RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
अरे तुझे नंगा देखी थी ना लेकिन उस समय मैंने तेरे लंड को ठीक से देख नहीं पाई।,,,, इसलिए तो कह रही हूं कि मुझे दिखा दो मुझे भी तसल्ली हो जाएगी।
( आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी,,, कोई और आग होती तो शायद पानी छांटने पर बुझ जाती लेकिन लेकिन यह तो वासना की आग थी जो कि पानी से नहीं बल्कि मदन रस की बौछार से ही बुझने वाली थी,,,। शुभम भी अब पूरी तरह से तैयार हो चुका था अपनी मामी को अपने लंड के दर्शन कराने के लिए।
क्या मामी तुम भी अभी सुबह-सुबह तो देखी थी फिर से देखने की बात कर रही हो,,,,( शुभम हलके हलके से अपनी हथेली को फूली हुई बुर पर फिराते हुए बोला,,,)
अरे ठीक से कहां देख पाई थी,,,,
तो इतनी देर से टकटकी लगाए क्या देख रही थी,,,
अरे बुद्धू वह तो मुझे उम्मीद नहीं थी कि तुम इस हाल में कमरे में होगा इसलिए मैं एक दम से चौंक गई थी,,,।
तो क्या तुमने सच में कुछ भी नहीं देख पाई,,,
सच कह रही हूं मैं कुछ भी नहीं देख पाओगी बस इतना ही समझ पाई थी कि तू कमरे में पूरी तरह से नंगा है।,,
( वह अपनी तरफ से सफाई पेश करते हुए बोली लेकिन शुभम जानता था कि उसकी मामी झूठ बोल रही है वह तो टकटकी लगाए बस उसके लंड को ही देखे जा रही थी। कभी तो आज वहां इस हालात में लेटी हुई है।,, लेकिन फिर भी शुभम को इसमें कोई एतराज नहीं था काम को चाहे यहां से पकड़ो या हाथ घुमाकर पकड़ो कोई फर्क नहीं पड़ता उसे तो बस अपनी मामी को अपने मुसल जैसे लंड का दर्शन करा कर उसकी बुर पर कब्जा जमाना था। और वह पल ज्यादा देर तक दूर नहीं था।,,, इसलिए वह अपनी मामी की बात सुनकर बोला।)
ठीक है मामी तुम कहती हो तो मैं तुम्हें दिखा सकता हूं लेकिन इस समय दिखाने जैसा नहीं है,,।( शुभम बुर की गुलाबी पत्तियों को उंगली से कुरेदता हुआ बोला, जिसकी वजह से उसकी मामी के मुख से गरम सिसकारी लगातार निकल रही थी। और माहौल पूरी तरह से मदहोशी के आलम में खोता चला जा रहा था।)
अभी क्यों नहीं दिखा सकता है इसमें क्या दिक्कत है।
नहीं मम्मी नहीं सोने बिल्कुल भी नहीं दिखा सकता मुझे शर्म आ रही है।
अच्छा मेरे सामने तुझे शर्म आ रही है और तेरी आंटी लोग को दिखाता था तो तुझे शर्म नहीं आती थी।
अरे मैं कहां दिखाता था वह लोग तो खुद ही देख ली थी।
तू चल मुझे भी दिखा दे वरना मैं समझूंगी कि तू सिर्फ मुझे बेवकूफ बनाने के लिए सब बोल रहा था जैसा तू बोल रहा है वैसा कुछ भी नहीं हुआ था।
नहीं मामी कसम से जैसा मैं बताया हूं वैसा ही हुआ था।
( इस बार शुभम से रहा नहीं गया और वह एक बार फिर से अपने बीच वाली उंगली को बुर के अंदर प्रवेश करा दिया जिसकी वजह से उसकी मामी के मुख से हल्की सी चीख निकल गई लेकिन वह उसे कुछ भी नहीं बोली।,, अपनी हरकतों से शुभम ने अपनी मामी को पूरी तरह से चुदवाती बना दिया था और साथ में खुद भी मस्ती का आनंद लेते हुए अपनी मामी की बुर पर पूरी तरह से कब्जा जमाते जा रहा था।,,,)
तततत,,,, तु,,,,, झुठ बोल रहा है, वैसा कुछ भी नहीं हुआ था जैसा तु बोल रहा है अगर ऐसा होता तो तो मुझे जरूर दिखा दिया होता।।
मामी मैं सच कह रहा हूं,, ( इस बार शुभम इतना बोलते हुए अपनी बीच वाली ऊंगली को धीरे-धीरे करके पूरी तरह से बुर के अंदर घुसा दीया। बुर के अंदर की गर्माहट शुभम को बेचैन कर रही थी और अपनी बुर के अंदर एक जंवा मर्द की पूरी की पूरी उंगली को लेकर वह मदहोश हुए जा रही थी उसके बदन की कसमसाहट बढ़ती जा रही थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि किसी गैर मर्द की उंगली उसकी बुर को अंदर तक पहुंच जाएगी। शुभम की मामी दोनों तरफ से तड़प रही थी। तो उसके मन में शुभम के मोटे तगड़े लंड को देखने की ईच्छा प्रबल होती जां रही थी। और एगकदम से चुदवासी होकर चुदवासपन मे बोली,,,
अरे तुझे दिखाने में क्या जाता है,,,,
नहीं दिखा सकता मामी क्योंकि इस समय मेरा वह सामान्य स्थिति में नहीं है,,,।
तो कैसी स्थिति में है?
मामी वो,,, वो,,,,,( इतना कहते हुए शुभम हल्के-हल्के से अपनी उंगली को दूर के अंदर बाहर करते हुए एक तरह से उंगली से ही अपनी मामी की बुर को चोद रहा था,,, जिसकी वजह से उसकी मामी एकदम व्याकुल हुए जा रही थी। और व्याकुल हो भी क्यों नहीं बरसों से जिसकी बुर को उसके पति ने ही स्पर्श तक ना किया हो ओर ऐसी बुर पर कीसी जवान लड़के की हथेली स्पर्श होती हो और उसकी पूरी की पूरी उंगली बुर में समाई हुई हो तो उस औरत की हालत क्या होगी,,, ऐसा ही हाल कुछ शुभम की मामी का था वह जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी।,,, एक तो अपने भांजे के मोटे तगड़े लंड को देखने की ललक और ऐसे में उसका नखरा उसे और भी ज्यादा व्याकुल कर रहा था। इसलिए वह परेशान स्वर में बोली,,,।
क्या वो वो लगा रखा है दिखाता क्यों नहीं,,, अगर तुझे ऐसा ही नखरा करना है तो तू चला जा, मैं अपने हाथों से मालिश कर लूंगी,,,
अरे नहीं मामी आज बरसों के बाद तो तुम्हारी सेवा करने का मौका मिला है और वह तुम ऐसे ही छीन लेना चाहती हो तुम जिद करती हो तो मैं दिखा देता हूं लेकिन तुम समझ सकती हो मेरी हालत इस समय क्या हो रही है। ( ऐसा कहते हुए वह जानबूझकर अपनी नजर को अपने तने हुए तंबू पर तेरे लिए ताकि उसकी मामी भी उस दिशा में देखने लगे और ऐसा हुआ भी,, ऊसकी मामी की भी नजर उसके तने हुए तंबू पर चली गई, और उसका उठा हुआ भाग को देखकर उसके मुंह में पानी आ गया,,,।,, अब तो उसकी व्याकुलता और ज्यादा बढ़ने लगी और ऐसे मौके की नजाकत को समझते हुए शुभम थोड़ा जोर जोर से अपनी उंगली को बुर के अंदर बाहर करने लगा,,, सुबह की इस तरह की हरकत से तो उसकी मांमीे एकदम से मदहोशी के आलम में डुबती चली जा रही थी,,, ऊसे तो जैसे कोई होश ही नहीं था,,, बदन की कसमसाहट पल-पल उत्तेजना के परम शिखर पर बढ़ रही थी,,, उसके कमर हल्के हल्के से आगे पीछे हो रही थी जिसे देख कर शुभम समझ गया था कि,,, जो औरत इतनी मस्ती के साथ अपनी बुर में ऊंगलि डलवाने दे रही है वह कितनी मस्ती के साथ पूरा लंड अपनी बुर मे लेगी,,, पूरी उंगली एकदम चिपचिपी हो गई थी। शुभम की मम्मी भी कुछ पल के लिए एकदम से खो गई और अपनी कमर को हल्की हल्की इधर-उधर घूमाते हुए अपने भांजे की उंगली की पेलाई का मजा लेने लगी,,, कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही शुभम ऐसा लग रहा था कि अपनी उंगली से हीलाते अपनी मामी को झाड़ देगा,,, कमरे का वातावरण पूरी तरह से मदहोश हो चुका था शुभम कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था कि उसकी मामी के साथ वह इस हद तक पहुंच जाएगा।,, कुछ भी हो दोनों को बहुत मजा आ रहा था उसकी मामी तो एकदम मस्त होकर बिस्तर पर लेटी हुई थी और और सुभम जोर-जोर से अपनी उंगली को अंदर बाहर करने लगा था,,,। तबीयत ऐसा ही कुछ याद आया हो इस तरह से उसकी मामी बोली,,
क्या कर रहा है दिखाना,,,
दिखा रहा हु मामी,,, ( इतना कहने के साथ ही शुभम अपनी उंगली को अपनी मामी की बुर से बाहर निकाला,, और बिस्तर पर से नीचे उतर कर खड़ा हो गया। ऊसका पजामा आगे से पूरी तरह से तना हुआ था
जिस पर नजर पड़ते ही उसकी मामी की बुर की कुलबुलाहट बढ़ने लगी,,,। अब उससे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था वह जल्द से जल्द शुभम के लंड का दीदार कर लेना चाहती थी।
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