RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
अशोक अपनी ऑफिस में निश्चिंत होकर बैठा था वह बेफिकर इसलिए था क्योंकि शुभम ने जिस हालत में उसे उसकी ही ऑफिस में किसी गैर औरत के साथ रंगरेलियां मनाते हुए उसे पकड़ा था उस वाक्या को करीब करीब 10 दिन जैसा हो गया था,,, और घर में किसी भी प्रकार का कोहराम नहीं मचा था,,, इसका मतलब साफ था कि शुभम ने इस राज को राज ही रखा था,,,,।,,, वह मन में ही सोच रहा था कि अगर शुभम ने उसके राज को निर्मला से बता दिया होता तो क्या होता घर में कोहराम मच गया होता,, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था इस बात की संतुष्टि उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी,,, अशोक अपनी ऑफिस की चेयर पर बैठकर इस बारे में सोच ही रहा था कि,,,, उसके मोबाइल की रिंग बजने लगी वह पहले पेंट की बाई जेब में मोबाइल को तलाशने के लिए टटोला,,,, लेकिन ऊस जोब में मोबाइल नहीं था तो वहां अपनी दाएं जेब में टटोला तू मोबाइल उसी जेब में रखा हुआ था,, वह मोबाइल को जेब से निकाल कर उसकी स्क्रीन पर देखा तो नंबर अनजाना सा लग रहा था,, वह कॉल को रिसीव करके कान पर लगाते हुए बोला,,,
हेलो कौन,,,,, ?
मैं बोल रही हूं,,,,,
( सामने किसी लड़की की आवाज सुनकर,,, अशोक सचेत हो गया वैसे भी उसने कहीं औरतों के साथ अफेयर करके खत्म कर दिया था इसलिए मैं सोचा था कहीं किसी उनमें से किसी का फोन तो नहीं आ गया,,,, इसलिए वह अनजान बनते हुए बोला,,,,, ।)
मैं कौन मेरे ख्याल से मैं तुम्हें नहीं जानता,,,,,
इतने जल्दी आवाज़ भी भूल गए,,,,,,
( सामने से फोन पर इस बात को सुनकर अशोक फिर हैरान हो गया उसे यकीन होने लगा कि यह उन औरतों में से किसी एक का फोन है इसलिए उसे अंदर ही अंदर डर लगने लगा कि कहीं कोई पैसे की मांगनी ना करने लगे,,,,, )
देखो तुम कौन हो मैं नहीं जानता और तुम्हारी आवाज़ भी मैं नहीं पहचानता साफ-साफ बताओ कौन हो,,,,,
क्या सच में तुम मेरी आवाज नहीं पहचानते मुझे तो हैरानी होती है,,,,,
( अब तो अशोक का दिमाग खराब होने लगा,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यह लड़की है कौन और इस तरह से पहेलियां क्यों बुझा रही है,,,, इसलिए गुस्से में बोला)
देखो तुम कोई भी हो मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता और अगर तुम अपनी पहचान नहीं बताओगी तो मैं फोन कट कर दूंगा,,,
नहीं नहीं ऐसा मत करना मैं मधु बोल रही हूं तुम्हारी छोटी बहन,,,,,,,, ( सामने से जल्दबाजी और घबराहट भरी आवाज आई,,,,, मधु नाम सुनते ही अशोक के चेहरे पर मुस्कुराहट तैर गई मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मधु ने उसे फोन की है,,,,, इसलिए चहकते हुए अशोक बोला,,,, )
मधु तु मुझे तो बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है कि तू फोन की है,,, तुझे पता है 5 साल गुजर गए इन 5 सालों में आज पहली बार तूने मुझे फोन कि है,,,,,
हां जानतीे हुं भैया इन 5 सालों में बहुत कुछ बदल गया,,,, मेरी गलती की सजा तो मुझे मिलनी ही थी,,,,
गलती की सजा मैं कुछ समझा नहीं कि तू क्या कह रही है,,,
( अशोक चिंतित स्वर में बोला,,,।)
भैया तुम तो अच्छी तरह से जानते हो कि मैं पूरे परिवार के खिलाफ जाकर अपने बॉयफ्रेंड के साथ भाग कर शादी की इस वजह से पूरे परिवार ने मुझ से हर तरह से रिश्ते को तोड़ दिया,,,,, मुझे लगा था कि मैंने सही फैसला भी हूं लेकिन कुछ ही महीनों में मुझे पता चल गया कि मेरा फैसला बिल्कुल गलत था जिसके साथ मैं सब कुछ छोड़ कर अपना जिंदगी बसर करने चली थी,,,, वह बिल्कुल निकम्मा निकला,,, 6 महीने बाद ही वहं मुझे मारने पीटने लगा मेरी जिंदगी नर्क से भी बदतर कर दिया उसने,,,,
क्या कह रही है मधु तू इतना कुछ सहती रही और हमें बताई भी नहीं,,,,, तुम मुझसे उसकी बात करा मैं अभी उसे बताता हूं
इसकी कोई जरूरत नहीं है भैया मैं उसका घर छोड़ चुकी हूं और अब मुझे दोबारा उस नर्क में नहीं जाना है,,,,
मतलब तू अभी रहती कहां है,,,,?
यही एक जगह भाड़े के मकान में रहती हूं और एक ऑफिस में काम करके अपना गुजारा चला रहीे हु।,,, लेकीन भैया,,, मुझे इस शहर में बिल्कुल भी नहीं रहना है क्योंकि आते-जाते कहीं भी वह मुझे परेशान करने लगता है,,,,।
तो तू,, गांव चली गई होती,,,,
कोशिश की थी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ वह लोग मुझे अपनाने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है वह लोग तो ईतना तक कहते हैं कि तू मेरे लिए मर गई,,,, अब तुम ही बताओ भैया मैं कहां जाऊं किसके पास जाऊं तुम तो अच्छी तरह से जानते हो की अकेली औरत खुली किताब की तरह होती है जिसके पढ़ने को हर कोई उलटना पलटना चाहता है,,,,।
मेरी आखिरी उम्मीद बस तुम ही हो तुम ही मुझे सहारा दे सकते हो,,,,,
( मधु की आवाज सुनकर अशोक की आंखों में चमक आ गई और वह,,, बोला,,,।)
हां,,, हां,,,, क्यों नहीं मधु अच्छा हुआ तु मेरे पास फोन की,,,,
तू बेझिझक मेरे पास आ सकते हैं मेरे घर का दरवाजा तेरे लिए हमेशा खुला है आखिर तू मेरी छोटी बहन है,,,,।
ओह थैंक्यू भैया मैं तुमसे यही उम्मीद रख रही थी,,,,
तो एक काम कर जल्दी से अपना बोरिया बिस्तर बांध कर इधर आ जा,,,, बाकी तुझे क्या करना है मैं सब तेरे आने के बाद बताऊंगा,,,,
ठीक है भैया मैं 1 हफ्ते के भीतर ही वहां आ जाऊंगी तब तक मेरी सैलरी भी मिल जाएगी,,,,,,
ठीक है मधु जल्दी आना अब तो मैं तुझसे मिलने के लिए बेचैन हो रहा हूं,,,, आई लव यू,,,,, (अशोक कुटिल मुस्कान मुस्कुराते हुए बोला,,, मधु अपने भाई के मुंह से आई लव यु सुन कर मुस्कुराने लगी और वह भी प्रसन्न होते हुए बोली )
लव यू टू भैया,,,,,,( इतना कहने के साथ ही मधु ने फोन काट दी,,,,।)
अशोक की पुरानी यादें ताजा हो गई,,,,, उसे वह दिन याद आने लगा जब वह गांव में ही रहता था और वहां पर रहकर अपनी पढ़ाई पूरा कर रहा था तब मधु अपनी जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी उसकी जवानी भी उसे चिकोटी काट रही थी,,, उसकी सहेलियों में कुछ ऐसी पहेलियां थी जो कि लड़कों के चक्कर में ज्यादा रहती थी और उन्हीं की संगत में मधु भी उन्हीं की तरह होती जा रही थी,,, अपनी सहेलियों के मुंह से उनकी चुदाई की कहानी सुनकर मधु कि अपने पैर के साथ-साथ अपने पर भी फैलाने के चक्कर में थी यहां तक कि वह अपनी उस स्कूल में कुछ बॉयफ्रेंड बना रखी थी और उनके साथ शारीरिक संबंध भी बना चुकी थी जवानी पूरे उफान पर थी बदन की प्यास बुझाई नहीं बुझ रही थी,,, एक तरह से मधु एकदम प्यासी लड़की थी
अशोक तो पहले से ही मन चला था उसने भी कई लड़कियों को अपनी गर्लफ्रेंड बनाया था और वह भी उनके साथ शारीरिक संबंध बना चुका था इसलिए वह अच्छी तरह से जानता था कि,,, चुदाई का शोक अगर एक बार मिल जाए तो बार-बार उसे पाने की इच्छा होती है,,,
ऐसे ही एक दिन अशोक को चोदने की इच्छा हो रही थी,,,, लेकिन इस समय उसके पास किसी भी तरह से अपनी प्यास बुझाने के लिए उसकी कोई भी गर्लफ्रेंड उसके करीब नहीं थी ऐसे में उसे अपने ही हाथ का सहारा लेना पड़ रहा था इसलिए वह बाथरूम की तरफ जाने लगा था कि वह आराम से एकदम नंगा होकर के नहाते नहाते अपने हाथ से अपने लंड को हिलाकर पानी निकाल सके,,,, बाथरूम में पहुंचने से पहले ही जब वह अपनी छोटी बहन मधु के कमरे के करीब पहुंचा तो कमरे में से हल्की हल्की सिसकारी की आवाज़ आ रही थी,,,, अशोक इस तरह की सिसकारी की आवाज को अच्छी तरह से पहचानता था क्योंकि जब वह लड़कियों को चोदता था तो इसी तरह की आवाजें आती थी,,, इसलिए उसके कान खड़े हो गए, वह दबे कदमों से,,, दरवाजे के करीब जाने लगा उसकी किस्मत अच्छी थी,,, दरवाजा अंदर से बंद नहीं था वह हल्के से दरवाजे को खोल के अंदर की तरफ देखा तो,,, उसका लंड एकदम से खड़ा हो गया,,, क्योंकि अंदर कमरे में उसकी छोटी बहन मधु जो की जवानी से एकदम भरपूर हो चुकी थी वह अपने बिस्तर पर एकदम नंगी लेटी हुई थी और अपनी ही हथेली से, अपनीे बुर को जोर-जोर से मसलते हुए गर्म सिसकारी छोड़ रही थी,,, चुदास पन से भरा हुआ अशोक जो कि बुर की तलाश में इधर उधर भटक रहा था,,, अंदर का नजारा और अपनी बहन को इस हालत में देख कर उसे लगने लगा कि उस का जुगाड़ अब घर में ही होने वाला है,,,, वह कुछ देर तक वहीं खड़े होकर अपने लंड को सहलाते हुए अंदर का नजारा देखने लगा । बिस्तर पर मधु पुरी तरह से कामातुर होकर छटपटा रहीे थी,, उससे अपनी जवानी की तड़प बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,,, तभी बिस्तर पर पड़े मोटे बैगन को देखकर अशोक का लंड ठुनकी मारने लगा,,, उसे यह समझते देर नहीं लगी कि बिस्तर पर रखा वह मोटा बैगन मधु अपनी बुर में डालने वाली है,,, यह सोचकर ही अशोक का लंड बेकाबू होने लगा,,, वह मन ही मन अपनी बहन को चोदने की इच्छा बना लिया,,,,,, वह ऐन मौके पर अपनी बहन के सामने आना चाहता था ताकि उसके लिए छुपाने जैसा कुछ भी ना हो,,, इसलिए अशोक सही मौके का इंतजार करने लगा और अंदर मधु की हालत पल-पल बेकाबू होती जा रही थी उसकीे बुर में ऐसा लग रहा था कि जैसे चिटिया रेंग रही हो,,, वह जोर-जोर से अपनी हथेली से अपनी बुर की गुलाबी पत्ती जो कि अभी पूरी तरह से खीली भी नहीं थी उसे रगड़ रही थी,,,, मधु की गरम सिसकारी की आवाज अशोक के लंड के सब्र के बांध को तोड़ रही थी,,, कीें तभी मधु बिस्तर पर पड़े बैंगन को उठाकर
अपनी बुर पर रगड़ति हुई उसे बूर के अंदर उतारने लगी,,,,,
अशोक के लिए यही सही मौका था,,,,, अशोक जल्दी से दरवाजा खोलकर कमरे में प्रवेश करने लगा यह देखकर मधु एकदम से घबरा गई और पास में बड़ी चादर को अपने बदन पर ढंकने लगी,,, और अशोक एक हाथ से दरवाजे पर कड़ी लगाते हुए मधु की तरफ देखते हुए बोला,,,
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