RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम अपनी मां की फूली हुई कचोरी जैसी बुर पर उंगली का स्पर्श करते ही उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी खास करके उसके लंड का तनाव कुछ ज्यादा ही बढ़ गया
उत्तेजना के मारे शुभम का गला सूखे जा रहा था,,, शुभम हल्के हल्के से अपनी ऊंगलियों को बुर के इर्द-गिर्द घुमाना शुरु कर दिया। निर्मला को अपने बेटे की यह हरकत बेहद आनंदित कर रही थी कि बदन में उत्तेजना के साथ-साथ गुदगुदी का भी एहसास हो रहा था।,,,,, शुभम एक हाथ से अपनी मां की मक्खन जैसी चिकनी जांघों को सहलाता हुआ उसकी फूली हुई बुर को हल्के-हल्के उंगलियों से सहला रहा था। निर्मला का बदन पूरी तरह से कसमसा रहा था। निर्मला के नस नस में चुदास पन की लहर दौड़ रही थी। उसके मुख से गर्म सिसकारियां नींकल रही थी और वह अपनी उत्तेजना को किसी भी हाल में दबा पाने की स्थिति में नहीं थी इसलिए वह अपने दांत से अपने गुलाबी होठों को काट रही थी। शुभम अपनी मां की स्थिति को देखकर और भी ज्यादा कामोत्तेजना का अनुभव कर रहा था वह बुर के इर्द-गिर्द घूमा रहे उंगलियों को आहिस्ता आहिस्ता बुर की पतली लकीर पर ले जाने लगा,,,, इस हरकत करके निर्मला की हालत और ज्यादा खराब होने लगी उसकी उत्तेजना सामाए नहीं समा रही थी,,, उस बदन पूरी तरह से कसमसा रहा था,, तभी शुभम ने उंगली से बुर की पतली लकीर से झांक रही गुलाबी पत्तियों को कुरेदना शुरू कर दिया,,, इतने में तो निर्मला के मुंह से हल्की सी चीख के साथ गर्म सिसकारियों का गुबार फूट पड़ा,,,
ऊूूूहहहहह,,,,, ऊहहहहहह,,,,, शुभम औह,,,,,,,,, शुभम तूने तो मुझे पागल कर दिया रे,,,,,,,, क्या जादू है तेरे हाथों में,,,,,,, मुझ से रहा नहीं जा रहा है शुभम,,,,,,, ( ऐसा कहते हुए निर्मला अपने दोनों हाथों से बिस्तर पर बिछी हुई चादर को मुट्ठी में भींच ली,,) बिल्कुल भी देर मत कर,,,,,,, मेरे बदन में आग लगी हुई है,,,,, चाट मेरी बुर को शुभम चाट,,,,,,, मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है पूरी कर दे मेरी ख्वाहिश को,,,, मैं तड़प रही हूं तुझसे अपनी बुर चटवाने के लिए,,,,,( निर्मला बदहवास सी अपने बेटे से बोले जा रही थी,,,, शुभम तो अपनी मां की गंदी बातें सुनकर एकदम से मस्त हुए जा रहा था। पहली बार किसी औरत के मुंह से इस तरह की बातें सुन रहा था,,,, पहले तो उसे यही लगता था कि सिर्फ लड़के ही गंदी बातें करते हैं लेकिन अब अपनी मां की बातें सुनकर उसे यकीन हो गया कि लड़कों की तरह औरतें भी इस तरह की बातें करती हैं।
लेकिन अपनी मां के मुंह से गंदी बातें सुनकर उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी। अपनी मां के मुंह से बुर चाटने वाली बात को सुनकर उसे तो जैसे मुंह मांगी मुराद मिल गई,,, वह भी अपनी मां की बुर को जीभ से चाटना चाहता था हालांकि इससे पहले उसे नहीं मालूम था कि औरतों की बुर को भी चाटा जाता है लेकिन जब से उसकी मां ने अपनी सुहागवाली रात की बात उसे बताई,,,ं तब से उसके मन में भी बुर चाटने की बात से उत्सुकता बढ़ गई थी।,,,, अपनी मां की बुर देखते ही उसके मुंह में पानी आ गया था वह अपनी मां की बुर चाटने के लिए लालायित था। लेकिन पहल करने में उसे डर लग रहा था और यहां तो खुद ही उसके मन की बात उसकी मा ही अपने मुंह से बोलकर उसे अपनी बुर चाटने का निमंत्रण दे रही थी,,, तो भला इस तरह का लुभावना निमंत्रण पाकर दुनिया का कौनसा मर्द होगा जो इंकार करेगा,,,,, और वह भी निर्मला जैसी खूबसूरत औरत की रसीली बुर,,,,,
ऊफ्फ्फ्फ,,,,, गली मोहल्ले के लड़के बुढ़े सभी सिर्फ कल्पना में ही निर्मला की बुर के बारे में सोच कर ना जाने कितनी बार अपना पानी निकाल देते हैं पर यहां तो शुभम को पूरी तरह से निर्मला की बुर चाटने को मिल रही थी उसके मुंह में तो पानी आ गया था। सुभम अभी भी उंगली से हल्के हल्के बुर को कुरेद रहा था,,,, और बुर से लगातार मदन रस का रिसाव हो रहा था जो कि उसकी उंगलियों पर भी लग चुका था।,,, निर्मला अपने बेटे को इस तरह से सिर्फ ऊंगलियो से ही मजा लेता देख कर फिर से बोली,,,।
क्या देख रहा है बेटा,,, आना मेरी बुर पर अपनी जीभ रखकर चाट कर देख तुझे कितना मजा आता है ।लोग तो तरसते रहते हैं बुर चाटने के लिए इतनी खूबसूरत और रसीली बुर सब के नसीब में नहीं होती,,,,, आज अब बिल्कुल भी देर मत कर,,,,
( अपनी मां का खुला आमंत्रण और उसकी बातें सुनकर शुभम पूरी तरह से मस्त हो गया और वह भी अच्छी तरह से जानता था कि वास्तव में ऐसी खूबसूरत रसीली बुर सबको नहीं मिलती,,,, इसलिए वह अपने आपको ऐसा अवसर और मौके मिलने का पूरा फायदा उठाते हुए अपनी मां की बात मान कर वह अपनी मां की बुर पर झुकने लगा,,, निर्मला भी
अपनी बेटे को इस तरह से बुर पर झुकता हुआ देखकर अपनी टांगो को फैला कर उसके लिए जगह बना दी,,, ताकि वह खुली बुर को अच्छी तरह से अपनी जीभ से चाट सकें,,,,
धीरे धीरे शुभम बुर के एकदम करीब पहुंच गया वह इतना करीब पहुंच गया कि बुर से जागती हुई गर्मी का एहसास उसे अपने चेहरे पर होने लगा और साथ ही उसमें से आ रही मादक खुशबू उसके नथुनों में समाने लगी,,, उस मादक खुशबू को अपने अंदर महसूस करते हैं उसके उत्तेजना का पारा एकदम सातवें आसमान पर पहुंच गया,,, शुभम गहरी गहरी सांसे ले रहा था, जिसकी गर्माहट का एहसास निर्मला को भी अपनी पूर्व पर अच्छी तरह से हो रहा था अब तो निर्मला का सब्र टूटने लगा, उसका धैर्य जवाब देने लगा,,,,, वह अधीर होकर अपना एक हाथ आगे बढ़ाइए और उसे अपने बेटे के सिर पर रखकर उसके बालों को हल्के हल्के से सहलाने लगी साथ ही उस पर दबाव बनाते हुए ऊसे नीचे की तरफ ले जाने लगी,,, निर्मला बड़ी आतुर हो चुकी थी,,, वह अपने बेटे के सिर पर दबाव बनाते हुए उसे जल्द से जल्द अपनी पूरी चटवाना चाहती थी,,, और अगले ही पल शुभम का होंठ उसकी मां की रसीली बुर के गुलाबी पत्तियों पर स्पर्श हुआ,,,
सससससहहह,,,,,, शुभम,,,,,,,( इतना कहने के साथ ही निर्मला ने और दबाव देकर उसके पूरे होंठ को अपनी बुर से चिपका दी,,,, शुभम के दो बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगे उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह सब सच है उसे सब कुछ सपना की तरह लग रहा था। वह कभी सोच भी नहीं सकता था कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी पल आएगा इसकी मां खुद उसके सिर को पकड़कर अपनी बुर से चिपकाए हुए थी।,,, और उत्तेजित स्वर में बोली,,,
ससससहहहहह,,,, शुभम बेटा चाट मेरी बुर को,,, बस चाट तु बिल्कुल भी देर मत कर,,,, मेरी बुर तड़प रही है तेरी जीभ का स्पर्श पाने के लिए,,,,आााााहहहहहहह,,,, बेटा,,,
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