RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
उसकी मामी पीठ के बल लेटी हुई थी लेकिन शर्म से पानी-पानी हो जा रही थी इसलिए अपने चेहरे को दूसरी तरफ घुमा ली थी,,,,, शुभम की आंखों के सामने जवानी से भरी मदहोश कर देने वाली औरत बिस्तर पर लेटी हुई थी जो कि अर्धनग्न अवस्था में अपनी जवानी का जलवा बिखेर रही थी।,,, शुभम तो फटी आंखों से बस देखे जा रहा था उसे क्या मालूम था कि सच में उसकी मामी हुस्न की मल्लिका है। लेकिन एक बात का मलाल उसके मन में था कि उसकी मामी ने पीठ के बल लेटते समय अपनी बुर को ढक ली थी और उसे ही तो वह देखने के लिए मरा जा रहा था। फिर भी वहां एकटक अपनी मामी की खूबसूरत जांघो को देखता हुआ फिर से शीशी से तेल निकाल कर जानू पर मालिश करना शुरू कर दिया। मामी की नरम नरम मक्खन जैसी जांघों को अपनी हथेली से मलते हुए शुभम उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच चुका था। जहां पर मालिश करते हुए उसकी नजर जांघों के बीचोबीच ही टिकी हुई थी जहां पर सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था क्योंकि बुर के ऊपर ही पेटीकोट थी।,,, उसकी मामी तो एकदम से चुदवासी हो चुकी थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था बहुत मजा आ रहा था।,,, वह हल्के हल्के से अपनी हथेलियों को ऊपर की तरफ ले जा रहा था। बुर को बार बार स्पर्श कर चुका शुभम इस समय पेटीकोट को हटाने में असमर्थ लग रहा था। वह अपनी मामी की खूबसूरत बदन के आकर्षण में पूरी तरह से बंध चुका था। उसकी हथेली धीरे-धीरे ऊपर की तरफ जा जरूर रही थी लेकिन इस समय सुभम ना जाने किस कारण से अपनी मामी की बुर को स्पर्श नहीं कर पा रहा था और उसकी मामी इस इंतजार में थी कि कब शुभम उसकी दोनों को अपनी हथेली में लेकर दबोचेगा, दबाएगा,,,, इसलिए उत्तेजना के मारे उसका बदन कसमसा रहा था। और उसकी कसमसाहट शुभम के बदन में उत्तेजना की चिंगारी भड़का रही थी। एक बार फिर से कमरे में दोनों के बीच खामोशी छा गई,,, जिस तरह का उत्तेजना का अनुभव शुभम की मम्मी इस समय कर रहे थे इस तरह का अनुभव तो वहां अब तक नहीं कर पाई थी ना तो अपनी जवानी के दिनों में और ना ही इस तरह से प्यासी जीवन निर्वाह कर रही थी तब,,, और वह इस उत्तेजना ं को कम नहीं होने देना चाहती थी। इसलिए दोनों के बीच की खामोशी को तोड़ते हुए बोली,,,,
अरे तू बताया नहीं ऊन दो तीन औरतों के बारे में जिसको देख कर तु यह दावे के साथ कहता है कि शहर की सभी औरते के पेंटिं मेरा मतलब है कि कच्छी पहनती है।,,,,
( अपनी मामी की बात सुनकर सुदामा समझ गया कि मामी की प्यास बढ़ती जा रही है जो कि उसके लिए खुद ही उसकी टांगों के बीच जाने का रास्ता दिखा रही थी शुभम मनगढ़ंत कहानी बनाते हुए बोला।)
जाने दो ना मामी उन तीनों औरतों के बारे में सुनकर आप क्या करोगी,,,,
अरे मुझे भी तो पता चले आखिर वहा तीन औरतें थी कौन जिसने तुझे इस बात का ज्ञान दी की क्या पहनना चाहिए क्या नहीं पहनना चाहिए,,,,
नहीं जाने दो मामी आप मेरे बारे में गलत सोचने लगोगी,,,
देखने कुछ भी गलत नहीं समझूंगी बस तू मुझे सच सच बता दे,,,,( वह शुभम को जोर देते हुए बोल भी रही थी और साथ ही अपनी नजरें उससे मिला भी नहीं पा रही थी,,,, आपको देखकर शर्म और उत्सुकता दोनों की मूरत एक साथ नजर आ रही थी। शुभम ज्यादा आनाकानी नहीं करना चाहता था क्योंकि वह जल्द से जल्द अपनी मामी को चोदने की फिराक में था इसलिए वह बोला।)
देखो मामी जो कुछ भी है मैं सच-सच बता देता हूं लेकिन आप बुरा मत मानना,,,
नहीं मानूंगी,,,,
तो सुनो,,, मेरा एक दोस्त था जो कि मेरे ही हम ऊम्र का था मैं रोज उसके घर जाता था,,,। उसकी मम्मी बहुत खूबसूरत है लेकिन मैंने कभी भी उन्हें गलत निगाह से कभी नहीं देखा था, मैं ऊन्हे आंटी आंटी कहकर बुलाया करता था,,,( वहां लेटे लेटे बड़े ध्यान से शुभम की बातें सुन रही थी,,, उसके मन में उत्सुकता बनी हुई थी। शुभम भी कम नहीं था वह जानबूझकर मनगढ़ंत कहानी बनाते हुए अपनी मामी को गर्म करना चाहता था।)
मामी में 1 दिन उसके घर पहुंचा तो आंटी ने मुझे बताई कि वह घर पर नहीं है। वह नहाने जा रही थी और मुझे वहीं रुकने को बोल कर बाथरुम मे घुस गई मैं वहीं बैठ कर इंतजार करने लगा लेकिन तभी 2 मिनट भी नहीं हो गए थे कि बाथरुम में से आंटी की आवाज आने लगी जो कि मुझसे टावल मांग रही थी। मैं टावर लेकर बाथरूम पर पहुंचा और दरवाजे पर दस्तक देने लगा लेकिन अंदर से आंटी की आवाज आई जिसे सुनकर मैं एकदम आश्चर्य से भर गया,,,,
( शुभम की बातें सुनकर शुभम की मामी की हालत खराब होने लगी और वह उत्सुकतावश बोली।)
ऐसा क्या बोली दी उसने जो तू हैरान हो गया,,,
क्या बताऊं मामी मेरा तो पूरा बदन गनगना गया,,,,( मालिश करते करते दोनों जांघों को अपनी दोनों हथेलियों में कस कर बताते हुए जिसकी वजह से उसकी सिसकारी निकल गई।) वह मुझे बोली कि दरवाजा खुला है अंदर आ जाओ,,,।
ससससहहहहह,,,, बाप रे उसने ऐसा कहा उसे बिल्कुल भी शर्म नहीं आई तुम्हें बाथरुम में बुलाते हुए।( शुभम की मामी उत्तेजना के मारे अपने सूखे गले के अंदर थूक को निगलते हुए बोली,,,।)
मामी मैं भी यही सोच रहा था कि आंटी इस तरह से बात करनी मुझे बुला रही है उन्हें शर्म नहीं आती होगी इसलिए मैं कुछ देर तक यूं ही रुका रहा लेकिन बाद में फिर आवाज आई और मुझे जोर देते हुए अंदर बुलाई,,,
( शुभम जोर-जोर से अपनी मामी की यादों को दबा रहा था और उनके चेहरे पर उनके भाव को भी देख रहा था जो कि उत्तेजना के मारे उनका चेहरा लाल होता जा रहा था,,, जो कि शुभम की बातें सुनकर हल्की सिसकारी लेते हुए बोली।)
फिर क्या हुआ?
होना क्या था मुझे अंदर जाना ही पड़ा और अंदर जाते ही जो नजारा मैंने देखा ऊसे देखकर तो मेरे होश उड़ गए,,,
कककक,,,, क्या देखा,,, ( उत्तेजना के मारे हकलाते हुए बोली।)
मैं देखा कि आंटी एकदम नंगी उनके बदन पर केवल उनकी पैंटी भर थी। मेरे तो एकदम होश उड़ जाए जिंदगी में पहली बार में किसी नंगी औरत को देख रहा था कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या देखूं क्या ना देखूं,,,
( शुभम की गरम बातें सुनकर शुभम की मामी उत्तेजना के लहर में गोते लगाने लगी,, शुभम से नजरें मिलाकर उसकी बातों को सुनना चाहती थी, लेकीन उनमें इतनी हिम्मत नहीं हुई, वह दूसरी तरफ नजरें फेरे हुए ही उसकी बातें सुनती रहीं,,,।)
फिर क्या हुआ?
फिर क्या मामी मेरे तो होश उड़ गए थे मेरे हाथों से टावल भी नीचे गिर गई,,,, उसके बाद मेरे शरीर में ना जाने क्या होने लगा,,,, आंटी मुझको देख कर मुस्कुरा रही थी।
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