Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 03:05 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
बात ही बात में गांव आ गया था लेकिन अभी भी निर्मला का गांव दस 15 किलोमीटर दूर था।,,, निर्मला हाइवे के किनारे गाड़ी को धीमे करते हुए।

देखिए सड़क अपने गांव की तरफ जाती है लेकिन अपनी भी तो आप ही सफर तय करना बाकी है अब मुझे गाड़ी को कच्ची सड़क पर उतारनी होगी,,,
( इतना कहने के साथ ही निर्मला खाली सड़क देखकर गाड़ी को दूसरी तरफ घुमा दी और कच्ची सड़क पर धीरे-धीरे उतारने लगी क्योंकि सड़क काफी उबड़ खाबड़ थी सड़क क्या थी एक चोड़ी सी पगडंडी ही थी।
शुभम चारों तरफ अपनी नजरें दोड़ा रहा था चारों तरफ हरियाली फैली हुई थी उसे बहुत ही सुकून भरा नजारा लग रहा था।,, तभी एक झटका सा लगा और शुभम का सिर कार की छत से टकरा गया,,,,।

ओहहहहहह,,,, मां ,,,,,, क्या मम्मी क्या कर रही हो ठीक से चलाओ ना।

अरे ठीक ही तो चला रही हूं देख नहीं रहा इतना बड़ा खड्डा है अच्छा हुआ कि गाड़ी दूसरी तरफ नहीं गई संभल गई,,,,,,( स्टेरिंग घुमाकर गाड़ी को कंट्रोल में करते हुए) तुझे तो बस हल्का सा धक्का लगा है मेरी को गांड का बाजा बज गया है।,,,, घंटों से ड्राइविंग करते करते ऐसा लग रहा है कि मेरी गांड सूज गई है।,,,( निर्मला गाड़ी को धीरे-धीरे आगे बढ़ाते हुए मुस्कुराते हुए बोल रही थी।)

क्या बात है मम्मी बिना गांड मरवाए ही तुम्हारी गांड सुझ गई है।


तो क्या तुझे क्या लगता है गांड मराने के बाद ही गांड सोचती है अरे इतने घंटों से पेट पर बैठे-बैठे जो गांड मरा रही हूं वह क्या कम है।,,,

मुझे क्या पता,, यह तो तुम्हीअच्छी तरह से जानती होगी की गांड किस वजह से सुज जाती है,, मुझे इसमें किसी भी प्रकार का अनुभव नहीं है तुम्हें ज्यादा अनुभव होगा,,,,( शुभम शरारती अंदाज में बोला)

तुझे क्या लगता है कि मैंने कभी गांड मरवाई हूं।

मुझे क्या पता मरवा भी सकती हो मैंने तो आज तक नहीं मारी,,,, तुम्हारी गांड,,,,

तेरी मारने की इच्छा है क्या?( बात ही बात में वहां शुभम के मन की बात जानना चाहती थी,, कि शुभम क्या बोलता है और वैसे भी रात में जिस तरह से गांड के छोटे से छेद पर शुभम ने अपने लंड का सुपाड़ा भिडाया था,,, तभी निर्मला के बदन में अजीब सी झुनझुनाहट मच गई थी। उसके भी दिल के कोने में गांड मारने वाली बात को लेकर चहल पहल मची हुई थी। रात वाले वाक्ये के बाद से निर्मला के मन में भी गांड चुदाई करवाने की इच्छा प्रज्वलित हो रही थी लेकिन उसके मन में घबराहट भी थी इसीलिए वह शुभम के मन की बात जानना चाहती थी।


मेरा क्या है मैं तो कहीं भी डाल दूंगा,,,, मुझे तो तुम्हारी खूबसूरत चीज में से हर जगह से आनंद ही आनंद मिलता है, लेकिन एक बात कहूं तो मेरा मन भी तुम्हारा गांड मारने को करता है। लेकिन तुम जब देखो तब नानुकुर करती रहती हो कभी मौका ही नहीं दी, अगर तुम राजी होती तो कल रात होटल में इसका उद्घाटन कर दिया होता,,,,
( अपने बेटे की इस तरह की बातें और उसका इरादा जानकर उत्तेजना के मारे निर्मला का गला सूखने लगा और वह आश्चर्य के साथ अपने बेटे को देख रही थी और बोली।)

तू पागल हो गया है भला ऐसा कैसे हो सकता है।

क्या नहीं हो सकता?

अरे तू ही सोच उसका छेद कितना छोटा होता है और तेरा लंड कितना मोटा है मैं तो मर ही जाऊंगी,,, ( निर्मला को इस तरह की बातें करने में गुदगुदी हो रही थी उसे अच्छा लग रहा था लेकिन मन ही मन वह अपनी घबराहट को क्लियर कर लेना चाहती थी क्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसके छोटे से छेद में उसके बेटे का मोटा लंड किसी भी हाल में घुस नहीं पाएगा।)

तुम सच में पागल हो मम्मी,,, अरे धीरे-धीरे सब कुछ हो जाएगा ऐसा तो है नहीं कि मैं सीधा लंड टिकाया और उस में डाल दिया,,, मैं भी जानता हूं की तरह से तो मैं तो मजा ले पाओगे और नाम नहीं है ऐसे में सिर्फ दर्द ही होगा और मेरे सारे अरमान धरे के धरे रह जाएंगे।
( अपने बेटे की बात सुनकर वह पूरी तरह से वाकिफ हो गई थी उसका बेटा गांड मारने के लिए पूरी तरह से उत्सुक है। अपने बेटे की उत्सुकता को देखकर उसके बदन में भी हलचल सी मच ने लगी इसलिए वह कैसे कर पाएगा यह जानने के लिए बोली,,।)

तो कैसे करेगा तू इतनी सी छोटे से छेंद में तेरा मोटा लंड जाएगा केसे?

तुम्हारी चुदाई कर कर के इतना तुम्हें समझ गया हूं कि मुझे कब क्या और कैसे करना है। अरे पहले मैं तुम्हारे खूबसूरत बदन से प्यार करूंगा तुम्हारी बुर चाट लूंगा ताकि तुम पूरी तरह से उत्तेजित हो सको,,, फिर अपनी जीभ से तुम्हारी गोरी गोरी गांड का भुरे रंग का छेंद चाटुंगा ताकि तुम एकदम कामोत्तेजित हो जाओ एकदम चुदवासी हो जाओ और खुद ही मेरे लंड को अपनी गांड में डलवाने के लिए बोलो,,,
( निर्मला अपनी नजरों को एक छोटी सी पगडंडी पर दिखाते हुए स्टेरिंग को संभाले हुए अपने बेटे की गर्म बातों को बड़े ही चटखारे लेकर सुन रही थी और उत्तेजित भी हो रही थी,,, और फिर बोली,,,।)

तो क्या ऐसा करने पर तेरा मोटा लंड चला जाएगा?

बुर का छेंद भी को छोटा होता है जब उसमें चला जाता है तो क्या उसमें नहीं जाएगा,,,,


लेकिन बुर तो अपने आप फेलता जाता है उधर का छेद थोड़ी- फेलेगा।।

सब फेलेगा थूक लगा लगा कर गीला कर दूंगा,, अगर उससे भी काम नहीं बनना तो नारियल का तेल लगाकर एकदम लसीला कर दूंगा अब तो आराम से जाएगा बस तुम एक बार हां कह दो,,,

( अपने बेटे की बातें और उत्सुकता देखकर निर्मला भी उत्सुक हो गई इसलिए बोली।)

चल तू बोलता है तो मैं हां कर देती हूं लेकिन कोई भी परेशानी नहीं होनी चाहिए जो भी करना सोच समझ कर करना।

तुम चिंता मत करो मम्मी मै बहुत आराम से करूंगा,,,
( शुभम खुश होता हुआ बोला और अपने बेटे की खुशी देखकर निर्मला भी मन ही मन प्रसन्न होने लगी लेकिन ऐसा बातें सुनकर उसकी बुर में नमी बढ़ने लगी उसे पेशाब सी महसूस होने लगी,,,। आधे से ज्यादा सफर तय कर चुके थे बस तीन 4 किलोमीटर ही घर रह गया था वह मन ही मन सोच रही थी कि घर जाकर ही पेशाब करेगी,,,, इसलिए वहां रुकी नहीं। दोनों गांव के अद्भुत खूबसूरत नजारे का दर्शन करते हुए मन ही मन प्रसन्नता के भाव लिए आगे बढ़ते चले जा रहे थे।

ऊंची नीची पगडंडियों से होते हुए गाड़ी झटका खाते हुए आगे बढ़ती चली जा रही थी और जिस तरह से गाड़ी चल रही थी निर्मला को काफी झटका महसूस हो रहा था जिसकी वजह से ऊसके पेशाब का प्रेशर बार-बार बढ़ता चला जा रहा था।,,, निर्मला से यह प्रेशर बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसे ऐसा लग रहा था कि कभी भी उसकी पेशाब निकल जाएगी वह चारों तरफ नजरें दौड़ाते हुए चली जा रही थी अब तक रास्ते में उसे कोई भी राहगीर नहीं मिला था कोई भी गांव वाला नजर नहीं आ रहा था धूप ही इतनी कड़क थी कि सब लोग अपने-अपने घर में बैठे हुए थे। बार-बार वह अपनी सीट से ऊपर की तरफ अपनी गांड उठा ले रही थी ताकि वह अपनी पेशाब को रोक सके लेकिन सड़क ही ऐसी उबड़-खाबड़ थी कि झटका लगने पर ऐसा लग रहा था कि पेशाब की धार फूट पड़ेगी। आखिरकार तंग आकर उसने एकाएक ब्रेक लगाई। पेड़ के नीचे घनी छांव में गाड़ी रुकने की वजह से शुभम अपनी मां से बोला।

मम्मी यहां तो कोई घर दिखाई नहीं दे रहा है फिर भी यहां गाड़ी क्यों रोक दी,,,,

अरे गाड़ी रोकना मेरी मजबूरी थी क्योंकि वह नहीं रुक रही थी, ( इतना कहने के साथ ही वह कार का दरवाजा खोलकर बाहर आ गई)

क्या रुक नहीं रही थी?

अरे मुझे बड़े जोरों से पेशाब लगी है, अगर गाड़ी नहीं रोकती तो मेरी पेंटी गीली हो जाती।,,,
( अपनी मां की बात सुनकर उसे आश्चर्य से देखते हुए बोला।)

लेकिन मम्मी यहां करोगी कहां?

और यही सड़क के किनारे और कहां (सड़क के थोड़ा किनारे खड़े होते हुए बोली)

मम्मी यहां कोई देख लेगा तो!

अरे कौन देखेगा यहां देख पूरा गांव सन्नाटे मैं है,, कोई नजर आ रहा है ? सब के सब इतनी कड़कती धुप अपने-अपने घर में घुसे बैठे हैं यहां कौन देखेगा?
( इतना कहने के साथ ही निर्मला झट से अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी यह देखकर शुभम एक दम से गनगना गया। वह देखता ही रह गया कुछ समझ पाता इससे पहले ही उसकी मां ने अपनी पैंटी को भी जांघ तक सरका कर नीचे बैठ कर मूतना शुरू कर दी। अपनी मां की बड़ी-बड़ी और गोरी गांड को देख कर एक बार फिर से शुभम के तन-बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई आज बिल्कुल करीब से वह अपनी मां को पेशाब करते हुए देख रहा था करीब 2 कदम की दूरी पर ही सुभम खड़ा था और दो कदम की दूरी पर है उसकी मां नीचे बैठ कर अपनी नंगी गांड दिखाते हुए मुत रही थी,,
शुभम का लंड पेंट में फिर से खड़ा हो गया। जी तो कर रहा था कि वह भी पीछे से उसी की तरह बैठकर अपने लंड को सीधे उसकी बुर मे उतार कर बैठे बैठे ही चोदना शुरू कर दे। और वह ऐसा कर भी देता अगर ऐसी खुली सड़क पर यह नजारा होने की वजाय कहीं और किसी बंद कमरे में होता तो। अब तक तो वह पूरा का पूरा लंड बुर में डाल दिया होता। शुभम बार-बार इधर उधर नजर दौड़ाकर यह देख रहा था कि कहीं किसी की नजर यहां तो नहीं पहुंच रही है लेकिन उसे पूरी तरह से तसल्ली हो गई थी कि दूर-दूर तक कोई भी नहीं था इसलिए वह भी इत्मीनान से अपनी मां को पेशाब करते देख रहा था। शुभम से भी वहां नहीं जा और वाली वहीं पर खड़ा हो कर के अपना लंड बाहर निकालकर मुतना शुरू कर दिया। दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे।

कुछ ही मिनटों बाद दोनों अपने गांव के घर पहुंच गए घर के लोग बड़े प्यार से दोनों का सत्कार किए।

आज बहुत सालों बाद शुभम अपने गांव आया था साथ ही निर्मला भी काफी सालों बाद ही अपने घर लौट रही थी इसलिए सबसे बहुत खुश होकर मिल रही थी। उसकी दोनों भाभियां भी बड़े गर्मजोशी के साथ निर्मला को अपने गले लगाकर मिल रही थी पास में ही खड़ा शुभम यह सब देख रहा था। तभी शुभम की बड़ी वाली मामी की नजर शुभम पर गई तो वह,,,, निर्मला से बोली,,,

अरे वाह अपना लालू तो कितना बड़ा हो गया है,, गोद में था जब तुम यहां से इसको लेकर गई थी बड़ा प्यारा लगता था और तों और अब तो पहले से भी ज्यादा खूबसूरत हो गया है।,,,,( शुभम खड़ा होकर उन सबको देख कर मुस्कुरा रहा था तभी निर्मला बोली)

यह तुम्हारी बड़ी मामी है बेटा ईनके पैर छुओ,,,,
( इतना सुनते ही शुभम आज्ञाकारी पुत्र की भांती आगे बढ़ा,, और जैसे ही अपनी मामी के पैरों में झुकने को हुआ कि तभी उसकी मामी उसकी बांह पकड़ कर उसे रोकते हुए खड़ा कर दि और तुरंत,,, उसे अपने गले लगाते हुए बोली,,,

मेरा प्यारा बेटा देखो तो मेरे से भी लंबा हो गया है। मेरी आंखे तरस गई थी अपने भांजे को देखने के लिए और यह निर्मला है कि कभी भी यहां आने का नाम ही नहीं लेती मैं तो छोटे देवर की शादी ना होती तो मैं कभी भी अपने शुभम को देख नहीं पाती,,,
( इतना कहते हुए वह शुभम को कसके अपने गले लगाई हुई थी,,, सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था कि शुभम के बदन में घंटियां बजने लगी उसकी जांघों के बीच के हथियार में जैसे जान सी आ गई हो तो धीरे-धीरे उठने लगा,,,, और ऊठता भी कैसे नहीं,,,,,, उसकी मामी की दोनों जवानियां उसके सीने पर दस्तक जो दे रही थी,,, शुभम को साथ में सो सो रहा था कि उसकी मामी की बड़ी-बड़ी दोनों गोल चूचियां उसके सीने से दब रही है और वह भी एकदम नरम नरम,,,,, शुभम अब तक वैसे ही खड़ा था उसकी मम्मी ने ही उसे गले लगाई हुई थी लेकिन जैसे ही शुभम को उनकी बड़ी बड़ी चूची यों का एहसास अपने सीने पर हुआ वह उन्हें बाहों में भरे बिना नहीं रह सका,, और वह भी अपने दोनों हाथ को उसकी मामी के पीछे पीठ पर रखकर सहलाने लगा,,, उसकी मम्मी और बाकी सभी को यही लग रहा था कि मामी और भांजे का प्यार दिखाई दे रहा है लेकिन शुभम के मन में कुछ और चल रहा था वह तो अपनी मामी की बड़ी-बड़ी चूचियों को मुंह में भर कर पीना चाहता था। आते ही उसने देख लिया था कि उसकी बड़ी वाली मामी की गांड काफी बड़ी और चौड़ी थी और यही तो शुभम की सबसे बड़ी कमजोरी भी थी। तभी शुभम को अपने से अलग करते हुए,,, उसकी बड़ी मम्मी अपनी बड़ी बेटी तनु से सामान अंदर ले जाने के लिए बोली तो जैसे ही तनु सामान उठाकर कमरे में जाने लगी वैसे ही शुभम की नजर तनुं पर पड़ी,,, तनु की लंबाई करीब करीब 5:30 फीट की थी,,,, गोरा रंग पतला बदन,,, गांड पर का घेराव अभी ज्यादा नहीं उभरा,,, था,,, फिर भी बदन पर मादकता छाई हुई थी कुल मिलाकर बेहद खूबसूरत लग रही थी। पीछे से ही जब यह हाल था तो आगे से तो पूरी तरह से धमाका नजर आती होगी,,, तनु को पीछे से देखते हुए शुभम यही सोच रहा था तब तक वह कमरे के अंदर चली गई,,, तभी निर्मला ने शुभम को उसकी छोटी मामी के पैर छूने के लिए बोली और शुभम छोटी मामी की तरफ बढ़ा छोटी मां की और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी गोरी चिट्टी भरे बदन की मादक शरीर वाली मामी को देख कर शुभम का दिल जोरों से ऊछलने लगा,,, शुभम को लगा की यह मामी भी उसे अपने सीने से लगाएगी तो इनकी भी दोनों जवानी को अपने अंदर महसूस कर पाएगा,,, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ वह बिना गले लगा ही आशीर्वाद दे दी। शुभम घर के बाकी लोगों से भी बड़े प्यार से मिला घर के लोग सभी खुश थे शादी का माहौल था इसलिए घर पर धीरे-धीरे मेहमान इकट्ठा होना शुरू हो गए थे।
निर्मला बेहद खुश नजर आ रही थी, और खुश होती भी क्यो नहीं बरसों बाद तो अपने मायके आई।थी,,,
सुदामा और निर्मला नहा धोकर खाना खाकर आराम करने चले गए घर काफी बड़ा था और अलग-अलग कमरे भी बने हुए थे इसलिए निर्मला और शुभम को एक कमरा दे दिया गया यह वही कमरा था जिसमे निर्मला अपने स्कूल के दिनों में पढ़ाई करती थी और रहती भी थी बरसों बाद उसी कमरे में आकर निर्मला को बेहद सुकून महसूस हो रहा था। निर्मला और शुभम काफी थक चुके थे इसलिए नहाने के बाद थोड़ा बदन हल्का हुआ और खाना खाते ही दोनों ऐसा सोए कि सुबह में ही उनकी नींद खुली,,,,।


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