RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
तू सच कह रही है मेरी जान मैं सच में अपनी मां को चोदा हुं और उसी नें तो मुझे चोदना सिखाया,,,, नहीं तो मैं भला कहां जान पाता कि बुर किसे कहते हैं कैसी होती है चूची किसे कहते हैं कैसी दिखती है चुदाई क्या होती है। लेकिन आज जितना भी मैं सीखा हूं आज सब कुछ मैं तुझे दिखाऊंगा रंडी,,,,, देखना आज मैं तेरी बुर में पूरा घुस जाऊंगा तो तुझे इतना मजा दूंगा कि तू दिन रात मेरे लंड के लिए तड़पेगी।
तो देर किस बात की है भड़वे अाजा चढ़ जा मुझ पर मैं भी तो देखु सच में तुझे बातें करना ही आता है या चोदने भी आता है।
( इतना कहने के साथ ही एक बार फिर से निर्मला ने अपनी टांगे फैलाकर अपने मुख्य द्वार को शुभम की आंखों के आगे कर दी जिसे देख कर सुभम एक दम से चुदवासा हो गया,,, शुभम भी जल्दी से अपनी पोजीशन बनाते हुए टांगों के बीच पहुंच गया और दोनों हाथों से अपनी मां की मखमली टांगो को पकड़ कर अपनी जांघों पर चढ़ाता हुआ अपने मोटे तगड़े लंड के सुपाड़े को बुर के बीचो-बीच टीकाकर एक जबरदस्त करारा झटका मारा और समूचा लंड एक ही झटके में पूरा का पूरा बुर में समा गया। एक साथ हुआ जबरदस्त हमला निर्मला झेल नही पाई और उसके मुंह से चीख निकल गई।
ओहहहहहहह,,,,, मां ,,,,,,, मर गई रे हरामजादे,,,,,,, ससससससस,,,,,, सच मे,,,,, आदमी का लंड है या गधे का,,,, हरामजादे,,,,, भोसडी़ के,,,,, आहहहहहहहह,,,,,
चुप सालीे रंडी अभी तुझे दिखाता हूं अपने लंड का असली ताकत अभी तो सिर्फ घुसा है,,, अब तो तुझे जम कर चोदूंगा,,, तब तो तू और ज्यादा चिल्लाएगी (इतना कहने के साथ ही वह लंड को बाहर की तरफ निकालकर फीर से जोरदार धक्का मारा और एक बार फिर से उसकी चीख गुंजने लगी। इसके साथ ही शुभम अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया बड़ी तेज रफ्तार के साथ उसका लंड बुर के के अंदर बाहर हो रहा था।।
साथ ही निर्मला की गर्म सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थी। दोनों तरफ से गंदी गंदी गालियों की बौछार हो रही थी जिससे उन दोनों का मजा दुगना बढ़ता जा रहा था। कुछ देर तक यूं ही चोदने के बाद शुभम बोला,,,
चल अब कुत्तिया बन जा साली,,, तुझे मे पीछे से चोदूंगा
मैं भी देखना चाहता हूं कि पीछे से तेरी बड़ी-बड़ी गांड चोदने में कितना मजा आता है।
( इतना सुनते ही निर्मला सिहर उठी क्योंकि शुभम गांड चोदने की बात कर रहा था इसलिए वह बोली।)
ननननन ना,,, ऐसा मत करना वहां बहुत दुखेगा,,,,
बस इतने से डर गई मेरी जान तू चिंता मत कर मैं वहां नहीं डालूंगा क्योंकि मैं देख रहा हूं कि तेरा छेंद बहुत छोटा है मेरा लंड घुस ही नहीं पाएगा।( इतना सुनने के बाद निर्मला को इत्मीनान हुआ और वह तुरंत घोड़ी बन गई अपनी मां की बड़ी-बड़ी और गोरी गांड को देखकर शुभम का मान एकदम से ललच उठा और वह तुरंत एकदम पीछे जाकर के अपने दोनों हाथ से अपनी मां की गोरी गोरी गांड पकड़कर लंड का सुपाड़ा बुर से सटाकर अंदर डाल दिया,,, एक बार फिर से
दोनों के चेहरे पर संतुष्टि जनक एहसास साफ झलक रहा था। ना तो निर्मला ने और ना ही शुभम ने कभी जिंदगी में इस तरह की कभी कल्पना किया था की उनके साथ ऐसा कुछ होगा। बेहद अद्भुत और अकल्पनीय रात्रि संगम बेहद आनंददायक एहसास दोनों के तन-बदन में गुदगुदी कर रहा था। दोनों के बीच बहुत ही गहरा रिश्ता बन चुका था जो कि एक पति पत्नी के बीच ही होता है दोनों एक दूसरे में समाने के लिए हमेशा तत्पर ही रहते थे जहां मौका मिला नहीं की दोनों एक दूसरे की आगोश में खो जाते थे। निर्मला के चेहरे पर मुस्कुराहट तेर रही थी क्योंकि रात में जिस तरह का वह चरित्र निभाई थी उस तरह कि उसने कभी भी सपने में नहीं सोची थी। निर्मला ने वाकई में बिल्कुल कॉल गर्ल की तरह ही, अपना चरित्र निभाई थी जिसमे की अश्लील वार्तालाप के साथ साथ गंदी औरतों का रंडी पन भी साफ झलक रहा था। कुछ ही देर में दोनों शहर से दूर आ चुके थे अब गांव की हद शुरू होने वाला था।
सुबह की ठंडक धीरे धीरे कम हो रही थी और दोपहर की चिलचिलाती धूप अपना असर दिखा रहीे थी। गर्मी की कड़कती धुप मे भी निर्मला के बुर की नमी बरकरार थी। वाकई में निर्मला बहुत ही प्यासी औरत थी जिसने वर्षों तक अपने प्यास को ऐसी सुराही में दबा कर रखी थी,, जिसका पानी एकदम रसीला और मीठा हो चुका था और वह अपनी जवानी की सुराही के मीठे रस से अपने ही बेटे को भिगो रही थी। और उसकी प्यास बुझा भी रही थी और अपने प्यास को और भी ज्यादा बढ़ा रही थी । निर्मला और शुभम ईस सफर का पूरी तरह से आनंद लेते हुए आगे बढ़ रहे थे। आज सुबह से भी यह दोनों कई घंटों का सफर तय कर चुके थे। शुभम की हालत खराब हो रही थी क्योंकि गर्मी काफी थी। शुभम परेशान होता हुआ बोला।
क्या मम्मी अभी कितना दूर होगा मेरी तो हालत खराब हो गई है और गर्मी भी कितनी ज्यादा है।
बस बेटा थोड़ी देर और अपना गांव शुरू होने वाला है। (निर्मला स्टीयरिंग संभालते हुए बोली) मैं जानती हूं यहां गर्मी बहुत है लेकिन सच बताऊं तो गांव में मजा भी बहुत आता है। और मजा लेने के लिए थोड़ी बहुत परेशानी तो उठानी पड़ती है।
तुम सच कह रही हो मम्मी अब देखो ना,,, कहां पता था कि हम दोनों को इस तरह से होटल में रुकना पड़ेगा और वह भी मुझे एक ग्राहक के तौर पर और तुम्हें कॉल गर्ल के तौर पर लेकिन सच कहूं तो मजा बहुत आया मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि, होटल में इस तरह से चुदाई का कार्यक्रम होगा।
सच रे बहुत मजा आया एक अजीब सा एहसास होने लगा है,,, मेरे तन-बदन में तो अभी भी ना जाने कैसे झुनझुनी सी मची हुई है। धंधा करने वाली औरतें किस तरह से अपने ग्राहकों को खुश करतीे हैं और किस तरह से उनसे मजे लेती हैं इस बात का एहसास मुझे कल रात को होटल में ही हुआ,,( दोनों हाथ से स्टेरिंग संभालते हुए शुभम की तरफ देखते हुए बोली)
सच में मम्मी कल तुम बहुत सेक्सी लग रही थी एक नया रूप निखर कर आया था मैं तो कभी सोच भी नहीं सकता था कि आप इस तरह से गंदी गंदी गालियों के साथ बातें करेंगी।
अरे पागल मैंने भी कहां सोची थी लेकिन कल यह सब करके मुझे बहुत ही सुकून महसूस हो रहा है सच गाली देकर चुदवाने में और भी ज्यादा मजा आता है।
अगर मम्मी किसी शख्स ने सच में तुम्हें धंधे वाली समझकर तुम्हारी कीमत पूछ लिया होता तो,,,,
तो क्या बता देती,,,, मेरी कीमत,,,, वैसे अगर सच में ऐसा होता तो क्या कीमत होती मेरी एक रात की( कुछ सोचते हुए निर्मला शुभम से बोली)
सच बताऊं क्या तुम्हारी कोई कीमत नहीं है।
हं,,,,,,( निर्मला आश्चर्य के साथ शुभम की तरफ देखते हुए)
अरे मेरा मतलब है कि तुम बिल्कुल अनमोल हो तुम्हारा कोई मोल नहीं है तुम्हें तो बस किस्मत से पाया जा सकता है।
( अपने बेटे की इस तरह की बातें सुनकर निर्मला मन-ही-मन मुस्कुराने लगी।)
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