RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
लेकिन वह तो अनजाने में हुआ था उस बात को लेकर के आप अभी तक परेशान क्यों है,,,।
अरे बुद्धू यही तो बात है तुम औरतों के मन को अभी कहां पहचानता है। औरत के लिए तो उसकी सारी खुशियां बस और बस मर्दों के पेंट मैं छिपे हुए हथियार में ही होती है। और तू यह नहीं जानता कि औरत की खुशियों का विस्तार भी मर्दों के लंड के विस्तार से ही होती है जितना लंबा लंड होगा औरत की खुशियों का विस्तार भी उतना ही ज्यादा होगा,,,, औरत क्या चाहती है मर्द की बस यही खुशी तो चाहती है कि मर्द उसे संपूर्ण रूप से संतुष्टि का एहसास करा सके,,,, उसे अपनी बाहों में भर कर इतनी गरम जोशी से पेश आएं कि उसकी हड्डीया तक चटक जाए,,,, जब वह अपने लंड को औरत की जांघों के बीच के नाजुक अंग में प्रवेश कराएं तो औरत पसीने से तरबतर होकर मर्द को अपनी बाहों में भींच लें।,,,, ( शीतल इस तरह की कामुकता भरी बातें करते हुए शुभम की तरफ मुंह करके खड़ी हो गई थी,, शुभम शीतल की ऐसी गर्म बातें सुनकर एकदम मदहोश हुआ जा रहा था।
उसकी मदहोशी को 4 गुना और ज्यादा बढ़ा रहे थे शीतल के बड़े-बड़े खरबूजे सामान उसकी नुकीली चूचियां,,, जो कि शीतल जानबूझकर गहरी सांसे लेते हुए इस तरह से अपनी चुचियों को ऊपर नीचे कर रहे थे कि शुभम की नजरें बस उसी पर टिकी रहे। और ऐसा हो भी रहा था शुभम पूरी तरह से शीतल की चूचियों से निकल रही आकर्षण रूपी ऊर्जा मैं खिंचा चला जा रहा था। शुभम शीतल की चूचियों को देखता हुआ बोला,,।)
मैडम आप कैसी बातें कर रही है मुझे ना जाने क्या हो रहा है।
मुझे मालूम है तुम्हें क्या हो रहा है तुम उत्तेजित हो रहे हो और यह तो स्वाभाविक है शुभम,,, यह स्वाभाविक पन तो जन्मो जन्म से चलता चला आ रहा है। खूबसूरत स्त्री की उपस्थिति में मर्दों को अक्सर उत्तेजना का अनुभव होने लगता है और वह पूरी तरह से उत्तेजित हो जाता है भले ही वह स्त्री किसी भी रुप में हो,,, चाहे वह उसकी भाभी हो उसकी बहन हो उसकी शादी हो या फिर उसकी मां ही क्यों ना हो,,, उसके खूबसूरत बदन उसके भरावदार नितंब और उसकी बड़ी बड़ी चूची को देखकर अक्सर मर्द उत्तेजना का अनुभव करते हैं। और इस समय बिल्कुल वही तुम्हारे साथ भी हो रहा है,,, । ऊस दीन तो तुम मेरी इच्छा पूरी नहीं किए और वैसे ही चले गए,,,,
कहां मैडम तुम्हारे कहने पर मैंने तुम्हें दिखाया तो था,,,,
लेकिन उसे छुने कहा दीए थे उसे पकड़ने कहां दिए थे उसे सहलाने कहां दिए थे,,,,( शीतल एकदम कामुकता भरे स्वर में बोल रही थी, जिसकी वजह से शुभम की हालत पल-पल खराब हुए जा रही थी।)
घघघघ,,,, घंटी बज गई थी । (शुभम घबराते हुए बोला)
किसकी तुम्हारी या स्कूल की ( शीतल लगभग हंसते हुए बोली)
स्कूल की,,,,
इसका मतलब तुम्हारी घंटी नहीं बजी थी,,,, तो तुम बहुत बहादुर हो,,, मर्दाना ताकत से भरे हुए मर्द हो,,,, तुम मुझे फिर से अपनी मर्दाना ताकत के दर्शन करा दो, मैं उसके दर्शन के लिए कब से तड़प रही हूं,,,,,
( शीतल की मादक गरम बातें सुनकर शुभम कुछ भी बोलने लायक नहीं था उसे इस तरह से खामोश देखकर शीतल बोली,,,।)
लगता है तुम मेरी प्यास नहीं बुझा ना चाहते लेकिन तुमसे तो अच्छा तुम्हारा यह लंड है देखो वह मेरी प्यास बुझाने के लिए कैसे देख रहा है। देखो कैसे पूरी तरह से खड़ा हो गया है।( शीतल शुभम के पेंट में बने तंबू को हाथ से सहलाते हुए बॉली,,,)
मममममम,, मैडम,,, ( शीतल के द्वारा लंड को पैंट के ऊपर से सहलाने की वजह से शुभम उत्तेजना भरे स्वर में बोला।)
क्या हुआ शुभम ( वह उसी तरह से पेंट के ऊपर से ही लंड को सहलाते हुए बोली,,,)
पता नहीं मैडम मुझे क्या हो रहा है,,,,
मुझे मालूम है तुम्हें क्या हो रहा है जिस तरह से मैं तुम्हारे बिना मिले को अपने हाथों में पकड़ने के लिए तड़प रही हो उसी तरह से तुम्हारा लंड दिया संतुष्ट होने के लिए मचल रहा है। ( इतना कहने के साथ ही वह शुभम की पेंट की बटन पर हाथ रखकर उसे खोलने को हुई कि तभी शुभम बोला,,,।)
ककककक, कोई आ जाएगा मैडम,,,,
कोई नहीं आएगा सुबह मैं तुमसे पहले भी बता चुकी हूं कि रिशेश पूरी होने तक इस क्लास में परिंदा भी पर नहीं मार सकता,,,, तुम कुछ दिनों के लिए गांव जा रहे हो अगर आज तुमने अपने लंड को संतुष्ट नहीं किए तो तुम तड़पते रहोगे और मुझे भी प्यासी छोड़ जाओगे तो जो मैं कर रही हूं उसे करने दो इससे तुम्हें भी आराम मिल जाएगा और मुझे भी सुकून मिल जाएगा,,,,( इतना कहते हुए शीतल शुभम की पेंट की बटन पूरी तरह से खोल दी शुभम की हालत पल-पल खराब हुए जा रहे थे उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी उसकी सांसें तीव्र गति से चल रही थी,, बेहद कामातुर हो चुका था इच्छा तो ऊसकी ऐसी हो रही थी की क्लाश में हम ही शीतल मैडम को पटक कर ऊसकी बुर मे लंड डालकर संतुष्ट हो जाए,,,, लेकिन ऐसा करना आदि उचित नहीं था क्योंकि यह क्लास थी अगर कमरा होता तो वह जरूर ऐसा कर देता क्योंकि वह जानता है कि शीतल मैडम उससे क्या चाहती हैं,,,। शुभम ब्लैक बोर्ड से सटकर खड़ा था और शीतल नीचे घुटनों के बल बैठीे हुए थी,, जहां से शुभम को उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और उसके बीच की गहरी लकीर साफ साफ नजर आ रही थी और जिसकी वजह से उसकी उत्तेजना में पल-पल बढ़ोतरी ही होती जा रही थी। कुछ ही सेकंड में शीतल ने शुभम की पेंट को अंडरवियर सहित उनके घुटनों तक सरकादी,,, हवा में सुभम का लहराता हुआ मोटा तगड़ा और लंबा लंड देखकर,,, शीतल की आंखों में चमक आ गई और इस बार वह कोई भी मौका गंवाना नहीं चाहती थी इसलिए तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर,,, शुभम के लंड को अपनी मुट्ठी में भरते हुए सिसकते हुए बोली,,,,
सससससस,,,, शुभम,,, तुम्हारा लंड एकदम घोड़े के लंड की तरह हो,, मैंने इतना मजबूत और तगड़े लंड की कभी कल्पना भी नहीं की थी। सच में तुम एकदम संपूर्ण रूप से असली मर्द हो हर औरत तुम्हारे लंड से चुदना चाहेगी,,,।
ओहहहहह शुभम,,, ( शीतल तो एक दम मस्त हो गई थी ऐसा लग रहा था कि उसका सपना पूरा हो रहा है वास्तव में उसने इस तरह के लंड की कभी कल्पना भी नहीं की थी,,, वह तों मदहोशी के आलम में शुभम के लंड को आगे पीछे करते हुए मुठिया रही थी,,,, शुभम एकदम कामातुर हो चुका था उसके बदन में हलचल सी मची हुई थी उत्तेजना के मारे वह कसमसा रहा था। वह कुछ भी बोल पाने की स्थिति में नहीं था। उसकी आंखों के सामने उसके खजाने को एक मदमस्त औरत अपने हाथों से लूट रही थी,,, पर वह कुछ कर पाने की स्थिति में भी नहीं था लेकिन वह खुद चाह रहा था कि ऊसके खजाने को यह औरत पूरी तरह से लूट ले।
औह शुभम,,, तुम तो मुझे अपनी पूरी तरह से दीवानी बना रहे हो,,,, ऐसा लंड अगर किसी औरत को मिल जाए तो वह तो पूरी दुनिया को पा ले,,,,,( शीतल शुभम के लंड को जोर-जोर से हिलाते हुए बोले क्या रही थी धीरे-धीरे उसके मन की लालच बढ़ती जा रही है।वह अब शुभम के लंड की पिचकारी देखना चाहती थी,,, वह यह देखना चाहती थी कि शुभम क्या कर रहे उसका गरम माल कितना निकलता है और उसकी पिचकारी कितनी तेज निकलती है,,,। क्योंकि उसने अब तक पिचकारी के नाम पर सिर्फ चंद बूंदे ही टपकते हुए देखीे थी,,,, इसलिए उसकी यह जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी। वह जोर जोर से शुभम के लंड को हिलाते हुए शुभम की तरफ देख रहेी थी, और शुभम भी एकदम मस्त होता हुआ प्यासी नजरों से शीतल को ही देखे जा रहा था।
शुभम भी यही चाह रहा था कि,,, उसकी लंड से पिचकारी निकल जाए वैसे को इस बात की उसे कोई भी दिक्कत नहीं थी क्योंकि वह घर जाकर भी अपनी मां की बुर में अपना लंड डालकर अपना पानी निकाल सकता था लेकिन वह शीतल के हाथों से आज अपना पानी निकलते हुए देखना चाहता था। उत्तेजना के मारे शीतल का चेहरा लाल टमाटर की तरह हो गया था वह बहुत ही जोर जोर से शुभम के लंड को हिला रही थी,,, लेकिन वह अच्छी तरह से जानती थी की,,,, रिसेस पूरी होने में बहुत कम समय रह गया है अब जिस तरह से जोर जोर से हिलाने सें भी शुभम का पानी नहीं निकल रहा है ऐसे मे तो रीशेश पूरी हो जाएगी और उसका पानी नहीं निकल पाएगा और एक बार फिर से उसकी इच्छा अधूरी रह जाएगी,,, इसलिए वह तुरंत अपना विचार बदल दी वह शुभम की तरफ देखीे तो वहां आंखें बंद किए हुएथाशुभम केलंड को मोटा सुपाड़ा देखकर शीतल की जीभ लपलपारही
शुभम के रसीले और ताजे लंड को देखकर पीतल के मुंह में पानी आ रहा था और वह अपना इरादा बदलते हुए अपनी लालच को रोक नहीं पाई और अगले ही पल शुभम के लंड के सुपाड़े को अपने मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दी,,,, शुभम के तो तन बदन में चिंगारी भड़कने लगी, शीतल की तरफ से इस तरह की हरकत के बारे में शुभम सोचा ही नहीं था। उसकी आंखें झट़ से खुल गई,,, वह शीतल की तरफ देखा तो वह उसके लंड को लॉलीपॉप की तरह,, लॉलीपॉप की तरह नहीं क्योंकि लॉलीपॉप पर छोटी होती है आइसक्रीम कौन की तरह मुंह में लेकर चूस रही थी। अगले ही पल शुभम की कमर अपने आप ही आगे पीछे हिलने लगी,,, एक तरह से शुभम शीतल के मुंह को चोद रहा था और शुभम की यह हरकत देखकर शीतल पूरी तरह से आनंदित हो गई और वह दुगना गति से शुभम के लंड को मुंह की गहराई तक उतार कर चूसना शुरू कर दि,,, उत्तेजना से दोनों परिपूर्ण हो चुके थे शीतल की बुर पानी पानी होकर कुलबुला रही थी। शीतल के मुंह की गति के साथ-साथ शुभम की कमर की गति भी बढ़ती जा रही थी और नतीजन शुभम ने एक जोरदार तीव्र गति से अपने लंड की पिचकारी शीतल के मुंह में मारना शुरू कर दिया,,,, एक पल के लिए तो शीतल इस तरह से मुंह में पड़ रही तेज पिचकारी की वजह से घबरा गई,,, क्योंकि उसने लंड से इतनी तेज पिचकारी की उम्मीद ही नहीं की थी लेकिन जो हो रहा था वह हकीकत था उसे स्वीकार करते हुए पीपल शुभम के लंड से गर्म पानी के पिचकारी को गटकने शुरू कर दी,,,, वह तब तक गटकती रही जब तक कि शुभम के लंड से एक-एक बूंद उसके मुंह में ना उतर आया हो,,,,, इस उत्तेजना भरी पिचकारी के साथ-साथ शीतल की बुर में भी पानी छोड़ दिया था उसे भी चरम सुख का एहसास होने लगा था दोनों एक साथ झड़ चुके थे, लेकिन शीतल इस बात से बेहद हैरान थी कि गुरु को बिना हाथ लगाए ही ऊसकी बुर पानी छोड़ दी थी,,,, जैसे ही दोनों संतुष्टि प्रदान किए वैसे ही विशेष पूरी होने की घंटी बज गई शुभम जल्दी-जल्दी अपना पैंट पहनकर क्लास से बाहर चला गया और घंटी बजने से पहले यही हाल बाथरूम में उन लड़कों का हो रहा था जो कि बाथरूम के छेद से निर्मला की जवानी को अपनी नजरों से पी रहे थे।
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