RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला ने मॉल से लाया सब सामान को अपने कमरे में रख दी शुभम बार-बार अपनी मां से यह जानने की कोशिश करता रहा कि आप फिर वह क्या खरीदी है लेकिन वह बात को टालतीे रही,,, वह शुभम को सरप्राइस देना चाहती थी। शुभम ने मोल़ से अपने लिए कुछ कपड़े खरीदे थे। वैलेंटाइन डे के बारे में उसे कुछ मालूम नहीं था बस इतना जानता था कि वैलेंटाइन डे पर एक दूसरे को गिफ्ट दिया जाता है लेकिन उसने आज तक इस तरह के कल्चर को नहीं अपनाया था इसलिए वैलेंटाइन डे के खास मौके पर लड़के लड़कियों को क्या गिफ्ट देते हैं या क्या प्रपोज करते हैं इस बारे में उसे कुछ भी मालूम नहीं था और यह बात निर्मला भी अच्छी तरह से जानती ही थी क्योंकि शुभम की जीवन में अब तक किसी भी लड़की ने प्रवेश नहीं किया था। इसलिए वह प्यार व्यार की बातों से कोसों दूर था। उर्मिला को इस बात की खुशी भी थी कि वह शुभम के जीवन में सबसे पहले आने वाली पहली औरत थी जिसके बारे में शुभम काफी कुछ जानता और समझता था। निर्मला को इस बात का डर अब बराबर लगने लगा था कि कहीं किसी लड़की के चक्कर में शुभम ना पड़ जाए अगर वह ना भी पड़े तो शुभम की पर्सनालिटी इस तरह की थी कि कोई भी लड़की उसकी दीवानी हो जाए और यह नहीं चाहती थी कि उसका प्यार किसी और लड़की के साथ बट जाए,,, इसलिए तो निर्मला ने मन में तय कर ली थी कि वह शुभम को अपने प्यार में पूरी तरह से नहला देगी ताकी वह अपने रूप योवन के जादू में उसे पूरी तरह से अपने वश में कर ले और जहां तक की उसका सोचना बिल्कुल सच ही था क्योंकि शुभम भी पूरी तरह से अपनी मां के प्रति आकर्षित था सोते जागते हमेशा उसे अपनी मां का खूबसूरत नंगा बदन ही नजर आता था। निर्मला के जीवन में आज तक उसका कोई भी प्रेमी नहीं था ऐसा नहीं था कि लड़के उसके पीछे मरते नहीं थे बल्कि वह खुद किसी लड़के को अभी तक अपने करीब नहीं आने दी थी और ना ही उन्हें प्रेमी बनाने का सपना देखी थी उसके जीवन में अगर मर्द का प्रवेश हुआ था तो वह पहला अशोक ही था जो कि उसका पति बनकर उसके जीवन में आया था और उसके जीवन को नर्क के समान बना दिया था और दूसरा उसका बेटा शुभम जो कि बेटा होने के बावजूद भी वह एक प्रेमी और पति का फर्ज निभा रहा था जो सुख उसे अशोक से प्राप्त नहीं हुआ वह सुख ऊसे बराबर मिल रहा था। इसलिए तो वैलेंटाइन डे के खास मौके पर वहां शुभम को अपना प्रेमी बनाने का प्रस्ताव रखना चाहती थी वह शुभम ने प्रेमी के साथ साथ अपने पति का भी छवि देखने लगी थी वह मन ही मन इस बारे में कल्पना करके एकदम रोमांचित हो उठती थी कि अगर सच में शुभम उसका पति होता तो उसकी जिंदगी कितनी अलग होती कितनी खुशनुमा से उसकी उम्र गुजरती । यही सब सोचकर निर्मला शुभम को अपना बनाने के लिए वैलेंटाइन डे कोही अपने दिल की बात उसे कहकर प्रपोज करना चाहती थी इसको लेकर वह काफी रोमांचित भी थी।,,
दूसरे दिन स्कूल में शीतल भी अपने दिल की बात तो हमको कहना चाहती थी वह जानती थी कि आज वैलेंटाइन डे है आज वह सुबह से अपने मन की बात करके रहेगी ऐसा निर्धार कर के वह बाजार से एक खूबसूरत गुलाब का फूल भी खरीद ली थी जो कि वह शुभम को ही देने के लिए खरीदी थी। उसे मन में इस बात का डर भी था कि अगर पैसे दिए थे वह लोग को कहीं शुभम लेने से इंकार कर दिया तो और अगर वह ले भी लिया और इस बात की खबर निर्मला को हो गई तो क्या होगा,,,, कहीं उसकी इस हरकत की वजह से निर्मला नाराज ना हो जाए,,,, तभी वह अपनी इस शंका के हल को भी खोजली,,,, वह मन में यह भी सोच ले कि अगर निर्मला को इस बात से बुरा लगेगा तो वह कह देगी कि मैं तो बस ऐसे ही उसे गुलाब का फूल दे रही हूं मैं उसे अपना बॉयफ्रेंड थोड़ी बनाना चाहती हूं,,,। उसे यकीन था कि उसकी यह बात पर निर्मला जरूर विश्वास कर लेगी,,,
वह स्कूल के बाहर लेकिन इस तरह से खड़ी होकर शुभम का इंतजार करने लगी ताकि निर्मला उसे देख ना ले,,, अभी थोड़ी देर बाद दोनों की गाड़ी पार्किंग में आकर रुकी और दोनों कार से बाहर निकल गए दोनों बहुत खुश नजर आ रहे थे और एक दूसरे से हंस कर बातें भी कर रहे थे उन दोनों को साथ में और उन लोगों की खुशी देखकर शीतल को उन से जलन होने लगी वह मन ही मन सोचने लगी कि काश निर्मला की जगह वह होती तो,,, शुभम का वह भरपूर फायदा उठाती,,, भले ही वह रिश्ते में उसका बेटा होता लेकिन बेटा होने के बावजूद भी वह उसके लंड से चुदती जरूर,,, और शीतल जैसी खूबसूरत और सेक्सी मां पाकर वह भी ऊसे जरूर चोदता।
और इस रिश्ते को बनाने के लिए उसे पहले पहल करने से भी कोई एतराज नहीं था और भला शुभम एक बेटा होने के बावजूद भी अपनी मां को क्यों नहीं छोड़ता बकरे खूबसूरत और सेक्सी मां खुद अपने बेटे के लंड को लेने के लिए तैयार है तो भला बेटे को इस बात से क्यों इंकार होगा,,, वह तो खुद ही बेताब होगा रसीली बुर में अपना लंड डालकर चोदने के लिए,,,
शीतल शुभम को आवाज देकर अपने करीब बुलाना चाहती थी लेकिन शुभम निर्मला एक दूसरे के बिल्कुल करीब होकर बातें करते स्कूल में चले आ रहे थे जिससे शीतल को जरा भी मौका नहीं मिला कि वह शुभम को आवाज दे सके क्योंकि वह अकेले में शुभम को गुलाब देना चाहती थी लेकिन यह मौका ऊसके हाथ से जाता रहा।,,,
अपनी क्लास में प्रवेश करते ही निर्मला की नजर टेबल पर पड़ी,, तो टेबल पर फूलों का बुके रखा हुआ था। जिसे देखते ही निर्मला खुश हो गई और जैसे ही वह क्लास में प्रवेश की वैसे ही क्लास के सारे लड़के और लड़कियां,,, एक साथ खड़े होकर निर्मला को वैलेंटाइन विश किया अपने विद्यार्थियों के द्वारा इस तरह के स्वागत किए जाने पर निर्मला बहुत खुश हो गई जिसकी खुशी उसके चेहरे को देखकर साफ पता चलती थी वह भी जवाब में क्लास में बैठे सारे विद्यार्थियों को वैलेंटाइन विस की और बोली,,,
मुझे तुम लोगों का इस तरह से वैलेंटाइन विश करना बहुत ही अच्छा लगा देखो बच्चों वैलेंटाइन सिर्फ जरूरी नहीं है कि प्रेमी प्रेमिका का ही हो,,, वैलेंटाइन हर उस शख्स के लिए है जो दूसरों के लिए अपने दिल में प्यार स्नेह और इज्जत रखता है। थैंक्यू,,,,,,
( निर्मला की बात सुनकर क्लास के सारे विद्यार्थी खड़े होकर तालियों से उसका स्वागत किया क्लास में बैठे कुछ लड़के ऐसे भी थे जो मैडम को अलग से वैलेंटाइन विश करना चाहते थे उनके दिल की यही तमन्ना थी कि वह गुलाब का फूल अपनी मैडम को देकर बदले में वह निर्मला के गाल यां होठों को चूम कर वैलेंटाइन मनाए,,,, लेकिन यह वह लोग जानते थे कि संभव नहीं है क्योंकि निर्मला काम मिजाज क्लास में कुछ ज्यादा ही कड़क था। निर्मला कुर्सी पर बैठकर उन फूलों को देख रही थी और मन ही मन सोच रही थी कि मैं विद्यार्थी तो उसे वैलेंटाइन विश कर दिया था शुभम भी उसे वैलेंटाइन विश करता तो उसे और ज्यादा खुशी होती बदले में उसे अपनी बाहों में भरकर उसे प्यार भरा चुंबन देती,,,,
दूसरी तरफ शीतल शुभम को गुलाब का फूल देकर उसे अपने मन की बात बताने के लिए तड़प रही थी,, और रिशेष में उसे मौका मिल गया शुभम को इशारा करके अपनी क्लास में बुलाई शुभम तो पहले से ही तड़प रहा था शीतल से मुलाकात करने के लिए क्योंकि जब से उसकी मम्मी ने उसे यह बताई थी कि शीतल उससे चूदना चाहती है तब से शुभम की नजरों में शीतल को पाने की प्यास और ज्यादा बढ़ चुकी थी। शीतल के एक इशारे पर वह तुरंत उसे क्लास में पहुंच गया,,, शीतल ऊससे आज एकदम सीधी बात कर लेना चाहती थी,,, घुमा-फिराकर वहां अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहती थी वह जानती थी कि औरतों के इशारे पर ऐसे नौजवान छोकरे तो क्या बुड्ढे भी फिसल जाते हैं,,, और शुभम तो अभी-अभी जवानी कि बाहर देख रहा था उससे ज्यादा उत्सुकता और किसे होगी औरतों के बदन के बारे में जानने के लिए,,, इसने मुझे पक्का यकीन था कि उसकी प्रपोजल को शुभम कभी भी नहीं ठुकरायेगा बल्कि वह तो खुश हो जाएगा,,,, शीतल मन में यही सब सोच रही थी और उसे देखकर शुभम बोला,,,।
क्या बात है मैडम आप मुझे इस तरह से,,,,( शुभम आगे कुछ कहता इससे पहले ही वह उसकी बात काटते हुए बोली,,,।)
देखो सुबह मैं तुमसे ज्यादा घुमा फिरा कर बात नहीं करना चाहती तुम तो अच्छी तरह से जानते हो कि आज वैलेंटाइन है,,,, और वैलेंटाइन को क्या होता है यह भी अच्छी तरह से जानते होगे,,,( शुभम शीतल की बातों को बड़े गौर से सुन रहा था और उसके सवाल पर सिर्फ अपना सिर हिला कर जवाब दे रहा था,,,) इस मौके पर लड़के लड़कियां अपने दिल की बात एक दूसरे को बताते हैं उनके दिल में क्या है यह जिसको वह चाहते हैं उसे बताते हैं,,,।( इतना कहते हुए वह जानबूझकर हल्के से झुकी ताकि उसके कंधे पर से साड़ी का पल्लू नीचे गिर जाए और ऐसा हुआ भी, साड़ी का पल्लू नीचे गिरते ही ब्लाउज में से उसकी आधे से ज्यादा चूचियां बाहर झांकने लगी, जिसे शुभम आंखें फाड़े देखता ही रह गया,,,,।
और यह देखकर शीतल खुश हो गई,,,, वह साड़ी का पल्लू तुरंत अपने कंधे पर डालते हुए,,।) सुभम मैं भी तुमसे अपने प्यार का इजहार करना चाहती हूं मैं जानती हूं कि तुम्हारे और मेरे बीच में उम्र का जो फासला है वह कभी भी भरने वाला नहीं है लेकिन मैं तुमसे बेहद प्यार करने लगी हूं,,,,
( शुभम तो शीतल की बात सुनकर एकदम से सन्न रह गया मुझे यकीन नहीं हो रहा था किसी तरह से इस तरह की बातें करेंगीे उसकी बातों को सुनकर उसे बेहद खुशी भी हो रही थी।) मैं जानती हूं कि तुम्हें थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन यह बिल्कुल सच है । (इतना कहते हुए वह एकदम के एकदम करीब पड़ने लगी शुभम की तो सांसे तेज हो चली थी,,, कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें धीरे-धीरे शीतल शुभम के एकदम करीब पहुंच गई,,, शीतल कैभी बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी क्योंकि आज तक उसने ऐसी बात किसी से नहीं कही थी। अगले ही पल वह शुभम कुछ समझ पाता इससे पहले ही उसे अपनी बाहों में भर ली
शुभम कि सांसे और ज्यादा तेज चलने लगी,,,,,
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