Sex kahani अधूरी हसरतें
03-31-2020, 03:45 PM,
#94
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
मम्मी को बिना चश्मे के कुछ नहीं दिखाई देता या मुझे कल ही पता चला था,,,,( निर्मला जैसे कुछ सोचते हुए बोली)

हां मम्मी अगर पहले ही पता होता तो उस दिन बाथरूम में भी मैं बिना डरे तुम्हारी चुदाई कर दिया होता,,,,( शुभम अपनी मां से बेझिझक बोल दिया और उसकी मां अपने बेटे की बात सुनकर शर्मा गई,,, और शरमाते हुए बोली,,,)

काश कि उस दिन पता होता तो सच में उस दीन बाथरूम में बहुत मजा आता,,,,


अरे अब तो पता चल गया ना की मम्मी को बिना चश्मे के कुछ नजर नहीं आता अब तो हम चाहे जहां पर भी मजे ले सकते हैं,,,,

बुद्धू,,,,,, बिना चश्मे के लिए नजर नहीं आता लेकिन तेरी नानी हमेशा चश्मा लगाए रहती है वह कभी-कभी ही चश्मा निकालती है इस बात का ध्यान जरूर रखना कहीं ऐसा ना हो कि तू कहीं भी शुरू पड़ जाए,,,,,
( इतना कहने के साथ ही दोनों हंस पड़े लेकिन तभी निर्मला बोली,,,)

तेरा डंडा मेरी टांगों के बीच क़हर मचा रहा है,,,,

तुम मेरे ईस डंडे को थोड़ी सी जगह दे दो,,,

नहीं मैं बिल्कुल भी इसे अपनी टांगों के बीच जगह नहीं दूंगी,,,

बस थोड़ा सा दे दो ना मम्मी तुम्हारी भी परेशानी खत्म हो जाएगी यह डंडा भी सांत हो जाएगा,,,( ऊससे जितना हो सकता था उतना ज्यादा नितंबों का गुच्छा अपनी हथेलियों में भरते हुए बोला,,, जिसकी वजह से निर्मला के मुंह से हल्की सी सिसकारीे निकल गई,,।

सससहहहहह,,, क्या कर रहा है दुखता है,,,,


तभी तो कह रहा हूं बस एक बार अपनी टांगों को खोल दो,,,

धत्त,,,, तू बावरा हो गया है तुझे अब जरा सी भी शर्म लिहाज नहीं है कहीं भी शुरू हो जाता है। अरे छत पर कहीं किसी ने देख लिया तो,,,,,

क्या मम्मी जब कमरे में तुम्हारी मां के होने के बावजूद भी मैंने तुम्हारी बुर में लंड डालकर तुम्हारी चुदाई कर दिया और तुम्हारी मां को इसकी भनक तक नहीं लगी तो छत पर भला किसको पता चलेगा,,,,
( अपने बेटे की बात और उसकी चालाकी देखकर वह मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,।)

बहुत बातें बनाने आता है तभी तो कह रही हूं कि बेटा अब तो बड़ा हो गया है और चलो अब जाने दो मुझे ढेर सारे काम करने हैं,,,,, ( इतना कहते हुए वह अपना हाथ पीछे ले जाकर अपने बेटे के हांथ से ऊस पेंटिं को छीन ली,,,, शुभम की अच्छी तरह से जानता था कि छत पर यह सब करना ठीक नहीं था इसलिए वह अपनी मां को अपनी बाहों की कैद से आजाद कर दिया और उसकी मां मुस्कुराते हुए सब कपड़े ले कर जाने लगी तो वह पीछे से आवाज़ देता हुआ बोला,,,,)

मम्मी रात को कमरे का दरवाजा खुला रखना मैं आऊंगा,,,,
( अपनी बेटी की बातें सुनकर आश्चर्य के साथ वह अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली।)

पागल हो गया है क्या तुम ऐसा कभी मत करना और मैं दरवाजा खुला नहीं रखूंगी,,,( इतना कहकर वह मुस्कुराते हुए छत से नीचे उतर गई और उसे हम छत पर खड़ा अपनी मां को जाते हुए देखता रहा ।)
निर्मला बहुत खुश थी और साथ ही आश्चर्य में भी पड़ गई थी क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कि सुबह इतनी जल्दी काफी खुल जाएगा,,, छत पर उसके द्वारा की गई हरकत से उसका तन-बदन पूरी तरह से कामातुर हो चुका था लेकिन वह अपनी भावनाओं पर काबू रखें रही वरना छत पर ही वह अपने बेटे से चुद गई होती। जिस तरह से शुभम उसकी पैंटी को लेकर के जीभ से चाट रहा था उसका मन यहीं कर रहा था कि मौका मिलने पर वह अपने बेटे से अपनी बुर जरूर चटवाएगी। यह सोचकर ही उत्तेजना के मारे उसकी बुर फुलने पिचकने लगी और तुरंत उसका हाथ अपने आप ही जांघों के बीच बुर के ऊपर चली गई जो कि वाकई में पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। निर्मला से रहा नहीं जा रहा था उसके बेटे की हरकतों ने उसके बदन में पूरी तरह से चुदाई की चिंगारी भड़का दिया था और जाते जाते,,,, उसका यह कहना कि रात को दरवाजा खुला रखना मैं आऊंगा इस बात से तो और भी ज्यादा उस का तन बदन कामातुर होकर लंड के लिए तड़पने लगा था। ऊसे यकीन नहीं आ रहा था कि सुभम इतनी हिम्मत दिखा सकता है। लेकिन इस बात पर उसे थोड़ा भरोसा जरुर था कि जिस तरह से वहां उसकी मां की उपस्थिति में भी बिना डरे उसकी जमकर चुदाई किया था उसे देखते हुए वहं जरूर कमरे में आ सकता है,,,, यह बात सोचते ही उसका मन खुशी से झूम उठा आखिरकार फिर से वह बड़े ही रोमांचक तरीके से उसे बिस्तर पर चोदने वाली थी जिसकी स्तर पर खुद उसकी मां भी साथ में सोती थी अगर सब कुछ सही हुआ तो एक बार फिर से उसका बेटा अपनी नानी की मौजूदगी में ही उनकी बेटी को चोदेगा,,,,,।

रात के करीब 10:00 बजे निर्मला मन में ढेर सारी कामना लिए अपने कमरे में गई जहां पर अभी भी उसकी मां जग रही थी,,,, अपनी आंखों में दवा डलवाने के लिए,,,,, निर्मला जल्दी-जल्दी अपनी मां की आंखों में दवा डाल दी और उन्हे लेटने के लिए बोल कर खुद ही उनके चश्मे को दूर टेबल पर. रख दी,,,,,

निर्मला सारा इंतजाम कर चुके थे उसे बस इंतजार था आपने बेटे का कमरे में आने का इसलिए तो वह अपने बेटे को ना बोलने के बावजूद भी दरवाजा खुला छोड़ दी थी क्योंकि उसे मालूम था कि अशोक घर पर आने वाला नहीं है और वैसे भी जब भी,,,, उसकी मां कभी भी घर पर आती थी तो अशोक अक्सर घर से बाहर ही रहता था,,,,,
निर्मला एकदम सिल्की गाउन पहने हुए थी जो कि उसके बदन से चिपका हुआ होने की वजह से बदन का हर एक अंग साफ तौर पर गाउन के ऊपरी सतह पर साफ साफ नजर आ रहा था। वह बिस्तर पर अपने बेटे के इंतजार में जांघों को आपस में भींचकर रगड़ रही थी,,,,। उससे अपने बदन की गर्मी सही नहीं जा रही थी। बार बार अपने बेटे के इंतजार में उसकी नजर दरवाजे पर चली जा रही थी कभी वह अपनी मां की तरफ देखती जोकी गहरी नींद में सोते हुए नाक बजा रहेी थी।
दूसरी तरफ शुभम की आंखों से नींद कोसों दूर थी वह अपने कमरे में चहल कदमी करते हुए 11:00 बजने का इंतजार कर रहा था। क्योंकि वह जानता था कि 11:00 बजे तक उसकी रानी गहरी नींद में सो जाती है। उसके मन में उसकी मां को लेकर के ढेर सारी ख्याल आ रहे थे बार-बार उसका गुदाज मांसल बदन उसकी आंखों के सामने तैर जा रहा था। उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था । बस देर थी तो उसके कमरे में जाने की,,,, शुभम को ज्यादा देर इंतजार नहीं करना पड़ा और तभी 11 बजने का अलार्म जो कि उसने खुद ही आज ही लगा कर रखा था वह बजने लगा उसे इस बात का डर था कि कहीं उसे नींद ना आ जाए लेकिन जब चुदाई का नशा सर पे सवार हो तो नींद कोसों दूर चली जाती है। वजह से अलार्म बंद किया और अपने कमरे से बाहर आकर अपनी मां के कमरे की तरफ जाने लगा जहां पर निर्मला बेसब्री से उसका इंतजार कर रही थी ।वह अपनी आंखें बिछाए अपने बलम के इंतजार में दोनों हाथ से अपनी चूचियों को दबा रही थी। थोड़ी ही देर में शुभम अपनी मां की कमरे के बाहर खड़ा था वह अपनी मां को दरवाजा खुला रखने की हिदायत पहले ही दे चुका था। लेकिन उसके मन में यह संख्या थी की कहीं वह नानी की डर की वजह से दरवाजा सच में बंद. ना रखी हो। इसलिए वह देखने के लिए दरवाजे पर सिर्फ हांथ ही रखा था कि दरवाजा खुद-ब-खुद खुलता चला गया। जैसे ही दरवाजा खुला शुभम की खुशी का ठिकाना ना रहा है वह समझ गया कि उसकी मां भी यही चाहती है जो वह चाहता था आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई थी। निर्मला जग रही थी वह भी तो अपने बेटे का ही इंतजार कर रहे थे जैसे ही दरवाजा खोला उसकी नजर उसके बेटे पर गई और उसे देखते ही वो जानबूझकर आंखों को बंद कर ली ताकि उसे लगे कि वह सो रही है। शुभम दरवाजे पर खड़ा होकर की अपनी नानी की तरफ नजर दोड़ाया तो वह गहरी नींद में सोते हुए खर्राटे भर रही थी। उन्हें गहरी नींद में सोता हुआ देखकर उसे सुकून हुआ। वह धीरे से दरवाजे को बंद कर दिया,,,, और आहिस्ता आहिस्ता कदम आगे बढ़ाते हुए अपनी मां की तरफ बढ़ने लगा अपनी मां के करीब पहुंचते हैं उसने देखा कि उसकी मां एक दम मुलायम गाउन पहने हुए थी और गांऊन गहरी नींद में सोने की वजह से,,, चढ़कर घुटनों के ऊपर तक हो गई थी जिसकी वजह से उसकी गोरी-गोरी मांसल पिंडलियां नजर आ रही थी। गोरी गोरी पिंडलियों को देखते हैं उसका लंड. और ज्यादा टाइट हो गया। कमरे में डीम बल्ब जल रहा था,,,, उसकी रोशनी मेरी निर्मला पूरी तरह से साफ साफ नजर आ रही थी लेकिन फिर भी एक बार उसके दिल में हुआ की ट्यूब लाइट जला दे लेकिन फिर इस बात से डर कर नहीं जलाया की ट्यूब लाइट जलने की वजह से उसकी रोशनी की कारण कहीं उसकी नानी की नींद ना खुल जाए,,,, शुभम के लिए सब्र कर पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था इसलिए वहात अपनी मां की पिंडलियों पर अपना हाथ रखकर उसे सहलाते हुए बिस्तर पर बैठ गया,,, निर्मला तो जानबूझ कर अपनी आंखें बंद की हुई थी इसलिए अपने बेटे के स्पर्श से पूरी तरह से गनगना गई लेकिन फिर भी वह अपनी आंखों को बंद करके वैसे ही पड़ी रही शुभम की तो हालत खराब हो जा रही थी उत्तेजना के मारे उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी। वह अपनी हथेली को पिंडलियों से ऊपर की तरफ ले जाने लगा साथ ही उसका गाउन भी ऊपर की तरफ खींचा चला जा रहा था। जैसे-जैसे गाउन ऊपर की तरफ से रखा जाता है वैसे वैसे निर्मला का मांसल बदन उसकी आंखों के सामने नंगा होता जाता जिसे देखकर उसके लंड में रक्त प्रवाह और भी तेज गति से होने लगता। धीरे-धीरे करतो हुए ऊसकी हथेली उसकी जांघों तक पहुंच गई,,, मक्खन जैसी जांघों का स्पर्श हथेली पर होते हैं शुभम उसे अपनी हथेली में दबोेचते हुए ऊपर की तरफ ले जा रहा था। वह अपनी मां की गोरी जांघों को हथेलीे में दबोचते हुए अपना चेहरा अपनी मां के चेहरे के बिल्कुल करीब ले जा करके धीरे से बोला,,,

मम्मी ओ मम्मी उठो मै आ गया हूं।,,,,, ( शुभम बहुत ही में से उसके कानों में बोला लेकिन उसकी मां आंखें बंद करके वैसे ही लेटी रही,,, मैं तो खुद अपने बेटे को अपनी बाहों में भर लेना चाहती थी लेकिन वह अभी देखना चाहती थी कि उसका बेटा क्या हरकत करता है,,,, दो चार बार इस तरह से बुलाने पर भी निर्मला ने कोई भी जवाब नहीं दी,, तो शुभम को लगने लगा कि उसकी मां गहरी नींद में सो रही है और बड़े प्यार से अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को देखने लगा बालों की लटे उसके चेहरे पर आ चुकी थी,,,, लाल लाल होंठ बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे जिनको देखकर शुभम से बिल्कुल भी नहीं रहा गया और वह अपने होठों को आगे बढ़ाकर अपनी मां के होठ पर रख कर चूमने लगा,,,, शुभम अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा तो निर्मला से भी बिल्कुल नहीं रहा गया उसने झट़ से अपनी आंखें खोल दी,,,, अपनी मां को चोदा हुआ देखकर शुभम बोला,,,

मैं तुम्हें बोला था फिर भी सो गई कम से कम मेरा इंतजार तो की होती,,

पागल हो गया है क्या तू दिख नहीं रहे मम्मी बगल में सो रही है अगर ऊनकी नींद खुल गई तो,,,,

नहीं खुलेगी मम्मी देख नहीं रही हो कैसे खर्राटे भर के सो रही है तुम मेरा साथ दो बाकी मैं संभाल लूंगा,,,,,( इतना कहते हुए वह पूरी तरह से अपनी मम्मी के बदन पर चढ़ गया,,,, और उसके पजामे में बना तंबू सीधे उसकी मां की जांघों के बीच ठोकर मारने लगा,,,, अपने बेटे के लंड के कठोर पन को अपनी बुर के इर्द-गिर्द महसूस कर के निर्मला काभी धैर्य जवाब देने लगा,,,, लेकिन वह ऊपरी मन से ना नुकुर करते हुए उसे रोकने की कोशिश करने लगी लेकिन सुबह बात कहां मानने वाला था वह तो अपनी मां के बदन पर पूरी तरह से लेट चुका था,,, और एक बार फिर से अपने हाथों की उंगलियों को गोल बनाकर चश्मे का इशारा करते हुए बोला)
मम्मी नानी का चश्मा कहा हैं?

वह मैं उधर टेबल पर रख दी हूं,,,( निर्मला धीरे से फुसफुसाते हुए बोली और शुभम अपनी मां का जवाब सुनकर खुश होते हुए बोला,,,।)

खुद भी लंड लेने का मन कर रहा है लेकिन बेवजह नखरे दिखा रही हो जानबूझकर खुद ही नानी के चश्मे को इतनी दूर रखी हो ताकि उनकी नींद खुलने पर भी कुछ नजर ना आए क्यों सही कहा ना मैंने,,,,
( इस बार निर्मला के पास कहने के लिए कुछ भी नहीं था क्योंकि सब कुछ शुभम ने बोल दिया था और जो आप बोल रहा था वह बिल्कुल सच दिया था इसलिए वह अपनी चोरी पकड़े जाने पर मुस्कुराने लगी,,,,। निर्मला को इस तरह से मुस्कुराता हुआ देखकर एक बार फिर से वह अपने होंठ को अपनी मां के होठ पर रखकर चूसना शुरू कर दिया,,, बस फिर क्या था निर्मला कहां पीछे हंटने वाली थी वह तो खुद ही बदन कि प्यास से तड़प रही थी वह कसके अपने बेटे को अपनी बाहों में भींच ली,,, शुभम तो पागलों की तरह अपनी मां के लाल लाल होठों को चूसना शुरू कर दिया मानो कि उसमें से मधुर रस झर रहा हो,,, साथ ही एक हाथ से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां को दबाना शुरु कर दिया,,,, चूचियों का गाउन के ऊपर से हो रहे नरम-नरम एहसास से उसे इस बात का पता चल गया कि उसकी मां ने ब्रा नहीं पहनी हुई है। वह उत्तेजना के मारे और जोर-जोर से चूचियों को दबाना शुरु कर दिया निर्मला की हालत खराब होने जा रही थी उसके मुंह से गरम गरम सिसकारी हल्की आवाज के साथ बाहर आ रही थी। उसकी नजर बार बार अपने बगल में लेटे उसकी मां पर चली जा रही थी बेड काफी बड़ा था इसलिए उन दोनों के लिए भी काफी जगह बचा हुआ था शुभम पूरी तरह से अपनी मां के बदन पर लेटा हुआ था निर्मला अपने बेटे की पीठ को अपनी हथेली से सहला रही थी और उसके लंड के कठोर पन को अपनी बुर पर एकदम साफ महसुस भी कर रही थी। उत्तेजना के मारे निर्मला का चेहरा लाल लाल टमाटर की तरह हो गया था कुछ देर तक अपनी मां की चूची से खेलने के बाद वह अपने हाथ को धीरे धीरे नीचे की तरफ ले जाने लगा जैसे ही वह अपनी हथेली को,,, अपनी मां की मांसल जांघों के बीच ले गया तो उसकी हथेली में हो रहे हल्के हल्के बालों के खुरदरापन का एहसास से उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई क्योंकि उसकी मां ने पेंटी भी नहीं पहनी थी,,,, वह अपनी मां की बुर पर अपनी हथेली रखकर उसे सहलाते हुए अपनी मां की कानों में बोला,,,,

मम्मी लगता है कि तुम पहले से ही चुदवासी हो गई हो तभी तो आज ना तो ब्रा पहनी हो और ना पेंटिं,,,

क्या करूं बेटा छत पर तेरी हरकत देखकर मेरी भी हालत खराब होने लगी मैं भी तेरे लंड के लिए तड़प रही है तभी तो समय ज्यादा ना बिगड़ जाए इसलिए पहले से ही तैयार लेटी हुई थी,,,,

तो देर किस बात की है मम्मी अगला कार्यक्रम शुरू किया जाए,,,( इतना कहने के साथ ही शुभम अपनी मां के बदन पर से अपने बदन को हल्के से ऊपर उठा लिया अपने बेटे के इशारे को निर्मला अच्छी तरह से समझ गई,,, और वह झठ से अपनी बेटे के पजामे को नीचे की तरफ सरकादी,,,, बाकी का शुभम खुद ही अपने हाथों से निकाल दिया,,, जब शुभम अपने हाथों से अपने पहचाने को अपने पैरों के बाहर निकाल रहा था तो निर्मला खुद ही अपने गांव में को पूरी तरह से ऊपर की तरफ कर दी और उसका पूरा नंगा बदन,,, डिम लाइट की पीली रोशनी में चमकने लगा अपनी मां के नंगे बदन और खूबसूरत बड़ी बड़ी चूचियां को देखकर शुभम की कामोत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई उसका लंड पूरी तरह से टट्टार खड़ा हुआ था। जिसका निर्मला की नज़र पड़ते ही वह प्रसन्नता के साथ साथ शर्मा भी गई,,,, वो खुद ही कुछ मेहमान को अपने घर में प्रवेश कराने के लिए,,,
अपनी टांगों को खोल दी शुभम अपनी मां की खुली हुई टांग को देख कर समझ गया कि उसकी मां मेहमान का स्वागत करने के लिए पूरी तरह से तैयार है इसलिए वह भी धीरे धीरे अपनी मां के ऊपर झुकता चला गया,,,, निर्मला अपने हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर खुद अपने बेटे के लंड को पकड़ कर अपनी बुर के मुहाने पर सटा दी,,, दोनों के बदन की गर्मी दोनों को चुदास से भर रही थी,,,, उत्तेजित होने की वजह से निर्मला की बुर पकौड़े की तरह फूल चुकी थी,,, और काफी की ली भी हो चुकी थी जिसकी वजह से शुभम का काफी मोटा लंड बड़े आराम से धीरे धीरे करके बुर के अंदर उतरने लगा,,, जैसे जैसे अपने बेटे के लंड को अपनी बुर की गहराई में महसूस कर रही थी वैसे वैसे उसके मुंह से गर्म सिसकारी निकल रही थी जिसे वह खुद ही दांतों से दबा दे रही थी,,, धीरे-धीरे करके शुभम का पूरा लंड बुर के अंदर उतर गया,,,
निर्मला एक बार अपनी मां की तरफ देखी वह अभी भी खर्राटे भर रही थी बड़ा ही रोमांचक नजारा लग रहा था निर्मला ने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस तरह से अपने बेटे से चुदवाई की और वह भी अपनी मम्मी के बगल में लेट कर,,,,, शुभम अब अपने संभोगनीय कार्यक्रम को शुरू करने वाला था,,,, वह अपने दोनों हाथों में अपनी मां की चुचियों को-वर्कर दबाना शुरु कर दिया और हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाना भी शुरू कर दिया,,, धीरे-धीरे उसकी मां की मुंह से सिसकारियों की आवाज आने लगी थी। शुभम धीरे धीरे अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया था बुर के अंदर की गर्मी,,,, उसके लंड की उत्तेजना को बढ़ाते हुए और भी ज्यादा कड़क कर दी थी। फच फच की आवाज के साथ शुभम अपनी मां को चोद रहा था। चुदाई की भनक पास में सो रही उसकी नानी को कानो कान भी नहीं थी। पूरे कमरे का माहौल पूरी तरह से उन्मादक बन चुका था। शुभम कभी अपनी मां की चुचियों को दबाता तो कभी उसे मुंह में भर कर पीना शुरु कर देता। अपने बेटे से इस तरह की हरकत करवाते हुए चुदवाने में निर्मला को भी बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी तभी तो वह जोर जोर से अपने बेटे के बाल को अपनी मुट्ठी में भींच कर अपनी चूचियों के बीच दबा दे रही थी। धीरे धीरे शुभम की कमर तीव्र गति से ऊपर नीचे होना शुरु कर दी,,, निर्मला देवी रहा नहीं जा रहा था वह रह रह कर नीचे से अपने भारी भरकम नितंबों को ऊपर की तरफ उछाल दे रही थी। शुभम अपनी मां की चुचियों को पीता हुआ इतनी कसके अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था कि,,, निर्मला का भजन गुदाज होने के बावजूद भी उसकी हड्डियां तक चिटक जा रही थी। शुभम का लंड बहुत तेजी से बुर के अंदर बाहर हो रहा था। इस तरह की चुदाई की ही जरूरत थी निर्मला को। अपने जीवन के बहुत से वर्ष यूं ही काट दि थी निर्मला ने जीवन से उड़ चुका सारे रंग को वापस शुभम भर रहा था।
निर्मला की जिंदगी में एक बार फिर से शुभम में रंगीनियत ला दी थी,,, शुभम की उत्तेजना उस वक्त और ज्यादा बढ़ जाती जब जोश में आकर के निर्मला नीचे से अपनी भारी भरकम गांड को उठाकर ऊपर की तरफ उचका देती थी,,,, उस समय शुभम निर्मला को कसके अपनी बाहों में दबोच लेता था। निर्मला बहुत देर से अपने होंठ को दांतों से भींचते हुए अपनी गरम सिसकारी की आवाज को दबाए हुए थी। पलंग पूरी तरह से चरमराने लगा था। शुभम के हर प्रहार के साथ निर्मला का बदन आगे की तरफ झुल जाता था। पलंग की चरमराहट की वजह से पूरा पलंग जबरदस्त झटकों के साथ हीलने लगा था। दोनों चुदाई का संपूर्ण आनंद उठा रहे थे कि तभी उन दोनों के कानों में आवाज आई,,,

बेटी यह अजीब अजीब सी आवाजें क्यों आ रही है और यह पलंग क्यों हीलं रहा है।
( अपनी मां की आवाज सुनते ही निर्मला तो फिर से सन्न हो गई,,, एक पल को तो वह पूरी तरह से घबरा गई साथ में शुभम भी लेकिन तभी उन दोनों को ख्याल आया कि उन्हें रखने के बगैर कुछ भी नजर नहीं आता इसलिए वह कुछ भी जवाब नहीं दे बस अपने काम में मगन रहने लगी,,, दो चार बार और पूछने के बाद निर्मला बोले ताकि उंहें लगेकी निर्मला सो रही थी,,,,)

कुछ नहीं मम्मी आपको थोड़ी कमजोरी है ना इसके वजह से आप को ऐसा लग रहा है,,,, आप सो जाइए ऐसा कुछ भी नहीं है ना तो कोई आवाज आ रही है और ना ही पलंग हिल रहा है

ठीक है बेटी,,,,( इतना कहकर वह सो गई शुभम अपनी मां की चालाकी देखकर बहुत खुश हुआ और और तेज तेज झटके लगाते हुए उसकी चुदाई करने लगा,,, थोड़ी ही देर बाद दोनों एक साथ झड़ गए,,,, झड़ने के बाद शुभम निर्मला के बदन पर ही लेटा रहा,,,, कुछ समय बिता तो निर्मला उसे अपने कमरे में जाने के लिए बोली लेकिन उस के नंगे बदन के ऊपर लेटने की वजह से फिर से शुभम के बदन में उत्तेजना का संचार होने लगा उसका ढीला बड़ा लंड एक बार फिर से तनकर खड़ा हो गया,,, निर्मला भला ऊसे क्यों इंकार करने वाली थी,,, एक बार फिर से उसने अपनी टांगों को खोल दी और शुभम उसमें समा गया,,,यह खेल सुबह 5:00 बजे तक चलता रहा,,, इसके बाद उसकी नानी उठे इससे पहले ही वह अपने कमरे में चला गया।


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