RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शीतल की गुदाज बाहों में शुभम को अपना वजूद पिघलता हुआ महसूस हो रहा था। शीतल की इस हरकत से उसका लंड तुरंत खड़ा हो गया था जोकि शीतल को उसकी जांघों के बीच फिर से महसूस होने लगा था,,,, शीतल की भावनाए ऊसके काबू में बिल्कुल भी नहीं थी वह तुरंत अपने गुलाबी होठों को शुभम की खोज पर रखकर उसके होठों को चूसने लगी,,, शुभम कहां पीछे हटने वाला था जो चस्का उसकी मां ने उसे लगाया था,,, शीतल ने फिर से उसे भड़का दी थी और वह खुद अपनी बाहों को शीतल के बदन पर कसते हुए जवाब में उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया,,,, दोनों एक दूसरे में खोने लगे शीतल को इस बात का भी चेहरा एहसास नहीं हुआ कि वह दोनों क्लास में यह सब कर रहे हैं वह शुभम की चाहत में एकदम खो गई उसके लंड की ठोकर साड़ी के ऊपर से ही बुर पर दस्तक दे रही थी,,, जो कि शुभम के लंड की मजबुती का सबूत पेश कर रही थी। शीतल के बस में होता तो वह आज ही और अभी ही अपने सारे अरमान पूरे कर लेती लेकिन समय हो चुका था इसलिए वह अपनी भावनाओं पर काबू करते हुए शुभम से अलग हुई,,,
शुभम के साथ-साथ शीतल की भी सांसे बड़ी तीव्र गति से चल रही थी,,,, उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल टमाटर की तरह हो गया था,,, शीतल मुस्कुराते हुए शुभम की तरफ देखने लगी जवाब में शुभम भी मुस्कुरा दिया,,, शीतल को यही मौका ठीक लगा और वह अपने पर्स में रखा हुआ ताजा गुलाब का फूल निकाल कर शुभम की तरफ बढ़ाते हुए बोली आई लव यू शुभम मुझे यकीन है कि तुम मेरे इस प्रस्ताव को नहीं ठुकराओगे,,, (शुभम कुछ बोल नहीं रहा था बस शीतल की तरफ देखे जा रहा था,,)
क्या हुआ शुभम तुम खामोश क्यों हो,,, मेरे ईस फुल को स्वीकार करके मुझे अपने प्यार की दासी बना लो,,, और हां इस बात की खबर तुम्हारी मम्मी को बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए वरना वह मेरे बारे में ना जाने क्या सोचेंगी,,,
( शुभम के लिए तो यह एक मौका था क्योंकि अब उसकी बांहों में शीतल भी थी जो कि बेहद खूबसूरत अोर मदमस्त बदन की सेक्सी औरत थी,,,,, वह झट से हाथ बढ़ाकर शीतल के हाथों से गुलाब का फूल ले लिया,,,, शुभम का ध्यान ब्लाउज में सांसों के साथ ऊठबैड़ रहे उसकी चूचियों पर ही था। शुभम के बदन में भी उत्तेजना बढ़ने लगी वह भी अपने प्यार का इजहार करना चाहता था और वह झट से एक कदम आगे बढ़ाकर एक बार फिर से खुद ही शीतल को अपनी बाहों में भरकर अपने होंठ को उसके होठ पर रखकर चूसना शुरू कर दिया,,, शुभम के इस व्यवहार और उसके ईजहार को स्वीकार करने की अदा देख कर शीतल एकदम से गदगद हो गई और वह भी कसके शुभम को अपनी बाहों में भर ली,,, शुभम मौका देखकर अपना एक हाथ उसकी चुची पर रखकर दबाने लगा। वह आगे बढ़ पाता इससे पहले ही रीशेष पूरी होने की घंटी बजने लगी,,,, शुभम अब ज्यादा देर क्लास में रुकना नहीं चाहता था,,,, और वह जल्दी से गुलाब के फूल को अपने जेब में रखकर बाहर निकल गया,,,, शीतल शुभम को क्लास से बाहर जाते देखती रही आज उस का तन बदन शुभम की बाहों में आकर पिघलने लगा था उसे अपनी पैंटी गिली महसूस होने लगी क्योंकि उसकी बुर ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था,,,। लंड की ठोकर का अहसास उसे अपनी बुर पर अभी तक हो रहा था वह बहुत खुश नजर आ रही थी।
शाम को घर पर निर्मला बेताब थी अपने दिल की बात शुभम को बताने के लिए लेकिन वह अपने मुंह से अपने प्यार का इजहार नहीं करना चाहती थी इसलिए वह वैलेंटाइन कार्ड पर अपने दिल की बात लिख चुकी थी,,,, और वहां उसे गिफ्ट पैक के साथ शुभम की कमरे में रख दी थी ताकि शुभम आराम से उसके लिए वैलेंटाइन कार्ड पर उसके प्यार का इजहार को पढ़कर उसके प्यार को स्वीकार कर सकें। वह किचन में खाना बना रही थी,,, शुभम किचन में आकर पानी पीने लगा और पानी पीने के बाद जैसे ही वह अपना मुंह पोछने के लिए अपनी जेब में हाथ डालकर रुमाल निकालने लगा जो रुमाल के साथ सीतल का दिया हुआ गुलाब भी नीचे फर्श पर गिर गया,,,, निर्मला ऊसे तिरछी नजरों से देख रही थी। उसने उसकी जेब से गिरा हुआ गुलाब का फूल भी देखली और फूल को देख कर,,, वह आश्चर्य के साथ बोली,,,
शुभम यह गुलाब का फूल तुम किसके लिए लाए हो मेरे लिए,,,( शुभम के लिए छुपाने लायक कुछ भी नहीं था वह कुछ बहाना बनाता इससे पहले ही निर्मला ने उसे रास्ता दिखाते हुए सब कुछ अपने मुंह से ही बोलती और वह भी हड़ बड़ाते हुए बोला,,)
हंंहंहं,,, मम्मी मेरे गुलाब का फूल तुम्हारे लिए लाया हूं आज वह वैलेंटाइन था ना,,,,
( निर्मला तो अपनी बेटे के मुंह से यह बात सुनकर एकदम खुशी से गदगद हो गई,,, शुभम अपनी मां को खुश होता हुआ देखकर उसकी तरफ गुलाब का फूल आगे बढ़ा दिया जिसे निर्मला भी प्यार से लेकर उस गुलाब के फूल को चूम ली।)
शुभम मै भी तेरे लिए कुछ लाई हूं वैलेंटाइन डे के अवसर पर देने के लिए वह तेरे कमरे में रखा हुआ है,,
सच मम्मी क्या लाई हो मैं अभी देख कर आता हूं,,,
( शुभम अपने कमरे की तरफ आगे बढ़ता है इससे पहले वह ऊसे रोकते हुए बोली,,,।)
अभी नहीं बेटा तेरे लिए वह एक सरप्राइज़ है,( इतना सुनकर शुभम वहीं रुक गया) जब तू खाना खाकर अपने कमरे में जाएगा तब उसे खोलकर देखना अभी बिल्कुल भी मत देखना,,,,
ठीक है मम्मी,,,
( निर्मला के साथ-साथ शुभम के मन में भी सरप्राइज़ को देखने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी)
निर्मला बहुत खुश थी वह बड़े चाव से रसोई का काम कर रही थी, उसने बड़े प्यार से,,, अपने दिल की बातों को शब्दों में ढालकर वैलेंटाइन कार्ड पर लिख डाली थी अब देखना यह था कि उन शब्दों का असर शुभम पर किस तरह से पड़ता है वैसे तो निर्मला को पूरा यकीन था कि उसके प्रस्ताव को शुभम जरूर खुशी खुशी मान जाएगा वैसे भी उसे दोनों के बीच के रिश्ते को लेकर के कोई भी दिक्कत नहीं थी वह तो बहुत खुश था,,,, निर्मला अच्छी तरह से जानती थी कि आज की रात अशोक घर नहीं आने वाला था,,, उसे लगता था कि वह बिजनेस के सिलसिले मैं कहीं बाहर गया हुआ है जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था वह अपनी पर्सनल सेक्रेटरी रीता के साथ वैलेंटाइन मनाने शहर के बाहर गया हुआ था। वैसे भी वह कहीं भी गया हो इस समय उसके पास भरपूर मौका था यही बात उसके लिए बेहद खास थी। अपनी मां के द्वारा मिलने वाले सरप्राइज़ को लेकर शुभम भी काफी उत्सुक और उत्साहित था। उसे बिल्कुल भी आईडिया नहीं था कि उसकी मां उसे क्या सरप्राइज़ देने वाली है बार-बार उसका मन कह रहा था कि जाकर अपने कमरे में निर्मला का दिया हुआ सरप्राइज़ देख ले,, लेकिन उसे निर्मला ने ही खाना खाने के बाद ईत्मीनान से देखने के लिए बोली थी इसलिए वह अपनी मां की बात को टाल नहीं सका,,,,
बार-बार उसे शीतल की याद आ रही थी शीतल ने जिस तरह से उसे अपने दिल की बात कहते हुए प्रपोज की थी वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था कि उसे कोई औरत इस तरह से प्रपोज करेगी,,,, शीतल की खूबसूरती और उसकी कामुक अदा का वह दीवाना हो गया था जिस तरह से उसने उसे अपनी बाहों में भरते हुए उसके होठों को चूस रही थी उसे साफ साबित हो रहा था कि शीतल की प्यास शुभम के प्रति बहुत ही ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,,। शीतल के चुंबन से शुभम की हालत खराब हो गई थी उस पल को याद करके पजामे में उसका लंड तन कर खड़ा हो गया था।,,, वह कुर्सी पर बैठकर यही सोच रहा था कि क्या उसकी मां की तरह शीतल भी उससे सच मे चुदना चाहती है,,, वह मन में अपने आप से ही सवाल कर रहा था और उसका जवाब भी ढूंढ रहा था,,,, वह मन में ही सोचने लगा कि जैसा कि उसकी मां ने बताया था कि शीतल उस से चुदवाने के लिए तड़प रही है उसे देखते हुए एकांत में उसका इस तरह से काम आती है वह कर उसे चूमने लगना उसकी मां की कही गई बात पर मोहर नुमा दस्तखत थी। वह मन में यह भी सोचने लगा कि शीतल मैडम की चुची भी काफी बड़ी है जिसे दबाने में उसे बहुत मजा भी आ रहा था,,, बातों में मौके पर रिशेष पूरी होने की घंटी बज गई वरना वह ब्लाउज के बटन खोल कर शीतल की चूची को अपने मुंह में भर कर पीना शुरु कर देता,,,, क्लासरूम की बातों को याद करके शुभम का बदन उत्तेजना के मारे गंनगना गया,,, उसे इस बात की उत्सुकता और इंतजार भी था कि कब शीतल उसे अपनी बुर चोदने के लिए देती है वह अपने आप को बड़ा खुशनसीब समझ रहा था क्योंकि एक औरत को तो वह चौद ही रहा था अब दूसरी औरत भी उसे जल्द ही चोदने को मिलने वाली थी। कुर्सी पर बैठे-बैठे मन में शीतल के नंगे बदन की कल्पना करने लगा, वह एकदम से चुदवासा हो गया था,,, शीतल की हरकत को याद करके उसके बदन की कामाग्नि बढ़ती जा रही थी वह मन में ही सोचने लगा था कि शीतल की बुर कैसी दिखती होगी हालांकि अब उसे इतना तो पता ही चल गया था कि औरतों की बुर का भूगोल किस प्रकार का होता है वरना जब तक उसने अपनी मां की बुर के दर्शन नहीं किए थे तब तक वह कल्पना में ना जाने कैसे-कैसे आकार को लेकर उत्तेजित हो जाया करता था लेकिन अब तो वह औरत के बदन के हर एक अंग से पूरी तरह से वाकिफ हो चुका था इसलिए उनके अंगों के बारे में सही गणित लगाते हुए कल्पना करना उसके लिए कोई कठिन कार्य नहीं था। शीतल को याद करके वह इतना ज्यादा चुदवाया हो गया था कि उसके मन में हो रहा था कि अभी किचन में जाकर अपनी मां की बुर में लंड डालकर उसे चोद डाले,,, लेकिन अभी वह खाना बना रही थी इसलिए वह अपने आप पर संयम रखकर बैठा रहा।।
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