RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
खाना खाते-खाते रात के करीब 10:00 बज गए निर्मला अपने कमरे में चली गई वैसे तो निर्मला के साथ-साथ से बंधी उसके कमरे में जाना चाहता था क्योंकि घर पर उसके पापा नहीं थे लेकिन वह अपनी मां की तरफ से मिला सरप्राइज़ भी देखना चाहता था इसलिए पहले वह अपने कमरे में चला गया,, कमरे में प्रवेश करते ही उसकी नजर टेबल पर रखे लाल बॉक्स पर पड़ी,, उस बॉक्स पर नजर पड़ते हैं उसकी दिल की धड़कन बढ़ने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उसकी मां ने उस बॉक्स में ऐसा क्या रखी है जिसे वह खुद नहीं बता सकती धरती दिल के साथ वह टेबल की तरफ आगे बढ़ा,,, बॉक्स को बड़े ही सलीके से और खूबसूरती से सजाया हुआ था बॉक्स पर लगे लाल रिबन को वहां काटकर बॉक्स को खोलने लगा,,,,, बॉक्स से हलके परफ्यूम की खुशबू आ रही थी जो कि शुभम को मदमस्त बना रही थी। तभी बॉक्स में रखें गुलाब के फूल जो की बहुत ही खूबसूरती से प्लास्टिक के रेपर में लपेट कर रखा हुआ था उसकी नजर,, ऊस पर पड़ी और वह उस फूल को उठा लिया,,, उस खूबसूरत गुलाब के फूल को देखकर शुभम का मन रोमांचित हो गया,,,,, कभी उसने एक छोटा सा बॉक्स उसे नजर आया और वह उस बॉक्स को खोलने लगा,,,, जिसमें चांदी की लकी रखी हुई थी उसे देखकर शुभम बेहद खुश हो गया वह समझ गया कि उसकी मां ने उसके लिए खरीदी है क्योंकि कुछ दिन पहले ही वह अपनी मां से लकी लेने की बात कर रहा था। वह इस बात से और ज्यादा खुश हो गया क्योंकि वह तो लड़की की बात कहकर भूल गया था लेकिन उसकी मां को उसकी बात याद रह गई थी जो कि उसे देखकर वह अपना वादा पूरा भी कर दी थी वह मन ही मन अपनी मां को धन्यवाद देने लगा तभी उसकी नजर बॉक्स में रखें वैलेंटाइन कार्ड पर पड़ी,,,, वह उत्सुकतावश उसे उठाकर देखने लगा जिस पर लिखा हुआ था,,,,,, माय लवींग लवर,,,
( कार्ड के ऊपर लिखे इन तीन शब्दों को पढ़कर उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,, उसके हाथ कांपने लगे थे और अपनी का प्रति अंगुलियों से वैलेंटाइन कार्ड को खोलकर देखा तो अंदर भी कुछ लिखा हुआ था वह मन ही मन में पढ़ने लगा,,,
डियर शुभम,,,,
मैं बहुत दिनों से तुझसे यह बात कहना चाहती थी लेकिन अपने मुंह से कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी मैं बरसों से सच्चे प्यार के लिए तरसती आ रही हूं इससे पहले मैंने कभी भी इस तरह का पत्र ना तो लिखी हूं और ना ही किसी को लिखकर दी हूं,,, शुभम मैं जानती हूं कि जो हम दोनों कर रहे हैं या समाज की नजरों में पाप है लेकिन तु भी अच्छी तरह से जानता था कि मैं अपने हालात के आगे मजबूर हो चुकी थी ऐसे में मुझे सहारे की जरूरत थी जो कि वह सहारा मुझे तुझसे मिला मैं तुझसे प्यार करने लगी हूं जो प्यार मुझे अपने पति से मिलना चाहिए था वह प्यार मुझे तुझसे मिल रहा है इसलिए मैं तुम्हारे अंदर अपने लिए एक प्रेमी और पति देखने लगी हूं। दुनिया की नजर में भले ही हम कुछ और हो लेकिन घर की चारदीवारी के अंदर मैं चाहती हूं कि तु मेरा प्रेमी और पति बन कर रहे,,, यह फैसला मैंने तुझ पर छोड़ रखी हूं अगर तुझे मेरा यह प्रस्ताव स्वीकार है तो मेरे कमरे का दरवाजा तेरे लिए खुला है चले आना मैं तेरा इंतजार करूंगी,, आई लव यू ,,,,
तेरी निर्मला,,,,,
वैलेंटाइन कार्ड पर लिखा हुआ यह खत पढ़कर शुभम का पूरा वजूद कहां पर गया उसके पूरे बदन में उत्तेजना की लहर दोनों में लगी चेहरे पर मंद मंद मुस्कान तैरने लगी उसे भला इस बात के लिए क्यों इंकार होने लगा था वह भी यही चाहता था कि घर की चारदीवारी के अंदर निर्मला भी उसकी प्रेमिका या पत्नी बन कर ही उसे प्यार दे,,, अपनी मां के दिए इस सर प्राइज से उसके बदन में उत्तेजना की लहर अपना असर दिखाने लगी, पजामे मैं ऊसका मोटा लंड तनकर एकदम लोहे की छड़ की तरह हो गया था। शुभम का मन चुदाई के लिए तड़प उठा,,, वह अपनी मां की कमरे की तरफ जाने लगा जहां पर निर्मला बड़ी बेसब्री से उसका इंतजार कर रही थी,,,,, वह अच्छी तरह से जानती थी कि शुभम उसके प्रस्ताव को जरूर स्वीकार करेगा इसलिए तो वह एकदम बन ठनकर बिस्तर पर लेटी हुई थी लेकिन बिस्तर पर लेटने का अंदाज भी उसका बड़ा ही कामुक था वह पीठ के बल लेटी हुई थी अपने लाल-लाल होठों पर गुलाबी रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी बाल छोटे से रिबन में बैठे हुए थे ब्लाउज के दो बटन जानबूझकर वह अपने हाथों से ही खोल रखी थी साड़ी का पल्लू बदन से दूर बिस्तर पर फैला हुआ था जिसकी वजह से उसका चिकना मांसल पेट और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था और उसकी खूबसूरती को बढ़ाते हुए उसकी गहरी नाभि किसी छोटी सी बुर की तरह नजर आ रही थी वह एक टांग को घुटनों से मोड़ रखी थी जिसकी वजह से उसकी साड़ी जांघो के नीचे तक सऱक आई थी। और उसकी मोटी मोटी चिकनी केले के तने की सामान मदमस्त कर देने वाली नंगी जांघे ट्यूब लाइट की रोशनी में फिर से अपना जलवा बिखेर रही थी। यह कामुक नजारा देख कर तो दुनिया का कोई भी मर्द अपने होशो हवास खो बैठे सच में निर्मला के बदन का पोर पोर कामुकता से छलक रहा था निर्मला ने दरवाजा खुला छोड़ रखी थी,,, अपने आशिक अपने महबूब के इंतजार में वह अपनी पलके बिछाए हुए थी कि तभी,,, खुले दरवाजे पर दस्तक हुई वह समझ गई कि उसका सरताज दरवाजे पर खड़ा है उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गई जब तक की आवाज सुनकर वह अंगड़ाई लेते हुए बोली,,,,
खुले दरवाजे पर दस्तक देने की क्या जरूरत है,,,, अंदर आ जाओ।
( अंदर से निर्मला की आवाज सुनकर शुभम दरवाजे को खोलकर कमरे में प्रवेश किया,,,, और कमरे में घुसते ही वह दरवाजे को लॉक कर दिया,,, निर्मला उसे कमरे में आता देखकर उसकी तरफ करवट लेकर अपना हाथ अपने सिर पर टिका कर उसकी तरफ मुस्कुरा कर देखने लगे और मुस्कुराते हुए बोली,,,,
मुझे पूरा यकीन था कि तू मेरे प्रस्ताव को जरूर स्वीकार करेगा और मेरे प्यार के शुरुआती प्रकरण पर अपनी हामी का हस्ताक्षर करके मुझे अपना बनाएगा,,,,
मैं कोई पागल नहीं हूं कि इतनी खूबसूरत औरत का प्रस्ताव ठुकरा दूंगा बल्कि मैं तो तुम्हारे इस प्रस्ताव से एकदम खुश हूं,,,( सुभम मुस्कुराते हुए बोला,,)
सच शुभम,,,, तू बिल्कुल नहीं जानता कि मैं आज कितनी खुश हूं।,,, मेरे मन में बस यही एक तमन्ना दबी हुई थी,,, कि मेरा भी कोई प्रेमी हो मुझे भी दिलो जान से कोई प्यार करने वाला हूं जो मेरी जरूरत का ख्याल रखें मुझे अपना बनाकर रखें मुझे बहुत प्यार करें मेरी वह दबी हुई तमन्ना अब जाकर पूरी हो रही है,,,,( इतना कहते हुए निर्मला अपना एक हाथ आगे बढ़ा दी,,, और उसे शुभम ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसके हाथ को थाम लिया,,,) आई लव यू शुभम,,,,,,,,,,,,,,,,, (इतना कहकर वह शुभम को अपनी तरफ खींची,,, शुभम भी उसकी तरफ खींचता चला गया,,,, दोनों की धड़कनें तेज चल रही थी बंद कमरे के भीतर दो बदन फिर से एक होने के लिए तड़प रहे थे अपने बेटे से अपने प्यार का इजहार करके निर्मला के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़नें लगी थी,, वह शुभम को अपनी बाहों में समा लेना चाहती थी,,,, शुभम भी यही चाहता था कमरे में प्रवेश करते ही उसकी नजर निर्मला पर पड़ी थी और किसकी हालत को देख कर उसके बदन में काम भावना प्रज्वलित होने लगी थी मोटी मोटी नंगी जांघों को देखकर उसका लंड ठोकरें मार रहा था,,, ब्लाउज के दो बटन खुले होने की वजह से आधे से ज्यादा चुचिया बाहर को छलक रही थी,,, अपनी मां के मुंह से आई लव यू सुनकर वह भी जवाब में बोला,,,,।)
आई लव यू मम्मी,,,,,,
( अपने बेटे के मुंह से यह शब्द सुनकर वहां एक झटके से शुभम को अपनी तरफ खींची जिसकी वजह से वह अपने आप को संभाल नहीं पाया और सीधे जाकर निर्मला के ऊपर ही गिरते गिरते बचा लेकिन अपने आपको निर्मला के ऊपर गिरने से बचाते बचाते वह अपनी मां के चेहरे के इतना करीब पहुंच गया कि उसकी मां के गुलाबी होंठ और उसके होठों के बीच बस एक अंगूल का फासला रह गया,,,, दोनों एक दूसरे की आंखों में डूबते चले गए दोनों की गर्म सांसे एक दूसरे के चेहरे पर गर्माहट फैला रही थी,,,, निर्मला अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर,, शुभम के चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए बोली,,,,,,,
मम्मी नहीं शुभम निर्मला बोलो अब से तुम मुझे घर के अंदर सिर्फ निर्मला कह कर ही पुकारोगे,,,,
( इतना कहने के साथ ही निर्मला ने अपने गुलाबी होठों को शुभम के होठों पर रखकर उसे चूमना शुरू कर दी,,, कुछ ही सेकंड में एक दूसरे की जबान को दोनों चाटते हुए फ्रेंच किस का मजा लेने लगे,,,,, शुभम से रहा नहीं गया और वह अपना एक हाथ बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की चूची को दबाना शुरु कर दिया,,,, निर्मला शुभम के होठों को चूसते हुए सीसीयाने लगी,,,, दोनों को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी शुभम अपनी मां को नाम लेने वाली बात का आग्रह सुनकर और ज्यादा उत्तेजित हो चुका था,,,, उससे रहा नहीं गया और वह चुंबन लेने के दौरान बोला,,,,
ओह निर्मला मेरी जान,,,,, तुम बहुत अच्छी हो तुम बहुत प्यारी हो तुम्हारी जैसी औरत मैंने आज तक नहीं देखा (इतना कहने के साथ बहुत फिर से पागलों की तरह अपनी मां के गुलाबी होठों पर ही टूट पड़ा और उसे जितना हो सकता था उतना मुंह में भर कर चूसने लगा,,,, निर्मला की अपने बेटे की इस तरह की बात सुनकर कामोत्तेजना से चूर हो गई,, उसकी काम भावना जो कि पहले से ही प्रज्वलित थी शुभम के द्वारा उसका नाम लेकर उससे प्यार करने की चेष्टा को देख कर और भी ज्यादा भड़क उठी,,, वह भी अपने दोनों हाथ को शुभम के सिर पर रखकर उसके बालों को उत्तेजना वश भींचकर कर वह भी होंठ के रस पीने का आनंद लेने लगी। कुछ देर तक दोनों यूं ही एक दूसरे के होठों का रस निचोड़ डालने कि होड़ में होठो का रस पान करते रहे,,,, दोनों जब एक दूसरे से अलग हुए तो दोनों बुरी तरह से हांफ रहे थे। निर्मला बहुत खुश नजर आ रही थी,,,,, वह लगभग हांफते हुए शुभम से बोली,,,,
बस ऐसे ही,,,, ऐसे ही मुझे पुकारा कर,,, प्यार करते समय ऐसे ही मेरा नाम लेकर मुझे प्यार किया कर,,,, तुझे शायद पता नहीं है कि तेरे नाम लेकर मुझे प्यार करने से कितनी खुशी मिलती है मुझे ऐसा लगता है कि मेरा पति मेरा प्रेमी मुझे प्यार कर रहा है यही चाहती हूं मै।,,,, तू बोल एैसा ही करेगा ना मेरे साथ मेरी ख्वाइश पूरी करेगा ना,,,, शुभम मेरे राजा,, बोलना खामोश क्यों हैं,,,,,
जो आप कह रही हो मुझे अच्छा ही लगेगा,,,,,
ऐसे नहीं देखा उसे तो मुझे ऐसे बोलना कि जैसे तू अपनी प्रेमिका या पत्नी से बात कर रहा है तो मुझे अपनी पत्नी की तरह ही ट्रीट करना,,,, मेरी यही ख्वाहिश है,,,।
हां मम्मी सॉरी निर्मला अब से तुम मेरे लिए मेरी पत्नी ही हो और मैं तुम्हारा पति होने के नाते जब चाहूं तब तुम्हें चोद सकता हूं (इतना कहने के साथ ही हुआ निर्मला की मखमली जांगो पर हाथ फेरने लगा,,, बदलते हुए माहौल को देखकर शुभम की ऐसी हरकत की वजह से उत्तेजना के मारे निर्मला ा के मुंह से सिसकारी छूट गई,,,)
ससससससहहहहहहह,,,,, शुभम मेरे राजा,,,,, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है आ जाओ मेरी बाहों में और अपनी पत्नी को अपने लंड से चोदकर तृप्त कर दो,,,,, ( निर्मला की आंखों में मदहोशी का नशा छाने लगा था और शुभम उसकी चिकनी मखमली जांघों को सहला रहा था उसके लंड कि नशे इतनी ज्यादा कड़क हो चुकी थी की थोड़ा सा भी दबाव पड़ने पर वह फट सकती थी। शुभम से भी रहा नहीं गया रहा था आतुरता और उत्कंठा की प्रतीक्षा अब खत्म हो चुकी थी,,, वह उठकर खड़ा हो गया और उसके खड़े होते ही पजामे में जबरदस्त तंबू नजर आने लगा जिसे देखकर मिलाकर मुंह में पानी आ गया,,,, निर्मला भी अपनी प्यास बुझ़ाने के लिए आतुर थी, । वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर पजामे के ऊपर से ही लंड को मुट्ठी में भरते हुए बोली,,,
ओहहहहह,,,,,, मेरे राजा,,,,, शुभम मेरे राजा,,, तेरे इसी मोटे लंड ने तो मुझे पागल कर दिया है ।इसी लंड की तो मैं दीवानी हो चुकी हूं तेरे लौंडे को देखती हूं तो ना जाने मुझे क्या होने लगता है एक नशा सा पूरे बदन में छाने लगता है। सससससहहहहह आज जी भर कर तेरे लंड से इतनी प्यास बुझाऊंगी,,,,
( अपनी मां के मुंह से इतनी गंदी बातें सुनकर शुभम एकदम उत्तेजित हुए जा रहा था अपने लंड की तारीफ सुनकर उससे रहा नहीं गया और वह पजामे को पकड़कर नीचे सरका ते हुए बोला,,,,)
तो चुस मेरी रानी,,,,,, ले चूस पूरा मुंह में भर कर चुस,,,, मेरी जान मेरी निर्मला अब तो मुझसे भी रहा नहीं जा रहा है मेरे लंड को पूरा मुंह में भर कर चुस,,, पूरा गले में उतार ले,,,, पी जा पूरे रस को मेरी जान मेरी रानी,,,,,आहहहहहह,,,,
( शुभम की बातों ने उसे और ज्यादा चुदवासी कर दिया और,, वह पागलों की तरह,,, अपने बेटे के लंड को मुट्ठी में भरकर उसे अपने मुंह में लेकर चूस ना शुरू कर दी शुभम की तो हालत खराब हुए जा रही थी क्योंकि जिस तरह से आज वह उसके लंड को चूस रही थी ऐसा लग रहा था कि उसके सारे रस को निचोड़ डालेगी,,,,,गुु गु गु गु ऊऊऊ,,,,, कि घुटी हुई आवाज निर्मला के गले से आने लगी और शुभम पागलों की तरह अपनी कमर हिलाता हुआ ऐसा लग रहा था कि अपनी मां के मुंह को ही चोद रहा हो,,,, ले और चूस पूरा मुंह में भर कर चूस मेरी जान पूरा बहुत मजा आ रहा है,,,,,
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