Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 03:16 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम के दोनों हाथों में उसकी मस्ताई मामी की बड़ी बड़ी गांड की दोनों फांके किसी पके हुए फल की तरह लग रही थी जिसे वह जोर जोर से दबा कर उसका रस निचोड़ना चाहता था।,, अब तो 2 इंच तक ऊसकी टांग खुल जाने की वजह से उसकी मामी की रसीली बुर उसे साफ साफ नजर आ रही थी जिसे देखकर उसके लंड में गर्माहट बढ़ती जा रही थी। शुभम उत्तेजना से सराबोर हो चुका था पूरी ताकत लगाकर वह अपनी मामी की गांड को जोर जोर से दबा रहा था साथ ही अपनी उंगलियों को गांड की फांकों के बीच रगड़ता हुआ ऊपर नीचे कर रहा था जिसकी वजह से उसकी मामी के बदन में उत्तेजना की सुरसुराहट बढ़ती जा रही थी। बार-बार सुभम अपनी उंगली को गांड की फांकों के बीच की गहराई में धसाते हुए,, अपनी बीच वाली उंगली के पोर को उसकी गांड की भूरे रंग के छेद पर धंसा दे रहा था,,, जिसकी वजह से उसकी मां भी अपने आप को असहज महसूस कर रही थी, क्योंकि आज तक ऊस छेद पर उसके पति ने भी कभी हाथ नहीं लगाया था,,,, इसलिए अपने भांजे के द्वारा उस छोटे से छेद पर हाथ लगाने से उसका बदन पूरी तरह से गनगना जा रहा था। जब जब उसे छेद पर शुभम की उंगली का स्पर्श होता उसके बदन में कसमसाहट बढ़ने लगती थी,,, दोनों के बीच कोई वार्तालाप नहीं हो रहा था दोनों खामोश थे पर दोनों के मुंह उत्तेजना के मारे खुले हुए थे क्योंकि दोनों की सांसे भारी चल रही थी। शुभम की मम्मी बेहद उत्तेजना का अनुभव करते हुए पानी-पानी हुए जा रही थी। शुभम की भी हालत पल-पल खराब हुए जा रही थी। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि यह सब इतनी जल्दी हो जाएगा हालांकि पहले दिन से ही उसकी नजर अपनी मामी पर थी लेकिन इतनी जल्दी उसकी मम्मी उसकी गोदी में आ गिरेगी इस बात की उससे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। जो कुछ भी हो रहा था उसने दोनों को बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी घर के सभी लोग बाजार गए हुए थे और उन दोनों के पास काफी समय भी था इसलिए शुभम अपने दोनों हाथों से आराम आराम से लेकिन बेहद उत्तेजना दिखाते हुए अपनी मामी की गांड को दबा रहा था। कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही बस दोनों की गरम सांसो की आवाज से ही कमरा गूंज रहा था,,,, दोनों के बीच की चुप्पी को तोड़ते हुए शुभम बोला,,,।..

मामी एक बात बोलूं बुरा मत मानना (अपनी बीच वाली उंगली को गांड की फांकों के बीच धंसाते हुए खास करके बुर के ऊपरी वाले सतह पर जहां पर ऊसकी गांड का भुरे रंग का छेंद था। जिसकी वजह से उसकी मामी की सिसकारी निकल गई,,,,,।)

ससससहहहहहह,,,,,, क्या बोलना चाह रहा है बता।,,,

मामी तुम सुनते क्यों नहीं पहनती हो, पेटीकोट के अंदर एकदम नंगी हो,,,,( इस बार अपने बीच वाली उंगली को गुरु की गुलाबी पत्तियों के बीच रखकर हल्के से दबाते हुए बोला।)

आहहहहहहहह,,,,,,, पपपपप,,,,, पेंटी,,, ( आश्चर्य के साथ कुछ सोचते हुए) अच्छा कच्छी,,,,,,, नहीं मैं कभी नहीं पहनी।

क्या कह रही हो मामी सच में कभी नहीं पहनी,,,,

नहीं रे मैं सच कह रही हूं मैंने कभी भी नहीं पहनी कच्छी पहनने में बड़ा अजीब महसूस होता,,,।

कच्छी हम लोग तो पेंटी कहते हैं।,,,

क्यों तुझे कच्छी कहना अच्छा नहीं लगता,,

नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मामी बल्कि यह शब्द तो बहुत ही रोमांच से भरा हुआ लगता है। लेकिन क्या मामी गांव की सभी औरतें पेटीकोट के अंदर नंगी ही रहती है या वह लोग पहनती हैं।( शुभम जानबूझकर अपनी मामी से खुले शब्दों में वार्तालाप कर रहा था वह देखना चाहता था कि उसके द्वारा इस तरह के खुले शब्दों का प्रयोग करने पर उसकी मामी पर क्या प्रभाव पड़ता है।,,,।)

तुझे सच कहूं तो मैं किसी भी औरत को झांकने नहीं जाती कि वह लोग पेटीकोट के अंदर क्या पहनती हैं। लेकिन फिर भी तुम्हें जानती हूं कि अधिकतर औरतें गांव में पेटीकोट के अंदर नंगी ही रहतीे हैं।,,,( उसकी मामीें भी नंगी जैसे शब्दों का खुलकर प्रयोग कर रही थी जिससे शुभम के लिए रास्ता और आसान होता जा रहा था क्योंकि उसे भी खुले शब्दों से बिल्कुल भी एतराज नहीं था।,,, शुभम यह बात अच्छी तरह से जानता था कि औरतों के मन में क्या चल रहा है अगर इस बात को जानना है तो उन्हें धीरे-धीरे अपनी बातों में उलझाते हुए पूछना चाहिए जिससे वह लोग उनके मन में क्या चल रहा है सब कुछ बता देती है क्योंकि इसका ताजा उदाहरण उसकी मम्मी ही थी बातों-बातों में ही उसने उसकी मम्मी के मन में क्या छिपा हुआ है सब कुछ जान लिया था तभी तो आज वह,,, बेहद खूबसूरत औरत को भोगने का सुख भोग रहा था।,,, इसलिए वह अपनी मामी को भी भोगने का पूरा मन बना चुका था इसलिए बोला,,।

अभी तो आप कह रहे हो कि मैं कहां देखने जाती हूं कि कौन क्या पहना है और कह रही हो कि पेटीकोट के अंदर अधिकतर औरतें नंगी रहती हैं हमारे शहर में तो ऐसा नहीं होता वहां तो सब पैंटी पहनती है।

पर तुझे कैसे पता कि शहर की सारी औरतें कच्छी पहनती हैं। तू क्या देखना चाहता है या देखा है किसी को,,, कही ऐसा तो नहीं कि तू अपनी मम्मी को ही कच्छी पहनते हुए देखा है।,,, ( अपनी मां का जिक्र आते ही शुभम थोड़ा सा शक पका गया लेकिन बात को संभालते हुए बोला)

नहीं कैसी बातें कर रही हो मामी मैं भला अपनी मम्मी को क्यों देखने लगा,,, लेकिन हां 2. 3 औरतों को जानता हूं पर देखा हूं कुछ भी बोल सकता हूं कि वहां पर सारी औरतें पहनती पहनती हैं।
( शुभम जानबूझकर अपनी बातों में दूसरी औरतों का जिक्र कर रहा था ताकि उन औरतों की बातों को वह नमक मिर्च लगाकर इतनी चटपटी बना सकें ताकि उन औरतों की बातों को सुनकर उसकी मामी खुद ही अपनी टांग फैलाकर उसके लंड को लेने के लिए तैयार हो जाए,,, इसलिए तो कच्छी पहनने के बारे में दो-तीन औरतों का जिक्र आते ही उसकी मामी के चेहरे पर आश्चर्यजनक भाव नजर आने लगे और वह आश्चर्यचकित होकर बोली।),,

क्या तू दो-तीन औरतों को जानता है वह भी कच्छी पहनने के मामले में,,, इसका मतलब तू उन दो तीन औरतों को देखा भी होगा कपड़े पहनते हुएैं या तो वह लोग खुद तुझे दिखाई होंगी,,, इसका मतलब तू जैसा दिखता है वैसा बिलकुल भी नहीं है अब तु सच मे बड़ा हो गया है।,,, )

नहीं मामी ऐसी कोई भी बात नहीं है । (इस बार अपनी बीच वाली उंगली को बुर के अंदर हल्के से घुसाते हुए,, जिससे कि उसकी मामी एकदम कामावेश में आकर बिस्तर पर बिछी हुई चादर को अपनी मुट्ठी में भींचते हुए हल्की सी सिसकारी लेने लगी,,, जिसे देख कर शुभम को समझते देर नहीं लगी की उसकी मामी लंड लेने के लिए पूरी तरह से तैयार है, अगर वह इस समय भी अपने लंड को ऊसकी बुर में डाल दे तो वह इनकार बिल्कुल नहीं करेगी लेकिन उसे धीरे-धीरे मजा लेना था,,, इसलिए वह अपनी मामी को पूरी तरह से उत्तेजित कर लेना चाहता था।) अब औरतें हैं उनका दिल ना जाने कब किस पर आ जाए यह कोई कहां बता सकता है।
( शुभम की गोल गोल बातें उसके बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही थी इसलिए वह उससे बोली,,,।)

तू बातों को गोल गोल घुमा कर मत बोल मुझे समझ में नहीं आ रहा है सीधे-सीधे बोल तू बोलना क्या चाहता है।,,,
( शुभम अपनी मामी की उत्सुकता देखकर अपना पासा फेंकते हुए बोला,,।)

सब बता दूंगा लेकिन पहले तुम मुझे यह बताओ कि तुम्हें कैसे मालूम है कि गांव की सभी औरतें पेटीकोट के अंदर एकदम नंगी रहती है कच्छी नहीं पहनती,,,( इस बार उसे बहुत कच्छी शब्द पर ज्यादा जोर देते हुए बोला और उसकी मामीं ने भी शुभम के मुंह से कच्छी शब्द सुनकर नजरें उठाकर उसकी तरफ मुस्कुराते हुए देखने लगी,,।)

अब तू मुझे अपनी बातों में उलझा रहा है लेकिन,,, तेरी बात मानते हुए मैं तुझे बताती हुं। देख यहां पर सभी औरतें हेडपंप के नीचे या कुएं पर इकट्ठे होकर नहाती हैं और नहाते समय हम लोग एक दूसरे के अंगों को उनके बदन को देख ही लेते हैं आज तक मैंने ऐसी कोई भी औरत नहीं देखी जो कि नहाने के बाद,,,, अपने बदन पर से कच्छी निकालती हो,,, हां नवी नवेली दुल्हन या तो लड़कियां ही कच्छी पहनती है,,, शादीशुदा औरतें तो बिल्कुल वैसे ही रहती है एकदम नंगी,,, मेरा मतलब है कि पेटीकोट के नीचे नंगी,,,, ( इतना कहकर वह हंसने लगी शुभम भी अपनी मामी की बात सुनकर हंसने लगा,,,।)

अच्छा तू बता तेरा क्या मामला है,,,,( शुभम की मम्मी बेहद उत्सुक थी उन औरतों के बारे में शुभम के मुंह से सुनने के लिए,,, लेकिन शुभम अपनी मामी को थोड़ा और तड़पाना चाहता था उनकी उत्सुकता को और ज्यादा बढ़ाना चाहता था इसलिए वह बात को पलटते हुए बोला।)

जाने दो ना मानी ऐसी कोई भी बात नहीं है खामखाह आप मेरे बारे में कुछ उल्टा सोचने लगेंगी,,,,( इतना कहने के साथ ही शुभम बात को घुमाते हुए बोला।)
चलिए यहां तो आप की मालिश हो गई,,, (अपनी मामी की गोल-गोल गांड पर नजरें टिकाए हुए वह बोला)
एक बात कहूं मामी आप बुरा मत लगाना मेरे मन में यह बात आपको देखते ही उठ रही थी,,, इसलिए बोले बिना नहीं रहा जा रहा है अगर आपकी इजाजत हो तो मैं बोल दूं,,,
( शुभम की ऐसी बात सुनकर उसके मन में बड़ी तीव्र उत्सुकता होने लगी यह जानने के लिए कि शुभम क्या बोलना चाहता है नजरें तिरछी करके वह इतना तो जान ही गई थी कि शुभम इस समय अपनी नजरें उस के कौन से अंग पर टीकाया हुआ है। इसलिए वह बोली।)

देख शुभम ने तुझे पहले ही कह दी हो कि तेरे मन में जो भी है वह बोल दे इस तरह से बार-बार मेरी इजाजत मत लिया कर,,,

ठीक है मामी आप कहती हैं तो मैं बोल देता हूं वरना मेरी कहां इतनी हिम्मत है कि कुछ बोल सकूं,,,
( शुभम के इस तरह से चिकनी चुपड़ी बातें सुनकर वह मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली।)

चल अब बातें मत बना क्या बोलना चाहता है वह बोल दे,,,,

मामी कैसे कहूं मेरी तो हिम्मत ही नहीं हो रही है लेकिन
( अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी हथेली की उंगलियों को हल्के से अपनी मामी की बड़ी-बड़ी गोल नितंबों पर फीराते हुए,,,।)

मामी आपकी गांड बहुत खूबसूरत है मैंने आज तक ऐसी खूबसूरत और गोल गोल गांड नही देखा।

उसे इस बात की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि शुभम इस तरह का कुछ बोल देगा वह अपनी गांड की तारीफ अपने भांजे के मुंह से सुनकर उत्साह में एकदम गदगद हो गई थी,,,, उत्तेजना में आकर उसके बदन में कसमसाहट होने लगी अपने भांजे की बात सुनकर वह क्या बोले उसके मुंह से तो एक शब्द नहीं फुट रहे थे।
सुभम ऊसी तरह से हल्के हल्के अपनी उंगलियों को अपनी मामी की बड़ी-बड़ी और चौड़ी गांड पर फिरा रहा था जिसकी वजह से उसके बदन में गुदगुदी हो रही थी और वह अपनी कमर को हल्के हल्के ऊपर नीचे करते हुए शुभम की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रही थी।,,,, शुभम अपने बीच वाली उंगली को गांड के बीच की गहराई में हल्के से ऊपर से नीचे की तरफ घुमाते हुए बोला।

सच में तुम बुरा मत मानना मैंने आपकी खूबसूरती की तारीफ किया हूं कुछ गलत नहीं बोला हुं। अगर आपको मेरी बात गलत लगी हो तो उसके लिए कान पकड़कर माफी मांगता हूं,,,,
( अपनी मां के साथ शारीरिक संबंध बनाकर और शीतल की जवानी को महसूस करके शुभम औरतों को पटाने में ज्यादा ही माहीर हो गया था वह जानता था कि उसकी बातें सुनकर उसकी मामी कभी बुरा नहीं मानेंगी क्योंकि वह अपनी बात इस तरह से औरतों के सामने रखता था ताकि वह लोग उसकी बात की कायल हो जाती थी और यही ऊसकी मामी के साथ भी हुआ। एक तो पहले से ही वहां अपने भांजे को मैसेज अपने नितंबों की तारीफ सुनकर खुशी से गदगद हो चुकी थी और इस तरह की बातें उसके मन में शुभम के पति और झुकाव होने लगा वह शुभम की बात सुनकर तुरंत बोली,,,।)

नहीं ऐसी कोई भी बात नहीं है मुझे गुस्सा बिल्कुल भी नहीं लग रहा है हां लेकिन तेरी जगह कोई और होता तो उसके गाल पर अभी तक एक थप्पड़ जड़ दि,, होती,,,
( शुभम अपनी मामी की बात सुनकर खुश हो गया धीरे-धीरे उसे रास्ता साफ नजर आ रहा था उसके मन में अब उसकी बुर को पूरी तरह से नजरों के सामने देखने के लिए होने लगा। वह अपनी मामी की रसीली बुर को एकदम नंगी देखना चाहता था अभी तक तो उसे बस बुर का हल्का सा छेंद ही नजर आ रहा था,,, जिसे वहां उंगली से टटोलकर ही उसका जाएजा ले पा रहा था,। लेकिन अब उसका मन बस टटोलल कर ही नहीं भरने वाला था। इसलिए वह अपनी मामी की कमर को हल्के से थामते हुए बोला।,,,, )
मामी अब सीधे लेट जाओ मैं तुम्हारी जाघो पर मालिश कर देता हूं।

( इतना सुनते ही उसके बदन में सिहरन सी दौड़ गई क्योंकि जो करने के लिए शुभम बोल रहा था वैसा करने पर उसकी बुर सीधे उस की आंखों के सामने आ जाती,,, इसलिए वह शुभम की बात सुनते एकदम पानी पानी हुए जा रही थी हालांकि उसके बदन में उत्सुकता भी बनी हुई थी क्योंकि अजीब सी हलचल उसके बदन को झकझोर कर रख दे रही थी। वह यह भी देखना चाहती थी कि किसी गैर मर्द के सामने अपनी बुर दिखाने पर औरतों को किस तरह का महसूस होता है।
शुभम तो उसको पलटी मारने के लिए उसके कमर पर अपने दोनों हाथ रख दिया था और हल्के से उसे उठाने की कोशिश भी कर रहा था लेकिन यह देखना चाह रहा था कि उसकी मामी क्या करती है,,, लेकिन यह देख कर उसको हैरानी के साथ-साथ रोमांच का भी अनुभव हुआ क्योंकि वह तो हल्के से सिर्फ कमर पर हाथ ही रखा था और उसकी बात सुनते ही कुछ ही सेकंड में उसकी मामी ने अपने आप खुद ही पलटी मार कर पीठ के बल लेट गई,, हालांकि शर्म महसूस करते हुए उसने एक हाथ से अपनी पेटीकोट को हल्का सा नीचे की तरफ करके मात्र अपने 2 इंच की बुर को ढक ली थी।,,,


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RE: Sex kahani अधूरी हसरतें - by sexstories - 04-01-2020, 03:16 PM

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