Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 03:04 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला और शुभम अपनी कार में बैठ गए और निर्मला ने तुरंत गाड़ी का गियर बदलते हुए आगे की तरफ बढ़ गई। निर्मला के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई थी क्योंकि जिस तरह के हालात इस समय उसके सामने आए थे, शायद इस तरह के हालात उसके आंखों के सामने पहले कभी भी नहीं आया था। इस तरह से खुले में किसी ढाबे के पीछे बैठ कर पेशाब करने का अनुभव उसे बड़ा ही उत्तेजनात्मक और कामोत्तेजना से भरपूर लग रहा था ऐसा नहीं था कि पहले वह किसी आंखो के सामने अपने नितंबों का प्रदर्शन करते हुए पैशाब की हो, क्योंकि अभी तक स्कूल में रोज ही उसे इस तरह के हालात का सामना करना पड़ता था या यूं कह सकते थे कि निर्मला को इस तरह के हालात में ही पेशाब करने का अपना अलग ही मजा मिल रहा था।,,, वह रोड पर स्टीयरिंग को इधर-उधर घूमाते हुए उस पल को याद करके पूरी तरह से गंनगना जा रही थी। वास्तव में यह भी एक बड़ा ही अजीब पन होता है जब एक औरत मजबूर होकर ऐसे हालात में खुले में पेशाब करती है जबकि उसे यह पता होता है कि उसे
उसे तीन चार लोग पेशाब करते हुए देखकर उत्तेजना के चरम शिखर पर पहुंच चुके होते हैं और ना जाने कैसे-कैसे ख्यालात उसके बड़े-बड़े नितंबों को देखकर मन ही मन में करते रहते हैं। निर्मला यही सब सोचते हुए बड़ी सफाई से अपने हाथ को स्टेरिंग पर घुमा रहे थे बार-बार उसके मन में वह पल याद आ जा रहा था जब वह यह सब जानते हुए भी कि ढाबे पर बैठे हुए कुछ लोग उसकी तरफ देख रहे हैं फिर भी मजबूरीवश वह उन लोगों के सामने अपनी साली को उठाकर और अपनी बड़ी-बड़ी गोरी गांड के दर्शन उन लोगों को कराते हुए पेशाब करना पड़ रहा था । यह सब मन ही मन सोचते हुए वह मुस्कुरा रहीे थी,, निर्मला को इस तरह से मुस्कुराता हुआ देखकर शुभम बोला।

क्या हुआ मम्मी ऐसे क्यों मुस्कुरा रही हो?

क्या करूं बात ही कुछ ऐसी है कि ना चाहते हुए भी हंसी आ रही है।

क्या बात है मुझे तो बताओ।

अरे जब मुझे बहुत जोर की पेशाब लगी थी तो मुझे ढाबे के पीछे मूतने के लिए जाना पड़ गया था,।

तो इसमें क्या हुआ ? (शुभम अपनी मां की तरफ आश्चर्य से देखता हुआ बोला ।)

अरे पहले सुन तो सही ऐसे तो मैं वहां जाने वाली नहीं थी। लेकिन एक औरत उस तरफ जा रही थी तो मुझे भी थोड़ी हिम्मत हुई ओेर मै भी उसके पीछे पीछे चल दी। लेकिन जैसे ही मैं पेशाब करने के लिए अपनी साड़ी को कमर तक उठाने के लिए हुई की,, मेरी नजर ऊन बेशरम आदमियों पर पड़ी जो कि मेरी तरफ ही देख रहे थे और आपस में कुछ फुसफुसा रहे थे। मुझे पहले तो बहुत शर्म आई लेकिन तभी मुझे पेशाब कभी प्रेशर इतनी जोरो से लगा था कि उन लोगों के सामने खुलकर मूतने के सिवाय मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था।
(शुभम अपनी मां की ऐसी बातों को सुनकर मंद मंद मुस्कुरा रहा था और साथ ही उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी जिससे कि उसके पेंट के आगे वाला हिस्सा अपने आप उठने लगा था)

फिर तुमने क्या की मम्मी?

मैंने क्या किया मुझे थोड़ी ना अपनी पेंटिं गीलीं करना था मैं भी कुछ देर के लिए एकदम बेशर्म बन गई और ना चाहते हुए भी अपनी साड़ी को कमर तक उठा कर मुतने में बैठ गई।
( ऐसा कहकर निर्मला फिर से मुस्कुराने लगी और अपनी मां को इस तरह से मुस्कुराता हुआ देखकर शुभम ंबोला)

तुम सच में मम्मी एकदम बेशर्म हो लेकिन एक बात तो एकदम तय है कि तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड को देखकर उन लोगों का लंड खड़ा हो गया होगा और उन लोगों में से कितनों का तो पानी निकल गया होगा।


हां हो सकता है । क्योंकि मेरी बुर भले ही पेशाब की धार फेंक रही थी लेकिन मेरी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी ना जाने मेरे बदन में कैसी हलचल मची हुई थी उन लोगों के सामने पेशाब करते समय,,( ऐसा कहते हुए निर्मला की नजर शुभम की पेंट की तरफ गई जिसमें तंबू बन चुका था और एक बार फिर से अपने होठों पर मादक मुस्कान बिखेरते हुए निर्मला बोली।)

तेरा भी तो खड़ा हो चुका है।

मेरा तो हमेशा ही खड़ा रहता है ना जाने कब जरूरत पड़ जाए।

कैसी और किसको जरुरत पड़ जाए। ( निर्मला जानबूझकर अनजान बनते हुए बोली।)

अरे उसी को जिसकी बूर इस समय एकदम गीली हो चुकी है।


नहीं ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं है । (निर्मला मुस्कुराते हुए बोली,, निर्मला अपनी बुर की गीलेपन को भाप गई थी इसलिए वह बार-बार अपने हाथ से अपनी पैंटी को एडजस्ट कर रही थी।)

अब इतना भी अनजान मत बनो मेरी जान अब तो मैं तुम्हारी नस नस से वाकिफ हो चुका हूं मैं जानता हूं कि तुम्हारी बुर ईस समय पानी फेंक रही है और एकदम लंड के लिए तैयार हो चुकी है।


अब तो सच में तू बहुत बड़ा हो चुका है।

तो क्या मेरी रानी ऐसी मद मस्त बुर को चोद चोद कर पानी निकाल देना किसी बच्चे का खेल नहीं है।
( अपने बेटे की जैसी मर्दाना भरी बात को सुनकर निर्मला मुस्कुराने लगी और गर्वित होने लगी।)

मुझे तो सच में इस समय तेरे लंड की बहुत जरूरत हो रही है जी में आ रहा है कि गाड़ी का स्टेरिंग छोड़कर तेरी लंड पर बैठ जाऊं।

तो आजा मेरी जान मेरी रानी देर किस बात की है । (इतना कहने के साथ ही सुबह जल्दी से अपने पैंट की चैन खोलकर लंड को बाहर निकालकर हिलाने लगा यह देखकर निर्मला से बिल्कुल भी रहा नहीं गया और वह एक हाथ से स्टेरिंग को संभालते हुए दूसरे हाथ से अपने बेटे के लंड को पकड़कर मुठीयाने लगी। )

सच में रैं तु तो बहुत गर्म हो चुका है।

ईतने करीब बेहद गर्म जवान बदन वाली औरत बैठी हो तो कौन गरम नहीं हो जाएगा।( उत्तेजना से अपने सुखते गले को थुक से गीला करने की कोशिश करते हुए बोला।)

चल बहुत बातें बनाता है।( इतना कहते हुए निर्मला एक हाथ से स्टेरिंग को संभाल रही थी तो दूसरे हाथ से गेयर की जगह अपने बेटे के मोटे लंबे लंड को इधर-उधर घूमाते हुए मसल रही थीे । निर्मला जिस जोश के साथ अपने बेटे के लंड को मसल रही थी और इधर-उधर घुमा रही थी इतनी गर्म जोशी के साथ तो वह आज तक कार के गियर को भी नहीं बदली थी। हां इधर इतना फर्क जरूर था कि गाड़ी के गियर बदलने से गाड़ी के हालात उसकी रफ्तार उसकी चाल में उतार चढ़ाव आता है और इधर लंड को इधर उधर ऐंठने से निर्मला के बदन में भी गजब का मादक उतार-चढ़ाव आ रहा था उसकी सांसो की गति तेज होती जा रही थी और बुर से पानी का रिसाव निरंतर बढ़ता जा रहा था। लंड की मोटाई को अपनी हथेलियों में मापते हुए जैसे कि उसे कुछ याद आया हो और वह तुरंत बोली।

अरे तुझे एक बात बताना तो मैं भूल ही गई।

कौन सी बात मेरी जान ( शुभम एकदम मस्त होता हुआ अपने दोनों हाथ को पीछे सीट पर टीकाते हुए अंगड़ाई लेने के अंदाज में बोला।)

अरे जब मैं वहां बैठकर पेशाब कर रही थी तो बिल्कुल मेरे करीब एक और औरत बैठकर उस झाड़ी में पेशाब कर रही थी। लेकिन जब वह पेशाब करते करते यह बोली कि " बाप रे बाप इंसान का लंड है या गधे का" तब मैं बिल्कुल हैरान हो गई कि आखिर वह बोल क्या रही है । (निर्मला लगातार अपने बेटे के लंड को मुठ्ठीयाते हुए बोल रही थी।)
लेकिन जब में उसकी नजरों का पीछा करते हुए कुछ ही दूर पर झाड़ियों की तरफ देखी तो मैं हैरान हो गई क्योंकि उन झाड़ियों के पीछे खड़े होकर तु पेशाब कर रहा था। और सच कहूं तो उस समय उस औरत की बात को सुनकर मुझे बड़ा गर्व महसूस हो रहा था क्योंकि वह जिस दिन की तारीफ कर रही थी वह मेरे बेटे का लंड था ।और उसी लंड पर मेरा पूरी तरह से हक और कब्जा हो चुका था।( निर्मला ऐसी बातें करते हुए जोर-जोर से अपने बेटे के लंड को मसल रही थी और अपनी मां के नरम नरम उंगलियो और गर्म हथेलियों की रगड़ पाकर शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था। और गर्म सांसे छोड़ते हुए बोला।

ओहह मम्मी ऐसे तो तुम मेरा पानी निकाल दोगी।

आंह हां,,,,,, ऐसा मत करना अपना यह पानी संभाल कर रखो अभी बहुत काम आएगा। देखो शाम ढल चुकी है। अंधेरा होने वाला है और रात को मैं गाड़ी
नहीं चला पाऊंगी क्योंकि सुबह से चलाते चलाते थक चुकी हूं।
थोड़ी ही देर में शहर शुरू हो जाएगा और हम अच्छा सा होटल देख कर वहीं रुक जाएंगे और आराम करने के बाद सुबह निकलेंगे तब तक हम लोगों को थोड़ा सुकून भी मिल जाएगा और तुम्हारा जो यह पानी है बेकार नहीं जाएगा (निर्मला लंड की तरफ इशारा करते हुए बोली)

थोड़ी ही देर में शहर आ गया गांव जाने के लिए इस शहर से होकर गुजरना पड़ता था जिसका पूरी तरह से निर्मला को पता था और वैसे भी रात को अक्सर निर्मला बहुत जरूरी होता है तभी ड्राइविंग करती है। उन दोनों को भूख भी लगी थी सड़क के दोनों तरफ छोटी-छोटी होटल में बनी हुई थी जिसके मीनारें पर जगमगाती हुई लाइटें उस होटल का नाम बयां कर रही थी। या छोटी छोटी होटल लगभग गेस्ट हाउस ही था जिसमें लोग घंटे 2 घंटे के लिए ही कमरा बुक करते थे और अक्सर इनमें कॉल गर्ल्स ही आाती थी। निर्मला भी एक अच्छे से होटल में अपनी कार को प्रवेश करा कर पार्किंग में खड़ी कर दी। कार से बाहर निकलकर निर्मला और शुभम दोनों होटल के अंदर प्रवेश करने लगे। होटल के इर्द-गिर्द खड़े लोगों की नजर निर्मला और शुभम पर ही टिकी हुई थी। निर्मला का गदराया बदन और उसकी खूबसूरत उफनती जवानी को देख कर उन लोगों की अाह ही निकल जा रही थी
निर्मला को देखकर सभी लोग आपस में खुशर फुसर करने लगे ज्यादातर की नजरें निर्मला की बड़ी-बड़ी गांड पर ही टीकी हुई थी। लड़के और लड़कियों का जमावड़ा अगल-बगल देखकर शुभम को कुछ ज्यादा समझ में नहीं आ रहा था लेकिन निर्मला कुछ-कुछ समझ रही थी कि यह सब क्या है आनन फानन में वह काउंटर तक पहुंच गई। काउंटर मेन की नजर जैसे ही निर्मला पर पड़ी वह तो हक्का-बक्का रह गया और उसकी खूबसूरत चेहरे को तो कभी साड़ी में से झांकती हुई इसकी बड़ी-बड़ी दोनों जवानियों को देख कर पिघलने लगा था। अपने थूक को गले में गटकते हुए काउंटर मेन बोला।
मे आई हेल्प यू मैम।

मुझे कमरा चाहिए।

कितने घंटे के लिए?

मतलब (निर्मला नर्वस होते हुए बोली)

मेरा मतलब1 घंटे के लिए या 2 घंटे के लिए या फिर 3 घंटे के लिए

निर्मला को उस काउंटर में उनकी बात सुनते ही सारा मामला समझ में आ गया था वह समझ गई थी यहां अक्सर लोग अपनी प्यास बुझाने ही आते हैं तभी तो यहां घंटे के हिसाब से कमरा बुक करता है निर्मला की हालत खराब होने लगी थी यहां से वापस जाना भी ठीक नहीं था। क्योंकि उसे एहसास हो गया था कि यहां पर जितने भी होटल है सभी इसी तरह की है। पर यहां तो वहां अनजाने में आ गई है लेकिन अगर इधर से किसी दूसरी होटल की तरफ करी तो उस होटल में कदम रखने के लिए उसके पास अब इतना हिम्मत बिल्कुल भी नहीं है इसलिए वहां सारा मामला समझते हुए भी अनजान बनते हुए बोली।

2 घंटा 3 घंटा क्या होता है मुझे पूरी रात के लिए कमरा चाहिए।

( निर्मला की बात सुनते ही उस काउंटर मेन का मुंह खुला का खुला रह गया और वह ज्यादा कुछ बोल नहीं पाया बस इसके मुंह से इतना ही निकला।)
बाप रे और इतना कहते हुए वहां निर्मला से उसका नाम पुछकर कमरे की चाबी उसे थमाते हुए बोला।

मैं ज्यादा तो कुछ नहीं पूछ लूंगा मैडम बस इतना जानना जरूरी चाहूंगा कि इस लड़के ने तुम्हें लाया है या तुम इसे लाई हो।
( उस काउंटर मेन की बात सुनकर निर्मला के बदन में हलचल सी मच ने लगी एक अजीब सा एहसास उसके तन बदन को झकझोर कर रख दे रहा था। उसकी बात सुनते ही उसके तन बदन में रंगीनियां छाने लगी और वह मन ही मन में सोचने लगी कि जब ओखली में सर दे ही दिया है तो घबराने से क्या फायदा इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोली

मैंने इसे लाई हो।( इतना कहने के साथ ही वह मुस्कुराते हुए सीढ़ियों की तरफ जाने लगी जहां पर काउंटर मेन ने उंगली से इशारा किया था। लेकिन जाने से पहले वहां खाने का ऑर्डर भी दे चुकी थी ज्योति काउंटर मैंने उसे 15 मिनट में ही खाना उसके कमरे में पहुंच जाएगा इतना कहकर उसे तसल्ली दिया था। शुभम कि समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि आखिर यह सब मामला क्या है वह बस अपनी मां के पीछे पीछे चला जा रहा था जैसे ही निर्मला कमरे के सामने पहुंची तो वह उत्तेजना के मारे पूरी तरह से गनगना गई। आज जिंदगी में पहली बार इस अद्भुत एहसास से वहां गुजर रही थी उसे पूरी तरह से समझ में आ रहा था कि वह काउंटर मेन और इर्द गिर्द खड़े लोग उसकी तरफ देखकर उसे क्या समझ रहे थे। इसलिए तो उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और पैंटी की भी हालत खराब हो चुकी थी। निर्मला जल्दी से चाबी लगाकर दरवाजा खोलकर कमरे में प्रवेश करी और पीछे-पीछे शुभम भी कमरे में आ गया। मम्मी मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है आखिर यह सब हो क्या रहा है।
( निर्मला अपने बेटे की तरफ देखी जो की पूरी तरह से आश्चर्य में ही था उसे देख कर मुस्कुराते हुए बोली।)

बेटा तू जानता है यह होटल, लहोटल ना हो करके एक गेस्ट हाउस ही है। और यहां पर लोग अक्सर घंटे 2 घंटे के लिए ही कमरा बुक करते हैं।
( शुभम को कुछ कुछ समझ में आ रहा था लेकिन पूरी तरह से कुछ भी क्लियर नहीं था इसलिए अभी भी उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव साफ नजर आ रहे थे इसलिए निर्मला बोली)
शुभम ईधर पर मर्द लोग लड़कियों और औरतों को कमरे में लेकर आते हैं और उन्हें चोदकर अपनी प्यास बुझाते हैं। और इसलिए ही यहां पर कमरा घंटे 2 घंटे के लिए बुक होता है।

और तू जानता है कि वह मुझे क्या समझ रहा था?
( शुभम आश्चर्य से ना में सिर हिलाते हुए निर्मला की तरफ देखते हुए जवाब दिया।)

वह मुझे धंधेवाली समझ रहा था। और सबसे बड़ी बात यह कि यहां पर तो अक्सर आदमी लोग ही औरतों को लाते हैं उसे ऐसा लग रहा था कि मैं तुझे यहां लेकर आई हूं इसलिए तो यह सोचकर ही उसकी हालत खराब हो रही थी और वह भी पूरी रात के लिए।
( यह सुनते ही शुभम का मुंह कैसे खुला का खुला रह गया और उत्तेजना की वजह से उसका लंड पैंट में गदर मचाने लगा। शुभम कुछ कह पाता इससे पहले ही कमरे की घंटी बजने लगी बाहर वेटर खाना लेकर आया था।)


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