RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
( अपनी मामी के इस सवाल का शुभम किसी भी प्रकार से जवाब नहीं दे सका क्योंकि वह अपनी मामी की बुर पर हथेली रखकर पूरी तरह से गर्म हो चुका था जिसकी वजह से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,, इसलिए वह लंबी लंबी सांसे भरते हुए सिर्फ अपनी मामी की तरफ देखता रहा। इस उम्र के पड़ाव तक पहुंच चुकी शुभम की मामी अपने भांजे के चेहरे के भाव को देखकर इतना तो समझ ही गई होगी कि उसके बदन में किस प्रकार की हलचल मच रही है तभी उसकी नजर शुभम के पजामे पर गई तो वह दंग रह गई,,,, इस समय पहले से भी ज्यादा भयानक उसके पजामे में तंबू बना हुआ था। और वहं एक टक बस पजामे मैं बने तंबू को देखते हुए शुभम के जवाब का इंतजार भी नहीं की और वह खुद ही बोली।,,,
उसे चुदाई करते हो जो तू उस औरत के साथ कर रहा था तू उसे चोद़ रहा था।,,,( एकदम मदहोशी के आलम में गरम सिसकारी भरते हुए बोली, शुभम भी अपनी मामी के मुंह से खुले शब्द सुनकर एकदम से उत्तेजना से भर गया और जोश मैं आकर कस के अपनी मामी की बुर को अपनी हथेली में दबोच लिया,,, जिससे उसकी सिसकारी निकल गई,,,,।
ससससहहहहहह,,,,,,,, क्या कर रहा है रे,,
( अपनी मामी कि सिसकारी और उसकी बात सुनकर एक दम से चौंक गया,,, और बोला,,,।)
ककककक,,,कुछ नहीं मामी बस ऐसे ही मालिश कर रहा था।
मालिक कर रहा था कि उसका कचुंबर बना रहा है अरे आराम से वह बहुत ही कीमती चीज है।,,
शुभम अभी भी हल्के-हल्के बुर के पर अपनी हथेली घुमा रहा था और अपनी मामी की बात सुनकर आश्चर्य से उसकी तरफ देखते हुए बोला।,,,,,,
कीमती चीज मैं,,,, मैं समझा नहीं मामी,,,,
तू समझेगा भी नहीं अभी बच्चा है लेकिन बच्चा होने के बावजूद भी तू ने उस औरत के साथ बड़ा काम कर दिया,,,,,,
मैंने कौन सा बड़ा काम कर दिया मामी,,,, ( माहौल को देखते हुए शुभम से रहा नहीं गया और वह धीरे-धीरे करके अपनी मामी की पेटीकोट को एकदम कमर तक उठा दिया जिसकी वजह से आप उसकी आंखों के सामने उसकी मामी का बेहद खूबसूरत और बेशकीमती खजाना नजर आने लगा,,,, इतने करीब से शुभम की नजर अपनी मामी की बुर पर गईे तो बस वह देखता ही रह गया,,,, रोऐेदार बालों का झुरमुट,,, उसमे अजीब सी चमक नजर आ रही थी जो कि अपनी तरफ शुभम को पूरी तरह से आकर्षित की हुई थी,,, शुभम की प्यासी नजरें उस छोटे से गुलाबी लकीर को ढूंढ रही थी जिसके लिए वह इतना व्याकुल हुआ जा रहा था।,,, उसकी मामी भी अपने भांजे की हरकत देखकर पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी वह सब कुछ भूल कर बस शुभम की तरफ शर्म से देख रही थी और उसकी अगली हरकत का इंतजार कर रही थी,,,, शुभम आकर्षित होकर बालों के झुरमुट को अपनी उंगलियों से हल्के हल्के इधर-उधर घुमा कर ऊस गुलाबी छेद को ढूंढने लगा,,, और उसकी मम्मी शुभम के इस तरह की हरकत से एकदम रोमांचित हुए जा रही थी उसके तन-बदन में उत्तेजना की चिटिया चिकोटी काट रही थी। वह समझ नहीं पा रही थी कि आखिर शुभम कर क्या रहा है और शुभम इस बार बिल्कुल भी शर्म ना करते हुए। जानबूझकर अपनी ऊंगलियो से उस तूफान के बवडंर को छेड़ना चाह रहा था जो कि बरसों से दबी पड़ी थी,,, थोड़े से ही प्रयास में शुभम को गुलाबी पत्तियों से बनी वह लकीर साफ साफ नजर आने लगी जिसे वह अपनी उंगली के पोर से कुरेदना शुरू कर दिया,,,, इस हरकत पर उसकी मामी की सिसकारी छूट गई,,,,।
सससससहहहहहहह,,,,,, शुभम यह क्या कर रहा है तुझे शर्म नहीं आ रही है मेरे साथ ऐसी हरकत करते हुए
(अगर वह यह बात थोड़ी गुस्से में बोलती तो शायद शुभम रुक जाता लेकिन वह मदहोशी के आलम में एकदम सिसकारी लेते हुए बोल रही थी जिसका साफ मतलब था कि,,, वह उसे रोकना नहीं बल्कि उसे और भी ज्यादा आगे बढ़ने देना चाह रही थी इसलिए तो वह अपनी मामी की बात सुनकर रूके बिना ही लगातार अपनी उंगलियों से बुर की गुलाबी पत्ती को कुरेदता हुआ बोला,,,,।
मामी वह यही अंग है जिसके अंदर उस आंटी ने मुझे मेरे लंड को डालने को बोली थी,,,,
इसे बुर कहते हैं ( वह एकदम गरम आहें भरते हुए बोली,,,।)
पर मामी वह आंटी तो मुझे इस अंग का नाम चूत बता रही थी,,,,
हां,,,, जो तू बोल रहा है वह भी कहते हैं लेकिन हम लोग इसे बुर ही कहते हैं,,,। क्या कहते हैं जरा तू बोल कर बता तो,,,,
बबबबब,,,,, बुर,,, ( शुभम जानबूझकर हकलाते हुए बोला ताकि उसकी मामी को ऐसा लगे कि शायद वह पहली बार इस नाम से अवगत हो रहा है। बुर शब्द बोलते हुए उसके चेहरे पर आई घबराहट को देखकर वह मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली।)
अच्छा तुम एक बात बताओ तुझे बुर शब्द बोलने में अच्छा लगता है या चूत,,,,
ऊममममम,,,, ( सोचते हुए),,,, बुर,,,,,, ( चहकते हुए जवाब दिया,,,)
हैं ना मुझे मालुम था,,,, तू यही जवाब देगा क्योंकि बुर शब्द एकदम देसी लगता है ऐसा लगता है कि कोई अंग्रेजों की एकदम देसी घी से बनी हुई है और उसमें से देसी घी की नदी बहती है,,,,
( उसकी मामी मदहोशी के आलम में बोले जा रही थी जिसका फायदा उठाते हुए अपनी उंगली को उसकी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्ती के बीच प्रवेश करा दिया,,, जिससे उसकी हल्की सी चीख निकल गई,,,व
आहहहहहहहह,,,,,,, ( चीख निकलने के बावजूद भी वह शुभम को कुछ नहीं बोली बस वैसे ही लेटी रही और उसकी उंगली का आनंद लेती रही,,,, अपनी मामी की तरफ से कोई हरकत और खामोशी छाई हुई देखकर शुभम समझ गया कि इस समय ईसकी बुर मे मेरा लंड डाल दु तो भी कुछ नहीं बोलेगी,,, और वह भी बिना रोके अपने बीच वाली उंगली को हल्के हल्के अंदर बाहर करने लगा वह जानता था कि औरतों को इस तरह से उंगली से आनंद देने में उन्हें बहुत कामोत्तेजना का अनुभव होता है और यही उसकी मामी के साथ भी हो रहा था। उत्तेजना के मारे उसका गला सूखता जा रहा था वह कुछ बोल पाने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी तभी शुभम हल्के हल्के से अपनी मामी की बुर मे उंगली पेलते हुए बोला,,,।
मम्मी तुम क्या कह रही थी की मैं अभी छोटा हूं लेकिन बड़ा काम कर दिया मैं कुछ समझा नहीं,,,,।
( उसकी मा्मी तो इस समय एकदम से चुदवासी हो गई थी उसकी लंबी लंबी सांसो के साथ साथ उसकी चूचियां भी जो कि ब्लाउज में कैद थी,,, ऊपर नीचे हो रही थी जिस पर शुभम की नजर पड़ते ही उसके मुंह में पानी आ गया वह उसकी चूचियों को ब्लाउज से बाहर निकालकर मुंह भरकर चुसना चाहता था लेकिन अभी इसके लिए समय था। उसकी मामी तो अपनी भांजी की उंगली का मजा ले रही थी। अपने भांजे के सवाल का जवाब देते हुए वह मदहोश हुए जा रही थी,,, भाभी मन ही मन में यह सोच रही थी कि इतना कुछ हो गया है तो अब शर्म करने से कोई फायदा नहीं था इसलिए वह बोली,,,।
बेटा मैं इसलिए तुझे बच्चा कह रही हूं क्योंकि जिस काम के लिए उस औरत ने तुझे बोली थी उस काम को करने के लिए तेरी उम्र अभी बहुत छोटी है मुझे तो यह समझ में नहीं आता कि तू आखिर उसे चोद केसे लिया,,,,
तुम क्या कह रही हो मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं आखिर उस काम को करने के लिए मैं छोटा कैसे हुआ।
( अपनी बीच वाली ऊंगली को बराबर बुर के अंदर पेलते हुए बोला,,,।)
अब तुझे कैसे समझाऊं तो शायद नहीं जानता कि औरत को चोदने के लिए मुजबुत तगड़े लंड की जरूरत होती है और तेरी उम्र को देखते हुए तू अभी बच्चा है,,, मुझे तो पता नहीं चल रही है कि उसे मजा आया भी था या नहीं,,
( यह बात वह जानबूझकर बोल रही थी क्योंकि जो नजारा उसने कमरे के अंदर देख चुकी थी उसे देखते हुए वह किसी भी औरत का पानी निकाल सकने में सक्षम था तभी तो आज वह उसके सामने नंगी होकर इस तरह से लेटी हुई थी। वह तो बस इस बहाने से ऊसके लंड का दीदार करना चाहती थी,,, )
अच्छा तुम मुझे यह बताओ कि जब तू उसकी बुर में अपना लंड डाल रहा था तो वह क्या बोल रही थी।,,,,
( शुभम एकदम से चुदवासा हो गया था वह जानता था कि उसकी मामी जानबूझकर यह सब बोल रही है जबकि वह खुद उसके लंड को देखकर मस्त हो चुकी है
वह भी मनगढ़ंत कहानी के बात को बढ़ा चढ़ाकर बताते हुए बोला,,,।)
मामी उसे तो बहुत मजा आ रहा था,,,, वह तो बोल रही थी कि बस बेटा ऐसे ही चोदता रह। बहुत मोटा और लंबा है तेरा,,,, आज तक मैंने ऐसा लंड नहीं देखी ओर ना ही ऐसे लंड से चुदी हूं।,,,,,
( शुभम की बातें सुनकर उसकी मामी को इसमें कोई आश्चर्य नहीं लगा क्योंकि वह जानती थी कि उसका लंड लेने पर सभी औरतें ऐसा ही जवाब देंगी फिर भी वह बहाना बनाते हुए बोली।)
मुझे तो शुभम सच में यकीन नहीं हो रहा है कि जो तू बोल रहा है वह बिल्कुल सच है क्या तू मुझे एक बार अपना वह दिखा सकता है,,,।
( अपनी मामी की बात सुनते ही सुभम समझ गया कि उसकी मांमी उसके लंड को देखने के लिए तड़प रही है। और वह भी तो खुद ही अपनी मामी को अपना मोटा तगड़ा लंड दिखाना चाहता था ताकि वह खुद ही उसके लंड को अपने हाथ से पकड़कर अपनी बुर पर रखकर चोदने के लिए बोले,,,, लेकिन फिर भी वह अपनी मामी को तड़पाने के उद्देश्य से बोला,,,।)
लेकिन मामी तुमने तो मुझे कमरे के अंदर पूरी तरह से नंगा देख तो ली थी,,,
अरे तुझे नंगा देखी थी ना लेकिन उस समय मैंने तेरे लंड को ठीक से देख नहीं पाई।,,,, इसलिए तो कह रही हूं कि मुझे दिखा दो मुझे भी तसल्ली हो जाएगी।
( आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी,,, कोई और आग होती तो शायद पानी छांटने पर बुझ जाती लेकिन लेकिन यह तो वासना की आग थी जो कि पानी से नहीं बल्कि मदन रस की बौछार से ही बुझने वाली थी,,,। शुभम भी अब पूरी तरह से तैयार हो चुका था अपनी मामी को अपने लंड के दर्शन कराने के लिए।
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