Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 03:02 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शीतल शुभम के मजबूत और तगड़े लंड को अपने मुंह में लेकर उसका पानी निकाल देने की वजह से कुछ हद तक संतुष्ट हो चुकी थी। उसके गाढ़े नमकीन पानी को अपने गले के नीचे उतार कर उसे ऐसा लग रहा था कि आज पहली बार उसने किसी मर्द के लंड को अपने मुंह में लेकर चूसी है। लेकिन इस प्रकार की संतुष्टि उसे अधूरी लग रही थी बल्कि इस तरह से तो उसकी प्यास और ज्यादा भढक़ चुकी थी। वह शुभम के मोटे तगड़े लंड को अपनी बूर के अंदर लेकर उसकी मोटे पन और उसकी गर्माहट को महसूस करना चाहती थी,,,,वह यह देखना और महसूस करना चाहती थी कि चल एक मोटा लंड बुर के अंदर धीरे-धीरे बुर की दीवारों को रगड़ता हुआ उसकी गहराई तक जाता है तो औरत को कैसा महसूस होता है।,,, उसके तन-बदन में किस तरह की चिंगारियां सुलगती है। बुर की गुलाबी पत्तियों को मोटा लंड किस तरह से रोेंदता हुआ,, बुर के कसेपन को फैलाता हुआ,, किस तरह से उसके आकार को बढ़ा देता है और जब बुर अपने आकार से विस्तृत होकर फेलता है तो औरत को किस तरह का दर्द होता है और उसे दर्द के पीछे छिपा हुआ आनंद की अनुभूति औरत को किस प्रकार से होती है यह देखने के लिए उसका मन मचल रहा था।,,, शीतल मन ही मन में अपने आप को कोस रही थी क्योंकि उसे इतना सुनहरा मौका मिला था लेकिन उसका पूरी तरह से फायदा नहीं उठा पाई थी,, यह ख्याल उसके मन में आते ही वह पैर. पटकने लगी थी। वह मन ही मन में यह सोच रही थी कि जितनी देर में उसने शुभम के मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसकर ऊसका पानी निकाल दी, इतनी देर में तो वह उसकी बुर में लंड डालकर मस्ती से ऊसकी चुदाई कर सकता था।,,, आज ही वह ं शुभम के मोटे लंड का मज़ा ले लेती।,, लेकिन इस तरह का सुनहरा मौका हाथ से निकल जाने की वजह से उसके पास हाथ मलने के सिवा और कुछ नहीं था,,, फिर भी वह अपने मन को इस बात से संतुष्टि दिला कर खुश थी कि शुभम पूरी तरह से उसके कब्जे में हो चुका था,,,। स्कूल में वह उसके कहने पर में अपने लंड को निकालकर उसके मुंह में चुसा सकता है तो उसके कहने पर वह कहीं भी आकर उसकी चुदाई भी कर सकता है।,, उसे यकीन था कि बहुत ही जल्द उसकी बुर एक मर्द के लंड से चुदने वाली है। उसे उस पल का बेसब्री से इंतजार था जब उसके बेटे की उम्र का लड़का उसको अपने हाथों से नंगी करता हुआ उसके खूबसूरत बदन को अपनी आगोश में भरेगा,,, उसके खूबसूरत गोरे बदन को चूम लेगा और उसके बड़े-बड़े चुचियों को अपने मुंह में भरकर किसी बच्चे की भांति पिएगा,,, और तब वह पल कितना सुहावना होगा जब वह उसकी जांघों के बीच बैठकर,, अपनी जीभ लगाकर उसकी बुर की गुलाब की पत्तियों के बीच किसी भंवरे के भांती,, उसके मदन रस को चूस कर अपनी प्यास बुझाएगा और उसे एक बेहद अतुल्य ऊन्मादक आनंद की अनुभूति कराएगा।,, उस पल के बारे में सोच कर ही उसका तन बदन गंनगाना जा रहा था।,,,,,

दूसरी तरफ लड़कों ने भी आज निर्मला की मदमस्त गांड का नजारा देखते हुए अपने चरम सुख को प्राप्त कर लिया था,,, उन लोगों की आंखें ऐसे नजारे को देखकर खुमारी से भर जाती थी जिस नजारे को देखने के लिए दुनिया को हर मर्द तड़पता रहता था,,,,। सुबह लोग अपनी आंखों को और खुद को बहुत खुशकिस्मत समझते थे,,,, जो उन्हें बेहद खूबसूरत औरत क्या खूबसूरत बदन उसकी भराावदार गांड और उस औरत को पेशाब करते हुए देख पाते थे। निर्मला की गोरी गोरी गांड को देखकर लड़कों ने ना जाने कितनी बार अपने लंड को हिलाकर उसका पानी निकाल दिया था जिसके बारे में निर्मला को भनक तक नहीं लगी थी।,,, निर्मला उन लड़कों की हरकत से अनजान थी हालांकि शुरु-शुरु में एक बार ऐसा लगा था कि दूसरी ओर से कोई उसे देख रहा है लेकिन इस बात को वह भूल चुकी थी और एक दम बिंदास होकर औपचारिक तरीके से वह बाथरूम में जाकर एकदम प्राकृतिक रूप से अपनी शाडी उठाती थी और पेशाब करने बैठ जातेी थी,,,, उसे क्या पता था कि दर्जनों जोड़े आंखें उसकी बड़ी-बड़ी गांड को देख कर मस्त हो रहे हैं,,। गांव जाने से पहले उन लड़कों के साथ-साथ शीतल अपने मन को कुछ हद तक मनाने में कामयाब हो चुकी थी,,,,, सुभम भी बेहद खुश था,,, और वैसे भी मर्द तो हमेशा खुश ही रहते हैं जब तक ऊन्हें औरत का प्यार और उसके खूबसूरत बदन को भोगने को मिलता रहता है तब तक होंगे दुनिया की किसी दूसरी चीज की आवश्यकता नहीं पड़ती। भले ही शुभम का लंड ऊसने अपने मुंह में लेकर उसका पानी निकाली थी,, लेकिन वह जिस तरह से अपनी कमर को हिला रहा था शीतल के गुलाबी होठों उसे बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच की फांक के बराबर ही लग रही थी। जो सुख उसे बूर चोदने में मिलता था,, वही सुख उसे आज क्लास के अंदर शीतल के गुलाबी होंठ के बीच लंड पेल कर मिला था। उसे अब पक्का यकीन हो चुका था कि बहुत ही जल्द उसे दूसरी औरत की रशीली बुर चोदने को मिलने वाली है,,, क्योंकि वह इतना तो समझ ही गया था की शीतल बेहद प्यासी औरत है,, और जिसे मुंह में लेने के लिए हॉठ खोलने में समय नहीं लगा तो उसके लंड को बुर में लेने के लिए अपनी टांगों को खोलने में बिल्कुल भी समय नहीं लगेगा,,,। वह भी बहुत खुश था और आने वाले पल के लिए बेसब्री से इंतजार करने लगा था।

घर पर गांव जाने के लिए,,, निर्मला कहीं खरीदी करने गई हुई थी,,, घर पर अशोक अकेला ही था पर वह भी जल्द से जल्द मधु के आने का इंतजार कर रहा था इसलिए तो वह निर्मला के साथ गांव जाने से इनकार कर दिया था क्योंकि वह गांव पहुंचती और मधु इधर उसके पास पहुंचती,,,, बहुत दिन हो गए थे उसे भी मधु के रसीली बुर का स्वाद चखें,,,,, वह घर में बड़े आराम से बैठकर मधु के साथ वह क्या-क्या करेगा इस बारे में सोच रहा था,,, लेकिन वहां अपनी जिंदगी में आने वाले तूफान से बिल्कुल अनजान था वह तो बड़ी बेसब्री से शुभम और निर्मला के जाने का इंतजार कर रहा था क्योंकि मधु के आने का समय निश्चित हो गया था कुछ दिन तक वह घर में ही रहकर अपनी बहन के साथ चुदाई का भरपूर आनंद ले लेना चाहता था। उसे इस बात का पक्का यकीन था कि मधु को इससे कोई भी एतराज नहीं होगा क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि जब वह अपने भाई से मदद की उम्मीद कर रही है तो उसका भाई बदले में उससे कौन सी इच्छा रखता है इसलिए मधु अपने आप को पूरी तरह से तैयार करके रखी थी,,, शादी से पहले वैसे भी वह अपने बड़े भाई के साथ चुदाई का भरपूर आनंद ले चुकी थी। तब तो उसकी कोई मजबूरी नहीं थी वह पूरी तरह से खुले विचार से परिपूर्ण थी लेकिन अब तो उसके पास मजबूरी है अगर वह चाहे भी तो अपनी खूबसूरत बदन को अपने बड़े भाई के हाथों में सौंपने से अपने आप को रोक नहीं सकती थी क्योंकि उसके लिए वैसे भी सारे दरवाजे बंद हो चुके थे उसके परिवार वाले उसे अपनाने से इंकार कर चुके थे और वह अपने पति का घर छोड़ कर आई थी,,,। और वह जिस तरह से अकेले रहकर नौकरी करके अपना खर्चा उठा रही थी दुनिया की प्यासी नजरों का अनुभव उसे अच्छी तरह से हो गया था,,,। इसलिए उसे फिर से अपने बड़े भाई से चुदने में कोई भी एतराज नहीं था बदले में उसे किसी बात की दिक्कत तो नहीं होती,,, ना तो खाने की दिक्कत और ना ही रहने की दिक्कत और ना ही जेब खर्च की दिक्कत वरना जहां वहां अकेले रहकर अपनी जिंदगी जी रही थी वहां तो दूध वाला,,, राशन वाला मकान मालिक सभी लोग उसके खूबसूरत बदन को अपनी प्यासी नजरों से चाटते रहते थे कभी कभार समय पर पैसा ना चुका पाने की स्थिति में,,, उसे अपने बिस्तर में आने का लुभावना प्रस्ताव भी रखते थे,,,,। लेकिन उन लोगों के आधीन होने के लिए मधु का मन नहीं मानता था। वह अपनी जिंदगी को कोसने लगी थी कि कैसा दिन उसका आ गया है कि उसके शरीर को भोगने के लिए एक दूधवाला राशन वाला और मकान मालिक ललचाई नजरों से उसे देखते रहते हैं। कुछ एक बार तो उसे अपने आप से समझौता करके मकान मालिक के अधीन होना पड़ा था। लेकिन एक बार मकान मालिक का बिस्तर गर्म करने की वजह से मकान मालिक कहां खुल चुका था और वह बार-बार उसे धमकाते हुए उसे चुदवाने के लिए मजबूर करता रहता है यह सब से तंग आकर वह अपने भाई का सहारा लेकर उसके पास आने के लिए तैयार हो चुकी थी हालांकि इधर भी उसे अपने भाई के साथ वही सब करना पड़ता जो वह मकान मालिक के साथ कर रही थी,,,,। लेकिन वहां उसे बदनाम होने का पूरा डर था। बल्कि वहा तो वह. मोहल्ले में धीरे-धीरे बदनाम होने लगी थी। लेकिन उसे यकीन था कि वह अशोक के पास निश्चित तौर पर सुरक्षित रहेगी।,,,

अशोक मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रहा था। उसके घर के गेट के बाहर तभी एक कार बड़ी तेजी से आकर रुकी 15 20 कदम के फासले पर और हां शुभम उस कार को अपने घर के दरवाजे के सामने खड़ा होता देखकर सोच में पड़ गया कि आखिर यह है कौन तभी कार में से रीता बाहर निकली और शुभम की नजर उस पर पड़ते ही वह,,, समझ गया कि यह तो ऑफिस वाली औरत है,,,,। ऊसका इस तरह से घर पर आना शुभम को बड़ा अजीब लग रहा था और जिस तरह से उसका चेहरा गुस्से में लाल लाल दिख रहा था इससे ऊसे समझते देर नहीं लगी कि आज कुछ तो गड़बड़ होने वाली है,,,,, शुभम को यह लग रहा था कि उसकी मम्मी घर पर ही होगी और आज यह औरत जरूर कुछ ना कुछ बखेड़ा खड़ा करेगी,,,, लेकिन फिर उसके मन में आया कि कहीं ऐसा तो नहीं मम्मी घर पर जाओ और पापा ने उस औरत को घर पर बुलाकर उसके साथ रंगरेलियां मनाने का मन बना लिया,, हो। वैसे भी मर्द जात का कोई भरोसा नहीं होता और वह अक्सर औरतों के प्रति उनका मन चंचल ही होता है,,। लेकिन रीता के चेहरे को देखकर शुभम को कुछ विरोधाभास होने का अंदेशा लग रहा था। वह भी यह देखने के लिए उत्सुक था कि क्या होने वाला है। इसलिए वह वही रुका रहा और उसके घर में जाने का इंतजार करने लगा जैसे ही वह गेट खोल कर अंदर गई शुभम धीरे-धीरे अपने घर की तरफ जाने लगा।


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