RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम तू औरतों के मन की बात को समझने के लिए अभी छोटा है लेकिन यह भी अच्छी तरह से जानती हूं कि,, भले ही तू औरतों को समझने के लिए अभी छोटा है लेकिन औरतों के लिए तेरा हथियार बहुत बड़ा है,,, तू शायद नहीं जानता की औरत को जिंदगी में उसकी प्यास बुझाने के लिए बड़े लंड की कामना होती है लेकिन ऐसा लंड सब के नसीब में नहीं होता उस दिन जब अनजाने में तेरा लंड मेरे हाथ में आया तभी मैं उसकी मजबूती और उसके आकार को लेकर के उत्तेजित हूं और बेहद उत्साहित भी हूं,,,,( शीतल अपनी इस बात का शुभम पर क्या प्रभाव पड़ता है यह देखने के लिए वह अपनी नजरों को शुभम की तरफ घुमाई तो शुभम अभी भी उसकी मदमस्त गा को ही देख रहा था,,,, यह देखकर पीतल के चेहरे पर फिर से मुस्कान फैल गई,,,,
और वहां शुभम के चेहरे के हाव भाव को पढ़ते हुए बोली,,,,।
मैं जानती हूं शुभम कि मेरे मुंह से इस तरह की अश्लील बातों को सुनकर तुम्हे बड़ा अजीब लग रहा होगा लेकिन टीचर होने से पहले मैं एक औरत हूं,,,, और हम औरतों की किस्मत में,,,, शायद ही तेरे जैसा लंबा लंड हो ज्यादातर तो ऐसा नहीं होता और मेरी किस्मत में भी शायद नहीं है इसलिए तो जब मैं पेंट के ऊपर से ही,,,, मेरे लंड को पकड़कर उसे महसूस की तब से मैं तेरे लंड के दीदार को तरस रही हूं,,,,,,, लेकिन यह बात तुझसे कहने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी लेकिन जब तक तुझसे कहती भी नहीं तब तक मुझसे रहा भी नहीं जाता और आज मौका देखकर तुझसे मैं यह बात कर रही हुं।
( शीतल की ऐसी मस्ती भरी बातें सुनकर शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसके चेहरे का रंग लाल होने लगा था और उत्तेजना की वजह से उसके पैंट में पूरी तरह से तंबू बन चुका था जिसे देखकर शीतल की बुर में कुलबुलाहट हो रही थी,,,,,। शुभम प्यासी नजरों से शीतल की तरफ देखते हुए बोला,,,।
लेकिन मैडम जो कुछ भी हुआ वह अनजाने नहीं हुआ उसमें मेरी कोई गलती नहीं है और मैं इसमें कर भी क्या सकता हूं,,,
तुम सब कुछ कर सकते हो इसलिए तो मैं तुम्हें यहां बुलाई हूं।।।।
लेकिन मैडम में,,,,,,,,
( शुभम कुछ और बोल पाता इससे पहले ही वह उसकी बात को बीच में काटते हुए बोली,,,।)
शुभम तुम सब कुछ कर सकते हो,,( इतना कहने के साथ ही वहां शुभम की तरफ घूम गई क्योंकि वह अच्छी तरह से जान गई थी कि शुभम के लिए उसके नितंब दर्शन काफी हो चुका था अब उसके स्तन दर्शन की बारी थी,,,, और शीतल ने शुभम को अपने स्तन दर्शन कराने के लिए बात बाद में ही अपने नितंबों के दर्शन कराते हुए ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खोल चुकी थी,,,, और जैसे ही वह शुभम की तरफ घूमी थी शुभम की प्यासी नजरों की दो उसके छातियों की दोनों गोलाई पर जाकर अटक गई थी,,,, और शुभम की आंखें आश्चर्य के फटी की फटी रह गई थी क्योंकि जो उसने देखा था उसकी उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी ऊपर के ब्लाउज के दोनों बटन खुले हुए थे जिसमें से उसकी आधी से भी ज्यादा चुचीया बाहर को छलक रही थी,,,,, वह आंख फाड़े बस चूचियों को ही देखे जा रहा था,,,, शीतल का चलाया तीर ठीक निशाने पर लगने की वजह से वह बहुत प्रसन्न हो रही थी,,,, वह और ज्यादा अपने सीने को थोड़ा सा उठा कर बोली,,,
शुभम तुम मेरे लिए मेरे मन की इच्छा पूरी करोगे ना,,,
लेकिन मैडम मैं क्या कर सकता हूं,,,,( वह शीतल की चुचीयो की तरफ प्यासी नजरों से देखता हुआ बोला,,,,।)
तुम सब कुछ कर,,,,( इतना कहने के बाद भी शीतल जानबूझकर नीचे पेन गिरा दी,।) ओहहहहह,,, ( इतना कहने के साथ ही वह पेन उठाने के लिए नीचे झूकी,, और जैसे ही वह नीचे झुकी उसकी बड़ी बड़ी भारी भरकम चूचियों का वजन बाकी बचे बटन नहीं झेल पाए,,, और दोनों चूचियां छलक कर ब्लाउज से बाहर आ गए,,,,, शुभम की चौकन्नी आंखें यह नजारा बड़ी बारीकी से अपने जेहन में कैद करती चली जा रही थी,,,, शीतल मुझे अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी दोनों सोच लिया उसके ब्लाउज से बाहर आ गई लेकिन फिर भी वहां शुभम की नजरों से बचा कर अपनी चुचियों को ब्लाउज में वापस डालने की बजाय,,, सीधी खड़ी हो गई और जानबूझकर इस बात का एहसास कराते हुए कि उसे इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं था कि उसकी चूचियां ब्लाऊज के बाहर आ गईे हैं और वह बोली,,,,।
आऊच्च,,,,,, यह क्या हुआ ( इतना कहने के साथ ही वह चार-पांच सेकेंड तक यूं ही खड़ी रही ताकि शुभम नजर भर कर की नंगी जवानी जो की चुचियों से साफ नजर आ रही थी उसे देख सकें,,,, और उसके सोचने के मुताबिक ही हो रहा था,,, शुभम मदहोश होकर उसकी चूचियों कोई देखे जा रहा था जो कि ब्लाऊज से बाहर किसी पके हुए आम के बड़े-बड़े फल की तरह नजर आ रही थी,,, उसके जी मैं तो आ रहा था कि वह दोनों आम को पकड़कर मुंह में भरकर चूस डाले लेकिन वह अपने आप पर संयम रखे हुए था,।
यह चुचिया भी ना देख नहीं रहा है कितनी बड़ी बड़ी हो गई है,,,( एक हाथ से चूची को पकड़कर लगभग शुभम की तरफ दिखाते हुए,,,) अच्छा हुआ कि इनके भार से मेरे ब्लाउज के बटन नहीं टूटे वरना आज कैसे घर जा पाती,,,,
आपको अच्छे से बटन लगाना चाहिए था,,,( शुभम उत्तेजना की वजह से लगभग कांपते स्वर में बोला,,,)
अरे ठीक से ही लगाई थी इस उम्र में यह चूचियां भी बेलगाम हो जाती है चाहे जितना भी कस कर पकड़ने की कोशिश करो इधर-उधर छटक ही जाती है,,,,,,( इतना कहने के साथ ही शीतल अपनी दोनो चुचियों को बारी-बारी से पकड़कर ब्लाउज में डालते हुए ब्लाउज के बटन लगाते हुए बोली,,,,)
शुभम मैं एक गलती की वजह से माफी चाहुंगी,,,, पता नहीं तुम मेरे बारे में क्या सोच रहे होंओगे,,,,( शीतल इस गलती से अनजान बनते हुए बोली लेकिन वह अच्छी तरह से जानती थी कि नितंब दर्शन के बाद बहुत ही अच्छी तरह से उसने अपने स्तन दर्शन भी शुभम को करा चुकी थी,,,, उसे शुभम के पेंट में बना तंबू देखकर इस बात का एहसास होने लगा कि कहीं उसी जवानी के थर्मामीटर का पारा पिघलना जाए इसलिए ऐन मौके पर वह अपनी चुचियों को ब्लाउज में कैद कर चुकी थी,,,, लेकिन वह यह बात को भी अच्छी तरह से जानती थी की उसके दोनों अंगों के दर्शन की वजह से उसने अपनी जवानी का जादु पूरी तरह से शुभम के ऊपर चला चुकी थी,,, शुभम पूरी तरह से,,,, उसकी जवानी के आगोश में सम्मोहित हो चुका था,,, शुभम मदहोश होते हुए बोला,,।
नहीं मैडम मैं तुम्हारे बारे में कुछ भी गलत नहीं सोच रहा हूं यह तो अनजाने मे हीं हो गया,,, अच्छा तो मैं अब जाऊं,,,,
लेकिन तुमने मेरी इच्छा ही कहां पूरी कीए हो जो जा रहे हो,,,,
कैसी इच्छा,,,,,
मैं तुम्हारे लंड को देखना चाहती हूं उसके साछात दर्शन करना चाहती हो मैं देखना चाहती हूं कि तुम्हारे लंड की मोटाई और लंबाई किस कदर तक औरत की बुर में हलचल मचा सकती है,,,,( शीतल जानती थी कि रिषेश पूरी होने वाली है इसलिए साफ-साफ बोल दी,,,,।)
लेकिन मैडम इधर,,,,
( शुभम के मुंह से इधर शब्द सुनकर शीतल समझ गई कि शुभम भी पूरी तरह से तैयार हो चुका है अपने लंड के दर्शन कराने के लिए बस थोड़ा सा झिझक रहा है,,, इसलिए वह उसकी झिझक दूर करते हुए बोली,,,।)
कोई बात नहीं सुभम ईधर तुम्हें किसी बात की डर नहीं है जब तक रिशेश की घंटी नहीं लग जाती तब तक कोई भी कमरे में नहीं आ सकता यह मेरी सख्त हिदायत है सभी विद्यार्थियों के लिए,,,
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