RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
( इतना सुनते ही शुभम अपने मुंह में से अपनी मामी की चूची को बाहर निकालते हुए और उसकी आंखों में झांकते हुए धीरे से अपने एक हाथ को उसकी बुर पर रखते हुए बोला,,,, ।
मामी अगर मैं कहूंगा तो तुम्हें यकीन नहीं होगा (उस की रसीली बुर पर हल्के हल्के ऊंगलियों से कुरेदते हुए बोला जिसकी वजह से उसकी मामी के मुंह से सिसकारी निकल रही थी,,, और सिसकारी लेते हुए ही बोली,,,,
तू बोल मैं जरूर यकीन करूंगी,,,,,
शुभम की मनोकामना धीरे-धीरे पूर्ण होती नजर आ रही थी और हर ख्वाहिश के पूरी होने के बाद एक नई ख्वाहिश जन्म ले रही थी उसकी ख्वाहिश को पूरी करने के कगार पर शुभम धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ा रहा था ऐसा नहीं था कि यह ख्वाहिश सिर्फ शुभम की हुई थी बरसों से दबी हुई ख्वाहिश को पूर्ण रूप देने के लिए उसकी मामी भी पूर्णत: तैयार थी,, वह कहावत है ना कि ताली एक हाथ से कभी नहीं बजती ताली बजाने के लिए दोनों हाथों को आपस में दिलाना जरूरी होता है उसी तरह से सिर्फ शुभम सोच भर लेने से अपनी मामी को भोग नहीं सकता था। उसे भोगने के लिए उसकी मामी की संपूर्ण स्वीकृति बेहद जरूरी थी,, और शुभम का साथ उसकी मामी बराबर दे रही थी तभी तो,,, वह बिस्तर पर अधनंगी अवस्था में बैठकर शुभम के हाथों से अपनी बड़ी बड़ी चूचियां को मसलवा रही थी।,,, यह पूछे जाने पर कि उस औरत के साथ तूने और क्या-क्या किया इस बात का जवाब देते हुए शुभम ने चूची पर से एक हाथ हटाकर सीधे उसकी जांघों के बीच झांटों के झुरमुटों के ऊपर से उसकी रेसीली बुर को सहलाने लगा,, जिसके कारण उसकी मामी के बदन में उत्तेजना जोर करने लगी,,, हल्की-हल्की उंगलियों का सहारा लेकर शुभम बुर की गुलाबी पत्तियों को कुरेदने लगा,,, जिसकी वजह से आनंदित होते हुए उसकी मामी के मुख से सिसकारी निकलने लगी,,,। और शुभम बोला,,,
मामी मैं अगर तुम्हें सच बताऊंगा तो तुम यकीन नहीं करोगी,,,
( शुभम अपना दांव फेकते हुए बोला,,, और उसकी मां भी तो पहले से ही एकदम मदहोश हो चुकी थी शुभम की बातों के साथ साथ उसकी हरकतों ने उसके बदन में कामज्वर को और भी ज्यादा बढ़ा दिया था। ऐसे हालात हो गया था कि शुभम की हर बात पर यकीन करना उसकी मामी के लिए मुनासिब हो चुका था इसलिए वह बोली,,।)
शुभम मुझे तेरी कोई बात से ईनंकार नहीं है इसलिए तू बेझिझक बोल दे।,,,
( शुभम को क्या था धीरे-धीरे वह बातों के पुल बनाने में माहिर हो चुका था इसलिए अपनी मनगढ़ंत बातों को नमक मिर्च लगाते हुए बोला,,,।)
मैंने आंटी की बुर को जीभ लगा कर चाटा था।,,,( इतना कहते हुए वह उसकी उत्तेजना को और बढ़ाने के उद्देश्य से अपने बीच वाली उंगली को हल्कै से गुलाबी पत्तियों के बीच में प्रवेश करा दिया,, जिससे वह एकदम से मदहोश हो गई और सिसकारी भरने लगी,,,,।
ससससहहहहहह,,,, ( आंखों को मुंदते हुए) यह क्या कह रहा है तू कहीं तू मुझे बना तो नहीं रहा,,,
मामी मैं कहा था ना,,की तुम यकीन नही करोगी,,,,
( ईसलिए बार वह अपनी बीच वाली ऊंगली को पूरी की पूरी बुर में घुसेड़ दिया जिसकी वजह से इस बार उसकी चीख निकल गई,,,,।)
आहहहहहहहहह,,,,, मैं कैसे तेरी बात पर यकीन कर लूं तू बोल ही कुछ ऐसा रहा है कि जिसमें यकीन करने जैसा कुछ भी नहीं है,,,।( वह बात को आगे बढ़ाते हुए बोली लेकिन पूरी उंगली डालने की वजह से वह दर्द के बारे में जरा सा भी जिक्र नहीं की क्योंकि संपूर्ण उंगली प्रवेश कराने पर उसे भी दर्द के साथ साथ मजा आ रहा था। और वैसे भी शुभम जो बात कह रहा था उस पर उसकी मामी को रत्ती भर भी यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि उसने ना तो कभी बुर चाटने वाली बात सुनी ही थी और ना ही कभी चटवाई थी,,, क्योंकि वैसे भी वह गांव में रहने वाली सीधी साधारण औरत के सेक्स का ज्ञान बस दो टांगो को खोलकर बुर में लंड लेने जितना ही था,,, इससे ज्यादा ज्ञान ना तो उसे और ना ही उसके पति ने कभी इससे ज्यादा ज्ञान उसे दिया था,,, इसलिए तो वहां शुभम की बात सुनकर एकदम अचंभित हो चुकी थी।,, फिर भी शुभम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।
मामी मैं जो बोल रहा हूं वह एकदम शत प्रतिशत सच है। ( वह हल्के हल्के अपनी उंगली को बुर के अंदर बाहर करते हुए बोला)
लेकिन यह कैसे मुमकिन है तु अच्छी तरह से जानता है कि जिस चीज को तू चाटने की बात कर रहा है वहां से पेशाब किया जाता है तो उस गंदे स्थान को कोई किस तरह से अपनी जीभ लगाकर चाटेगा,,,,
मामी तुम बिल्कुल भी यकीन नहीं कर रही हो लेकिन मैं जो बोल रहा हूं कसम से वह झूठ नहीं है हां किसी और के मुंह से मैं सुना होता तो शायद मुझे भी ऐसा ही लगता जैसे कि तुम्हें लग रहा है, लेकिन यह तो मैं खुद कर चुका हूं इसलिए इसमें रत्ती भर भी झूठ नहीं है ।(इस बार बहुत तेजी से अपनी उंगली को भूल के अंदर बाहर चलाते हुए बोला जिसकी वजह से उत्तेजना के मारे उसकी मामी की सांसे ऊपर नीचे होने लगी)
आहहहहहहहह,,,,, जो तू बोल रहा है सच में मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है मैं कैसे तेरी बात पर यकीन करु,,,( आंखों को मूंदे हुए वह शुभम की कंपनी का मजा लेते हुए बोल रही थी उसे शुभम की बात पर यकीन नहीं हो रहा था लेकिन उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी क्योंकि वह जानती थी कि शुभम जो बोल रहा है वह सच ही होगा क्योंकि उसे पहले लंड चूसने वाली बात भी झूठ ही लग रही थी,,,, शुभम अपनी मामी की फूली हुई बुर में उंगली को बड़ी तेजी से अंदर बाहर करते हुए उसे चोद़ रहा था। अब जल्दी से जल्दी भाभी अपनी मामी की बुर के नमकीन स्वाद को चखना चाहता था इसलिए वह कोई रास्ता ना देख कर अपनी बात मनवाते हुए बोला,,,,।
अच्छा मामी सुनो अपनी आंखों को खोलो और देखो,,
( शुभम की बातों को सुनकर वह धीरे से अपनी आंखों को खोलकर शुभम की तरफ देखने लगी,, शुभम भी उसकी तरफ देखते हुए अपनी नजरों को उसके घर की तरफ नीचे झुका लिया जिसकी वजह से उसे भी अपनी नजरों को नीचे बुर की तरफ झुकाना पड़ा,,, अपनी बालों से भरी बुर के अंदर शुभम की उंगली को बड़ी तेजी से अंदर बाहर होता हुआ देखकर वह उत्तेजना से भर गई। पहली बार वह अपनी आंखों से यह सब देख रही थी और पहली बार ही कोई असली मर्द था जो कि अपनी ऊंगलि से ऊसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए उसे उंगली से चुदाई का असली सुख दे रहा था। एकदम मंत्रमुग्ध से शुभम की उंगली को अपनी बुर के अंदर बाहर होता हुआ देख रही थी और एकदम से मदहोश होती जा रही थी,,, शुभम उसकी आंखों में बढ़ती प्यास को अच्छी तरह से देख रहा था और मौका देख कर बोला,,,,
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