RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
स्कूल में रिशेश की घंटी बज चुकी थी, और किसका इंतजार कर रहे हो लोगों में हलचल सी मची हुई थी। शुभम शीतल और विद्यार्थियों के मन की हालत कुछ असहज थी।
लेकिन इन सब में निर्मला ही बिल्कुल सहज थी क्योंकि उसे कुछ भी नहीं मालूम था कि उसकी पीठ पीछे उसकी क्लास के ही विद्यार्थी उसके बारे में बाथरूम में गंदी बातें सोच कर उसे बाथरूम में शौच करते हुए देखकर हस्तमैथुन करते हैं।
उसे यह सब बिल्कुल भी नहीं पता था इसलिए कुछ देर; अपनी क्लास में बैठी रही लेकिन बाहर दीवार के पीछे से खड़े होकर क्लास के आवारा लड़के क्लास में से निर्मला के बाहर आने का इंतजार कर रहे थे ।उन्ही में से एक लड़का बोला,,,
यार मैडम चली जाएंगी तो हम लोगों का क्या होगा।
तू सच कह रहा है यार मैडम जा रही है लेकिन मुझे तो ऐसा लग रहा है कि मेरे जिस्म से मेरी जान चली जा रही है।( दूसरा लड़का उसका साथ देते हुए बोला।)
यार सच कहूं तो मैं मुस्कुराता ही इसलिए हूं कि रिषेेश में मैडम की मदमस्त गोरी गोरी गांड के दर्शन कर सकूं। वरना स्कूल आने का कोई बहाना मेरे पास नहीं है क्योंकि पढ़ाई लिखाई तो अपने पल्ले पड़ती ही नहीं। ( वह दीवार की ओट से निर्मला की क्लास की तरफ देखते हुए बोला।)
तुझे क्या लगता है कि एक तू ही है जो यह सोचकर स्कुल आते है, हम सभी यही सोच कर स्कूल आते हैं वरना हमारे पास भी ऐसा कोई बहाना नहीं है कि रोज स्कूल आए,,, क्यों दोस्तों सही कहा ना मैंने,,,
हां यार तू बिल्कुल सच कह रहा है (आठ 10 लड़कों का झुंड जोकि निर्मला के इंतजार में वहां खड़ा था वह एक साथ बोल पड़ा)
सच कहूं तो सुबह सुबह मैडम की नंगी गोरी और बड़ी बड़ी गांड देख लेता हूं तो ऐसा लगता है कि पूरी दुनिया मैंने बाथरूम के छेद से देख लिया हूं। मेरा तो सारा दिन बड़े अच्छे से गुजरता है। दिन भर बस मेरी आंखो के सामने अपनी प्यारी मैडम की मदमस्त गांड ही घूमती रहती है।,,( वह पैंट के ऊपर से ही अपने खड़े लंड को मसलते हुए बोला।)
यार कसम से मेरी आंख सुबह सुबह जब बिस्तर में खुलती है तो मैं तो यही प्रार्थना करता हूं कि आज मैडम की गांड देखने को मिल जाए। और तो और मैं जब भी मैडम की बड़ी बड़ी गांड के बारे में कल्पना करते हुए मुठ मारता हूं तो उस दिन मेरे माल की पिचकारी बहुत दूर तक जाती है। जबकि ऐसा किसी दूसरे की कल्पना करते हुए करता हूं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता।( दूसरा लड़का आगे वाले लड़के की पीठ थपथपाते हुए बोला,, और आगे वाला लड़का बोला।)
यार हम लोग तो सिर्फ दूर से देख कर ही संतुष्ट हो जाते हैं लेकिन सोचो शुभम तो मैडम का ही लड़का है सारा दिन घर पर ही मैडम जी के साथ ही रहता हैं,,,,,
( तभी दूसरा लड़का उसकी बात को बीच में काटते हुए बोला)
तू कहना क्या चाहता है,,,,
सर मेरा कहना बिल्कुल साफ है देख इतना तो सभी जानते हैं कि घर पर हम मे से सभी ने घर की औरतों को कभी ना कभी तो पूरी तरह से नंगी देखा ही है।( तभी वह अपने साथ वाले लड़के की तरफ इशारा करते हुए बोला।) और इसमें तो अपनी मां को पूरी तरह से नंगी हो कर चुदवाते देखा है।
( उसकी बात सुनते ही जिसके बारे में बोल रहा था वह लड़का बोला।)
देख यह गलत है इसीलिए मैं तुझे कोई भी बात नहीं बताता,,
इसमें गलत क्या है तेरी मां तेरे पापा से तो चुदवा रही थी तो इसमें गलत क्या है ऐसा तो था नहीं कि तेरी मां तुझसे चुदवा रही थी।,,,, मैं तो सिर्फ यह बता रहा था कि हम में से सभी में घर की औरतों में से किसी न किसी को संपूर्ण रुप से नंगी दिखाई है या तो कपड़े बदलते हुए या नहाते हुए या तो फिर किस्मत अच्छी हो तो ऊन्हें चुदवाते हुए,,, क्यों भाई लोग मैंने सच कहा ना,,,।( वह अपने दोस्तों से अपनी बात मनवाते हुए बोला। उसके दोस्त भी सभी हां में सुर मिलाते हुए बोले।)
हां देखे हैं तो फिर,,,
तो फिर क्या तुम ही सोचो जब हम जैसे सभी ने अपने घर की औरतों में से किसी न किसी औरत को पूरी तरह से नंगी देखें हीे हैं तो क्या शुभम,,, अपनी मां को पूरी तरह से नंगी नहीं देखा होगा,,,,।
( उसकी बात सुनते ही उसके दोस्तों के दिमाग में जैसी घंटी बजी हो वह लोंग एक साथ बोलें,,,।)
हां यार कहं तो तू ठीक ही रहा है,,,
यही तो मैं कह रहा हूं,,, जब हम लोगों ने अपने घर की औरतों को नंगी देखा होता तो वह भी अपनी मां को नंगी देखा होगा तो सोचो और कितना खुश किस्मत वाला है किसी के बारे में हम दिन रात सोते रहते हैं जिसकी एक झलक पाने के लिए घंटों इंतजार करते हैं और तो और बाथरूम में जाकर दीवार की छेंद से किसकी मदमस्त नंगी गांड को देखने के लिए जिसके भराव दार नितंबों के साथ-साथ उसकी मानसून चिकनी जांघों के दर्शन के लिए मात्र इसी कारण से स्कूल आते हैं तो सोचो शुभम तो उसके साथ ही रहता है वह अपनी मां का क्या क्या देखा होगा वह भी अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देखा होगा हम लोग तो अभी तक सिर्फ उसकी चिकनी मोटी मोटी जाएंगे और उसकी बड़ी-बड़ी गोरी गांड को देखकर हम इतने दिनों से मुठ मारते आ रहे हैं,,, वह तो अपनी मां का सब कुछ देख चुका होगा उसकी नंगी मस्त गांड उसकी चिकनी मोटी जांघे,, जिस्म की मिट्टी पर छातियों के नाजुक डाल़ी पर उगे हुए दोनों बड़े-बड़े खरबूजे,,, जिसको आज तक हम में से किसी ने भी संपूर्ण रूप से अपने संभावित आकार में नग्न अवस्था में नहीं देख पाए हैं। वह उसके दोनों पके हुए खरबूजों को पूरी तरह से नंगी देख कर मस्त हो गया होगा,,, और तो और उसने तो हो सकता है अपनी मां की नंगी बुर को भी देख लिया होगा जिसके बारे में सोचकर हम तो बस उसकी गहराई में उतरने की कल्पना करके पानी निकाल देते हैं।,,, मुझे तो पक्का यकीन है कि उसने अपनी मां को चुदवाते हुए भी देखा होगा सोचो क्या नजारा उसकी आंखों के सामने होगा जब उसके पापा अपने लंड को खूबसूरती की मल्लिका निर्मला की चिकनी बुर में लंड डालकर उसको चोदता होगा शुभम का तो खड़े-खड़े ही पानी निकल जाता होगा,,,,
अबे बस कर यार इससे ज्यादा मत बोल वरना हम लोग का यही खड़े खड़े खाली सोचकर ही पानी निकल जाएगा,,,
( उनमें से उनका एक साथ ही बीच में ही बोल पड़ा उसके सभी दोस्त उसकी बात से पूरी तरह से सहमत थे और शुभम की किस्मत से जल भी रहै थै।,,, वह लोग आगे कुछ और बोल पाते कि तभी उन लोगों की नजर क्लास में से निकलती हुई उनकी सपनों की रानी,,, हुस्न की मल्लिका निर्मला बाहर आती हुई नजर आई उसको देखते ही उन लोगों की सांसे अटक गई साथ ही उन लोगों की पेंट में उनका लंड जोर मारने लगा,,,, उन लोगों की सांसे अटक गई और उनमें से ही एक ने बोला,,।
चचचचच,,, चुप,, हो जाओ कोई कुछ मत बोलना पहले मैडम को बाथरूम में जाने दो,,, उनके बाथरूम में घुसते ही हम लोग घुस जाएंगे,,,
( इतना सुनते ही उन लोगों में खामोशी छा गई और उन लोगों की नजरें जो कि बेहद प्यासी थी, वह निर्मला की नितंब नुमा कुएं पर टीक गई,, । वास्तव में निर्मला के नितंब मधुर जल से भरी हुई एक गगरी ही थी क्योंकि जब निर्मला चलती थी तो उसके नितंबों के दोनों फांक आपस में सटे हुए ही, चलने की वजह से इस तरह से ऊपर नीचे होते हुए हिलते हुए नजर आते थे कि,,मानो नितंब नुमा गगरी में से मधुर जल छलक रहा हो,, और यही निर्मला की छलकती हुई जवानी को देखकर यह लड़के मन ही मन प्रार्थना कर रहे थे कीे निर्मला की छलकती हुई जवानी के कुछ छींटे उनके ऊपर भी पड़ जाए जिससे कि वह पूरी तरह से तृप्त हो सके।,, निर्मला इन लड़कों से और उनकी प्यासी नज़रों से अनजान अपनी प्राकृतिक रूप से अपने कदम आगे बढ़ा रही थी जिसकी वजह से उसके नितंबों के दोनों गोले, आपस में टकरा रहे थे और उन दोनों गोलो के टकराने की वजह से,, आकर्षण रूपी गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा उन्हें लड़कों को अपनी तरफ खींच रही थी। निर्मला अपनी साड़ी को भी नितंबों के इर्द-गिर्द इतनी कसी हुई बांध देती थी की नितंबों का संपूर्ण आकार बड़ी आसानी से साड़ी के ऊपर ऊपस आता था। निर्मला बड़े आराम से बाथरूम की ओर चली जा रही थी,,, जैसे की निर्मला बाथरूम के दरवाजे के करीब पहुंची वैसे ही उसे देख रहे सारे विद्यार्थी चौकन्ने हो गए,,, और उसके बाथरूम में घुसते ही वह लोग बाथरूम में जाने के लिए चल पड़े,,,
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