Sex kahani अधूरी हसरतें
03-31-2020, 03:58 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला पूरी तरह से तैयार थी इसलिए वह हाथ में आई चादर को वापस बिस्तर पर फेंक दी,, वह अपने बेटे की तरफ कामुक मुस्कान फेंकते हुए दरवाजे की तरफ जाने लगी,, बिस्तर पर बैठा शुभम अपनी मां को गांड मटकाते हुए जाता देखकर वह भी बिस्तर पर से खड़ा होता हुआ बोला,,,

रुको मम्मी मुझे भी पेशाब लगी है मैं भी चलता हूं।( इतना कहकर वह भी पीछे-पीछे आ गया उसे भी नग्नावस्था में आता देखकर निर्मला मुस्कुरा दी,,, दरवाजा खोलकर निर्मला कमरे से बाहर आ गई उसे मालूम था कि घर में तीसरा कोई भी मौजूद नहीं है फिर भी वह आदत के अनुसार चारों तरफ देखने लगी,, शुभम ठीक उसके पीछे ही खड़ा था जिसकी नजर निर्मला की बड़ी बड़ी गांड पर ही टिकी हुई थी। निर्मला बड़े ही कामुक अदा सै आगे बढ़ने लगी,, बड़ी-बड़ी मटकती हुई गांड को देखकर शुभम की उत्तेजना फिर से बढ़ने लगी एक तो पहले से ही उसकी मां ने उसके लंड को मुंह में लेकर दोबारा लंड की हालत खराब कर दी थी और ऊपर से यह मटकती हुई गांड,,,ऊफ्फ्फ्फ,,,,, शुभम पर कयामत बरसा रही थी। निर्मला इस तरह से अपने घर में तो क्या अपने कमरे में भी पूरी तरह से नंगी होकर चहल-कदमी नहीं की थी पूरी तरह से लगना वस्था में घर में इधर-उधर घूमने का यह पहला अनुभव था,,, और इस अनुभव ने तो उसके बदन में उत्तेजना की गजब की सुरसुरी मचा रखी थी,,,, यह पल उसके लिए बेहद आनंदित कर देने वाला था,,,, कमरे में इस तरह से बिंदास होकर के एकदम नंगी घूमने का अनुभव उसे बेहद रोमांचित कर रहा था। वह बार-बार पीछे पलटकर शुभम की तरफ देख रही थी जोकि उसके ही नंगे बदन का रसपान कर रहा था और उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होकर छत की तरफ मुंह उठाए खड़ा था।,,, अगले ही पल वह बाथरूम का दरवाजा खोल कर अंदर घुस गई और उसके पीछे-पीछे शुभम भी बाथरूम में चला गया,,,, यह दूसरा मौका था जब दोनों एक साथ बाथरूम में थे इसके पहले भी एक बार बाथरूम में दोनों स्थित होने पर उस पल का फायदा उठाते हुए एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश कर चुके थे लेकिन ऐन मौके पर ही निर्मला की मां के आ जाने पर सारे किए कराए पर पानी फिर गया था,,, लेकिन आज उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं थी क्योंकि आज उन्हें कोई भी रोकने वाला नहीं था और ना ही कोई बात रूम में बिना बताए घुस आने वाला था क्योंकि घर में दोनों के सिवा कोई भी नहीं था इसलिए तो शुभम बाथरूम में प्रवेश करते ही दरवाजा ना बंद करके दरवाजा खुला छोड़ दिया था,,,, बाथरूम का दरवाजा खुला छोड़ देना यह दोनों की मानसिकता को उजागर करती थी ।
यही इस बात की प्रतीति कराता था की अब इन दोनों को किसी बात का न तो डर है और ना ही किसी की परवाह है,,,।
घर का बाथरूम भी काफी बड़ा था तकरीबन 10 बार 10 फीट का बड़ा ही मॉर्डन टाइप का बाथरूम था। दोनों मां बेटी उस बाथरूम में संपूर्ण नग्नावस्था में एक-दूसरे को मुस्कुराते हुए देख रहे थे लेकिन निर्मला इस समय कुछ असहज हो रही थी क्योंकि उसे पेशाब का प्रेशर कुछ ज्यादा ही तेज आया हुआ था और वह अपने बेटे के सामने थोड़ा सा शर्मा रही थी
तभी शुभम अपनी मां के करीब आगे बढ़ता हुआ बोला,,,

मम्मी उस दिन भी हम दोनों इसी तरह से एक ही बाथरुम में थे उस दिन दे हम दोनों के बीच बहुत कुछ हो चुका होता अगर नानी एन मौके पर ना गई होती तो,,,

आ भी गई थी तो क्या हो गया था हम दोनों उस दिन भी अपने इस कार्यक्रम को आगे बढ़ा सकते थे,,,( निर्मला बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)
तू जानता है शुभम उस दिन बाथरूम में मेरी बहुत इच्छा हो रही थी तेरे लंड को अपनी बुर में लेने के लिए,,, मैं तुझसे चुदने के लिए एकदम तड़प रही थी,,, लेकिन मेरा पानी निकलता है इससे पहले ही तेरी नानी ने पूरा काम बिगाड़ दिया,,,,

तुम कब कह रही हो मम्मी,,,( इतना कहते हुए शुभम अपनी मम्मी के बेहद करीब आ गया,,, इतना करीब कि उसका खड़ाा लंड निर्मला के पेट पर रगड़ खाने लगा। और निर्मला एकदम से उत्तेजित हो गई और हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के लंड को पकड़ ली।

ससहहहहहहह,, मम्मी मेरा लंड तुम्हारे हाथ में आते ही ना जाने मुझे क्या होने लगता है,,,,( शुभम सिसकते हुए बोला,,, अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला मुस्कुराते होंगे और लंड को पकड़कर अपने पेट पर उसके सुपाड़े को रगड़ते हुए बोली,,,।)

क्या होने लगता है मेरे लाल,,,,,


ऐसा लगता है कि मैं पूरा लंड तुम्हारी बुर में डालकर चोद डालूं,,,


तो डालकर चोदता तो है तू और तुझे मना भी किसने किया है,,,,,,
( इतना कहते हुए निर्मला जोर-जोर से लंड के सुपाड़ें को अपनी मक्खन जैसे चिकने पेट पर रगड़ने लगी,,,, वह इतनी गरम हो चुकी थी कि उसकी सिसकारी निकल जा रही थी,,
दोनों के बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से हो रहा था दोनों बेहद गर्म हो चुके थे,, निर्मला से रहा नहीं जा रहा था उसके हाथ में शुभम का मोटा तगड़ा लंबा लंड था और उसका मन बार-बार उसे मुंह में लेकर चूसने को कर रहा था,, उसे प्रेशर भी बड़ी तेजी से आई थी लेकिन वह लंड़ को अपने मुंह में लेकर चूसने के लालच को दबा नहीं पाई और नीचे झुकते हुए अपनी बेटे के खड़े लंड को गप्प से अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, शुभम तो अपनी मां के इस अदा पर जैसे हवा में उड़ रहा हो ऐसा अनुभव करने लगा,,, उत्तेजना औरॅ बदन में चढ़ रहे ऊन्माद की वजह से उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,,, धीरे-धीरे करके मेरे मौला अपनी बेटी के लंबे लंड को पूरी तरह से मुंह में निगल गई जोकि उसके गले तक पहुंच रहा था फिर भी बिना किसी तकलीफ के वह उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, और लंड को चूसते हुए वह अपनी टांगो को फैला कर बैठ गई,,, उसे अपन भी बड़े जोरों से लगी थी इसलिए वह अपनी पेशाब को ज्यादा देर तक रोक नहीं पा रही थी,,, इसलिए लंड को मुंह में लेकर चुसते हुए वह पेशाब करना शुरु कर दी,,,,
बुर से बड़े प्रेशर के साथ निकल रही पेशाब की धार की आवाज बेहद सुरीली लग रही थी जो कि सिटी के रूप में सुनाई दे रही थी और उस आवाज को शुभम के कानों तक पहुंचते ही,,,, शुभम की हालत खराब होने लगी वह बेहद कामातुर हो गया,,, निर्मला उसकी टांगों के बीच में ही पेशाब कर रही थी शुभम ने अपने टांग को थोड़ा और फैला दिया,,,
शुभम अपनी नजरों को नीचे करके अपनी मां की बुर से निकल रहे पेशाब के तेज बहाव को देखकर बेहद कामोत्तेजित हो गया,, वह चुदास पन से एकदम व्याकुल होने लगा, और हल्की हल्की अपनी कमर को आगे पीछे हिलाते हुए अपनी मां के मुंह में ही लंड को अंदर बाहर करने लगा,,, एक तरह से वह. अपनी मां के मुंह को चोदना शुरू कर दिया।,, निर्मला लंड को चुस्ती हुई बड़ी तेजी से अपनी पेशाब को बाहर निकाल रही थी जिसमें से आ रही सीटी की आवाज पूरे बाथरूम में गूंज रही थी और यह आवाज दोनों को चुदवासा बना रही थी,,,, निर्मला बड़ी तेजी से अपने बेटे का लंड चूस रही थी और सुभम भी बड़ी तेजी से अपनी कमर को आगे पीछे करता हुआ हिला रहा था।
थोड़ी ही देर में निर्मला पेशाब करके भारीग हो गई थी,,, उसका मन आप अपने बेटे के लंड को बुर में डलवा कर चुदवाने को कर रहा था,,,, इसलिए वह कुछ देर तक और अपनी बेटे के लंड को चुसकर उसे अपने मुंह से बाहर निकाल दी,,,, वह खड़ी होते हुए बोली,,,

बस बेटा अब डाल दे अपने लंड को मेरी बुर में क्योंकि मुझ से रहा नहीं जा रहा है उस दिन जो काम बाथरूम में अधूरा छूट गया था उसे आज पूरा कर दें,,,,
( इतना कहते हुए वह खड़ी हो गई और अपनी मद मस्त भराव दार गांड को अपने बेटे की तरफ परोश कर जैसे ही दीवार की तरह मुंह करने को हुई कि,,,, शुभम जल्दी से अपने दोनों हाथ से अपनी मां की कमर को पकड़कर अपनी तरफ घुमाते हुए बोला,,,,।)

रुको तो सही मम्मी मुझे भी तो मलाई चाप लेने दो,,,
( निर्मला कुछ समझ पाती इससे पहले ही सुभम अपने घुटनों के बल बैठ कर अपना मुंह अपनी मां की गुदाज जांघों के बीच डालकर बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,, अपने बेटे की जीभ़ अपनी बुर पर महसूस करते ही एक बार फिर से निर्मला की हालत खराब होने लगी और वह एकदम से तड़प उठी,,, एक बार फिर से वहां कामातुर होकर के अपने बेटे से अपनी बुर चटवाने लगी,,,, दोनों इस पल का बेहद भरपूर फायदा उठा रहे थे निर्मला एकदम बेशर्म हो चुकी थी और वैसे भी इस तरह का मजा लेने के लिए हर औरत को बेशर्म बनना ही पड़ता है अगर वह बेशर्म ना बने शर्म के पर्दे में रहे तो इस तरह का अद्भुत आनंद की प्राप्ति उसे कभी भी नहीं हो सकती,,,, इसलिए तो निर्मला भी बरसों से ओढ़ रखी शर्मा हया की चादर को निकाल फैंकी थी। क्योंकि अब तक संस्कार और दकियानूसी खयालात में उसे इस तरह के अतुल आनंद से कोसों दूर रखे हुए था, संभोग के अद्भुत सुख से वह अब तक वंचित ही रही थी,,,। इसलिए तो आज वह बेहद खुलकर अपनी बेटे के साथ आनंद के सागर में गोते लगा रही थी। शुभम बड़े मजे ले लेकर अपनी मां की बुर के अंदर जीभ डाल डाल कर ऊसकी मलाई को गले के अंदर गटक रहा था।
कसैला नमकीन रस उसे किसी अमृत की बूंदों से कम नहीं लग रहा था,,, कुछ देर तक सुदामा ऐसे ही हम अपनी मां की मलाई को जीभ से चाटता रहा,,,, लेकिन अब उसका लंड बेहद विस्फोटक स्थिति में आ गया था,,,, इसका लावा कभी भी पिघल कर बाहर आ सकता था,,, इसलिए सुबह में जरा भी देर करना उचित नहीं समझा और जांघो के बीच से अपना मुंह बाहर निकाल कर खड़ा हो गया,,,, निर्मला कामातुर हो कर सुभम को ही देखे जा रही थी और शुभम अपनी मां की कमर को थाम कर वापस उसी दीवार की तरफ घुमाते हुए खड़ा कर दिया,,, परिपक्वता और बेशर्मी से भरपूर हो चली निर्मला को समझते देर नहीं लगी कि उसे अब क्या करना है,,, वह भी जल्दी से दीवार के सहारे खड़ी होकर के अपनी भरावदार मस्त गांड को उभार कर किसी स्वादिष्ट व्यंजन की थाली की तरह अपने बेटे के सामने परोश दी,,,, शुभम अपनी मां की बड़ी-बड़ी और गोलगोल गांड देखकर एकदम कामातुर हो गया उसकी आंखों में चमक नजर आने लगी,
शुभम से बिल्कुल भी रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हाथों से अपनी मां की गोल-गोल गांड की दोनों फांकों पर चपत लगाने लगा,,,, देखते ही देखते सुभमने दो चार चपत जड़ दिए,,, निर्मला के मुख से कराहने की आवाज आ गई,,,

आहहहह,,, आहहहहह,,, आहहहहहहह,,,,, क्या कर रहा है शुभम मुझे दर्द हो रहा है,,,,,,

क्या करूं मम्मी तुम्हारी गांड ही इतनी मस्त है कि मुझ से रहा नहीं जा रहा है,,,,


तो डाल देना अपना लंड इसीलिए तो तेरी तरफ उठा कर रखी हूं,,,, ( निर्मला मदमस्त होते हुए बोली गांड पर चपत लगने की वजह से भले ही उसे दर्द का एहसास हो रहा हो लेकिन शुभम की इस हरकत से उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई उसे बहुत ही आनंददायक लग रहा था,,। बस उसे याद इंतजार था कि कब उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर के अंदर समाता है,,,। शुभम भी तड़प रहा था,,, वह एक हांथ से अपनी मां की मदमस्त गांड को पकड़ते हुए,,, अपने लंड के मोटे सुपाड़े को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच सटाकर लंड के मोटे सुपाड़े को आहिस्ते आहीस्ते बुर के अंदर सरकाने लगा,,,, बुर पहले से ही ढेर सारा पानी छोड़ रही थी जिसकी वजह से पूरी तरह से चिपचिपी हो गई थी,,, लंड का मोटा सुपाड़ा बड़े आराम से बुर के अंदर प्रवेश कर गया,,, जैसे-जैसे बुर के अंदर लंड जा रहा था वैसे वैसे निर्मला आनंद के सागर में डूबती चली जा रही थी। धीरे-धीरे करके सुभम ने अपना आधा लंड अपनी मां की बुर में डाल दिया,,,, निर्मला की तो सिसकारी फूटने लगी थी,,, वह मदमस्त होकर अपनी हथेली को बाथरूम की टाइल्स पर रगड़ रही थी। शुभम अब अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से थाम लिया और कचकचा कर एक जबरदस्त धक्का मारा कि उसका पूरा लंड बुर की गहराई नापने लगा,,, निर्मला के मुंह से चीख निकल गई,,,,

आाााहहहहहह,,, शुभम इतनी जोर से क्यों डाला रे अंदर,,,ऊहहहहहह. मर गई रे मां,,,,,, शुभम तू बड़ा नालायक हे रे इतनी तेज कहीं डाला जाता है।,,,आहहहहह,,,,, कितना दर्द कर रहा है सच में तू बड़ा बेदर्द है,,,,आहहहह,,,,, आहहहहहह,, शुभम,,,,,, ( निर्मला और कुछ कह पाती इससे पहले ही शुभम लंड को बाहर की तरफ खींच कर तीन-चार धक्के और लगा दिया,,,, शुभम रुकने वाला नहीं था और पूरा जोश से भर चुका था वह अब बुर को चोदना शुरू कर दिया था।,,, थोड़ी ही देर में निर्मला के मुंह से आ रही दर्द से कराहने की आवाज सिसकारी में बदल गई,,,, वह बेहद आनंदित हो उठी,,,, बाथरूम में चुदवाने का इसका पहला मौका था पहली बार तो वह सफल नहीं हो पाई थी लेकिन इस बार बार पूरा मजा लेकर के खुले तौर पर अपने बेटे से बाथरूम में चुदवाने का आनंद लूट रही थी,,,, शुभम भी बहुत कामोत्तजीत नजर आ रहा था तभी तो वह गांड पर बार-बार चपत भी लगाता जा रहा था,ऐसा नहीं था कि निर्मला को गांड पर थप्पड़ पड़ने की वजह से दर्द ना हो रहा है उसे दर्द भी हो रहा था लेकिन इस दर्द में उसे बेहद आनंद की अनुभूति भी हो रही थी। निर्मला इतनी ज्यादा चुदवासी हो चुकी थी कि वह पीछे की तरफ अपनी बड़ी बड़ी गांड को ठेलकर जल्द से जल्द अपने बेटे के लंड को अपनी बुर की गहराई में उतार लेना चाहती थी,,, अपनी मां का उतावलापन देखकर शुभम से भी रहा नहीं गया और वहां बड़ी तेज गति से जबरदस्त प्रहार करते हुए धक्के पर धक्का लगाने लगा,,, शुभम का हर प्रहार इतना तेज था कि हर धक्के के साथ निर्मला सीधे बाथरूम की दीवार से सट जाती थी। निर्मला नरम गरम मांसल जांघों से शुभम की जांघ जब भी टकरा रही थी,,,चप्प चप्प की बेहद उन्मादक आवाज पूरे बाथरूम में गूंज रही थी,,,, शुभम की कमर बड़ी तेजी से हिल रही थी इस तरह की चुदाई के लिए निर्मला बरसों से तड़प रही थी,,, आज उसकी यह तड़प शांत हो रही थी बहुत मजा आ रहा था दोनों आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे,,, तकरीबन एकाध घंटे की जबरदस्त चुदाई के बाद,,, निर्मला का बदन अकड़ने लगा उसकी सिसकारी और ज्यादा तेज हो गई,,,, शुभम समझ गया कि उसकी मां का पानी निकलने वाला है और वह भी बेहद करीबी था इसलिए उसके धक्कों की रफ़्तार और ज्यादा तेज हो गई,, थोड़ी देर बाद दोनों एक साथ तेज सिसकारी लेते हुए झडने लगे,,,, दोनों एक बार फिर से संतुष्टि पूर्वक अपने चरम सुख को प्राप्त कर लिए थे,। इसके बाद तो कमरे में आकर भी दोनों ने सुबह 5:00 बजे तक जबरदस्ती चुदाई का कार्यक्रम जारी रखा,, दोनों बहुत थक चुके थे इसलिएें बिस्तर पर पड़ते ही नींद की आगोश में चले गए,,,,, जब उन दोनों की नींद खुली तो सुबह के 10:00 बज रहे थे।


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RE: Sex kahani अधूरी हसरतें - by sexstories - 03-31-2020, 03:58 PM

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