Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 03:06 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
क्या निर्मला तुम भी,, सबके पास एक जेसी ही तो है मेरी पास क्या कोई खास है।,,,

भाभी तुम बहुत खास हो इसीलिए तो मैं कह रही हूं,,,
( निर्मला तनु को थोड़ा पीठ के और नीचे ब्रश रगड़ने के लिए इशारा करते हुए बोली जिसकी वजह से तनु पीठ के नीचे रगड़ने लगी लेकिन पेटीकोट एकदम कमर के नीचे तक सरक गई जिसकी वजह से निर्मला की लाल रंग की पेंटिं साफ नजर आने लगी अपनी मां की लाल रंग की पेंटिं को देखकर शुभम का लंड ठोकर मारने लगा,,,, शुभम देखते ही देखते उत्तेजना की ओर अग्रसर होता जा रहा था वैसे भी जिंदगी में पहली बार वह इस तरह का नजारा देख रहा था एक साथ चार चार खूबसूरत जवानी का रस हेडपंप के नीचे बिखर रहा था जिसे लूटने वाला केवल वही था।,,,)

रहने दो निर्मला मेरी बच्ची खड़ी है वरना मैं सच में तुम्हें दिखा देती,,,

तो दिखा दो ना तनु को इससे कोई एतराज नहीं है,,, क्यों तन्हा तुम्हें कोई एतराज तो नहीं है ना वैसे भी हम औरतों को औरतों के साथ थोड़ी बहुत मस्ती करने की झूठ तो होनी ही चाहिए,,,,( तनु को इसमें कोई आपत्ति नहीं थी वह हां में सिर हिला कर अपना मंतव्य बता चुकी थी,,,, सबकी सहमति हो जाने पर शुभम का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे लगने लगा था कि आज वह उसकी बड़ी मामी की रसीली बुर के दर्शन कर लेगा,,,,, वह खिड़की के पल्लू के ओट से अपनी नजरें टिकाएं बाहर के नजारे का मजा लूट रहा था ।अपने आप पर सब्र ना होने की वजह से उसने अपने पजामे को नीचे सरका कर अपने लंड को हाथ में लेकर हीलाना शुरू कर दिया,, क्या करें ऐसा गर्म नजारा देखकर तो किसी का भी लंड पिघल जाए,, वह तो शुभम था जो कि मर्दाना जोश से भरा हुआ था इसलिए अभी तक उसका लंड पीघला नहीं था। शुभम को उत्सुकता से बाहर की तरफ देख रहा था उसे अब उस पल का इंतजार था जब उसकी बड़ी मामी,,, अपना पेटीकोट हटाकर अपनी जांघों के बीच का वह मुख्य द्वार का दर्शन कराएंगी जिसमें से गुजरने के लिए ऊसका लंड खड़ा हो गया था
तभी उसकी बड़ी मामी ने जो कहा उसे सुनकर शुभम के तन-बदन में उत्तेजना कि चीटियां चुटकी काटने लगी।,,,

चलो ठीक है मैं दिखा दूंगी,,, लेकिन पहले मेरी एक शर्त है अगर तुम लोग मानो तो,,,, निर्मला और तुम तनु नहीं,,

कैसी शर्त (शुभम की छोटी मामी बोली)

यही कि तुम दोनों को भी अपनी अपनी दिखानी होगी,,,

चलो मंजूर है (झट से शुभम की मां बोल पड़ी,, अपनी मां कि इस तरह के उतावलापन देखकर शुभम को जरा भी अचरज नही हुआ,,, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां कितनी ज्यादा बेशर्म हो चुकी है लेकिन फिर भी इसमें भी सुभम का ही फायदा था एक साथ तीन तीन रसीली बुर के दर्शन करने का मौका बड़े भाग्य से मिलता है। इसलिए तो शुभम अपने आप को बड़ा भाग्यशाली समझ रहा था अब तो उसका दिल और जोरो से धड़कने लगा था। वह धीरे-धीरे अपने लंड को मुट्ठी में भरकर हिला रहा था और कल्पना कर रहा था कि,,, उसका मोटा लंड ऊसकि बड़ी मामी की बुर के अंदर बाहर हो रहा है इसलिए उसके बदन में उत्तेजना कुछ ज्यादा ही अनुभव रही थी।,,,तभी वह देखा कि उसकी बड़ी मामी एकदम से खड़ी हो गई,, उसके बदन पर कुछ भी नहीं था ऊपर की बड़ी बड़ी चूचियां एकदम साफ नजर आने लगी सूचियों का साइज उसकी मां की चुचियों की तरह ही था,,,, लेकिन निर्मला की चुचियों का आकार एकदम खरबूजे की तरह गोल था,,, और उसकी बड़ी मामी की चूचियों का आकार बड़े बड़े पपीते की तरह था। जिसे मुंह में भरकर पीने के लिए सुभम बेताब हो गया। वह ध्यान से अपनी मामी के खूबसूरत बदन को देख रहा था हल्का सा सांवला रंग था लेकिन बड़े ही मादक बदन की मालकिन थी। थोड़ी सी मोटी सी लेकिन बहुत खूबसूरत लग रही थी,,, पानी से पूरा बदन भीगा हुआ था कमर के ऊपर का हिस्सा पूरी तरह से नग्न था। ऊसके खूबसूरत बदन पर मात्र केवल पेटीकोट ही था जो कि पानी में भीग कर कमर से भी नीचे सरक गया था। जहां से उसकी कमर के नीचे का और जांघों के बीच के द्वार के ऊपरी हिस्से का कट़ाव साफ नजर आ रहा था। इतना देखते ही शुभम की हालत खराब होने लगी उसकी सांसो की गति तेज होने लगी और लंड पर ऊसका हाथ बड़ी तेजी से चलने लगा। बड़ी मामी पर शुभम की छोटी मामी और उसकी मां के साथ-साथ खुद उसकी बेटी की भी नजर बराबर बनी हुई थी वह निर्मला की पीठ को ब्रश से रगड़ते हुए अपनी मां के खूबसूरत बदन को देख कर मुस्कुरा रही थी। सुबह की बड़ी मामी मुस्कुरा रही थी बारी-बारी से तीनों की तरफ देख रही थी और अपने दोनों हाथ से अपनी सरकती हुई पेटीकोट को पकड़कर धीरे-धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगी,,, जैसे-जैसे निर्मला की पेटीकोट नीचे की तरफ सरक रही थी।

जैसे जैसे शुभम को उसकी बड़ी मामी की टांगो के बीच का त्रिकोण आकार वाला स्थल नजर आ रहा था जिसे देख कर उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,, देखते ही देखते उसकी बड़ी मामी ने झटके से अपनी पेटीकोट को एकदम नीचे सरका कर पूरी तरह से नंगी हो गई,,,,। यह देखकर शुभम के होश उड़ गए उसके लंड का कड़क पन बढ़ने लगा। यह नजारा पूरी तरह से उत्तेजना से भरा हुआ था क्योंकि परिवार की औरतें खुद उनकी बड़ी लड़की अपनी मां को पूरी तरह से नंगी होते हुए देख रही थी और मुस्कुरा रही थी शायद उसे यह सब अच्छा लग रहा था तभी तो वह भी कोई एतराज नहीं जता रही थी। वैसे भी गांव में इस तरह के मजाक का स्तर परिवार में औरतों के बीच होता ही रहता है इसलिए उन लोगों के लिए कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन शुभम के लिए यह बेहद अद्भुत और आश्चर्यजनक वाली बात थी लेकिन मादकता से भरा हुआ एहसास भी था। जिसके एहसास में वह पूरी तरह से अपने आप को घोल दे रहा था।,,,

लो देख लो बहुत देखने के लिए तड़प रही थी ना तुम दोनो,,, ( मुस्कुराते हुए शुभम की बड़ी मामी बोली तब जाकर शुभम फिर से गौर से देखने लगा,,, उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसकी मां ने अंदर पेंटी नहीं पहनी थी अंदर से बिल्कुल नंगी ही थी। मोटी मोटी जांघे एकदम चिकनी जिसपर पानी की बूंदे मोतियों की तरह फिसल कर नीचे गिर रही थी। शुभम की नजर जांघो से होती हुई,,, उसकी टांगों के बीच के उस पतली दरार पर टिक गई जोकि,,, झाटों के झुरमुट में छिपी हुई थी,,, बुर के पर ढेर सारे घुंघराले बाल उगे हुए थे,,, जिसमें से दो की गुलाबी पत्तियां ऐसा लग रहा था कि अपने दोनों हाथ से झांटो के झुरमुट को हटाकर उसमें से झांक रही हो,,,, बेहद उन्माद से भरा हुआ दृश्य था। आज पहली बार सुबह औरत की बुर पर इतने सारे बाल देख रहा था जिसे देखते ही वह समझ गया कि मामी शायद सफाई का ध्यान नहीं रखती लेकिन फिर भी उसे बोल के ऊपर इतने ज्यादा काले घुंघराले बाल शोभनीय लग रहे थे।
उसके हाथ की गति धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी,,, उसकी छोटी मामी के साथ साथ उसकी मां भी हंसते हुए बड़ी मामी की बुर का मजा ले रही थी शादी उसकी बड़ी लड़की भी बड़े ध्यान से देख कर मुस्कुराते हुए इधर-उधर शर्मा कर अपनी नजर फेर ले रही थी तनु की इस हरकत को देखकर शुभम की छोटी मामी बोली,,,।

देख लो तनु अपनी मां की खूबसूरत बुर को, इस उम्र में भी वह तुम्हारी बुर को भी टक्कर मार रही हैं,,

तुम ही देखो चाहती मैं तो जा रही हूं कपड़े सुखाने( इतना कहकर तनु वहां से कपड़ों का ढेर लेकर चली गई क्योंकि वह जानती थी कि यह तीनों मिलकर अश्लील मजाक करने वाले हैं और उसे थोड़ी शर्म महसूस हो रही थी तनु के जाते ही निर्मला ने तुरंत अपने हाथ आगे बढ़ा कर,,, झट से अपने बीच वाली उंगली से शुभम की मामी की बुर की गुलाबी पत्ती को कुरेदते हुए बोली,,,,

वाह भाभी अभी तक तुम्हारी बुर टाईट है,,, भैया तो तो मजा आ जाता होगा तुम्हें पेलने मैं,,,
( इतना कह कर निर्मला के साथ साथ उसकी छोटी नानी भी हंसने लगी लेकिन शुभम अपनी मां की यह बात सुनकर एकदम से उत्तेजित हो गया वह अपनी मां का छिनार पन देखकर और भी ज्यादा मदहोश होता जा रहा था।)

अरे तुम्हारे भैया को खेती से फुर्सत मिले तब ना मेरे ऊपर ध्यान दें,, अगर मेरे ऊपर ध्यान देते तो इस तरह से यह खेती की (अपनी बुर की तरफ उंगली से इशारा करते हुए) कटाई हो गई होती हो ओर यह जमीन भी एक दम चिकनी नजर आती है।)

ओह तभी इतनी टाइट है लगता है महीनों से इसमें कुछ नया नहीं है ।

हां यार क्या करूं कामकाज से फुर्सत मिले तब ना इतना कहने के साथ ही वह फिर से पेटीकोट को ऊपर की तरफ खींच कर नहाना शुरू कर दी और नहाते हुए बोली,,,

चल अब तू दिखा (अपनी देवरानी की तरफ इशारा करते हुए बोली)

नहीं मैं नहीं दिखाऊंगी,,,
चल अब नाटक मत करो मैंने जिस तरह से दीखा दी उसी तरह से तुमको भी दिखाना पड़ेगा वरना,,,

नहीं दीदी मैं नहीं दिखाऊंगी मुझको शर्म आती है,,,
( अपने बदन को सीकोड़ते हुए बोली।)

क्या भाभी क्यों नाटक कर रही हो देखो बड़ी भाभी ने कितने आराम से दिखा दी तुम्हें दिखाने में क्या हो रहा है।( शुभम अपनी मां की बात सुनकर मस्त हुआ जा रहा था क्योंकि जिस तरह से वह उत्साहित थी उसकी ओर देखने के लिए उससे कहीं ज्यादा गुना उत्साहित वह खुद था अपनी मामी की बुर देखने के लिए,,)

चलो दिखाओ नहीं तो हम लोगों को जबरदस्ती करना पड़ेगा,,,


नहीं मैं नहीं दिखाऊंगी,,,

भाभी यह ऐसे नहीं मानेंगेी लगता है जबरदस्ती करना ही पड़ेगा,,,
( इतना कहने के साथ ही निर्मला ने अपनी छोटी भाभी की पेटीकोट को पकड़कर खींचना शुरु कर दी साथ ही उसकी बड़ी भाभी भी उसका साथ देते हुए दूसरी तरफ से उसकी पेटीकोट पकड़ कर पीछे की तरफ खींचना शुरु कर दी वह बैठकर अपनी पेटीकोट को बचाने की कोशिश कर रही थी लेकिन दो औरतों की ताकत के आगे वाला उसकी क्या चलने वाली थी,,,। वह अपने आपको बचा नहीं पाई और दोनों ने मिलकर उसकी पेटीकोट को खींचकर उसे भी पूरी तरह से नंगी कर दी शुभम की आंखें फटी की फटी रह गई क्या गजब का नजारा उसकी आंखों के सामने पेश हो रहा था,,, 2 औरतें मिलकर एक औरत को नंगी कर रहीं थी,,, उसकी छोटी मामी नीचे बेठी की बेठी रह गई,,, शुभम अपनी छोटी मामी को पूरी तरह से नंगी देख रहा था एकदम गोरा बदन था खरबूजे जैसी मगर छोटी चूचियां बेहद खूबसूरत लग रही थी। लेकिन जिस चीज को देखने के लिए उसका मन तड़प रहा था वह तो वह अपनी जांघो को सिकोड कर छुपाई हुई थी,,, शुभम इस इंतजार में था कि कब ऊसकी छोटी मामी,,, खड़ी होकर अपनी रसीली बुर के दर्शन करवाएेगी लेकिन जिस तरह से वह जिद कर रही थी ऐसा लग नहीं रहा था कि उसके बुर के दर्शन हो पाएंगे,,, लेकिन ऐसा लग रहा था कि किस्मत शुभम का हि साथ दे रही थीै तभी तो जैसे उसकी मन की बात को जानते हुए उसकी मां और उसकी बड़ी मामी उसकी एक एक टांग को खींच कर अलग करने लगी,, और अगले ही पल दोनों मैं मिलकर छोटी मामी की टागों को अलग कर दी जिससे कि,, जैसा नजारा सुभम देखना चाहता था ठीक वैसा ही नजारा उसकी आंखों के सामने नजर आने लगा,,,
शुभम साफ साफ देखता रहा था कि उसकी छोटी मामी की बुर ऊसकी आंखों के सामने सुनहरी धूप में चमक रही थी,,, और वह यह देखकर हैरान था कि जहां बड़ी मामी की बुर बालों से भरी हुई थी वही छोटी मामी की बुर तो एकदम चिकनी थी ऐसा लग रहा था कि कल रात को ही क्रीम लगाकर अपनी बाल को साफ की हो,,, क्या देख कर उसकी मां भी हैरान थी तभी तो वह बोली,,,

वाह भाभी तुम तो छुपे रुस्तम निकली,,, बड़ी भाभी की बुर पर बाल हीलाते बाल है और तुमने तो अपनी बुर को चीकनीं करके रखी हो,,,,, लगता है कि छोटे भैया तुम्हारी रोज लेते हैं तभी तो देखो कितनी हरी-भरी लग रही है तुम्हारी बुर (अपने दोनों हाथों से जांघो को खोलते हुए,,,, कुछ भी कहने की बजाए छोटी मामी शर्मा रही थी और उसकी शर्म को देख कर कुछ भी कहने की जरूरत नहीं थी,,,।)

चलो अब तो इसने भी दिखा दी अब तुम्हारी बारी है निर्मला रानी,,,,

हां,,,,हां,,,,, जरुर दिखाऊंगी मैंने कब ईनंकार र्की हूं,,,( इतना कहने के साथ ही निर्मला खड़ी हो गई,,, शुभम अच्छी तरह से जानता था कि पिछले कुछ महीनों में उसकी मां के अंदर बहुत कुछ बदल चुका है तभी तो वह इस तरह से अपनी बुर दिखाने के लिए तैयार हो गई
निर्मला जिस तरह से खरीदें शुभम को सिर्फ उसकी पीठ ही नजर आ रही थी उसके कमर के नीचे तक पेटीकोट सरक गया था जिससे उसकी लाल पेंटिं ना जाने कब से नजर आ रही थी,,, उसकी दोनों मां मियां निर्मला की खूबसूरत गोरे बदन को देखकर अपनी आंखें गरम कर रहेी थी, क्योंकि वह लोग भी अच्छी तरह से जानती थी कि निर्मला बेहद खूबसूरत औरत है उसका पूरा बदन और के शरीर की बनावट बेहद कामुक है। देखते ही देखते निर्मला अपने पेटिकोट को नीचे सरका दी,, शुभम अच्छी तरह से देख पा रहा था कि उसके मां के गोरे बदन पर सिर्फ लाल रंग की पेंट ही रह गई थी जिसे देख कर, दोनों की आंखों में चमक आ गई थी तुम दोनों के चेहरे की उत्साह को देखकर शुभम को लग रहा था कि उसके गोरे बदन को देखकर दोनों आश्चर्यचकित हो गई है लेकिन तभी अपनी बड़ी मामी की बात सुनकर वह भी दंग रह गया,,।

अरे निर्मला तुमको साड़ी के नीचे भी कच्छी पहनती हो,,, क्या हमेशा ही पहनती हो या सिर्फ आज ही पहनी हो,,,

भाभी यह कच्छी और ब्रा तो हमेशा पहनती हूं,,,( इतना कहने के साथ ही निर्मला पेंटी के दोनों छोर को अपने हाथ से पकड़ ली,,, शुभम को समझ नहीं आ रहा था कि कच्ची किसे कहते हैं लेकिन जब उसकी मां ने ब्रा और कच्छी एक साथ बोली तो वहं समझ गया कि पेंटी को भी कच्छी कहा जाता है,,,। कच्छी शब्द सुनकर शुभम को बड़ा अजीब लग रहा था,,, लेकिन इस शब्द से उसके तन-बदन में कामुकता की लहर दौड़ में लगी थी और वह जोर जोर से मुठ मारने लगा था।,,,

निर्मला तुमको यह सब पहनना अच्छा लगता है।( उसकी बड़ी मामी आश्चर्य के साथ बोली और यह बात तो सुभम को भी बेहद आश्चर्यजनक लग रही थी।)

अरे तो क्या भाभी औरतों को तो यह सब पहनना चाहिए,,,
( इतना कहने के साथ ही वह धीरे-धीरे नीचे की तरफ अपनी पेमटी को सरकाने लगी। )

पर यहां गांव में तो बहुत सी औरतें नहीं पहनती हम खुद नहीं पहनती हैं,,,।
( अपनी मामी की बात को सुनकर शुभम को यह समझने में बिल्कुल भी देर नहीं लगेगी तभी यह दोनों पेटीकोट के नीचे एकदम नंगी थी क्योंकि यह दोनों पेंटी पहनती ही नहीं थी,,,।)

चलो अच्छी बात है तुम कहती हो तो हम दोनों भी पहनेंगे लेकिन हमें भी तुम्हारी तरह ही अच्छी सी ब्रा और पैंटी दे कर ही जाना।,,,
( शुभम की मम्मी उत्सुकता से बोली)

ले लेना भाभी मैं तुम दोनों को देकर जाऊंगी,,,, लेकिन सबसे पहले मैं जो दिखा रही हूं वह तो देख लो,,,,


अरे तू तो एकदम बेशर्म हो गई है ऐसी तो बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन अब देखो कैसी अपनी बुर देीखाने के लिए लालायित हुए जा रहीे हैं।

निर्मला अपनी भाभी की बात सुनकर थोड़ा झेंप सी गई,,,, जल्दी ही उसने इस बात पर गौर कर ली कि वास्तव में वह एकदम बेशर्मो वाली हरकत कर रही थी,,,
फिर भी वह बात को संभालते हुए बोली,,,।

। ऐसी बात नहीं है माफी अब तुम दोनों जने दिखा दी मगर मैं नहीं दिखाऊंगी तो तुम दोनों जन मेरे बारे में क्या सोचोगी और वैसे भी तो मैं कहां किसी आदमी के सामने दिखा रही हो अपनी भाभियों को ही तो दिखा रही हूं और एक औरत को दिखाने में कैसी शर्म,,,,, चलो अच्छा जाने दो नहीं दिखाती,, इतना कहने के साथ ही जानबूझकर वह नीचे झुक कर अपनी पेटीकोट को ऊपर उठाने को हुई ही थी की शुभम की छोटी मामी बोली,,,,

नहीं है तो चीटिंग है मुझसे को जबरदस्ती दीखवावाली और खुद की बारी आई तो बहाना कर रही हो,,,

हां निर्मला ऐसा बिल्कुल भी नहीं चलेगा चलो जल्दी से दिखाओ,,,,

दिखा तो रही थी तुम ही सब कह रही हो कि बेशर्म हो गई है,,,

अच्छा नहीं कहेंगे बस अब तो दिखा दो,,,,

ठीक है कहती हो तो दिखा देती हूं । (इतना कहने के साथ ही वह पेटीकोट को वापस छोड़ दी,, शुभम का हांथ जोरों से चल रहा था अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां की बुर बेहद हसीन और खूबसूरत है और उस पर बालों का तो नामोनिशान नहीं था क्योंकि हमेशा वह क्रीम से साफ ही रखती थी,,,, तीनों की बातों ने शुभम के बदन में कामोत्तेजना की जबरदस्त लहर को भड़काने का काम कर रही थी। वह जोर जोर से मुट्ठ मार रहा था। तभी उसकी आंखों के सामने उसकी मां अपनी पेंटी को पकड़कर नीचे की तरफ सरकाने लगी,,, वैसे तो शुभम को सिर्फ उसकी मां की पीठ की तरफ का ही हिस्सा दिख रहा था और वैसे भी उसे इस समय उसकी मां की बुर भले ही ना दिखाई देती हो उसके दिलो-दिमाग पर तो बस उसकी बुर।ही छाई हुई थी इसलिए देखने की जरूरत नहीं थी। देखते ही देखते निर्मला ने अपनी पैंटी को पूरी तरह से उतारकर एकदम नंगी हो गई। निर्मला को संपूर्ण नग्नावस्था में देखकर शुभम की दोनों मामियो का मुंह खुला का खुला रह गया,,,

बाप रे निर्मला तुम्हारी बुर तो एकदम खूबसूरत और कितनी चिकनी है एकदम मक्खन की तरह मेरा दिल तो कर रहा है कि जीभ से चाट लुं।

तो चाट लो ना रोका किसने है।


सच में तुम्हारे जितनी खूबसूरत बुर हमारी होती तो हमारे पति दिन-रात हमसे चिपके हुए होते।
( इतना सुनकर निर्मला अपनी खूबसूरती की तारीफ अपनी ही भाभियों के मुंह से सुनकर मन ही मन प्रसन्न होने लगी,, और शुभम अपनी मामी की मस्त बातों को सुनकर जोरदार प्रेसर के साथ लंड की पिचकारी दीवार पर दे मारा,,,, शुभम झड़ चुका था।,,, और तीनो भी नहा कर जा चुकी थी।


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