RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम को इतनी देर होता देखकर शीतल मन ही मन खुश होने लगी क्योंकि उसे विश्वास हो गया कि उसकी युक्ति काम कर गई,,, वह जानबूझकर अपनी ब्रा और पैंटी को लंच बॉक्स के साथ थैली में रखी थी उसे यह तो पक्का यकीन नहीं था कि आज सुभम स्कूल अकेले ही आएगा,,, लेकिन वह इतना जरूर पैक कर ली थी कि जो भी हो वह किसी न किसी बहाने से शुभम को अपनी ब्रा और पैंटी जरूर दिखाएगी,,, वह जानती थी कि लड़के हमेशा औरतों की ब्रा पेंटी जैसे अंग वस्त्र को देखकर एकदम उत्तेजित हो जाते हैं और उन वस्तुओं को लेकर मन में ढेर सारे कामुक कल्पनाएं भी करते रहते हैं। और शुभम भी डिक्की मैसे लंच बॉक्स लेते समय जरूर थेली में रखी हुई ब्रा पेंटी देखा होगा और उन्हें हाथों में लेकर के एकदम उत्तेजित हो गया होगा तभी तो उसे इतनी देर लगी यही सब सोचते हुए शीतल मन ही मन बहुत खुश हो रही थी कि तभी शुभम क्लास में दाखिल हुआ और कुर्सी पर बैठने ही वाला था कि शीतल की नजर सीधे शुभम की पैंट में बने तंबू पर गई और साथ ही,, तंबू के स्थान पर हल्का हल्का गीलेपन का धब्बा भी नजर आया उस धब्बे को देखते ही शीतल समझ गई कि शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था। शुभम कुर्सी पर बैठ गया और लंच बॉक्स खोलने लगा शीतल उसे देखकर मुस्कुरा रही थी। कुछ ही देर में दोनों खाना खाने लगे शुभम पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगा रहा था। और इस बात को जानकर कि शुभम उसकी पैंटी और ब्रा को देखकर उत्तेजित हो चुका है,,, शीतल के बदन में भी कसमसाहट हो रही थी। तभी खाते-खाते शीतल बोली।
शुभम तुम इतनी देर कहां लगा दिए थे,,,, ( तभी वहां आश्चर्य के साथ अपने माथे पर हाथ रखते हुए बोली,,,)
अरे यार कही तुम वो तो नहीं देख लिए,,,,,,
( शीतल को इस तरह आश्चर्य के साथ बोलता हुआ देखकर शुभम घबरा गया उसे लगने लगा की कहीं शीतल मेम थेली में रखी हुई ब्रा पेंटी के बारे में तो नहीं बोल रही,,,, शुभम शीतल की बात सुनकर हड़बड़ा गया,,)
ककककक,,,, क्या मैम,,,
अरे शुभम, तुम जिस थैली से लंच बॉक्स निकाले थे भूल से मैंने उसमे अपनी पहनी हुई ब्रा और पेंटी रख दी थी कहीं तुम उसे देख तो नही लिए,, ( शीतल बात बनाते हुए बोली लेकिन शुभम क्या बोलते हैं वह तो खामोश होकर नजरें झुकाए उसकी बातें सुनता रहा,,,,,)
अगर देख लिए हो तो उसके लिए सॉरी मुझे मालूम नहीं था मैं सच में एकदम भूल गई थी और तुम्हें वहां भेज दी,,,,
कोई बात नहीं मैंम,,( शुभम शरमाते हुए बोला)
सॉरी शुभम कहीं तुम्हें खराब तो नहीं लगा,,,,,
नहीं मैंम ऐसी कोई बात नहीं है,,,,,
( शुभम का जवाब सुनकर शीतल मन ही मन बोली की भला तुझे क्यों खराब लगेगा तुझे तो मजा आ गया होगा,,,, शीतल को भी इसमें बहुत मजा आ रहा था। बातों ही बातों में शीतल शुभम के साथ खुलना चाहतीे थी,,,, वह एक बहाने से शुभ उनके मन में क्या चल रहा है वह जानना चाहती थी। लेकिन वह बात को आगे बढ़ाती से पहले ही उसकी सह अध्यापिका क्लास में आ गई,,, और आते ही बोली।)
शीतल यह तो अपनी निर्मला का बेटा है ना काफी बड़ा हो गया है।
हां जी यह अपनी निर्मला का ही बेटा है,,,
( शीतल उसकी बात का जवाब नहीं देना चाहती थी क्योंकि उसकी वजह से सारा मजा किरकिरा हो गया था लेकिन वह उसकी सीनियर थी इसलिए औपचारिक रूप से जवाब दी। और तभी रिशेष पूरी होने की घंटी बज गई,,,,।
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