Sex kahani अधूरी हसरतें
03-31-2020, 04:03 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
दोनों मां बेटे खूब मजा ले रहे थे अशोक शहर के बाहर किसी होटल में अपनी पर्सनल सेक्रेटरी के साथ मजे कर रहा था उसे क्या मालूम था कि घर में उसकी बीवी गुलछर्रे उड़ा रही है और वह भी अपने ही बेटे के साथ,,,, दोनों पागलों की तरह एक दूसरे के बदन से मजे ले रहे थे,, शुभम जोर-जोर से कमर हिलाते हुए अपनी मां के मुंह में ही गले तक लंड उतार दे रहा था जिसका मजा निर्मला बड़े ही चाव से उठा रही थी,, शुभम को लगने लगा था कि कहीं लंड का पानी उसकी मां के मुंह में ही ना निकल जाए उसके लिए वह लंड को बाहर खींच लिया और जैसे ही वह लंड को मुंह में से बाहर निकाला,,,, निर्मला लंबी लंबी सांसे लेने लगी,,, लंबा मोटा लंड उसके गले में अटक रहा था लेकिन फिर भी चुदासपन के अंसर में वह पूरे लैंड को मुंह में उतार लेना चाहती थी। शुभम को मजा आ गया था निर्मला प्यासी नजरों से उसकी तरफ देख रही थी और ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बुर में खुजली बढ़ती जा रही थी,,, एक हथेली को जांघो के बीच ले जाकर अपनी गुलाबी बुर की पत्तियों को मसलने लगी उसकी हरकत देखकर शुभम को इस बात का पता अब चला कि उसने पेंटी भी नहीं पहनी थी। क्या देख कर शुभम का लंड फोन की मारने लगा वह शुभम के लंड की तरफ देखते हुए बोली


ओ मेरे राजा अपनी बीवी की प्यास बुझा दे,, उसकी बुर में खुजली मची हुई है तुम्हारे लंड को लेने के लिए तड़प रही है बस अपने लंड को मेरी बुर में डाल कर चोद डालो मुझे,,,, अब मुझे बिल्कुल भी मत तड़पाओ मेरे राजा आ जाओ आ जाओ चढ़ जाओ मुझ पर,,,,
( अपनी मां का बेहद कामुक निमंत्रण पत्र एवं अपने आप को रोक नहीं पाया और पलंग पर चढ़ गया उसे पलंग पर चढ़ता देखकर निर्मला ने खुद ही अपनी टांगो को फैला दी,,,, बुर की गुलाबी पत्तियों को खुला हुआ देखकर उसके मुंह में पानी आ गया और वह अपनी मां से बोला,,,।)

ऐसे नहीं मेरी निर्मला रानी पहले मैं तेरी बुर के रस को अपनी जीभ से चाट कर पीऊंगा,,, उसके बाद तेरी रसीली बुर में अपना लंड डालकर तुझे चोदूंगा देखना आज मैं तेरी बुर के छेद को अपने लंड से और ज्यादा बड़ा कर दुंगा।

तो करना मेरे राजा तुझे इंकार किसने किया है न चाहत मेरी बुर को अपनी जीभ से चाट पूरा रस पीजा इसका,, (ऐसा कहते हुए निर्मला अपनी कमर को ऊपर की तरफ ऊचका,, दी,,,,,, यह देख कर शुभम से रहा नहीं गया और वह अपनी मां की बुर पर झुक गया मैं तुरंत अपनी जीभ को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच सटाकर चाटना शुरु कर दिया,,,, निर्मला तुरंत सी सीयाने लगी,,, जैसे जैसे वह जीभ की चोट बुर की गुलाबी की पत्तियों पर मार रहा था वैसे वैसे उसका बदन उत्तेजना की लहर में कसमसा रहा था।
निर्मला जोश में आकर शुभम के बाल को अपनी मुट्ठी में भींचकर जोर से उसके मुंह को अपनी बुर से सटाए हुए थी।
सससहहहहहह,,,,आाहहहहहहहहहह,,,, मेरे राजा बस ऐसे ही चाट,,,, ऊम्ममममममम,,,,, ओहहहहहहह मेरे सैंया,,,, आहहहहहह,,, चाहत अपनी रानी की बुर को जोर-जोर से चाट,,,, खाजा मेरी बुर को,,, अपनी मां की ऐसी बातें सुनकर शुभम और जोर-जोर से बुर में जीभ डाल कर चाटना शुरू कर दिया और थोड़ी ही देर में निर्मला का पहला स्खलन हो गया,,,, जिसे शुभम बड़े चटकारे लेकर पूरा का पूरा गटक गया,,,,,
निर्मला एक दम मस्त हो गई थी लेकिन अब उसे मोटे तगड़े लंड की जरूरत थी वह अपनी बुर मे शुभम का लंड डलवाना चाहती थी,,, जो कि इस बात को उसे बोलने की जरूरत नहीं थी यह सब उसके चेहरे के हाव भाव को देखकर साफ पता चल रहा था कि उसकी बुर में खुजली मची हुई थी,, शुभम की तड़प रहा था अपनी मां की बुर में लंड डालने के लिए इसलिए वह तुरंत घुटनों के बल बैठकर दोनों हाथों को अपनी मां की भराव दार गांड के नीचे ले गया और उसे उठाते हुए अपनी जांघ पर रख दिया,,, निर्मला कि सांसे तीव्र गति से चलने लगी उसकी बुर उत्तेजना के मारे फुल कर गरम रोटी की तरह हो गई थी,,। शुभम अपने लंड को पकड़ कर अपनी मां की बुर में डालने की तैयारी कर रहा था और निर्मला खुद अपने हाथों से अपने ब्लाउज के बाकी बचे बटन को खोल रही थी,,,,, शुभम उत्तेजना में एकदम सरोबोर हो चुका था एक पल का भी बिलंब ऊससे सह पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था । अपनी मां को इस तरह से खुद ही अपने ब्लाउज के बटन खोल कर देख कर शुभम का लंड ठुनकी लेने लगा,,, शुभम अपने लड़के लंड को हाथ में लेकर उसे हिलाते हुए सुपाड़े का वार गुलाबी बुर की पत्तियों पर करने लगा,,,

सससससहहहहहह,,,, मेरे राजा अब इतना क्यों तड़पा रहा है बस डाल दे अपना पूरा लंड मेरी बुर में,,,( इतना कहते हुए निर्मला अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल चुकी थी,,, ब्लाउज के अंदर उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी जिससे पता चल रहा था कि निर्मला कितनी ज्यादा उतावली थी वह कमरे में आते हैं अपनी ब्रा और पैंटी उतार चुकी थी,, ताकि उसे उतारने में व्यर्थ का समय ना गुजारना पड़े।)

ओह निर्मला मेरी जान तुम्हारी बड़ी बड़ी चूचियां देख अगर तू ना जाने मुझे क्या होने लगता है मन करता है कि तुम्हारे बड़ी-बड़ी चुचियों को खा जाऊं,,,,,

खाजा मेरे राजा,,,,,, तुझे रोका किसने है । लेकिन पहले अपना यह मुसल तो मेरी बुर में डाल बहुत बेचैन हो रही है मेरी बुर,,,,

देख रहा हूं मेरी रानी,,,( सुपाड़े को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रगड़ते हुए) तेरी बुर का दाना बहुत ज्यादा फुदक रहा है।,,,

तो मुझे इतना क्यों तड़पा रहा है । (अपनी चूचियों को अपने दोनों हथेली में भरकर दबाते हुए),,,

तेरी बुर की गर्माहट अपने लंड पर महसूस कर रहा हूं देख रहा हूं कि तेरी बुर कितनी गरम है,,,,।

तो क्या महसूस हो रहा है तुझे,,,

यही कि तेरी बुर की गर्मी मेरे लंड को पिघला देगी,,,,

सससहहहहहहह,,,,,,, मेरे राजा यह बुर होती ही इतनी कमबख्त है कि किसी की शर्म नहीं भर्ती जो भी ईस पर स्पर्श होता है उसे पिघला देती है,,,, जरा संभलकर कहीं ऐसा ना हो कि वक्त से पहले ही तेरा लंड पिघल जाए और मैं प्यासी रह जाऊं,,,, ( जोर से अपनी चूची को दबाते हुए)

मुझ पर भरोसा रख मेरी रानी( लंड कै सुपाड़े को बुऱ की गुलाबी पत्तियों के बीच हल्के से दबाते हुए,,) मेरा लंड घोड़े के लंड के बराबर है जब तक तेरी बुर से पानी का फव्वारा दो तीन बार ना छुड़ा दे तब तक इसका पानी नहीं निकलने वाला,,,।

तो बस शुभम मेरे राजा अपनी निर्मला को इस तरह से मत तड़पा डाल दे पूरा लंड मेरीे बुर में और जबरदस्त चुदाई कर दे मेरी बुर की,,,,

तू देखती जा मेरी रानी तेरी गुलाबी बुर को चोद चोद कर मैं कैसे लाल कर देता हूं,,,,
( दोनों मां बेटी के बीच की सारी दूरियां सारे रिश्ते और सारे शर्मा मर्यादा की डोर पूरी तरह से तार-तार हो चुकी थी दोनों जिस तरह की अश्लील शब्दों में एक दूसरे से बात कर रहे थे इस बात का जरा भी एहसास तक नहीं हो रहा था कि वह दोनों रिश्ते में मां बेटे हैं,,, बल्कि दोनों के व्यवहार को देखकर ऐसा ही लग रहा था कि दोनों पति पत्नी हो,,, प्यासी निर्मला बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी उसके दोनों हाथ उसकी खुद की चुचियों को दबा दबा कर उसका रस निचोड़ने में लगे हुए थे,,,, उसकी गुदाज मोटी मोटी जांघे शुभम की जांघों पर टिकी हुई थी दोनों के जांघों का स्पर्श दोनों के तन-बदन में जवानी का जोश भर दे रहा था। शुभम पूरी तरह से कूच करने के लिए तैयार हो चुका था,,,, दो योद्धाओं के बीच खेले जाने वाले इस महायुद्ध के लिए रणभूमि पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी,,,, अब देखना यह था कि इस रणभूमि में कौन सा योद्धा कितनी देर तक टिका रहता है,,,, शुभम अपने पूरे शस्त्र सरंजाम से युक्त होकर रणभूमि में उतर चुका था,,, शुभम ने अपने शस्त्र को अपने हाथ में लेकर अपने लक्ष्य को भेदने के लिए आगे बढ़ते हुए अपनी शस्त्र का अग्रभाग अपने लक्ष्य के मुखारविंदु पर सटा कर,, अपने सस्त्र पर अपनी ताकत का दबाव बढ़ाया और उसका शस्त्र अपने लक्ष्य को भेदते हुए,,, अपने लक्ष्य बिंदु के अंदर प्रवेश करने लगा शुभम का वार अचूक था जिसकी वजह से सामने का योद्धा धराशाई होता हुआ नजर आने लगा और लक्ष्य भेदन का दर्द ना सह पाने की वजह से,,, उसके मुंह से कराहने की आवाज आने लगी,,
महा योद्धा अपने आप को संभाल पाता इससे पहले ही शुभम ने अपने शस्त्र को पूरी तरह से अपने लक्ष्य को भेदने में पूरी ताकत लगाते हुए उसे जड़ तक उतार दिया,,, जिसकी वजह से सामने वाले योद्धा की चीख निकल गई और उसकी चीख सुनकर,,,,, शुभम के चेहरे पर विजयी मुस्कान तैरने लगी,, उसे अपने सस्त्र पर गर्व होने लगा क्योंकि उसे अपने शस्र पर पूरा यकीन था कि इसका वार कभी भी खाली नहीं जाता,,,,
शुभम का लंड उसकी मां की बुर में जड़ तक गड़ चुका था। धीरे से अपने लंड को बाहर की तरफ खींचा और लंड के टोपे को बुर के अंदर हल्का सा रहने दिया ताकि दोबारा वह बड़ी तेजी से अपने लंड को बुर के अंदर डाल सके,, निर्मला अपने आप को संभाल पाती इससे पहले ही शुभम ने एक जोरदार और धक्का मारा लंड फिर से उसकी बुर की गहराई नापने लगा,,,, शुभम अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया था,,, शुभम और निर्मला के लिए उन दोनों की जिंदगी का यह पहला वैलेंटाइन था और सही मायने में वैलेंटाइन के सही अर्थ को वह दोनों आज ही समझ पाए थे इससे पहले दोनों की जिंदगी में जितने भी मौसम आए थे,,,, बहुत सारे मौसम दोनों की जरूरतों के मुताबिक उनके एहसास से कोसों दूर से ही गुजर गए थे। शुभम की कमर बड़ी तेजी से हिलने लगी थी निर्मला भी जवाबी कार्रवाई में अपनी भारी भरकम गांड को ऊपर की तरफ दम लगाकर उछाल दे रही थी जिसका असर शुभम पर बहुत गहरा हो रहा था वह अपने आप को संभाल पाने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था उसका जोश आपे से बाहर हो रहा था।,,, शुभम गहरी सांस लेते हुए अपनी मां की जबरदस्ती चुदाई कर रहा था और निर्मला अपने ही हाथों से अपनी चुचियों का रस निकाल देने में लगी हुई थी दोनों एक दूसरे की आंखों में मदहोशी से देख रहे थे निर्मला अपनी दोनों चुचियों को हथेली में पकड़कर अपने बेटे के आगे परोसते हुए उसे चूचियों को दबाने और पीने का आमंत्रण दे रहे थे यह आमंत्रण शब्दों में ना होकर महज इशारों में ही हो रहा था और यह इशारा शुभम बड़ी अच्छी तरह से समझ रहा था,,, वैसे भी चुदासपन का असर ही कुछ अलग होता है जो कि शब्दों में नहीं बस इशारों में ही बयां होता है,,,,। शुभम भी अपनी मां का इशारा और उसका आमंत्रण स्वीकार करते हुए उसकी तरफ झुकने लगा और अगले ही पल बड़ी बड़ी चूची को अपने हाथ में लेकर दबाना शुरु कर दिया जिसकी वजह से निर्मला के मुंह से गर्माहट भरी सिसकारी निकल गई।
सससससहहहहहहह,,,, ओहहहहह मेरे राजा ऐसे ही दबाव जोर जोर से दबा पीछे मेरी चूचियों के रस को इस पर बिल्कुल भी रहम करना,,, यह बड़ी बेरहम है ना जाने कितने वर्षों से यह मुझे तड़पा रही है,,,,

तू चिंता मत कर मेरी जान अब तेरी चूचियां सही हाथ में आ गई है देखना में इसका क्या हश्र करता हूं,,,,,
( और शुभम अपनी मां की चुचियों को जोर-जोर से दबाता हुआ) तू बहुत परेशान कर रही है मेरी रानी को मेरी निर्मला को बहुत तड़पाती है तू अब देखना मैं तेरा कैसे रस निचोड़ता हूं,,,( ऐसा कहते हुए शुभम चूचियों को मुंह में भर कर पीने लगा और साथ ही अपनी कमर की रफ्तार को और ज्यादा तेज कर दिया उसकी बढ़ती हुई रफ्तार को देखकर निर्मला अपने दोनों हाथ उसकी पीठ से नीचे की तरफ ले जाते हुए अपनी दोनों हथेलियों में शुभम की गांड को दबोच ली और उसके ऊपर नीचे होती हुई कमर के साथ साथ अपनी हथेलियों का भी दबाव उसकी गांड पर बराबर बनाए हुए नीचे से अपनी गांड को ऊछाल दे रही थी। दोनों बराबर एक दूसरे को टक्कर दे रहे थे शुभम का मोटा लंबा लंड बड़े आराम से फच फच करता हुआ उसकी मां की बुर के अंदर बाहर हो रहा था जिसका आनंद बड़ी बखूबी से निर्मला अपनी गांड को ऊपर की तरफ उछाल उछाल कर ले रही थी,
शुभम का कहना बिल्कुल सच साबित हो रहा था क्योंकि वह रणभूमि में 45 मिनट से ज्यादा समय हो गया था जहां पर वह अपनी कला का जौहर दिखा रहा था और उसके हर बार पर निर्मला म्हात होती हुई नजर आ रही थी,,,, शुभम किसी भी तरह से अपने आप को पीछे हटने के लिए विवश नहीं पा रहा था बल्कि वह जी जान लगाकर रणभूमि में टिका हुआ था। रणभूमि में हमेशा दो योद्धा एक दूसरे को परास्त करने में लगे होते हैं लेकिन इस रणभूमि में अपने सामने के योद्धा का दम और ताकत और हालात के साथ जुझने का पराक्रम देखकर,,
बेहद खुशी होती है इसलिए तो निर्मला नाम की योद्धा अपने सामने वाले योद्धा की वीरता और पराक्रम को देख कर मन ही मन बेहद प्रसन्न हो रही थी।

जिस तरह से चुदवासा होकर शुभम ने अपने लंड को अपनी मां के मुंह से बाहर खींचकर निकाला था उसे देखकर निर्मला को ऐसा लग रहा था कि शुभम झड़ने के बिल्कुल करीब पहुंच गया है और वह शायद ज्यादा देर तक नहीं टिक पाएगा और ताश के पत्तों की तरह ढेर हो जाएगा,,, लेकिन उसके सोचने के विपरीत शुभम बराबर का टक्कर दे रहा था और बिना हतास हुए वह उसकी बुर पर चोट पर चोट लगाए जा रहा था। निर्मला को शुभम की कही बात याद आ गई कि सच में उसका कहना एकदम सार्थक हो रहा था कि उसका लंड घोड़े का लंड है और जब तक दो तीन बार उसका खुद का पानी नहीं निकाल देगा तब तक उसका पानी नहीं निकलेगा और यह बात बिल्कुल सच साबित हो रही थी क्योंकि निर्मला की बुर एक बार पानी फेंक चुकी थी और दूसरी बार फेंतने की तैयारी में थी,,, शुभम पूरी ताकत के साथ अपनी मां को हुमुच हुमुच कर चोद रहा था। उसके लंड की बड़ी-बड़ी गोलियां जब जब निर्मला के नितंबों से टकरा रही थी तब तब ठाप ठाप की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे शुभम लगातार अपनी मां की चुचियों को बारी-बारी से चूस और दबा रहा था,,,, तभी एक जोरदार धक्के के साथ निर्मला की बुर ने फिर से पानी फेंक दी,,,, निर्मला की बुर पूरी तरह से पनिया चुकी थी जिसकी वजह से उसने से फच फच की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी,,,,,। शुभम की सांसो की गति तेज चलने लगी थी वह अपनी मां की बुर में जोर जोर से धक्के लगाते हुए बोले जा रहा था,,,

ले मेरी जान और ले ले मेरा पूरा लंड ले खाजा,,,,, मेरी निर्मला रानी तू बहुत अच्छी है बहुत खूबसूरत है तेरी बुर और भी ज्यादा खूबसूरत है देख मेरा लंड कैसे तेरी बुऱ के अंदर बाहर हो रहा है,,,,।

हारे शुभम मेरे राजा तू बहुत मस्त चोेदता है तू बहुत चुदक्कड़ है आज तू एकदम मादरचोद बन गया है।।
( आज पहली बार से मैंने अपनी मां के मुंह से इस तरह की गाली सुनी थी और यह गाली सुनकर शुभम का जोश दुगना हो गया था शुभम इस तरह की गाली की वजह से डबल जोश के साथ अपनी मां की चुदाई करते हुए बोला,,,।)

हां निर्मला रानी मैं मादरचोद हो गया हूं लेकिन तू भी एकदम गंदी हो गई है देख कैसे अपने बेटे से अपनी टांग फैलाकर चुदवा रही है,,,,, तू बहुत मस्त है मेरी जान,,,,( इतना कहते हुए और जोर जोर से धक्के लगाने लगा और 10,,,,,15 धक्कों के साथ ही वह भी अपने लंड की पिचकारी बुर के अंदर मार दिया। निर्मला भी इसी के साथ ही एक बार और अपना पानी छोड़ दि,,, शुभम अपनी मां की चुचियों पर डह पड़ा,,,, निर्मला के साथ-साथ वह भी बुरी तरह से हांफ रहा था। दोनों के बदन पसीने से तरबतर हो चुके थे हालांकि निर्मला के बदन पर अपनी भी कपड़े थे थोड़ी देर बाद दोनों शांत हुए निर्मला अपनी नाजुक नाजुक उंगलियों से अपने बेटे के बालों को सहला रही थी और उसका लंड ढीला पड़कर अपने आप ही उसकी बुर से बाहर आ गया। निर्मला के चेहरे पर संतुष्टि जनक एहसास साफ झलक रहा था वह पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी वह अपने बेटे के बालों को होले होले सहलाते हुए बोली,,,,

शुभम तू बहुत अच्छा लड़का है मैंने कभी सोची भी नहीं थी कि मेरी प्यास तू बुझाएगा,,, जिंदगी में पहली बार मुझे वैलेंटाइन डे का मतलब समझ में आया है मेरे अंदर भी प्यार का एहसास होने लगा और वह प्यार मुझे तुझसे मिल रहा है मैं बहुत खुशनसीब हूं कि मुझे तेरे जैसा लड़का मिला,,,, ( शुभम अपनी मां की बात को गौर से सुन रहा था और धीरे-धीरे चूची को अपने मुंह में भर कर पीना शुरु कर दिया,,,।)
आहहहहहह क्या कर रहा है,,,,( शुभम ने निप्पल को हल्के से दांत से काट लिया जिसकी वजह से निर्मला की आह निकल गई),,,

कुछ नहीं मेरी रानी मैं तो प्यार कर रहा हूं,,,,

तेरे प्यार करने का स्टाइल बड़ा घातक होता है,,,

ऐसा क्यों मेरी जान,,,, (वहं हाथ से चूची को दबाते हुए बोला।)

मुझसे प्यार करते समय कितना बेरहम हो जाता है तू तुझे इस बात का भी एहसास नहीं होता कि मुझे कितना दर्द करता है।( निर्मलाउसी तरह से उसके बालों को सहलाते हुए बोली,,,)

शुभम को मालूम था कि उसकी मां किस बारे में बात कर रही है फिर भी अनजान बनते हुए बोला,,,


दर्द,,,,,, कैसा दर्द मेरी रानी,,,,,,

अब बंद मत ऐसे कह रहा जैसे कि तुझे कुछ पता ही नहीं है,,,

सही में निर्मला मुझे कुछ भी नहीं मालूम तू किस बारे में बात कर रही है,,,।( वह दूसरी चूची को मुंह में भरते हुए बोला,,,)

अरे बुद्धू तब की बात कर रही हुं जब तू अपने लंड को मेरी बुर में डाल कर मुझे चोदता है,,,,,, तब मुझे बहुत दर्द करता है।

दर्द करता है (आश्चर्य के साथ) लेकिन जब मैं अपने लंड को तुम्हारी बुर में डालकर जोर जोर से चोद देता हूं तब तो तुम्हारे मुंह से,,,आाहहहहह,,,, ऊहहहहहहहहह,,,,,,, सससससहहहहहह,,, जैसी मस्ती भरी आवाजे आती है।

धत,,,,, वह तो जब मज़ा आने लगता है तब इस तरह की आवाज निकलती है उसके पहले तो दर्द करता है ना,,,,( थोड़ा रुक कर) लेकिन एक बात कहूं सुबह जब तक चुदाई में दर्द का एहसास नहीं होता तब तक चुदवाने में मजा भी नहीं आता,,,,

सच मेरी जान,,,,

हां रे मैं बिल्कुल सच कह रही हूं औरतों को चुदवाने में तभी मजा आती है जब मर्द के लंड से उसकी बुर में दर्द होने लगे उसके मुंह से चीख भरी आह निकल जाए,,,,, तभी तो चुदाई का असली मजा शुरू होता है,,,,,


निर्मला मेरी रानी है सच बताऊं तो मुझे भी तभी मजा आती है जब तुम्हारे मुंह से इस तरह की आवाजें आने लगती है तब मेरे धक्के और भी ज्यादा तेज हो जाते हैं,,,, ( शुभम की बात सुनते ही निर्मला मुस्कुराने लगी,,, लेकिन तभी उसे उसकी जांघों के बीच चुभने का एहसास होने लगा वह समझ गई कि शुभम का लंड फीर से चोदने के लिए तैयार हो रहा है,,,, वह तुरंत अपना एक हाथ नीचे ले जा कर के अपने बेटे के लंड को पकड़े तो उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसका लंड फिर से पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जो कि उसकी बुर के मुहाने पर रगड़ खा रहा था वह उसे हाथ में पकड़ते हुए बोली,,,,


मेरे राजा तेरा लंड तो एक बार फिर से देख कैसे खड़ा हो गया,,,


निर्मला मेरी छम्मक छल्लो तू है इतनी सेक्सी कि तुझे देखते ही मेरा तो क्या मुर्दों का भी लंड खड़ा हो जाएं तेरी गर्म बातों ने मुझे फिर से तैयार कर दिया है,,,,

तो तेरा इरादा क्या है,,,,,( उत्तेजना बस होकर अपने होंठ को अपने दांत से दबाते हुए बोली)


मेरा इरादा तो बिल्कुल नेक है मैं फिर से तेरी लूंगा लेकिन इस बार पीछे से,,,,

हां वह तो देख ही रही हूं कि तेरे इरादे कितने नेक ं हैं,,,, चलो मैं भी तैयार हूं तुझे पीछे से देने के लिए क्योंकि मुझे भी बहुत मज़ा आता है जब तू मेरी पीछे से लेता है,,,,, लेकिन संभाल कर पीछे से मेरी बुर ही लेना कही मेरी गांड मत मार लेना,,,(इतना कह कर निर्मला हने लगी,,,, लेकिन शुभम अपनी मां की मस्ती भरी बात सुनकर बोला।)

सच कहूं तो निर्मला मेरी जान मैं जब भी तेरी बड़ी-बड़ी गोल-गोल गांड देखता हूं तो मेरा सबसे पहला मन यही करता है कि मैं तेरी गांड मारु,,,,

( अपने बेटे का इरादा सुनते ही वह जल्दी से बोली)

नहीं नहीं ऐसा मत करना मुझे बहुत दर्द होगा तू मेरी गांड का छेद तो देख ही रहा है कितना छोटा है तेरा लंड का सुपाड़ा कितना मोटा है एक बार गया तो तू मेरी गांड ही फाड़ देगा,,, नहीं मैं तुझे गांड मारने नहीं दूंगी,,,,,


औहहहह निर्मला मेरी रानी मेरी बहुत इच्छा होती है पूरी गांड मारने के लिए काश मुझे तेरी गांड मिल जाती तो मजा ही आ जाता,,,,

देख तू अपना सारा ध्यान मेरी बुर पर ही लगा मेरी जान के बारे में जरा भी मत सोचना जब कभी इच्छा हुई तो जरूर तुझे अपनी गांड मरवाऊंगी लेकिन मुझे डर बहुत लगता है,,,, अभी तो सिर्फ मुझे चोद मेरी बुर की प्यास बुझा,,,, ( निर्मला विक्रम बातों से एकदम उत्तेजित हो गई थी उससे रहा नहीं जा रहा था)


चल ठीक है कोई बात नहीं जिस दिन बहुत ज्यादा मन करेगा उस दिन मैं तेरी एक नहीं सुनूंगा चल अब जल्दी से घोड़ी बन जा,,,,( इतना कहते हुए शुभम अपनी मां के बदन के ऊपर से उठ गया,,, निर्मला भी बेहद चुदवासी हो चुकी थी,, वह भी जल्दी से बिस्तर पर से उठी और घोड़ी की तरह बन गई,, उसे भी बहुत जल्दी थी अपने बेटे के लंड को एक बार फिर से अपनी बुर में लेने के लिए,,,, शुभम के सामने उसकी मां घोड़ी बनी हुई थी शुभम अपनी मां को घोड़ी बनी देख कर उसे चोदने के लिए एकदम लालायित हो गया। गोल गोल बड़ी बड़ी गांड देखकर उसका मन उसकी गांड मारने को करने लगा लेकिन इस समय ऊसकी मा तैयार नहीं थी इसलिए वह अपने मन की बात को दबा ले गया,,,, लेकिन अपनी मां की गोरी गोरी चमकत़ी हुई गांड देखकर उससे रहा नहीं गया और वह दो चार चपत फिर से अपनी मां की गोरी गांड पर लगा दिया,,,, जिसकी वजह से एक बार फिर से निर्मला को मुंह से कराहने की आवाज आ गई लेकिन उसे भी इस तरह की चपत अपनी गांड पर पड़ता देख कर उसे बेहद आनंद की प्राप्ति होती थी,,,,
शुभम बिल्कुल भी देर किए बिना एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर अपनी मां कि गुड़ के मुहाने पर रखकर जोरदार धक्का मारा और एक साथ में ही उसका पूरा लंड बुर के अंदर उतर गया,,,, दोनों हाथ से अपनी मां की गदराई गांड को पकड़कर वह जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया।
आहहहहहह ऊहहहहहहहह कि गरम मस्ती भरी आवाजों के साथ निर्मला भी चुदाई का मजा लेने लगी,,,, करीब 40 मिनट बाद जोरदार चुदाई करके सुभम फिर से अपनी पिचकारी बुर में ही छोड़ दिया,,,,,
दोनों तृप्त होकर वैसे ही एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले सो गए,,,,


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RE: Sex kahani अधूरी हसरतें - by sexstories - 03-31-2020, 04:03 PM

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