Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 02:59 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि उसे गांव जाना था बहुत साल बाद उसे आज गांव जाना हुआ था,,,, अक्सर वह गांव कभी कबार ही जा पाती थी जब कभी सादी विवाह का अवसर आता था तब,,,,,, और अब अवसर आया था कि जब उसे गांव जाना पड़ रहा था,,, ऐसे तो वह बहुत खुश थी लेकिन तभी उसे इस बात का ख्याल हुआ कि यहां तो वह जब जाती थी तब अपने बदन की प्यास अपने ही बेटे से बुझवा लेती थी,, लेकिन यह गांव में कैसे मुमकिन होगा क्योंकि वहां तो पूरा परिवार इकट्ठा रहता है,,,, यह ख्याल आते ही वह चिंतित हो गई लेकिन फिर कभी उसे इस बात का एहसास हुआ कि इधर रह कर भी कभी कभार उसे बिल्कुल भी मौका नहीं मिलता था लेकिन उसका बेटा कैसे भी करके चोदने का जुगाड़ बना ही लेता था तो उधर भी वह कोई ना कोई जुगाड़ जरूर बना लेगा यह ख्याल आते ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई,,,, तभी उसे इस बात का एहसास हुआ कि शुभम के लंड से निकला सारा माल धीरे-धीरे करके उसकी बुर से नीचे टपक रहा था जोंकि उसकी जांघों को भिगो रहा था,,,, वह कुछ देर पहले के पल को याद करके संतुष्ट होने लगी आज पहला मौका था कि जब वह फोन पर अपनी मां से बात करते हुए अपने ही बेटे से चुदवा रही थी,,,, जिसका एहसास बेहद सुखद था,,,,। निर्मला को अपनी बदली हुई जिंदगी पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था बहुत बिल्कुल भी यकीन नहीं कर पा रही थी कि वह पहले वाली ही निर्मला है क्योंकि हमेशा पर्दे में रहती थी और किसी भी प्रकार की अश्लील बातों से या ऐसे कोई कर्म जिससे खुद की और खानदान की बदनामी हो कोसों दूर रहा करती थी लेकिन अब उसमें इतना ज्यादा बदलाव आ गया है कि,,,, वह खुद अपने आप पर विश्वास नहीं कर पा रही थीे कि वह वही निर्मला है,, जो अब घर में अपने ही बेटे से चुदकर एकदम संतुष्ट होती आ रही थी,,, और वह भी चोरी छिपे नही बल्कि एकदम बेशर्मों की तरह,,,, निर्मला मुस्कुराते हुए बाथरूम की ओर चल दी क्योंकि उसे अपनेी बुर को धोकर साफ करना था,,,।
कुछ देर बाद वह बाथरुम से बाहर आई तब तक शुभम तैयार हो चुका था निर्मला बेहद खुश थी,,,, शुभम अपनी मां को खुश होता हुआ देखकर बोला,,,,

क्या बात है मम्मी आज ज्यादा खुश नजर आ रही हो लगता है कि आज मेरा लंड तुम्हारी बुर में कुछ ज्यादा ही घुस गया है,,,।

अरे वह तो हमेशा ही मेरी बुर की गहराई नापता है,,,, और सच बताऊं तुझे इस तरह से तू इतनी तेज तेज धक्के मार रहा था मुझे तो लग रहा था कि तू लंड को मेरे पेट में उतार देगा,,,

क्या करूं मम्मी छोटा पड़ जाता है वरना सच में मैं पूरा का पूरा उतार डालता,,,

छोटा पड़ जाता है,,,,, अरे बदतमीज तेरा लंड तो एकदम गधे के लंड की तरह है,,, और तू कह रहा है कि छोटा पड़ जाता है,,, तेरा लंड किसी भी औरत के लिए सबसे ज्यादा लंबा है,,, तभी तो मेरी चीख निकाल देता है तू,,,,,


पर मुझे तो छोटा ही लगता है मैं सोचता हूं कि एकाद ईंच और बड़ा होता तो और मजा आता,,,

एकदम मादरचोद हो गया है तू,,,,, सांड़ जैसा लंड रखा है फिर भी बोलता है कि छोटा है,,,,,

मम्मी तुम्हारे मुंह से गाली मुझे बहुत अच्छी लगती है,,,,।

तो क्या मैं तुझे हरदम गाली देती रहूं (निर्मला मुस्कुराते हुए बोली)

हां,,,,, दीया करो,,,,

तू सच में पागल है क्या तुझे गाली सुनने में ईतना अच्छा लगता है,,,। तब तो तेरे दोस्त भी तुझे जब गाली देते होंगे तो तू ऊन्हे कुछ नहीं कहता होगा,,,,

नहीं ऐसी बात नहीं है मुझे सिर्फ तुम्हारे मुंह से सुनना अच्छा लगता है दोस्तों के मुंह से नहीं,,,,

मेरे मुंह से तुझे क्यों अच्छा लगता है,,,,।

क्योंकि तुम एक औरत हो और मेरी मम्मी है इसलिए ना जाने क्यों तुम्हारे मुंह से मुझे गाली अच्छी लगती है (इतना कहते हुए वह निर्मला के करीब जाने लगा)

कौन सी गाली तुझे अच्छी लगती है,,,

मादरचोद,,,,,( ब्लाउज के ऊपर से ही अपने मां की चूची पर हाथ रखते हुए बोला,,,।)

वह तो तू हो ही गया है । (निर्मला मुस्कुराते हुए बोली)

मैं समझा नहीं,,,,

तुझे गाली का मतलब पता भी नहीं है और तुझे अच्छा भी लगता है,,,,।

हां मुझे अच्छा लगता है लेकिन मम्मी इसका मतलब क्या होता है,,,।

जो तू मेरे साथ करता है,,


साफ-साफ बताओ ना पहेलियां क्यों बुझाती हो,,, ( ऐसा कहते हुए शुभम एक बार फिर से अपनी मां को पीछे से बाहों में भर कर चूचियों को दबाने लगा,,।)

साफ-साफ कहूं तो,,, जब एक बेटा अपनी मां को ही चोदने लगता है तो,,,वह मादरचोद हो जाता है।,,,,
( अपनी मां की ऐसी बातें सुनकर शुभम के बदन में फिर से शुरूर चढ़ने लगा,,,, कुछ देर पहले ही पानी छोड़ चुका उसका लंड फिर से तनाव में आने लगा,,, वह अपनी मां की मस्त बातों को सुनकर मस्त होता हुआ जोर-जोर से चूचियों को दबाना शुरु कर दिया,,, जिसकी वजह से निर्मला के बदन में भी काम भावना ऊफान मारने लगा,,, और उसके मुंह सें स्तन मर्दन की वजह से दर्द के साथ सिसकारी छुटने लगी,,,।)

सससहहहहहह,,,,,, क्या कर रहा है,,,,


वही जो एक मादरचोद करता है,,,,।


तू तो एकदम पक्का मादरचोद बन गया,,

बनाया किसने है,,,?

धत्त,,,, बदमाश हो गया है तू,,,,,
( निर्मला अपने बेटे की हथेलियों से स्तन मर्दन का आनंद लेते हुए बोली,,,,)

मम्मी तुम पहले से ही ऐसे ही भोसड़ा चोदी थी कि अब बन गई,,,
( अपने बेटे के मुंह से अपने लिए इस तरह की गाली सुनकर निर्मला एकदम आश्चर्य में पड़ गई,,,, उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि शुभम इस तरह की अश्लील शब्दों का प्रयोग करेगा और वह भी उसके ही लिए इसलिए अपने लिए भोसड़ा चोदी का संबोधन सुनकर,,, निर्मला उत्तेजना में एकदम से गनगना गई,,,, इस गाली को सुनकर उसे अपने बचपन का दिन याद आ गया जिसे बचपन कहना ठीक नहीं था क्योंकि वह उस समय जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी,,, और कुदरत ने तो वैसे ही उसको बेइंतहा खूबसूरती बख्शी थी,, उस समय वह गांव में पढ़ाई कर रही थी,,, गांव के लड़कों के साथ-साथ स्कूल के लड़के भी उसकी खूबसूरती के दीवाने थे,,, ऐसे ही उसकी एक सहेली थी जिसका नाम नीलम था,,, वह भी खूबसूरत थी,,, लेकिन निर्मला जितनी खूबसूरत नहीं थी और वह एक लड़के से प्यार करती थी जिसके पीछे वहां हमेशा लगी रहती थी लेकिन वह उसे बिल्कुल भी भाव नहीं देता था क्योंकि वह निर्मला के पीछे पड़ा था और निर्मला उसे बिल्कुल भी भाव नहीं देती थी क्योंकि वह,,, प्यार व्यार के चक्कर से कोसों दूर थी।
जब भी नीलम उस लड़के से बात करनी को चलती तो वहां कोई ना कोई बहाना बनाकर वहां से हट जाता और हमेशा निर्मला के ही इर्द गिर्द नजर आता,,, यह बात हमेशा नीलम को खटकती रहती थी एक दिन वह उस लड़के को जबरदस्ती पकड़ कर उसी से यह पूछने लगे कि वह उससे प्यार करता है कि नहीं,, लेकिन वह लड़का इनकार कर दिया और बोला मैं तो निर्मला से प्यार करता है जबकि वह एक तरफा ही प्यार था जबकी इस बारे में कुछ भी नहीं जानती थी,,, बिना कुछ सोचे समझे नीलम अपनी सहेली निर्मला से झगड़ा करने लगी और अपनी सहेलियों के बीच उससे गाली गलौज करने लगी,, उस दिन उसने निर्मला को रंडी छिनाल भोसड़ा चौदी और ना जाने कौन कौन सी गाल़ी देकर उसे बेइज्जत करदी,,,, उस दिन नीलम की गाली गलौज से निर्मला बेहद शर्मिंदगी महसूस करने लगी और वह रोने लगी उस दिन उसे अपने सहेली द्वारा दी गई गाली बहुत ही भद्दी लगी थी जिसकी वजह से उसे बहुत दुख हुआ था,,, लेकिन आज वही भद्दी गाली,,,, भोसड़ा चोदी जैसा संबोधन अपने लिए अपने ही बेटे के मुंह से सुनकर बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रही थी और बहुत ही अच्छा भी लग रहा था,,,,,,, इसलिए वह मुस्कुराते हुए शुभम से बोली,,,।)

शुभम तू यह सब गाली कहां से सीख गया,,,

बस दोस्तों के मुंह से सुना था इसलिए आज तुम्हें कह दिया,,,

और कैसी-कैसी गाली देते हैं तेरे दोस्त,,,

रंडी छिनार बैंनचोद मादरचोद,,,भोसड़ा चोदी,,,,

छी,,,,, तेरे दोस्त तों बहुत गंदे हैं क्या तुझे भी ईस तरह की गाली देते थे,,,,

तो क्या खेल खेल मे वह लोग सब को गाली देते हैं,,,( इतना कहने के साथ ही वह एक बार फिर से ब्लाउज के बटन खोलने लगा लेकिन निर्मला भी उसे रोक नहीं रही थी क्योंकि कुछ देर पहले कुछ देने के बावजूद इस समय फिर से उसकी बुर गीलीं होने लगी थी,,,, अगले ही पल शुभम ने एक बार फिर से अपनी मां के ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए और उसकी नंगी चूची को हाथ में भरकर मसलने लगा,,,,।)
ससससहहहहह आहहहहहहह शुभम धीरे से मसल दर्द हो रहा है,, अभी अभी तो तूने किया था और फिर शुरू हो गया,,,

क्या करूं मम्मी तुम्हें देखता हूं तो मेरा लंड बेकाबू हो जाता है,,,

धत्त,,, शैतान,,,,, ( अपनी हथेली को शुभम की हथेली पर रखकर जोर से दबाते हुए बोली,,, यह शुभम का हौसला बढ़ाने के लिए उस ने की थी और इसीलिए शुभम भी और जोर से मसलते हुए बोला,,,।)

अच्छा मम्मी तुम बताई नहीं कि तुम पहले से ही भोसड़ा चोदी थी या अब बन गई हो,,,

अब बन गई हूं,,,, तेरे लंबे और मोटे लंड को अपनी बुर में लेने के लिए भोसड़ा चोदी बन गई हुं।,,,,,,,, क्यों तुझे अच्छा नहीं लगता,,,,

मुझे तो बहुत अच्छा लगता है मम्मी जब तुम अपनी टांगे फैलाकर अपना भोसड़ा मेरे लिए खोलती हो,, तब मन करता है कि ईसमें समा जाऊं,,,,( ऐसा कहते हुए शुभम साड़ी के ऊपर से ही अपनी मां की बुर को हथेली में दबोच लिया,,, जिससे निर्मला उत्तेजना के मारे सिहर उठी,,,।) मम्मी तुम मेरी हो और हमेशा मेरी ही रहना,,,, तुम्हारी इस खूबसूरत बदन पर तुम्हारी चूची पर तुम्हारी मदद से गांड पर तुम्हारी बुर पर बस मेरा ही हक है,,,, किसी और के लिए. ईसे ( निर्मला की टांगों को पकड़ कर) मत खोलना,,

( अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला एकदम भाव विभोर हो गई और बोली,,,।)

इस पर तेरा ही हक है यह टांगे खुलेगीे तो बस तेरे लिए ही,, किसी और के लिए नहीं,,,,

लेकिन पापा (इतना कहकर शुभम खामोश हो गया)

बिल्कुल भी नहीं खुलेंगी अब तों मैं तेरे पापा को जरा भी भाव नहीं देती,,,,

मुझे अब उनके लंड की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है मेरी बुर में बस तेरे लंड के लिए जगह है,,,,,

( दोनों की वार्तालाप एकदम अश्लील होती जा रही थी और दोनों को बेहद मजा भी आ रहा था कुछ देर पहले दोनों ही अपना मदन रस निकाल चुके थे लेकिन शुभम की हरकत की वजह से शुभम के साथ-साथ निर्मला भी पूरी तरह से कमोत्तेजित हो चुकी थी,,,, शुभम का लंड एक बार फिर से अपनी मां की रसीली बुर की शेयतर करने के लिए तैयार हो चुका था,,, जो की सीधे उसके नितंबों पर धस रहा था। शुभम श्रेया एक पल का भी विलंब करना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था इसलिए वह एक हाथ से अपने पेंट की बटन खोल कर,,, पेंट को नीचे सरका दिया,,, उसका लंबा मोटा लंड हवा में लहराने लगा और अगले ही पल वह पास में पड़ी स्टूल को अपनी तरफ खींच कर उस पर बैठ गया,,,, निर्मला उसे देखती रही और वह अपनी मां की तरफ देखकर अपने लंड को मुठीयाने लगा,,, दोनों के बदन में मदहोशी छाने लगी थी उन दोनों की आंखों में एक दूसरे के अंदर समा जाने की प्यास साफ झलक रही थी,,, अपने बेटे के खड़े लंड को देख कर एक बार फिर से निर्मला की लार टपकने लगी,,, पूरा माहौल चुदास से भर चुका था,,,, निर्मला का भी लावा पिघलने लगा था। निर्मला चुदास से भर चुकी थी और खुद ही अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,, दोनों एक दूसरे की आंखों में डूबते चले जा रहे थे,,,, निर्मला अपनी साड़ी उठाकर अपनी पैंटी को नीचे की तरफ सरकाने लगी,, और अगले ही पल वाह अपनी पैंटी को अपनी सुडौल टांगों से बाहर निकाल फेंकी ,,, निर्मला के बदन में उत्तेजना के साथ-साथ मदहोशी छा चुकी थी उसकी आंखों में देख कर ऐसा लग रहा था कि शराब की पूरी बोतल गटक गई है।,,, अपने बेटे के लंड को देखकर वास्तव में उसे नशा सा हो गया था और वह अपने बेटे को ललचाने के लिए अपनी बुर को अपनी हथेली से मसलते हुएगरम सिसकारी छोड़ने लगी,,,

सससहहहहहहह,,,,,, आहहहहहहहहह,, सससससस,, शुभम मेरे राजा देख मेरी बुर तेरे लंड को देखकर कैसे पिघल रही है। बस अब बिल्कुल भी देर मत कर अपने लंड को चोद़कर अपनी मां की प्यास बुझा दे।,,,,,

( निर्मला अपने बेटे को अपनी बुर का रास्ता दिखाते हुए उसे आमंत्रित कर रही थी और शुभम अपने लंडनुमा गाड़ी को पूरी तरह से गियर में डालने के लिए तैयार था,,,, वह भी जोर-जोर से अपने लंड को हीलाते हुए बोला,,,

ओहहहहहह मेरी जान मेरीे निर्मला देख मेरा लंड भी तेरीे बुर में जाने के लिए तड़प रहा है,,,, अब बिल्कुल भी देर मत कर,,,,,, मेरी रानी,,,,, आजा मेरे लंड पर बैठ जा आजा मेरी जान,,, बिल्कुल भी देर मत कर,,,,,
( शुभम पूरी तरह से मदहोश होकर अपनी मां को अपनी तरफ बुलाने लगा,,, उसकी मां की बुर में खुजली मची हुई थी इसलिए वह मादक अदा के साथ अपने कदम बढ़ाते हुए अपने बेटे के करीब जाने लगी,,, निर्मला की नजर अपने बेटे के मोटे लंड पर ही टिकी हुई थी,,, वह अपने बेटे के बिल्कुल करीब पहुंच गई और अपनी साड़ी को पूरी तरह से कमर तक उठा कर अपनी दोनों टांगों को स्टूल के इर्द-गिर्द रखते हुए,, अपनी भारी भरकम गांड को लंड के ऊपर रखने को हुई थी की,,, शुभम अपने दोनों हाथों से अपनी मां की मदमस्त गांड को थामते हुए बोला,,,
ओहहहहहहहह मेरी जान तू बहुत खूबसूरत है तेरी गांड देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता है बस अपनी गांड को मेरे लंड पर रख दे मेरी जान,,,, मेरी रंडी मेरी छिनार मेरी भोसड़ा चोदी ले मेरे लंड को अपने भोसडे में डाल ले,,,,,

( अपने बेटे के मुंह पर गंदी बातें सुनकर निर्मला और ज्यादा उत्तेजित हो गई और अपनी बुर की गुलाबी चूत को अपने बेटे के लंड के सुपाड़े पर रखते हुए,,, बैठने लगी,,, शुभम भी अपनी मां की कमर थाम कर उसे नीचे की तरफ दबाने लगा और देखते ही देखते शुभम का मोटा लंबा लंड उसकी मां की बुर में पूरी तरह से खो गया,,,,, बस फीर क्या था निर्मला अपने बेटे के लंड पर कूदना शुरू कर दी,,,, दोनों एक दूसरे में समाने के लिए पूरी तरह से उत्तेजित हो गए निर्मला शुभम को अपनी बाहों में भर कर जोर जोर से अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे के लंड पर पटक रही थी,,,, जिसकी वजह से शुभम पूरी तरह से मस्त हो चुका था और वह भी नीचे से ऊपर की तरफ धक्के लगा रहा था,,,, निर्मला को इस समय अपने तरीके से चुदवाते हुए अगर कोई देख लेता तो जीत हरकत और मदहोश होकर मां अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में ले रही थी उसे देखकर निर्मला को रंडी ही समझता,,,
और वैसे भी औरतों को चुदवाने में असली मजा तभी आता है जब वह लंड लेते समय एकदम रंडियों की तरह हरकत करतीे हैं,,, शुभम पूरी तरह से चुदास से भर चुका था,,, और वहां अपनी मां की बड़ी-बड़ी पपाया की जैसी चूची को मुंह में भरकर उस का रस पीने लगा था,,,, जिससे निर्मला के उन्माद में निरंतर वृद्धि होती जा रही थी,,,,
फच्च,,,,, फच्च,,,,, की आवाज से पूरा डाइनिंग हॉल गुंज रहा था,,, निर्मला की गर्म सिसकारियां इतनी तेज हो इतनी ज्यादा उन्मादक ठीक है अगर कोई सिर्फ उसकी सिसकारियों की आवाज सुने तो ऐसा ही लगेगा की वह कोई पोर्न क्लिप की आवाज सुन रहा है,,,,। मदहोशी और संपूर्ण रूप से वासना युक्त चुदाई का खेल चल रहा था,,,, निर्मला भी किसी पोर्न स्टार से कम नहीं लग रही थी वह जिस तरह से शुभम के लंबे लंबे पर कूद-कूद कर लंड को अपनी बुर की गहराई में उतार रही थी ऐसा ही लग रहा था कि जैसे वह गंदी फिल्मों की हीरोइन हो,,,, शुभम को अपने लंड की गोलाई पर निर्मला की बुर की दीवारें कसती हुई महसूस हो रही थी,,,, जिससे उसको आभास हो चुका था कि निर्मला पानी छोड़ने वाली है और वैसे भी वह भी चरमोत्कर्ष के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था निर्मला जोर-जोर से अपने बेटे के लंड पर कूद रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई धोबी कपड़े को बड़े से पत्थर पर पटक-पटक कर धो रहा है,,,,, दोनों की सांसो की गति तेज होने लगी थी निर्मला के मुंह से गरम सिसकारी की आवाज और ज्यादा तेज होती जा रही थी,,,,

ससससहहहहह आहहहहहहहह,,,,,,, ऊहहहहहहहह,,,, ओ मेरे राजा ऐसे ही चोद मुझे और जोर जोर से चोद,,,,, आहहहहहहह,,,,, चौद अपनी रानी को,,,, मेरी बुर का भोसड़ा बना दे,,,,,( अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर सुभम एकदम जोश से भर गया,,, और वह बिना रुके नीचे से तेजी से धक्के लगाने लगा जिससे लगातार नैन मिला के मोसे सिसकारी छूटने लगी)
आहहहह,,,,,,, आहहहहहह,,,,, आहहहह,,,,, आहहहहहह आाहहहहहहहहहह,,, मेरे राजा मेरे शुभम मैं तो गई मैं तो गई मेरे राजा,,,,,आहहहहहहहहह,,,,,, ऊइईईईीीईई मा,,,,,,
( इतना कहने के साथ ही वह अपने बेटे के लंड पर कूदते हुए पानी छोड़ दी और दो चार धक्कों के बाद ही शुभम भी अपने लंड की पिचकारी बुर में छोड़ दिया,,, दोनों एक बार फिर से संतुष्ट हो चुके थे,,,, दोनों कुछ देर बाद शांत हुए तो,, निर्मला शुभम के लंड के ऊपर ऊठते हुए बोली,,,

अभी कुछ देर पहले ही धो कर आई थी तु फिर से गिला कर दिया,,,

गीला होने तो आती हो,,,, ( ऐसा कहते हुए वह अपने कपड़े पहनने लगा निर्मला भी पड़ सकता है पढ़ी हुई अपनी पैंटी को उठाकर अपनी टांग में डालते हुए बोली,,,

अरे मैं तुझे एक बात तो बताना भूल ही गई,,,, जब तुम मुझे फोन पर बात करते हुए चोद रहा था तो वह मम्मी का ही फोन था,,, तुझे पता है तेरे मामा की शादी फिक्स हो गई है और हमें अगले हफ्ते ही गांव जाना है,,,

वाहहहह मम्मी तुमने तो मुझे बहुत अच्छी खबर सुनाई मुझे भी गांव जाने में बहुत मजा आता है,,,

लेकिन एक बात की टेंशन है,,,

टेंशन किस बात की टेंशन,,,

अरे यार यहां पर तो हम दोनों को यह सब करने के लिए मौका मिल ही जाता है लेकिन वहां पूरा परिवार होगा वहां कैसे मौका मिलेगा और मुझे तो जब तक तेरा लंड नहीं ले लुं तब तक मुझे चैन की नींद नहीं आती,,,,

कोई बात नहीं मम्मी तुम फिकर मत करो वहां भी मैं कोई ना कोई जुगाड़ ढूंढ ही लूंगा,,,

मुझे तेरे पर पूरा भरोसा है (निर्मला मुस्कुराते हुए बोली)


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RE: Sex kahani अधूरी हसरतें - by sexstories - 04-01-2020, 02:59 PM

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