Sex kahani अधूरी हसरतें
03-31-2020, 03:58 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
( अशोक की बात सुनते ही उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गई वह समझ गई कि अब वह पूरी तरह से मस्तीया चुका है,, इस हालत में उससे अपने मन की कोई भी बात मनवाना कोई मुश्किल काम नहीं था इसलिए वह एक बार फिर से अपनी जीभ का स्पर्श लंड की सुपाड़ो के चारों तरफ कराते हुए बोली,,,,।

ज्यादा नहीं चाहिए,,,,, बस दो लाख चाहिए मेरे राजा,,,,,
( वह अच्छी तरह से जानती थी कि दो लाख की बात सुनते ही वह मुंह बनाने लगेगा इसलिए वहं दो लाख का जिक्र करते ही झट से उसके पूरे सुपाड़े को अपने मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दी,,,, और उसकी इस हरकत पर अशोक की गर्म सिसकारी निकल गई,,,,,।)

ससहहहहहहह,,,, मेरी जान बस ऐसे ही चूसो,,,,

दोगे ना मुझे ₹2 लाख,,,,

( अशोक क्या कहता इसी का तो है दीवाना था और वह भी अच्छी तरह से जानती थी उसकी कमजोरी को इसलिए तो आप उसकी कमजोरी का पूरा फायदा उठा रही थी और अशोक में मस्ती में डूबते हुए हां कह दिया।)

हां मेरीे जान मैं दूंगा तुम्हें दो लाख रुपया, बस तुम पूरा मुंह में भरकर चुस्ती रहो।( रीता जानती थी की अशोक इस अवस्था में आकर कभी भी किसी भी बात के लिए इनकार नहीं कर पाता,,, और गीता अशोक को इसी अवस्था में लाकर ना जाने कितनी बार अपनी बात मनवा चुकी थी। अशोक के हामी भरते हैं रीता बिना देरी किए लंड के सुपाड़े के साथ-साथ उसका आधा लंड भी मुंह में भरकर चुसना शुरू कर दी,,,
अशोक तो जैसे हवा में उड़ रहा हो रीता पूरी तरह से उसके ऊपर छा़ चुकी थी,,, कुछ देर तक,, यूं ही उसके लंड को मुंह में लॉलीपॉप की तरह चूसने के बाद,,, रीता खड़ी हुई और अपनी साड़ी को कमर तक उठा ली,,,, अशोक समझ गया कि उसे अब क्या करना है इसलिए वह कुर्सी पर से उतरना चाहता था कि तभी रीता ने अपने एक पैर को उसकी जान पर रखकर उसे कुर्सी पर बैठे रहने का इशारा कि,,, अशोक इसका मतलब समझ नहीं पा रहा था तो रीता उसे बोली,,,

अशोक मेरी जान आज तुम कुछ नहीं करोगे जो करना है मुझे ही करना है इसलिए तुम सिर्फ बैठे रहो,,, बस थोड़ा सा आगे की तरफ आकर बैठ जाओ,,,,,,
( अशोक रीता के कहे अनुसार थोड़ा सा आगे आकर बैठ गया जिसकी वजह से उसका लंड कुर्सी के किनारे तक आकर खड़ा हो गया रीता अपने हुस्न का जादू अशोक के ऊपर पूरी तरह से चला चुकी थी,,, वह हांथ से अपनी गुलाबी रंग की पैंटी को,,,, नीचे नहीं उतारी बल्कि उसे थोड़ा सा अपनी फुली हुई बुर के किनारे सरकादी ताकि उसकी बुर की गुलाबी रंग की गुलाबी छेद नजर आने लगे,,,, अशोक एकदम कामातुर होकर रीता की हर हरकत को देख रहा था रीता पूरी तरह से तैयार थी वह अशोक की तरफ अपनी पीठ करके खड़ी हो गई और अपनी साड़ी को बराबर कमर के ऊपर पकड़ कर अपनी गांड को पीछे की तरफ झुकाने लगी अशोक को समझते देर नहीं लगी कि रीता क्या करने वाली है इसलिए वह बेहद रोमांचित हो गया रीता धीरे-धीरे करके अपनी गांड को अशोक के लंड के ऊपर रगड़ना शुरु कर दी,,, अशोक की हालत और ज्यादा खराब होने लगी,,,, रीता खुद ही अपने हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर अशोक के लंडं को पकड़कर उस के सुपाड़े को अपनी बूर के मुहाने पर लगा दी,, और धीरे-धीरे उस पर बैठने लगी अगले ही पल अशोक का पूरा लंड रीता की बुर के अंदर समाया हुआ था।
अशोक को कुछ भी नहीं करना था रीता खुद ही उसके लंड पर उठना बैठना शुरु कर दी,,,, अशोक को बेहद आनंद की अनुभूति होने लगी अशोक रीता से जिस तरह की उम्मीद रखता था,वह उसकी उम्मीद पर पूरी तरह से खरी ऊतरती थी। अशोक से रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर रीता की बड़ी गांड को थाम लिया,,,

ओहहहहह,,, रीता मेरी जान तुम्हारी ईसी अदा का तो मैं दीवाना हो चुका हूं। तुम मुझे एकदम मस्त कर देती हो इससे तो मुझे स्वर्ग की अप्सरा भी नहीं दे सकती और रीता मेरी जान ऐसे ही करती रहो,,,,,
( दोनों मस्त हुए जा रहे हैं अशोक तो पागल हो चुका था रीता भी एकदम मदहोश हो चुकी थी तुम की बुर में लंड का सुख उसे मिल रहा था और ऊपर से वह अशोक को ₹2 लाख देने के लिए मनवा चुकी थी इस बात की डबल खुशी की वजह से वह और जोर-जोर से अशोक के लंड पर अपनी गांड पटक कर रही थी। पूरे ऑफिस में दोनों की गर्म सिसकारी की आवाज गूंज रही थी,,,, वह तो अच्छा था कि अशोक ने इसी वजह से ही ऑफिस को साउंड क्यों बनवाया था ताकि अंदर की आवाज और बातें बाहर न सुनाई दे क्योंकि बाहर सारा ऑफिस स्टाफ बैठकर अपना-अपना काम कर रहा था लेकिन किसी को भनक तक नहीं लग पा रही थी कि अंदर उनके अशोक साहब उनकी पर्सनल असिस्टेंट के साथ संभोगरत हैं। रीता पूरी तरह से अपनी मदमस्त गांड को अशोक के लंड पर पटक पटक कर उसके लंड का पानी निकाल दी और खुद भी झड़ गई,,,, सब कुछ शांत होने के बाद अशोक ने उसे ₹2लाख का चेक लिख कर दिया है जिसे वह लेकर ऑफिस से बाहर आकर अपने केबिन में बैठ कर काम करने लगी।,,, इसी तरह से रहता अशोक से आए दिन पैसे ऐंठते रहती थी,,, और अशोक जो की वासना का पूरी तरह से पुजारी हो चुका था रीता की हर एक अदा पर पैसे लूटाता रहता था। लेकिन धीरे-धीरे अशोक को अब इस बात का एहसास होने लगा कि रीता ने उससे ढेर सारे पैसे एंड चुकी है और आए दिन उससे पैसे लेते ही रहती थी,,,, धीरे धीरे अशोक अब रीता को पैसे दे देकर तंग आ चुका था और रीता मैं भी उसका इंटरेस्ट कम हो चुका था रीता आप उसे गले में फंसी किसी हड्डी की तरह लगने लगी थी,,,,, अब उससे पीछा छुड़ाना चाहता था लेकिन कैसे यह उसे समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि अशोक ने उसके साथ कुछ ज्यादा ही समय बिता लिया था,,,,।
दूसरी तरफ निर्मला और शुभम को जब भी मौका मिल रहा था तो वह मौके का फायदा उठाने से बिल्कुल भी चूक नहीं रहे थे। निर्मला और शुभम आपस में पूरी तरह से खुल चुके थे। शुभम अब अपनी मां की हर काम में हाथ बताने लगा था यहां तक कि घर के साथ सफाई को लेकर कपड़े धोने में भी वह अपनी मां की मदद करने लगा था। यहां तक कि अब तो वह बाजार में साथ ही जाकर खरीदी भी करने लगा था।
ऐसे ही 1 दिन छुट्टी का दिन था निर्मला सभी गंदे कपड़े करो इकट्ठा कर रही थी क्योंकि उसे वह धोना था,,,, शुभम नाश्ता कर चुका था अपनी मां को इस तरह से गंदे कपड़े ईकट्ठे करते हुए देखकर वह बोला,,,,

मम्मी क्या कर रही हो,,,

देख नहीं रहा है आज इन्हें धोना है ,, ईसे धोते धोते ही शाम हो जाएगी और मुझे शाम को खरीदी करने भी जाना है।,,,

खरीदी करने,, क्या खरीदी करने जाना है मम्मी,,,,


अरे जो भी खरीदना है वह बाद मै,,, पहले ईन कपड़ो को तो धो लुं, । चल तू भी कपड़े धोने में मेरी मदद करा।

मम्मी चलो आज घर के पीछे कपड़े धोते हैं,,,,

मैं भी यही सोच रही थी क्योंकि वहां खुला हुआ है,,, कपड़े धो कर सुखाने में अभी काफी आसान रहता है,,,, चल वहीं चलते हैं।
( इतना कहकर दोनो घर के पीछे कपड़े धोने चले गए वहां पहुंचते ही निर्मला ने सारे,कपड़ों को बड़े से बर्तन में भिगो दी ताकि धोने में आसानी रहे:। कपड़ों को धोते समय निर्मला के सारे कपड़े गीले हो गए,,, शुभम अपनी मम्मी के ठीक सामने ही बैठकर कपड़ों को धो रहा था निर्मला ने साड़ी को ऊपर जांघो तक चढ़ा रखी थी,,, जिसकी वजह से ऊसकी जांघों के अंदर काफी कुछ नजर आ रहा था। जिसमें नजर पड़ते ही,, शुभम कपड़े धोते हुए अपनी मां से बोला,,,

मम्मी तुम्हारा सब कुछ नजर आ रहा है,,।
( अपने बेटे की बात सुनकर लेकिन वह मुस्कुराने लगी उसे मालूम था कि क्या नजर आ रहा है इसलिए वह भी बात को बनाते हुए मुस्कुरा कर अपने बेटे से बोली,,।)

क्या नजर आ रहा है तुझे,,,?

तुम्हारी बुर,,,


क्यों उसे देख कर तुझे अच्छा नहीं लग रहा है,,,

मम्मी मुझे तो बहुत अच्छा लगता है बल्कि मैं तो हमेशा तुम्हारी बुर को देखना चाहता हूं,,,,

तो देखना तेरे लिए ही तो मैं इस तरह से बैठी हूं ताकि तू मेरी बुर को देख सके,,,


सच मम्मी,,,,

हां रे तुझे नहीं दिखाऊंगी तो किसे दिखाऊंगी तू ही तो है जो इसकी इतनी कदर करता है वरना तेरे पापा की चलती तो अभी तक सूख रही होती,,,,
( अपने बेटे की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली और वैसे भी वह सच ही कह रही थी सही समय पर निर्मला ने अपनी बुर को सही हाथों में सौंपी थी वरना,,, आज तक वह सूखे जमीन की तरह सावन की बूंदों को तरसती रहती,,,।)

मम्मी पापा पागल है जो इतनी खूबसूरत बीवी के होते हुए भी वह उस पर ध्यान नहीं देते,,,, अगर मेरी ऐसी बीवी,,,( इतना कहते ही वह एकदम से अटक गया,,, निर्मिला उसकी तरफ देखने लगी,, वह इतना चाहती थी कि वह आगे क्या बोलता है लेकिन वह एकदम खामोश होकर कपड़े धोने लगा,,, उसको इस तरह से खामोश देखकर निर्मला बोली,,,।)

क्या कहां तुने,,, अगर तेरी होती तो,,,,,, क्या करता तू,,,
( निर्मला जानना चाहती थी कि वह क्या कहना चाहता है इसलिए इस बात पर कुछ ज्यादा ही जोर दे रही थी।) बोलना क्या कह रहा था तु,,,,

मम्मी मैं यह कह रहा था कि अगर मेरी ऐसी बीवी होती तो मैं उसे बहुत प्यार करता हूं उसे इतना प्यार करता कि वह सारी दुनिया को भूल कर बस मेरी बाहों में ही खोई रहती।,,,
( शुभम इतना कहकर कपड़े धोने लगा लेकिन अपने बेटे की यह बात सुनकर निर्मला सोच में पड़ गई उसके मन में ढेर सारी उमंगे जगने लगी,,,, अपनी मां को इस तरह से उदास होता देखकर शुभम उसका मन बहलाने के लिए बोला,,,।)

मम्मी,,, एक काम करो अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी होकर कपड़े धो बहुत मजा आएगा वैसे भी यहां पर हम दोनों के सिवा तीसरा कोई भी नहीं है और ना ही यहां कोई देख सकता है।

अपने बेटे की यह बात सुनकर निर्मला मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,,

मैं तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जांऊगी लेकिन तुझे भी अपने सारे कपड़े उतारने होंगे,,,

ठीक है मुझे मंजूर है,,,,
( थोड़ी देर में दोनों ही पूरी तरह से नंगे हो गए,, दोनों एकदम नंगे होकर कपड़े धोने लगे शुभम का लंड तनकर एकदम लोहे की रोड की तरह हो गया,,, निर्मला अपनी गांड मटकाते हुए कपड़े ले जाकर रस्सी पर डाल रही थी,,, यह देख कर शुभम का लंड जोर मारने लगा,,,,, शुभम से रहा नहीं गया और वहां जल्दी से जाकर अपनी मां को पीछे से पकड़कर बाहों में भर लिया खड़े लंड की रगड़ गांड पर महसूस होते ही निर्मला भी कामातुर हो गई,,, घर के पीछे होने की वजह से यहां पर किसी के देखने का डर बिल्कुल भी नहीं था इसलिए दोनों बिंदास नग्नावस्था में कपड़े धो रहे थे शुभम एकदम से चुदवासा हो गया था,,, और वहीं दीवार से सटाकर अपनी मां की बुर में लंड डालकर चोदना शुरू कर दिया,,, शुभम के साथ-साथ निर्मला का भी यह पहला अनुभव था कि वह दोनों खुले में इस तरह से चुदाई का आनंद ले रहे थे। कुछ देर तक सुभम अपनी मां की बुर में जोर जोर से धक्के लगाते रहा,,, और उसके बाद वह अपने मां की बुर में ही झड़ गया,,,,।
दोनों वहीं नहा भी लिया क्योंकि निर्मला ने शुभम से बोली थी कि शाम को मार्केट चलना है।,,,,


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RE: Sex kahani अधूरी हसरतें - by sexstories - 03-31-2020, 03:58 PM

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