RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
लेकिन मैडम मुझे,,,,,
तुम बिल्कुल भी मत घबराओ देखो मुझे भी पता है कि तुम्हें यह सब अच्छा लग रहा है वरना पेंट में तुम्हारा लंड पूरी तरह से खड़ा नहीं होता,,,,
( शुभम भी अब बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहता था वह भी चाहता था कि जल्द से जल्द शीतल उसके हथियार को देखकर उसकी मर्दाना ताकत का जायजा ले ले ताकि जितना देखने के लिए बेताब है उसे अपनी बुर मे लेने के लिए तड़प उठे,,, इसलिए वह जानबूझकर करने का नाटक करते हुए धीरे-धीरे कांपते हाथों से अपने पेंट की बटन खोलने लगा और यह देख कर शीतल की सांसे ऊपर नीचे होने लगी वह दो कदम और आगे बढ़कर शुभम के बिल्कुल करीब खड़ी हो गई,,,, पल पल उत्तेजना का माहौल बढ़ते जा रहा था दोनों के बदन में ऊन्माद अपनी चरम सीमा पर थी,,, शीत शुभम की पेंट पर ही टिकी हुई थी जैसे-जैसे वह पेंट के बटन को खोलते जा रहा था वैसे शीतल की सांसे और तेज गति से चलती जा रही थी
शीतल से रहा नहीं जा रहा था वह जल्द से जल्द शुभम के लंड के दर्शन करना चाहती थी,,,,वह तंबु को देखकर इस बात का अंदाजा लगा चुकी थी कि शुभम का लंड आम लंड से कहीं ज्यादा गुना ताकतवर है,,,,। अगले ही पल शुभम पेंट के बटन को खोल कर पेंट को नीचे की तरफ सरका दिया अंडरवियर में उसका आकार साफ साफ नजर आ रहा था लेकिन अब शीतल पर सब्र करना बिल्कुल भी कठिन हो चुका था इसलिए वह आगे बढ़कर अपने ही हाथों से शुभम के अंडरवियर को एक झटके में नीचे जांगो तक सरकादी,,,
अंडरवियर के नीचे आते ही क्यों नजारा शीतल की आंखों के सामने आया उसे देखकर शीतल के होश उड़ गए उसकी सांसे अटक गई और उसका गला सूखने लगा,,,,, क्योंकि आज तक उसने ऐसा नजारा कभी नहीं देखा था,,,, यह नजारा पीतल की कल्पना के परे था और उसकी आंखें जो कुछ देख रही थी उसका दिमाग यह मानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं था कि एक जवान होते लड़के का लंड इतना मजबूत और इतना लंबा मोटा हो सकता है,,,,। उत्तेजना की कोई सीमा नहीं होती ना तो उस पर किसी का बस नहीं चलता है ना ही वह किसी के पाबंद की गुलाम है,,, इस बात को साबित करते हुए शीतल की बुर से मदन रस की दो चार बूंदे टपक पड़ी,,, जो कि इस बात का सबूत था कि शुभम के लंड को देखकर शीतल उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी,,, अंडरवियर को एक झटके से नीचे की तरफ खींचने की वजह से लंड में लहरपन आ गया था जिसकी वजह से शुभम का लंड दो तीन बार झटके खाते हुए ऊपर से नीचे की तरफ नजर आने लगा लेकिन उसका लंड इतना ज्यादा कड़क और टाइट था की इससे ज्यादा लहरा ही नहीं सका,, बस एकदम मुंह उठाए छत की तरफ देख रहा था,,,,
शीतल ने लंड ईतना ज्यादा कड़कपन कभी नहीं देखी थी,,
शीतल पूरी तरह से शुभम के लंड को देखकर एकदम सम्मोहित हो चुकी थी,,,,, तभी शुभम ने शीतल की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाते हुए लंड को अपने हाथ में लेकर उसे जोर-जोर से ऊपर से नीचे की तरफ हीलाने लगा,,,, शुभम की इस हरकत की वजह से और हवा में लहराते हुए लंड को देख कर शीतल की हालत पूरी तरह से खराब हो गई,,,, वह शुभम के मोटे लंड को अपने हाथ में लेकर उसकी गर्माहट को महसूस करना चाहती थी उसकी मोटाई को अपनी हथेली में महसूस करके यह अंदाजा लगाना चाहती थी कि यह लैंड उसकी बूर की दीवारों को कितना चौड़ा कर सकता हैं,,,,। इसलिए वहां शुभम के लंड को पकड़ना चाहती थी उत्तेजना के मारे उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी साथ ही उसकी पेंटी भी पानी पानी हो चुकी थी,,, शीतल अपनी अभिलाषा को पूरी करने के लिए उसे पकड़ने के लिए अपना हाथ आगे की तरफ बढ़ा रही थी शुभम को भी इसी पल का इंतजार था वह भी चाहता था कि शीतल अपने नरम नरम हाथों में उसके लंड को पकड़े,,, नाजुक नाजुक उंगलियों से उसे सहलाए,,,, और यही करने के लिए अपना हाथ लंड की तरफ बढ़ा ही रही थी कि,,,, तभी रीशेष पूरी होने की घंटी बज गई,,, घंटी की आवाज सुनकर शुभम को बहुत गुस्सा आया,,,, शीतल भी रिशेष पूरी होने की घंटी की आवाज सुनकर मायूस हो गई,,,,, शुभम के लिए अब वहां इस हालत में ज्यादा देर तक खड़े रहना उचित नहीं था क्योंकि किसी भी समय कोई भी क्लास में आ सकता था बहुत जल्दी से पेंट को ऊपर चढ़ाया और बटन बंद करके,,, शीतल से बिना कुछ बोले क्लास के बाहर चला गया।
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