RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम एकदम से प्रसन्न हो गया था,, क्योंकि वह जानता था कि मामी का इस तरह से अपने कमरे में बुलाकर मालिश करने का आमंत्रण साफ तौर पर उन्हें चोदने का अमुल्य अवसर था। और इस अवसर को शुभम किसी भी हाल में अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था जिंदगी में पहली बार किसी गैर औरत को चोदने का शुभ अवसर जो उसे मिल रहा था। दूसरी औरतों को चोदने का अनुभव भी वह महसूस कर लेना चाहता था। उसकी बड़ी मामी इतना कहकर अपने कमरे की तरफ चल दी,,,, शुभम जल्दी से अपने बिस्तर से उठा और टी-शर्ट पहन कर एक बार कमरे से बाहर जाते जाते पजामे के ऊपर से ही अपने तने हुए लंड को पकड़ कर बोला,,,।
बहुत ही जल्द तेरे भाग्य खुलने वाले हैं,,, अगर सबकुछ ठीक हुआ तो आज तुझे बालों वाली बुर चोदने को मिलेगा,,,,
( और इतना कहकर वह कमरे से बाहर आ गया आज घर पर कोई भी नहीं था सिवा उसकी बड़ी मामी और उसके,,, इसलिए उसके मन में किसी भी प्रकार का भय नहीं था। और वैसे भी उसकी मां ने पहले से ही उसे इतना बता दी थी कि शाम ढलने से पहले वो लोग वापस नहीं आ पाएंगे,,, दोनों के पास पर्याप्त मात्रा में समय था शुभम इधर उधर देखते हुए अपने मामी के कमरे की तरफ आगे बढ़ने लगा,,,। अगले ही पल में अपनी मामी की कमरे के बाहर खड़ा था,, दरवाजा बंद था, दरवाजा बंद होने की वजह से वह थोड़ा असहज महसूस करने लगा,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कुछ सेकंड पहले ही अपने कमरे में आने का आमंत्रण देकर उसकी मा्मी ने इस तरह से दरवाजा क्यों बंद कर ली,,, फिर भी वह दरवाजे पर दस्तक दिए बिना ही बोला,,,।
मामी ओ,,,,, मामी कहां हो तुम,,,,?
दरवाजा खुला है अंदर आ जा,,,,।
( इतना सुनते ही उत्तेजना के मारे शुभम का दिल जोर से ऊछलने लगा,,, और यही हाल उसकी मा्मी का भी हो रहा था क्योंकि पहली बार ही वह कमरे में किसी गैर मर्द को आने का आमंत्रण दे रही थी।,,, शुभम तो इजाजत पाते ही दरवाजे को हल्के से धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया। शुभम की नजर कैसे हैं कमरे के अंदर गई तो अंदर का नजारा देखकर हक्का-बक्का रह गया। ऊसकी बड़ी मामी, बिस्तर पर बैठी हुई थी और कंधे पर से साड़ी का पल्लू नीचे लुढ़का हुआ था। और तों और ब्लाउज के ऊपर के दोनों बटन खुले हुए थे जिसकी वजह से उसकी चूचियों का ज्यादातर हिस्सा बाहर नजर आ रहा था शुभम की नजर तो अपनी मामी की दोनों गोलाइयो पर ही टिकी की टिकी रह गई। शुभम को एक बात और हैरान करने वाली थी कि जब वह उसके कमरे में आई थी तब उसके ब्लाऊज के सारे बटन बंद थे,,, लेकिन अभी ब्लाउज के दोनों बटन खुले थे या जानबूझकर उसकी मामी ने खुद ही खोल दि थी,,,, औरतों मस्ती करने के अनुभव के हिसाब से,,
अब तक इतना तो समझ ही गया था कि जानबूझकर उसकी मम्मी ने अपने ब्लाउज के दोनों बटन उसे रिझाने के लिए खोल रखी थी। ऐसे में चाहे कुछ भी हो फायदा तो सिर्फ शुभम का ही था। बिस्तर पर बैठीे अपनी मामी की कामुकता को देखकर शुभम सब कुछ भूल कर एक टक बस उसे देखते ही रह गया। उसकी मामी मन ही मन प्रसन्न होने लगी क्योंकि जिस वजह से ऊसने अपने आप से दोनों बटन को खोली थी,,, वह वजह सफल होती नजर आ रही थी।,, शुभम को अपनी तरफ इस तरह से देखते हुए पाकर वह बोली।
अब देखते ही रहोगे यै इधर भी आओगे (इतना सुनते ही जैसे उसे नींद से जगाया हो इस तरह से चौकते हुए अपने कदम को अपने मामी की तरफ आगे बढ़ा दिया,, जैसे ही वह अपने कदम को आगे बढ़ाया ही था कि वह बोल पड़ी,,,,)
अरे अरे पहले दरवाजा तो बंद कर ले,,,
ओह सॉरी मैं भूल गया (इतना कहने के साथ ही वह दरवाजे को बंद करने के लिए दरवाजे की तरफ बढ़ा,,, दरवाजे पर कुंडी लगाए बिना ही वह दरवाजे को बंद करके वापस लौट हीलाते रहा था कि तभी उसकी मामी फिर बोल पड़ी,,,
अरे कुंडी तो लगा दे।,,,,
( अपनी मामी की बात सुनते ही वह जल्दी से दरवाजे की कुंडी लगाकर दरवाजे को बंद कर दिया,,, हड़बड़ाहट में वह सबकुछ भूल ही जा रहा था। अपनी मामी के मुंह से कुंडी लगा दे ऐसा सुनकर उसके बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ नेे लगी क्योंकि कुंडी लगाने का संकेत वह साफ-साफ समझ रहा था,,, बंद कमरे में एक खूबसूरत जवान औरत और नई उम्र का लड़का जब आपस में मिलते हैं तो वह लोग सिर्फ एक ही खेल खेलते हैं,,,चुदाई,,,,,,,, चुदाई,,,,, और बस चुदाई,,,,,,,
कुंडी लगाने का मतलब यही था कि अब यह खेल शुरू होने वाला है। दरवाजे पर कुंडी रखते ही वह अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहती थी इसलिए बिस्तर से खड़ी होती हुई बोली,,,
देख सुभम ऊस आलमारी में सरसों के तेल की शीशी होगी उसे लेते आना तो,,,,( हाथ के इशारे से उसे अलमारी दिखाते हुए बोली,,शुभम भी बिल्कुल देर नहीं करना चाहता था इसलिए वह, तुरंत अलमारी खोल कर इधर उधर देखा तो जल्दी उसे सरसों से भरी तेल की शीशी नजर आ गई, और वह झट से उसे लेकर अलमारी बंद करके जैसे ही अपनी मामी की तरफ मुड़ा तो अपनी मामी को देखते ही उसके तन-बदन में उत्तेजना की चिंगारियां फूटने लगी,,,, वह तों वहीं पर जड़वंत हो कर बस उस नजारे को अपनी आंखों के द्वारा देखते हुए उसका रसपान करने लगा।,,, करता भी क्या नजारा ही कुछ ऐसा था उसकी मामी बिना उसकी तरफ देखे अपनी साड़ी खोल रही थी। थोड़ी ही देर में उसके बदन से साड़ी अलग हो गई और वह अपनी साड़ी को बिस्तर पर फेंक दी,,, उसकी पीठ शुभम की तरफ थी जिसे वह जानबूझकर की हुई थी,,,ताकी चुस्त पेटीकोट में,, शुभम उसकी भरावदार और बड़ी-बड़ी गांड के आकार का मुआईना कर सके,,, और जैसा वह सोची थी बिल्कुल वैसा ही हो रहा था,,,। हाथ में तोल की बोतल लिए सुभम बार-बार अपनी मामी को ऊपर से नीचे की तरफ देख रहा था,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें क्योंकि इस उम्र में भी ऊसकी मामी का बदन खेतों में काम कर करके एकदम कसा हुआ था। बदन पर कहीं भी अधिक चर्बी का नामोनिशान नहीं था बस हल्का सा पेट निकला हुआ था। ब्लाउज पीछे से साधारण यह डिजाइन का था लेकिन डोरी से बना होने के कारण बेहद खूबसूरत और बदन की मादकता को और ज्यादा बढ़ा दे रहा था। हल्का सा सांवलाराम होने के बावजूद भी बदन में अजीज से निखार के साथ साथ गजब का चमक दिखाई दे रहा था। पतली कमर से हल्का सा ज्यादा घेराव होने की वजह से कमर के नीचे नितंबो का घेराव कुछ ज्यादा ही था जिसकी वजह से उसकी मामी का बदन कामोतेजना से भरपुर लग रहा था। चुस्त पेटीकोट,, का वह हिस्सा जो कि नितंबों से नीचे होता है, और नितंबों के बीच की फांक की गहराई और जांघों के बीच के फासले मैं इस तरह से उलझा हुआ था कि पेटीकोट में होने के बावजूद भी कमर के नीचे का पूरा बदन साफ तौर पर उसके आकार का कटाव और घेराव पेटीकोट के ऊपर से भी बड़े आराम से नजर आ रहा था। जिसे देखते ही शुभम के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी।,,, कुछ देर तक शुभम की मामी जानबूझकर इसी तरह से,, खड़ी होकर अपने खूबसूरत बदन का रसपान अपने भांजे को कराती रही,, शुभम भी अपनी मां के खूबसूरत बदन की शारीरिक संरचना,, से पुरी तरह से वाकिफ था,, और तो और बाकी का कसर उसकी शीतल मैडम पूरा कर दे रही थी,, जिसकी वजह से औरत के बदन का कौन सा हिस्सा,, मर्दों के कामोत्तेजना और ज्यादा बढ़ाता है इस बारे में शुभम को भलीभांति मालूम था इसलिए तो उसकी नजर,,, उसकी मामी की बड़ी-बड़ी गांड पर ही टिकी हुई थी और यही तो शुभम की सबसे बड़ी कमजोरी भी थी,, जहां पर भी बड़ी-बड़ी और गोल गांड को दर्शन हो जाते थे,,, उसे छूने के लिए उसे पाने के लिए शुभम का मन बेचैन हो जाता था। कुछ मिनटों तक शुभम ऐसे ही खड़े खड़े ही अपनी मामी की खूबसूरत बदन को ऊपर से नीचे की तरफ देखकर अपनी आंखों को ठंडक देता रहा,,,, लेकिन इस तरह से खूबसूरत बदन को देखने की वजह से आंखों की ठंडक टांगों के बीच में गर्माहट दे रही थी। देखते ही देखते शुभम के पजामे मे पुरा तंबू बन चुका था। लेकिन इस बात का एहसास ऊसे बिल्कुल भी नहीथा वह तो एक दम मस्त हो कर अपनी मामी की खूबसूरत बदन का रसपान कर रहा था,, जो हाल शुभम का था उससे कहीं ज्यादा बेहाल उसकी मामी हुए जा रही थी,,, क्योंकि आए दिन शुभम को तो इस तरह के नजारे देखने की आदत सी हो गई थी कभी उसकी मां ईस तरह के नजारे दिखातीे तो कभी शीतल मैडम,,,,, लेकिन उसकी मामी का तो यह पहला अनुभव था क्योंकि पहली बार ही वह किसी गैर मर्द भले ही वह अभी जवान हो रहा हो लेकिन था तो एक पूरा मर्द ही,,, उसके सामने अपनी साड़ी उतार कर केवल ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी। जिस तरह का अनुभव शुभम अपने पजामे में कर रहा था उसी तरह का अनूभव उसकी मांमीे अपनी टांगों के बीच कर रही थी,,, जिस तरह की कामोत्तेजना का असर उसके बदन में हो रहा था वह बता नहीं सकती थी। उसकी बुर से लगातार नंमकीन रस झर रहा था। ऊसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। उत्तेजना के मारे उसकी टांगों में कंपन सा हो रहा था उसके में इतनी हिम्मत नहीं थी कि पलटकर शुभम की तरफ देख सके। इस हालत में वह शुभम से शायद नजरें मिलाने से कतरा रही थी,, करीब-करीब पांच छ मिनट जैसा गुजर चुका था।। इतना तो वह समझ ही गई थी ईतनी देर से उसकी पीठ की तरफ खड़ा होकर शुभम क्या देख रहा होगा,,,। इस बात का एहसास होते ही की उस का भांजा चुस्त पेटीकोट में छिपी हुई उसके नितंबों के आकार को ही देख रहा होगा उसके तन-बदन में चीटियां रेंगने लगी।
वह हिम्मत करके शुभम की तरफ घूमते ही बोली,,,,
अरे तुझे कितनी देर्ररर,,,,,,( इतना कहने के साथ ही उसके मुंह में शब्द अटके के अटके ही रह गए,, क्योंकि उसकी नजर सीधे हीलाते शुभम के पजामे में बने तंबू पर पड़ गई,,, जो की पजामे मैं पूरी तरह से तना हुआ था। इतने ऊंचे और मजबूत तंबु को देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई वह आगे कुछ बोल नहीं पाई,,, अपनी मामी की हालत को देखकर उससे यह समझते देर नहीं लगी कि उसकी मा्मी ने पजामे में बने उसके तंबु को देख ली है। और इस बात का एहसास उसे तभी हुआ कि ऊसका लंड पूरी तरह से खड़ा है।,,,
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