RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
लेकिन मामी इतनी सुबह सुबह आप मेरे कमरे में क्या करने आई थी आपको कुछ काम था क्या,,,?
अपनी भांजे की बात सुनकर इस बार वह हक्की बक्की रह गई उसे कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या बोले लेकिन वह भी बहुत चलाक थी। झट से बहाना बनाते हुए बोली,,,,
मुझे तो भाभी से काम था,,,
मम्मी से,,,,,,, मम्मी से क्या काम था?
अब उनसे ही काम था तुझे क्या बताऊं,,,,
( वह जानबूझकर इस तरह से बोल रही थी ताकि शुभम के मन में उसकी बातों को जानने की उत्सुकता बढ़ती जाए)
अरे ऐसा कौन सा काम था मुझे भी तो बताओ हो सकता है मैं तुम्हारी मदद कर सकूं (दूसरी तरफ शुभम अपनी जुगाड़ में लगा हुआ था)
तू क्या मदद करेगा,,,बेटा,, तेरे लायक काम होता तो मैं जरूर बता देती,,,,।
मामी मुझे भी तो बताओ आखिर मैं इधर आ कर कुछ तो काम करूं क, हो सकता है तुम्हारी मदद कर सकूं,,,
( शुभम जानता था कि औरत को पाने का सबसे सरल रास्ता यही होता है कि उन्हें बातों में उलझाकर उनके मन की बात जान ली जाए,,,,।)
जाने दे बेटा इधर शादी में घूमने फिरने आया है तू आराम कर तेरी मम्मी आएगी तो मैं उन्हें बता दूंगी और वैसे भी उन्हीं का काम है,,,,
अरे मामी,,,, आराम करने का क्या है, लयहां मैं भी बैठे बैठे बोर हो रहा हूं तुम कोई काम बताओगी तो मेरा भी टाइम पास हो जाएगा (इतना कहने के साथ ही वह अपनी जगह पर बैठ कर अपनी मामी के एकदम करीब बैठ गया इतना करीब कि उनकी जांघ से उसकी खुद की जांघ स्पर्श होने लगी,,,, शुभम की मांमी को तनबदन में तो उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, शुभम की हरकत ने उसके बदन में कामोत्तेजना की प्यास और ज्यादा बढ़ा दी,,,, लेकिन वह भी समझ गई कि अगर आगे बढ़ना है तो यही सही मौका है
और उसकी मामी मौके की नजाकत को समझते हुए,,
बोली,,,,
तू क्या सच में मेरी मदद करना चाहता है,,।
( वह शुभम की तरफ प्यार की आंखों से देखते हुए बोली ।)
हा मामी,,, मे तुम्हारे कोई काम आ सकुं,,, ईससे भला मेरे लिए खुशकिस्मती वाली कौन सी बात होगी,,,
( शुभम की बात सुनकर उसके तन-बदन में मदहोशी का आलम छाने लगा,,, वह समझ गई थी आज शुभम के ही हांथो उसका उद्धार होना लिखा है,,, अब पीछे हटना मुमकिन नहीं था,,। पीछे हटने का मतलब था एकबार फीर से प्यासी रहकर जीवन बीताना,,, और इस बार वह प्यासी नही रहना चाहती थी। वह अपनी प्यास बुझाने का रास्ता मन ही मन में खोज निकाली थी वह जानती थी कि शुभम को किस तरह से रीझाना है। इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोली।)
मैं तुम्हारी मम्मी को इसलिए ढूंढ रही थी ताकि मैं उनसे
अपने बदन की मालीश करवा सकुं,,,,
( अपनी मामी की बस इतनी सी बात सुनते ही,,, उसके लंड नजर आने लगा वो समझ गया कि आज उसकी मामी की बुर उसे चोदने को जरूर मिलेगी,,, इसलिए वह भी वक्त गवाए बिना बोला।)
तो इसमें कौन सी बड़ी बात है मालिश करने में तो मे माहिर हूं,,,
तू किसकी मालीश करता है तुझे आता है क्या मालीश करना,,,
अरे मामी इसमें कौन सी बड़ी बात है,। कितने कैसा सीखना होता है मम्मी ने मुझे सब कुछ सिखा दि है। उनका बगन जब भी दर्द से टूटता था तो वह मुझे मालूम करने को कहती थी और धीरे-धीरे मैं इतनी अच्छी मालिश करने लगा कि मम्मी को दवा की जरूरत नहीं पड़ती,,,,
( शुभम की बातें सुनकर वह मन ही मन प्रसन्न होने लगी उसका रास्ता साफ होते नजर आ रहा था।)
तो क्या तू मेरी भी मालिश करके मेरा दर्द मिटा देगा,,,
हां मामी यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है,,।
चल ठीक है तू कहता है तो मैं आज देख लूं कि सच में तु मालीश कर पाता है या ऐसे ही बातें बना रहा है,,।
जो भी कह रहा हूं सच कह रहा हूं आजमा कर देख. लो,,,,
लेकिन मुझसे एक वादा करना होगा,,,
कैसा वादा?
यही कि तू मेरे और तेरे बीच कि यह मालिश वाली बात किसी से भी नहीं कहेगा,,, तभी मैं तुझ से मालिश करवाऊंगी,,,
( शुभम को क्या था उसे तो दोनों हाथों में लड्डू लेने से मतलब था और वह अपने दोनों हाथों में लड्डू के साथ-साथ मुंह में भी लड्डू लेने के लिए तड़प रहा था इसलिए वह बोला।)
आप बेफिक्र रहिए मामी मैं किसी से कुछ भी नहीं कहूंगा,,,
( शुभम की बात सुनकर मन ही मन प्रसन्न होने लगी उसके होठों पर मादक मुस्कान आ गई और वह मुस्कुराते हुए बोली,,,।)
तो चल मेरे साथ मेरे कमरे में वही तुझ से मालिश करवाऊंगी,,,
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