब तुझे खुशी खुशी अपना तन बदन तुझ पर न्योछावर कर दी हूं तो तुझे इतनी जल्दबाजी दीखाने की क्या जरूरत थी आखिर अब मैं तेरी ही हुं।, थोड़ा बहुत सब्र किया होता तो इस की नौबत ही नहीं आती,,,,,,
तो क्या मम्मी नानी ने हम दोनों को देख ली,,,,
मैं तो एकदम शर्म से पानी-पानी हो गई आखिर में अपनी सफाई में में क्या बताती जो कुछ भी था उनकी आंखों के सामने ही था,,,,
पर मम्मी नानी ने तो हम दोनों को देख नहीं पाई थी वह तो अपना चश्मा ढूंढ रही थी,,,,
चश्मा नहीं ढूंढ रही थी वह शर्म के मारे अपना मुंह छिपा रही थी,,,,,
( अपनी मां की बातों को सुनकर शुभम पूरी तरह से घबरा गया और उसकी घबराहट का असर उसके तनाव में आए लंड पर भी पड़ा,,,, डर की वजह से उसका लंड ढीला पड़ने लगा जो की रेत की तरह निर्मला की हथेली से फिसलता जा रहा था,,,, अपने बेटे की हालत देखकर निर्मला को उस पर तरस आने लगा लेकिन मन ही मन उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, लेकिन वह अपने बेटे को ज्यादा परेशान करना नहीं चाहती थी इसलिए हंसने लगी और उसे हंसता हुआ देखकर सो तुम को समझ में नहीं आया कि ऐसी हालत में थी वह क्यों हंस रही है इसलिए वह बोला,,,,।
मम्मी यहां हालत एकदम खराब है और आपको हंसी छूट रही है,,,,
अब हंसू नहीं तो क्या करूं,,,, तू देख कितना डरा हुआ है,,,
( शुभम को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां क्या कह रही है और क्यों कह रही है जबकि यह बात सच थीै कि वह डरा हुआ ही था,,,।) तू बहुत जल्दी घबरा जाता है,,,, कभी तो घबराहट की वजह से देख तेरा ये( पजामे के ऊपर से ही धीरे लंड को मुट्ठी में पकड़ते हुए,,) लंड कैसे सिकुड ़सा गया है।
मम्मी ऐसी हालत में यह लंड सिकुड़ेगा नहीं तो क्या लट्ठ की तरह खड़ा रहेगा,,,,
बेटा जिस विश्वास के साथ मैंने तुझे अपना सब कुछ सौंप चुकी हूं उस विश्वास को बनाए रखने के लिए तेरे लंड को डंडे की तरह खड़ा रहना ही जरूरी है,,,,
लेकीन नानी,,,, ( शुभम डरते हुए बोला,,,)
तुलसी चिंता मत करो उन्होंने कुछ भी नहीं देखी है,,,,
सच मम्मी,,,, ( शुभम एकदम से चंहकते हुए बोला,,,,)
शत प्रतिशत सच मै तो तुझे डरा रही थी,,,, और तू सच में एकदम से घबरा गया,,,,,,
मम्मी ऐसे हालात में घबराओ नहीं पता करो और वैसे भी तुमने मुझे सच बता कर मेरे सिर से बहुत बड़ा बोझ हटा दिहो,,,,
लेकिन तेरा लंड तो एकदम ढीला पड़ गया,,,,,
यह खड़ा भी तो तुमको देख कर ही होता है तो इसे खड़ा भी कर दो,,,( शुभम बड़े ही शरारती अंदाज में बोला,,,)
तू अब इस मामले में बहुत शैतान होते जा रहा है। ला खड़ा कर दु,,,,, ( इतना कहने के साथ ही निर्मला शुभम के पजामे को थोड़ा सा नीचे सरका कर दी और ढीले लंड को बाहर निकालकर उसे मुट्ठी में भरकर हिलाने लगी,,,, कुछ ही सेकंड में उसके ढीले लंड में तनाव न शुरू हो गया,,,दोनो एक दुसरे की आंखो मे डुबते चले जा रहे थे। निर्मला एक हांथ से अपने बेटे के लंड को मुठीया रही थी। और मस्त हुए जा रही थी।शुभम से भी रहा नही गया और वह तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से ही एक बार फिर अपनी मां की चुचियों को थाम लिया,,, निर्मला ह पर मदहोशी छाने लगी
वह अपनी तो ऐसे हॉट को अपने बेटे की हॉट के बिल्कुल करीब लेकर आने लगी और जैसे ही,,,, वह अपनी बेटे के करीब आई,,, कभी जैसे किसी लोहे को लोहा चुंबक अपनी तरफ तुरंत आकर्षित कर लेता है खींच लेता है,,, ठीक उसी तरह निर्मला के हॉठ उसके बेटे की हॉठ पर जाकर भिड़ गए,,, और तुरंत दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमना शुरू कर दिए,,,,, दोनों के बदन में मस्ती की लहर दौड़ने लगी,,,, निर्मला तो भूल ही गई कि वह शुभम को बुलाने आई थी,,,, दोनों के बदन में सुरुर चल ही रहा था कि तभी आवाज आई,,,,
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अरे निर्मला इतनी देर कहां लगा दी,,,,, शुभम की तबीयत तो ठीक है ना,,,,,
( अपनी मां की आवाज को सुनते ही निर्मला की तंद्रा टूटी,,,, एक बार फिर से उसे अपनी मां पर गुस्सा आने लगा,,,,)
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