RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
अब इसकी कोई जरूरत नहीं है मेरी बहना मैं सब कुछ देख चुका हूं,,
तततत,, तुम कहना क्या चाहते हो भैया,,,,,( मधु घबराते हुए बोली और अशोक उसके करीब धीरे धीरे कदम बढ़ाते हुए बोला,,।)
अब मेरे कहने और तुम्हारे समझने के लिए कुछ भी नहीं बचा है,,।( इतना कहने के साथ ही अशोक अपनी बहन के बदन के ऊपर से चादर खींच कर नीचे फर्श पर फेंक दिया एक बार फिर से मधु पूरी तरह से नंगी हो गई,,,,
मधु अपनी हालत की वजह से अपने भाई के सामने इस हालत में एकदम शर्मिंदगी महसूस कर रही थी उसे शर्म आ रही थी इसलिए वह अपने हाथों को पर्दा बनाकर अपने अंगों को छुपाने की भरपूर कोशिश करने लगी,,, वह पूरी तरह से घबरा गई थी इसलिए वह अशोक से बोली,,
यह क्या कर रहे हो भैया,,,,,
मैं वही कर रहा हूं मधु जो तुम चाहती हो,,,,
मैं कुछ समझ नहीं रही हूं तुम क्या कहना चाहते हो,,, और तुम मेरे साथ इस तरह का व्यवहार क्यों कर रहे हो,,,,
मधु मेरी बहन तुम बिल्कुल नादान बनने की कोशिश मत करो,,, मैं सब कुछ देख चुका हूं और यह भी जानता हूं कि तुम्हारी बुर मे आग लगी हुई है और उस आग को बुझाने के लिए तुम्हें एक लंड की जरूरत है।
यह क्या कह रहे हो भैया,,,,( मधु अपने भाई के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर आश्चर्य के साथ बोली,,,।)
देखो मधु अब बनने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है,,,, अगर मैं चाहूं तो जो तुम बंद कमरे के अंदर अभी-अभी कर रही थी वह सब कुछ मम्मी पापा को बता दूंगा तो सोचो तब तुम्हारी क्या हालत होगी,,,,,( इतना कहते हुए अशोक अपने हाथ को मधु की मखमली जांघो पर फिराने लगा,,,, जिसकी वजह से मधु शर्म के मारे संकोचाने लगी,,, फिर भी हिम्मत करते हो बोली,,,।)
ककककककक,,,,, क्या कर रही थी मैं,,,,,,
मुझसे छुपाने की कोई जरूरत नहीं है मैं सब कुछ देख कर ही कमरे में आया हूं और तुम वही कर रही थी जो मैं अपने हाथ से बाथरूम मे करने जा रहा था,,,, और इसको (पास में पड़े बेगन को हाथ में लेकर) अपनी बुर में डाल रही थी।
( इतना सुनते ही मधु के पास कुछ भी छुपाने जैसा नहीं था इसलिए वह ्रुआांसी होते हुए बोली,,,, ।)
भैया प्लीज मुझे माफ कर दो और मम्मी पापा से कुछ मत बताना,,,,
तुझे प्लीज बोलने की कोई जरूरत नहीं मालूम तू तो अपनी जरुरत पूरी कर रही थी जैसे कि मैं अपनी जरुरत पूरी करने के लिए बाथरूम जा रहा था,,,,
मैं कुछ समझी नहीं भैया,,,,
देख तू बैगन को अपनी बुर में डालकर अपनी प्यास बुझाने की कोशिश कर रही थी,, और मैं (अपने पैंट की बटन खोलते हुए अगले ही पल अपने टंनटनाए हुए लंड को बाहर निकाल कर हाथ से हीलाते हुए) अपने ईस लंडं को हाथ से हीला कर उसका पानी निकालने जा रहा था,,,,
( मधु एक तो पहले से चुदवाती थी अपने भाई का खड़ा लंड देखकर उसकी बुर में खुजली मचने लगी वह समझ चुकीे थेी कि उसका भाई उसे चोदना चाहता है। लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए बोली,,,।)
भैया तुम क्या कह रहे हो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,
मधु अब भोली बनने की कोई जरूरत नहीं है,,, मैं जानता हूं कि इस समय तु लंड के लिए तड़प रही है और मैं बुर के लिए
क्यों ना हम एक दूसरे से अपनी ज़रूरत पूरी कर ले,,,( मधु बार-बार अशोक के लंड की तरफ देखे जा रही थी जिसको वह अपने हाथों से हिला रहा था,,, उसकी जवानी से भरी बुर पानी पानी हुए जा रही थी अब तो वह भी यही चाह रही थी कि उसका भाई अपने लंड को उसके बुर में डालकर चोद डाले,,,, लेकिन वह इस बात को अपने मुंह से नहीं बोल सकती थी फिर भी वह अपने भाई को रोकते हुए बोली,,,
नहीं भैया ऐसा नहीं हो सकता हम दोनों भाई बहन हैं और भाई बहन में इस तरह का रिश्ता पाप कहलाता है,,
देखने चलें हम दोनों भाई बहन नहीं है इस समय में एक प्यासा मर्द हुं और तु प्यासी औरत है,,, मेरे पास लंड है और तेरे पास बूर है जो की एक दूसरे में समाने के लिए तड़प रहे हैं।,,,,
लेकी,,,,,,,, ( मधु कुछ बोल पाती से पहले ही वह उसे रोकते हुए उसे बिस्तर पर लिटाने लगा,,, और उसकी दोनों चुचीयों को हाथ में भरते हुए बोला,,,)
बस अब कुछ बोलने की जरूरत नहीं है,,,,,
( इतना कहने के साथ ही वह अपनी बहन मधु पर टूट पड़ा उसकी चूचियों को कभी हांथो से दबाता तो कभी मुंह में भर कर पीने लगता है,,, मधु को भी बहुत मजा आ रहा था पूरा कमरा उसकी सिसकारियों से गूंज रहा था। अगले ही पल अशोक ने अपने लंड को अपनी बहन की बुर में पूरी तरह से उतार दिया,,, मधु को ऐसा महसूस हो रहा था कि उसका पूरा बदन हवा में उड़ रहा है अशोक अपनी बहन को चोदना शुरू कर दिया था भाई-बहन का पवित्र रिश्ता दोनों मिलकर तार-तार कर चुके थे,,,, यह सिलसिला जो एक बार शुरू हुआ तो वह तब तक चलता रहा जब तक मधु अपने बॉयफ्रेंड के साथ भाग कर शादी नहीं कर ली,,,
उस दिन के बाद आज 5 वर्षों के अंतराल पर अब जाकर मधु का फोन आया था,,,, इसलिए अशोक मन ही मन खुश हो रहा था,,, क्योंकि वह अब अपनी सेक्रेटरी रीता से तंग आ चुका था,,,, ऐसे मे वह पहले से ही किसी नए जुगाड़ में था,,,और एन मौके पर उसकी छोटी बहन मधु का फोन आने से उसके नए जुगाड़ की तलाश का अंत आ चुका था,,,, वह मन ही मन खुश हो रहा था कि तभी ऑफिस का दरवाजा खुला और रीता ऑफिस में दाखिल हुई जिसके चेहरे से साफ पता चल रहा था कि वह काफी गुस्से में थी,,,,
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