Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 02:53 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
अशोक ऑफिस वाली बात से एकदम परेशान हो चुका था उसे इस बात का डर था कि कहीं शुभम उसकी मां से सब कुछ बता ना दे,,,, वह घर जाने वाला नहीं था लेकिन फिर भी घर चला गया था,,,, अशोक की मौजूदगी से निर्मला को एतराज होने लगा उसे अब अशोक का घर रहना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था,,, क्योंकि निर्मला की बुर में खुजली हो रही थी और वह आज की रात शुभम से फिर से चुदवाने का मूड बना ली थी,,, लेकिन अशोक इस तरह से घर आकर उसका सारा प्लान चौपट कर दिया था,,,, शुभम को भी अपने पापा का इस तरह से अब घर पर उपस्थित रहना अच्छा नहीं लगता था क्योंकि उसका तो वह हमेशा ही मुड बना रहता था और अगर मुड ना भी बना रहे तोभी अपनी मां की मटकती हुई गांड को देखकर उसका लंड खड़ा हो जाता था,,,।
वह मन मे सोचा कि उसके पापा घर पर ही है तो क्यों ना वह अपनी रिपोर्ट कार्ड पर उनके दस्तखत करा ले,, यही सोचकर वह अपने पापा के कमरे में पहुंच गए वैसे तो सुबह वाली वाक्या को याद करके उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी फिर भी रिपोर्ट कार्ड पर तो दस्तखत कर आने ही थे इसलिए अपने पापा के सामने रिपोर्ट कार्ड ऊन्हे थमाते हुए बोला,,,

पापा मेरे इस रिपोर्ट कार्ड पर आपके सिग्नेचर चाहिए अगर आप इसको सिग्नेचर कर देते तो मैं इसे स्कूल में जमा करा देता,,,,
( अशोक कुर्सी पर बैठकर सुबह वाले वाक्य के बारे में ही सोच कर परेशान हो रहा था और इस तरह से एकाएक शुभम की आवाज सुनकर वह हड़बड़ा गया,,,।)

हंहं हं हं,,, लाओ में सिग्नेचर कर देता हूं,,,( अशोक रिपोर्ट कार्ड लेकर उस पर सिग्नेचर करने लगते हैं लेकिन वह इतना शर्मीला था कि अपनी नजरें उठाकर शुभम की तरफ देख नहीं पा रहा था और सिग्नेचर करते-करते नजरें झुकाए हुए ही बोला,,,।)

शुभम मै शर्मिंदा हूं,,, मैं इतना शर्मिंदा हूं कि मैं तुमसे ठीक से नजरें भी नहीं मिला पा रहा हुं,,, ( नजरें झुकाए हुए ही) सुबह में जो कुछ भी हो ऑफिस में हो रहा था और जो कुछ भी तुमने देखा उसको लेकर मैं तुमसे माफी मांगना चाहता हूं मेरी इज्जत मेरी साख सब तुम्हारे हाथ में है,,,, जो कुछ भी हुआ मैं भावना में बहक गया था,,, ऐसे हालात में मर्दों की क्या स्थिति होती है जब तुम मेरे बराबर होगे तो शायद तुम भी समझ जाओगे,,,, ( अशोक बोलते-बोलते एकदम रोने जैसा हो गया और लगभग रोते हुए बोला) बेटा मुझे माफ कर दे (हाथ जोड़ते हुए) मैं तुझ से माफी मांगता हूं जो कुछ भी हुआ उसके लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूं,,, बेटा जो कुछ भी तुमने देखा प्लीज अपनी मां से मत बताना,,,, मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूं तुम कहो तो मैं तुम्हारे पांव पड़ने के लिए तैयार हुं,,( इतना कहने के साथ ही नीचे छुपकर शुभम के पांव पकड़ते हुए)
बेटा मेरी इज्जत बचा लो,,,,

यह क्या कर रहे हो पापा ( अपने पापा का हाथ पकड़कर उठाते हुए) ऐसा मत करो मुझे अच्छा नहीं लग रहा है।

मुझे माफ कर दे बेटा प्लीज अपनी मम्मी से यह सब कुछ भी मत बताना,,,

मुझ पर भरोसा रखो मैं कुछ भी नहीं बताऊंगा,,,, आप की हरकत देखकर तो मुझे बहुत गुस्सा आया था और मैं यहां बात मम्मी को जरूर बताता लेकिन आपकी स्थिति देखकर मम्मी को बताना यह ठीक नहीं रहेगा,,,

बेटा मुझ पर यह बड़ी कृपा रहेगी तेरी,,,

मुझ पर भरोसा रखो मैं कुछ भी नहीं बताऊंगा मैं नहीं चाहता कि इस तरह से मम्मी को ऑफिस वाली बात बताने से अपने घर संसार में किसी भी प्रकार की कड़वाहट पैदा हो,,,

बेटा शुभम तू बहुत अच्छा है मुझे तेरे ऊपर गर्व है और हां तुझे किसी भी चीज की जरूरत पड़े या पैसे की जरूरत पड़े जेब खर्च की जरूरत पड़े किसी भी प्रकार की कोई भी स्थिति में तुझे जरूरत पड़े तो बेझिझक तुम मुझसे कह सकते हो,, आज से तुम मुझे अपना दोस्त ही समझो,,, बस यह राज,,, राज ही रखना इसके बदले में मैं तुम्हें कोई भी कीमत देने को तैयार हूं,,।

पापा आप चिंता मत करो यह राज मेरे सीने में ही दफन रहेगा,,( कितना कहते हुए कहा अपने पापा के हाथ से रिपोर्ट कार्ड लेकर जाने को होता है कि तभी उसके पापा उसे रोकते हुए बोले,,,)
रुको बेटा,,, उस ड्रोवर से निकालकर मुझे सर दर्द की दवा देते जाओ सुबह से मेरा सर दर्द कर रहा है तुमसे बात करके मुझे थोड़ा हल्का महसूस हो रहा है,,

ठीक है पापा ( इतना कहने के साथ ही वह ड्रोवर में से सर दर्द की गोली निकालकर और पानी का गिलास लेकर अपने पापा को थमा देता है,,, अशोक गोली खाकर अपने बेटे से बोला,,,।)
बेटा अब मैं थोड़ी देर आराम करूंगा तुम मां बेटे खाना खा लेना मुझे भूख नहीं है ।

ठीक है पापा,,,, (इतना कहकर शुभम अपने पापा का एक नया रूप देख रहा था उसने आज तक अपने पापा को इतना कमजोर और बेबस कभी नहीं देखा था और यह सिर्फ इसके लिए कि उसने अपने पापा को उस औरत के साथ शारीरिक संबंध बनाते देख लिया था और उस बात को राज रखने के लिए उसके पापा शुभम के सामने गिड़गिड़ा रहे थे और यही देखकर शुभम पिघल गया,,, लेकिन तभी उसके दिमाग में एक युक्ति सूझी,,, उसे मालूम था कि किस तरह के संबंध में अपनी मां के साथ बना रखे हैं आज नहीं तो कल उसके पापा को इस बात की खबर लग ही जाएगी,,, और मन ही मन उसने नक्की कर लिया की जिस समय उसके पापा को उसके और उसकी मम्मी के बीच शारीरिक संबंध के बारे में पता चलेगा उस समय वह अपने पापा को ऑफिस वाली बात बता कर उन्हें खामोश रहने के लिए जरूर कहेगा,,,, और उसके पापा आप नाराज छुपाने के लिए अपनी पत्नी और उसके बेटे के बीच के संबंध को लेकर चुप्पी साध लेंगे यह बात उसके दिमाग में आते ही उसका मन खुशी से झूम उठा,,,, अब उसे अपना राज घर में खुल जाने का किसी भी बात का डर नहीं था। जिस तरह से उसके पापा उसके सामने गिड़गिड़ा रहे थे वह देखते हुए इसके और उसकी मां के बीच के संबंध को लेकर उनसे कुछ भी नहीं कहा जाएगा और वह अपना संबंध अपनी मां के साथ उसी तरह से बरकरार रख सकता है। वह मन ही मन सोचने लगा कि अच्छा ही हुआ कि आज वह रिपोर्ट कार्ड पर सिग्नेचर कराने के बहाने अपने पापा के ऑफिस चला गया और वहां जाकर के उसे अपने पापा को काबू में रखने का बहुत ही बड़ा खजाना मिल चुका था,,,, उसके पापा की रंगरेलियां को छुपाने का राज ही शुभम के लिए बहुत बड़ा खजाना था क्योंकि इसी राज के बदौलत वह अपनी मां के साथ अपने शारीरिक संबंध को कायम रख सकता था वह भी बिना किसी झिझक के,,,,
खुशी खुशी वह रसोई घर की तरफ जाने लगा जहां पर उसकी मां खाना बना रही थी,,,, वह पीछे से जाकर अपनी मां को बाहों में भरते हुए उसके गर्दन को चूमने लगा,,,, एक तो पहले से ही निर्मला चुदवासी थी,,, और अपने बेटे की हरकत की वजह से उसकी कामाग्नि और ज्यादा भड़क उठी,,, वह सब्जी बना रही थी और कढ़ई में,, तेल के छींटे मार कर यह अंदाजा लगा रही थी कि कढ़ाई गरम हुई है या नहीं,,,, लेकिन कढ़ाई पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और तेल के छींटे पड़ते ही एक दम से छनछनाहट की आवाज आने लगी,,,, ठीक यही हाल निर्मला का भी था भाभी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी अपने बेटे के लंड को याद करके और उसके बेटे की यह हरकत जब वह उसे बाहों में पीछे से मार लिया तो वह अभी गर्म तेल की तरह छन छना गई,,,, उसे अपने भावनाओं पर काबू नहीं हो सका और वह तुरंत एक हाथ पीछे ले जाकर अपने बेटे के लंड को पेंट के ऊपर से ही दबोच ली,,,, जो कि नितंबों की गर्माहट और उसके स्पर्श की वजह से धीरे-धीरे तनाव में आ रहा था,,, उसकी मोटाई निर्मला के हाथों में आते ही एक बार फिर से उसकी बुर में कुलबुलाहट होने लगी,,, शुभम पागलों की तरह उसकी गर्दन को चुमे जा रहा था और निर्मला अपने बेटे के खड़े हो रहे लंड को हथेली में भरकर जोर-जोर से दबाते हुए बोली,,,

ओहहहहह,,, शुभम प्लीज ऐसा मत करो तू जानता हूं कि मेरे तन बदन में आग लग जाती है जब तू ऐसी हरकत करता है,,, ओर इस आग को तू ही बुझा सकता है।,,

तो इसमें क्या हुआ मम्मी बोलो तो अभी बुझा दूं तुम्हारे तन बदन की आग अपनी पिचकारी से पानी की बौछार करके,,
( इतना कहते हुए, शुभम अपनी दोनों हथेलियों को ब्लाउज के ऊपर से अपनी मां की बड़ी बड़ी चुचीयो पर रखकर दबाने लगा,,,,।)

सससससहहहहहह,,,,,, शुभम,,,,, मैं भी तो यही चाहती हूं लेकिन तेरे पापा घर पर हीं है,,,( तभी शुभम जोर से चूची को मसल देता है ओर निर्मला की हालत और ज्यादा खराब हो जाती है) आहहहहहहहहह,,,, शुभम,,,,,, मन तो कर रहा है कि तेरा लंड अपनी बुर में डलवा कर अपनी प्यास बुझा लु,,,,


तो देर किस बात की है मम्मी बस अपनी साड़ी उठा लो उसके बाद मैं खुद तुम्हारी प्यास बुझा दूंगा,,,,( ऐसा कहते हुए वह ब्लाउज के बटन खोलने लगा निर्मला अपने बेटे की इस हरकत पर एकदम से कामातुर तो हो ही चुकी थी लेकिन अपने पति के डर की वजह से उसे रोकते हुए बोली,,, ।)

नहीं सुभम ऐसा मत कर तेरे पापा घर पर ही है,,,,

घर पर ही है तो मैं क्या करूं मैं उन से नहीं डरता मैं किसी से भी नहीं डरता,,,,, मैं बस इतना जानता हूं कि मैं तुमसे प्यार करता हूं,,,,,
( शुभम की बात सुनकर निर्मला खुश हो गई जिस तरह से वह हिम्मत दिखा रहा था उसकी हिम्मत को देखकर निर्मला की छाती और ज्यादा चौड़ी हो गई वह इसी तरह का प्रेमी चाहती थी,,, लेकिन वह अच्छी तरह से जानती थी कि घर पर अशोक मौजूद है अगर ऐसे हालात में उसने उन दोनों को देख लिया तो गजब हो जाएगा इस बात का उसे बराबर डर बना हुआ था लेकिन शुभम को मालूम था कि उसके पापा कमरे में आराम कर रहे थे अब नीचे नहीं आने वाले इसीलिए वह अपनी मां के ऊपर अपनी हिम्मती होने का रोब झाड़ रहा था
वैसे भी कुछ हद तक उसके मन से उसके पापा का डर बिलकुल निकल चुका था क्योंकि जिस हालात में उसने अपने पापा को रंगे हाथ उनकी सफाई कर्मचारी के साथ रंगरेलियां मनाते हुए पकड़ा था उसे देखने के बाद और अपने पापा को उसके सामने गिड़गिड़ाते हुए देखकर उसकी हिम्मत खुल चुकी थी वह पूरी तरह से तैयार हो चुका था कि अगर इस समय वहां अपनी मां की चुदाई कर रहा हूं लेकिन उसके पापा उसे देख ले तब भी उस हालात से निपटने की ताकत उसमें आ चुकी थी। निर्मला अपने बेटे की हिम्मत देख कर खुश होते हुए बोली,,,)

तेरी इसी बात पर तो मैं तेरी दीवानी हो चुकी हूं तेरी हिम्मत देखकर मुझे भी हिम्मत आती है लेकिन सब्र कर तेरे पापा घर पर हीं है तू नहीं जानता कि जितना उतावला और जोश तुझने मुझे चोदने के लिए भऱा है,, उससे कई गुना ज्यादा मैं उतावली हूं तेरे लंड को अपनीे बुर में डलवाने के लिए,,,( अपने बेटे के लंड को पेंट के ऊपर से ही अपनी हथेली में बड़ा होता हुआ महसूस करके और भी ज्यादा चुदवासी हो चुकी थी,,,) मैं तो रोज यही चाहती हूं कि तू रात को मेरे पास ही सोए और सोने से पहले जी भर कर मुझे रगड़े लेकिन लगता है कि आज ऐसा नहीं हो पाएगा,,,,

हो पाएगा मम्मी जरूर हो पाएगा बस थोड़ा सा तुम मेरा साथ दो,,,

नहीं बेटा मान जा ऐसा मत कर,,,( जोश में आकर लंड को दबाते हुए) तेरे पापा ने देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,

कुछ गजब नहीं होगा मम्मी मैं सब कुछ संभाल लूंगा बस तुम एक बार अपनी साड़ी ऊपर उठा लो,,, फिर देखना मेरा कमाल तुम्हारी बुर से मदन रस की हर एक बूंद को अपने लंड से खींचकर बाहर ना निकाल दिया तो मेरा नाम शुभम नहीं,,, ( इतना कहने के साथ ही शुभम लगभग जबरदस्ती करते हुए ब्लाउज के सारे बटन खोल दिया,,, निर्मला अपनी बेटी की हरकत से रोमांच भी अनुभव कर रही थी और उसे डर भी लग रहा था,,,, निर्मला कुछ कह पाती इससे पहले ही शुभम ने अपनी मां की लाल ब्रा को नीचे से उसकी पट्टी को पकड़कर एकदम से ऊपर की तरफ कर दिया जिसकी वजह से उसके दोनों चुचिया एकदम नंगी होकर सीना ताने तन कर खड़ी हो गई,,, और शुभम अपनी दोनों हथेलियों में दोनों को भरकर दबाने लगा,,,,


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RE: Sex kahani अधूरी हसरतें - by sexstories - 04-01-2020, 02:53 PM

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