Sex kahani अधूरी हसरतें
03-31-2020, 03:50 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
पलंग पर बिछाई हुई चादर पर सिलवटें पड़ चुकी थी। निर्मला पूरी तरह से पूरे बिस्तर पर अपने बदन को कस मसाते हुए इधर उधर झटक रहीे थेी। निर्मला के बदन के उत्तेजना का पारा पूरी तरह से थर्मामीटर को पार कर गया था। चुचियों का आकार कुछ ज्यादा ही बढ़ चुका था। उसका चेहरा उत्तेजना के मारे सुर्ख लाल टमाटर की तरह दमक रहा था। अब तो आलम यह था कि निर्मला से यह उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी और वह हल्के हल्के से अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाकर अपने बेटे के मुंह पर मार रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी बुर से अपने बेटे केमुंह को चोद रही हो,,,, अपनी मां की यह हरकत शुभम को भी बेहद कामोत्तेजित कर रही थी,,, पजामे के अंदर उसका लंड बाहर आने के लिए तड़प रहा था,,,, उसके लंड को अब उसकी खुराक चाहिए थी,, वह अब बुर के अंदर घुसना चाहता था ।शुभम खुद अपनी मां को चोदना चाहता था लेकिन वह अपने मुंह से बोल नहीं पा रहा था क्योंकि उसकी मां को बुर चटवाने में बेहद मजा आ रहा था,,,, लंड की तड़प तो उससे भी बर्दाश्त नहीं हो रही थी।,,, निर्मला अपनी बुर चटवाते हुए उत्तेजना के मारे सिसक रही थी। उससे भी जब अपनी बुर की खुजली बर्दाश्त नहीं हुई तो वह खुद सिसकारियां लेते हुए बोली।

सससससहहहहहहह,,,,,, आहहहहहहहहहहहहब,,,,, शुभम मेरे राजा,,,,,,, अब मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है।। अपनी जीभ निकालकर अब मेरी बुर में अपना लंड डाल दे मेरी बुर तड़प रही है तेरी मोटे लंड को लेने के लिए,,,, बस मेरे राजा बिल्कुल भी देर मत कर,,,, डाल दे मेरी बुर मैं तेरा लंड,,,,,, ओहहहहहह,,,, शुभम,,,,

( शुभम अपनी मां की रसीली और बेहद कामुक बातें सुनकर उसकी बुर चाटते चाटते रुक गया,,, रुकता भी कैसे नहीं उसकी मां ने बड़े ही कामुकता भरे स्वर में जो उससे चोदने के लिए आमंत्रण किया था। शुभम अपनी मां की मस्त बातों में खो सा गया,,, वह भी तो यही चाह रहा था,,,, उसका लंड पजामे में फटने की स्थिति में हो गया था,,,, वह तो ठीक समय पर उसकी मां ने उसे चुदाई करने के लिए आमंत्रित कर दिया वरना आज उसे ऐसा लग रहा था कि बिना चोदे ही उसका पानी निकल जाएगा,,, शुभम अपनी मां की बुर की कटोरी में से अपना मुंह निकाल दिया था और हांफते हुए अपनी मां की तरफ देख रहा था,,,, जो कि निर्मला भी खुद बेहद लालायित थी अपने बेटे के लंड को लेने के लिए।,, वह लंबी लंबी सांसे लेते हुए अपने बेटे से बोली,,,

बेटा अब अपने असली कार्यक्रम पर आते हैं ।तु मुझे तो पूरी तरह से नंगी कर दिया लेकिन अभी भी तू पूरे कपड़ों में ही है तू भी जल्दी से अपने कपड़े उतारकर मंगा हो जा मैं भी तेरे लंबे मोटे लंड को देखना चाहती हूं उसे चूमना चाहती हूं,,,,तु जल्दी से अपने कपड़े उतार,,,,

( अपनी मां की जल्दबाजी देखकर शुभम से भी रहा नहीं गया और झट से बिस्तर से नीचे उतर गया,,,, शुभम अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिया टी शर्ट उतारने के बाद वह अपने पजामे की तरफ देखा तो पूरी तरह से तंबू बना हुआ था निर्मला भी उसी तंबू को देख कर मन ही मन उत्तेजित और प्रसन्न हुए जा रही थी शुभम अपने पजामे को उतारता इससे पहले ही निर्मला अपना हाथ आगे बढ़ा कर पजामे के ऊपर से ही उसके लंड को पकड़ ली। जिस मजबूती के साथ उसने पजामे के ऊपर से लंड को पकड़ी थी शुभम की आह निकल गई,,,, निर्मला खुद ऊसके पजामा को नीचे उतारने लगी और अगले ही पल उसके बेटे का टनटनाया हुआ खड़ा लंड उसकी आंखों के सामने झूल रहा था,,,, निर्मला भी शायद पहली बार ही अपने बेटे के लंड को इतनी नजदीक से और इतने गौर से देख रही थी इसलिए आश्चर्य के मारे उसकी आंख फटी की फटी रह गई,,,, निर्मला से रहा नहीं गया और वह अपनी ड्यूटी पर खड़े लंड को अपनी नंगी हथेली में पकड़कर एक दो बार उसे आगे पीछे करते हुए उसकी मजबूती को भांपने लगी,,, अपनी मां की ईस अदा पर शुभम की सिसकारी निकल गई,,,,, अपनी मां की नरम नरम और गरम हथेली में लंड का स्पर्श होते ही उसकी उत्तेजना में कई गुना की बढ़ोतरी हो गई। अपने बेटे के मजबूत लंबे लंड को देखकर निर्मला के मुंह में पानी आ गया और उससे रहा नहीं गया तो वह अपने बेटे के लंड को पकड़कर आगे की तरफ खींची जिससे शुभम भी उसकी तरफ बढ़ गया शुभम समझ नहीं पा रहा था कि उसकी मां क्या करने वाली है उसका लंड निर्मला के होठों से बस दो अंगुल ही दूर था वह आंख फाड़े बड़े गौर से लंड की बनावट को देख रही थी। उत्तेजना के मारे दोनों का गला सूख रहा था आधी रात से भी ज्यादा समय गुजर गया था लेकिन अभी तक वह दोनों अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाए थे क्योंकि रास्ता ही इतना सुहावना और कामुकता से भरा हुआ था कि मंजिल तक पहुंचने मैं दोनों को जल्दबाजी नहीं थी। निर्मला अपने प्यारे होठों को अपनी जीभ से चाट कर गीला करने की कोशिश करने लगी और यह देख कर शुभम की हालत खराब होने लगी वह देखना चाहता था कि उसकी मां क्या करने वाले हैं तभी वहां कुछ और सोच पाता इससे पहले ही निर्मला अपना मुंह आगे बढ़ा कर,अपने तपते प्यासे होंठ को अपने बेटे के लंड के मोटे सुपाड़े पर रख दी,,,, जैसे ही अपनी मां के गुलाबी होठों को आपने मोटे लंड के मोटे सुपाड़े पर महसूस किया उत्तेजना के मारे उसका पूरा बदन झनझना गया,,, शुभम तुरंत उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच गया उसे अपनी मां से यह बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी वह तो कभी सोचा भी नहीं था कि उसकी मां इस तरह की भी हरकत कर सकती है वह हल्के हल्के से लंड के सुपाड़े पर अपनी जीभ घुमा रही थी। और शुभम के भजन में सुरसुराहट की लहर दौड़ रही थी देखते ही देखते निर्मला धीरे-धीरे करते हुए लंड़ के मोटे सुपाड़े को पूरी तरह से अपने मुंह में भर ली,,,, शुभम को इस तरह से लंड को अपने मुंह में लेना अच्छा नहीं लग रहा था वह अपनी मां को रोकना चाहता था लेकिन क्या करें उसे भी इस तरह के आनंद में गोते लगाने को मिल रहा था इसलिए आनंद के वशीभूत होकर वह अपनी मां को रोक नहीं पाया,,,,,
निर्मला जो कि आज तक अपने पति के लंड को मुंह में नहीं ली थी अगर लीं भी थी तो उसे दो 4 सेकंड से ज्यादा मुंह में रख नहीं पाई थी और वह आज वासना में लिप्त होकर अपने ही बेटे के लंड को बड़े मजे लेकर चाट रही थी,,,,, शुभम अपने दोनों हाथ को अपनी कमर पर रखकर मजे लेकर यह नजारा देख रहा था। आज उसे उसकी मां एकदम कामदेवी लग रही थी जो की उसके ऊपर बहुत ही गहरा असर करते हुए मस्ती के सागर में उसे डुबोए ले जा रही थी।

शुभम की हालत खराब हुए जा रही थी,,, उसके कमर अपने आप ही आगे पीछे हिलने लगी और वहां अनजाने में ही अपनी मां के मुंह में लंड डालकर उसे चोदना शुरू कर दिया निर्मला को भी अपने बेटे की इस हरकत पर बेहद आनंद की अनुभूति होने लगी और वह खुद अपने मुंह को आगे पीछे करते हुए जोर जोर से उसके लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी,,,, दोनों अपने अपने ढंग से पूरी तरह से मजा लेना चाहते थे। निर्मला को भी आज पहली बार लंड चूसने में बेहद मजा आ रहा था वह बता नहीं सकती थी कि आज अपने ही बेटे के लंड को चूस कर उसे कैसा महसूस हो रहा है वह तो बेहद प्रसन्न थी।उसकी बुर से लगातार मदन रस का रिसाव हो रहा था। कुछ देर तक यूं ही दोनो मजा लेते रहे निर्मला की बुर में चीटियां रेंगने लगी थी ।जिस तरह से वह अपने बेटे के लंड को मुंह में गले तक उतार कर ले रही थी उसी तरह से वह अब अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में डलवा कर चुदवाना चाहती थी ,,, । शुभम की भी हालत खराब हो रही थी वह भी अपनी मां की बुर में लंड डाला जाता था अगले ही पल निर्मला ने अपने मुंह में से अपने बेटे के लंड को बाहर निकाल दी और बुरी तरह से हांफने में लगी,,,

सच बेटा मैं तुझे बता नहीं सकती हूं कि लंड चुसने में मुझे आज कितना मजा आया है,,, मैंने जिंदगी में कभी भी इतना मजा लेकर लंड को कभी भी मुंह में नहीं ली थी,,, लेकिन तेरे लंड की बात ही कुछ और है,,,,।

( अपनी मां की बात सुनकर शुभम कुछ बोल नहीं पाया हालांकि वह भी कुछ बोलना चाहता था क्योंकि उसे भी बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी लेकिन वह तो खुद अपनी मां की हरकत पर बेहद आश्चर्यचकित हो गया था इसलिए वह अपनी मां की बात सुनकर कुछ भी नहीं बोला बस खामोश खड़ा रहा,,,,)

बहुत दम है रे तेरे लंड में (निर्मला एक बार फिर से अपने बेटे के खड़े लंड की तरफ देखते हुए बोली,,,)
बस अब बिल्कुल भी देर मत कर आजा अपना असली खेल शुरू करते हैं,,,( इतना कहते हुए निर्मला बिस्तर पर पीठ के बल टांगे फैलाकर लेट गई यह देख कर कदम से भी रहा नहीं गया और वह अपना लंड हाथ में पकड़ कर बिस्तर की तरफ आगे बढ़ा,,,, गजब का कामुकता से भरा हुआ नजारा कमरे में देखने को मिल रहा था तकरीबन घड़ी में 1:00 बज रहा था पूरा शहर नींद की आगोश में सो रहा था जग रहे थे तो बस निर्मला और शुभम जो कि दोनों एक दूसरे के बदन में समाने के लिए पूरी तरह से तैयार थे। निर्मला अपने बेटे के लंड की तरफ ही देख रही थी क्योंकि वह जानती थी कुछ ही सेकंड बाद उसका पूरा लंड उसकी बुर की गहराई नाप रहा होगा,,, इसलिए उत्तेजना और उत्सुकता के मारे उसका गला सूख रहा था। अगले ही पल शुभम अपनी मां की टांगों के बीच अपने लिए जगह बना लिया,,,, और वह एक हाथं से अपने लंड को पकड़कर बुरके गुलाबी पत्तियों के बीच रखने के लिए आगे बढ़ा लेकिन इस तरह से उसे कुछ कमी सी महसूस होने लगी,,, तो वह दोनों हाथों से अपनी मां की मखमली मक्खन जैसी जांघों को पकड़कर अपनी जांघों पर चढ़ा लिया और ऐसा करते ही उसकी मां की बुर ठीक उसके लंड के टुकड़े से स्पर्श करने लगी,,, शुभम के लंड का सुपाड़ा जैसे ही उसकी बुर की गुलाबी पत्ती पर स्पर्श हुई उसकी बुर में चीटियां रहने लगी,,,, वह लंड को बुर में लेने के लिए तड़प उठी,,,, सुभम भी अपनी मां की तड़प को अच्छी तरह से समझ गया और लंड के मोटे सुपाड़े को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रखकर हल्के हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ाना शुरू किया,,, बुर पूरी तरह से गिली थी इसलिए लंड का मोटा सुपाड़ा आराम से बूर के अंदर उतरना शुरू कर दिया,,,, जैसे जैसे लंड बुर के अंदर घुस रहा था वैसे वैसे निर्मला के चेहरे का हाव भाव बदलता जा रहा था वह बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और अपनी उत्तेजना को दबाने के लिए वह अपने होंठ को दांतों से कुचल रही थी,,,, तो ठीक है अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पा रही थी और अपने दोनों हाथों से अपनी दोनो चुचियों को पकड़कर दबाना शुरु कर दी धीरे-धीरे शुभम अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ रहा था,, बुर के अंदर का सारा रास्ता साफ करते हुए वह आगे बढ़ रहा था।,,, शुभम बड़े गौर से अपनी मां की तरफ और उस की रसीली बुर की तरफ देख रहा था जिसमें उसका मोटा लंड धीरे-धीरे करके घुसता चला जा रहा था। आधे से भी ज्यादा लंड बुर के अंदर समा चुका था,,,, निर्मला की तो सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,, वह बड़ी मस्ती और मदहोशी के साथ अपनी बड़ी बड़ी छातियों को अपने हाथों से मसले जा रही थी। आधा से भी ज्यादा लंड बुर में घुसने की वजह से अब उसे बूर के अंदर दर्द का एहसास होने लगा था। अब उसकी गरम सिसकारी के साथ-साथ दर्द से कराहने की भी आवाज आ रही थी,,, जो कि वह आवाज भी पूरे कमरे में कामोत्तेजना फैला रही थी।

आहहहह,,,,, शुभम,,,,,,ऊूूहहहहहहह,,,, शुभम बहुत दर्द कर रहा है,,,,,ओहहहहह,,, मां,,,,,, हीसससससस,,,,,,,
( शुभम अपनी मां के कराहने की आवाज की परवाह किए बिना ही आगे बढ़ता चला जा रहा था वह अपने दोनों हाथ से अपनी मां की मदमस्त बलखाती कमर को थाम लिया,,,, क्योंकि वह भी समझ गया था कि आगे का रास्ता थोड़ा कठिन है इसलिए वह अपनी मां की कमर को थामे कस के कमर को आगे की तरफ बढ़ाने लगा, जैसे-जैसे व कमर पर दबाव बढ़ा रहा था वैसे वैसे उसका मोटा लंड सब कुछ चीरता हुआ आगे बढ़ रहा था और इस वजह से निर्मला को दर्द का एहसास हो रहा था,,,, निर्मला को आज उसके बेटे का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा महसूस होने लगा था, क्योंकि वह पहले भी उसके लंड से चुद चुकी है और इस वजह से लंड आराम से चले जाना चाहिए था,,,, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा था फिर भी धीरे-धीरे करके शुभम ने अपने लंड को बुर की गहराई तक पहुंचा ही दिया,,, वह अपनी मां की कमर को थामे एक जबरदस्त प्रहार किया और लंड सब कुछ मिलता होगा बुर की गहराई में जाकर टकरा गया,,,, निर्मला अपने आप को रोक नहीं पाई और उसके मुंह से जबरदस्त चीख निकल पड़ी,,,,

ओहहहहहह, मां,,,,, मर गई रे,,,, आहहहहहहहहह,,,, शुभम तूने तो मार डाला रे ऐसे भी भला कोई करता है क्या,,,,
( निर्मला दर्द से कराहने लगी थी दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे,,,, निर्मला दर्द से छटपटा रही थी वह दर्द के मारे अपना सिर इधर उधर पटक रही थी,,,और जिस तरह से वह चीखी थी अगर घर में कोई और मौजूद होता तो उसकी चीथने की आवाज उसके कानों तक जरूर पहुंचती,,,, लेकिन इस बात का डर दोनों को बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि घर में तीसरा कोई भी मौजूद नहीं था।
निर्मला को बहुत दर्द हो रहा था लेकिन शुभम उसके दर्द की परवाह किए बिना ही एक बार और उसकी कमर को बराबर से पकड़ लिया,,,, कोई और वक्त होता तो शायद वहां रुक जाता लेकिन इस समय वह पूरी तरह से जोश से भरा हुआ था और यही निर्मला भी चाहती थी कि वह बिना रुके उसकी चुदाई करता रहे,,, निर्मला को इसी तरह की चुदाई से बेहद आनंद की प्राप्ति होती थी पहले वह दर्द से छटपटा रही थी लेकिन वह मन में यही सोच रही थी कि उसका बेटा बिना रुके की चुदाई करे,,, शुभम भी जैसे उसकी मां के मन की बात जान रहा हो इस तरह से,, बिना रुके आहीस्ता से अपने लंड को बाहर की तरफ खींचा और सिर्फ झटके के साथ बुर के अंदर डाल दिया,,, लंड सीधे जाकर बच्चेदानी से टकरा गया,,,, और एक बार फिर से निर्मला की चीख पूरे कमरे में गूंजने लगी,,,, अब शुभम बिना रुके अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया,,, शुभम का लंड काफी मोटा और लंबा था, इस वजह से हर धक्के के साथ लंड निर्मला की बच्चेदानी को छु रहा ़ था। निर्मला को भी इसमें काफी मजा आ रहा था क्योंकि उसके पति के लंड ऊस जगह को कभी छु तक नहीं पाया था।
शुभम की रफ्तार धीरे धीरे बढ़ने लगी और साथ ही निर्मला की सिसकारीया भीे बढ़ती जा रही थी। शुभम अपनी कमर को एक पल के लिए भी नहीं रोक रहा था बल्कि वह और जोर-जोर से अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए हिला रहा था।बुर से आ रही फच्च फच्च की आवाज से पुरा कमरा गुंज रहा था। शुभम का हर धक्का इतना तेज था की हर धक्के के साथ पूरा पलंग मचर मचर कर रहा था। निर्मला के बदन के साथ साथ पूरा पलंग हचमचा जा रहा था। कुछ देर पहले निर्मला की चीखें और कराहने की आवाज आ रही थी जो की अब गरमा गरम संतुष्टि भरी सिसकारियों में बदल गई थी,,, निर्मला को आज चुदवाने में काफी मजा आ रहा था क्योंकि आज वह खुल कर चुदाई का मजा ले रही थी आज उसे किसी बात का डर नहीं था ना किसने के द्वारा देखे जाने का और ना ही पकड़े जाने का इसलिए उसे आनंद की अनुभूति भी बहुत ही ज्यादा हो रही थी। वह बल्कि जोर जोर से बोल कर अपने बेटे का हौसला और जोश दोनों बढ़ा रहेी थी।

और तेज और तेज शुभम और तेज चोद मुझे,,,, आहहहहहह शुभम तूने तो मुझे मस्त कर दिया,,,, देख कितनी तेजी से तेरा लंड मेरी बुर में अंदर बाहर हो रहा है ।शुभम तु बड़ी मस्ती के साथ चुदाई करता है,, बस ऐसे ही मुझे चोदता रहे,,,, आहहहहह,,,,, आहहहहहहहह,,,,, आहहहहहहहह,,,,,
( निर्मला अपनी बात पूरी कर पाती इससे पहले ही सुभम जोश में आकर लगातार धक्के धक्के देना शुरू कर दिया जिसकी वजह से ही निर्मला की सिसकारियां गु्ंजने लगी,,,
थोड़ी देर बाद जबरदस्त चुदाई की वजह से निर्मला का बदन अकड़ने लगा उसकी सिसकारियां तेज हो गई,,,, सुभम का भी यही हाल था वह भी समझ गया कि वह किनारे पर पहुंचने वाला है और वहं अपनी मां के ऊपर झुककर उसे अपनी बाहों में कस कर दबोच लिया,,, और जोर जोर से अपने लंड को उसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए झटके लगाने लगा,,,, और दो-चार झटकों के बाद ही निर्मला के साथ बात शुभम भी झड़ने लगा,,,।


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