RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम की मामी शुभम को अपनी बुर के अंदर उसके लंड को डालने की इजाजत दे दी थी। इस रजामंदी के लिए वह तैयार तो हो गई थी लेकिन इसकी इजाजत देने के बाद उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी क्योंकि,, रजामंदी देने का मतलब था कि अपना सर्वस्व शुभम को सौंप देना अपनी इज्जत अपना तन मन सब कुछ। अपने पति के अलावा किसी गैर मर्द की कल्पना जिसने अभी तक नहीं की थी आज वह अपने ही भांजे को चोदने की इजाजत दे दी थी यह अपने आप में ही उसके लिए बेहद अद्भुत और अहम फैसला था पर इस फैसले को लेकर उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर जोरों पर उछाल मार रही थी। जिस तरह से उसने शुभम को चोदने की इजाजत दे दी थी उसने उसका कोई भी दष नहीं था,,, क्योंकि उसके सामने हालात ही कुछ इस तरह से प्रकट हो गए थे कि वह ना भी नहीं कर सकती थी और इंकार भी नहीं कर सकती थी। महीनों से प्यासी औरत के लिए उसके हालात और वक्त को देखते हुए शुभम जेसे जवान लट्ठ ही काम रूपी आंधी में तिनके का सहारा नजर आते हैं और जिस तरह से सुभम ने उसे चुदाई के सुख की कल्पना उसे अपने शब्दों में कह कर बताया था। उसे सुनने के बाद वह तो क्या कोई भी औरत चुदने की रजामंदी से ईंकार नहीं कर सकती थी। और शुभम की मामी तो गदराई जवानी की मालकिन की जो कि इस समय एकदम से बेलगाम हो गई थी।
शुभम अपनी मामी की बुर में लंड डालने से पहले उसकी तरह के स्वाद को चख कर अपनी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा देने के उद्देश्य से अपनी जीभ को उसकी बुर की कटोरी में डालकर लपालप मदन रस को गटक रहा था। शुभम अब अपने आप को बिल्कुल भी रोक नहीं सकता था क्योंकि माहोल ही ईस तरह का बन चुका था। इसलिए वह बुर पर से अपना मुंह हटाया तो वह उत्तेजना के मारे हांफ रहा था। उसकी मामी शुभम को हांफते हुए और अपनी बुर के मदन रस को उसके होंठों से टपकते हुए देखकर एक दम से चुदवासी हो गई,, एक अजीब सी हलचल उसके तन-बदन में फैल गई,, शर्म के मारे वह अपनी नजरों को नीचे झुकाई तो सीधे उसकी नजर शुभम क मोटैं तगड़े खड़े लंड पर. गई,, लंट को पूरी तरह से तैयार देखकर उसकी बुर का दाना फुदकने लगा,,, वाह लंड की मोटाई को देखकर एकदम हैरान थी वह जानती थी कि कुछ ही देर में अब वह उसकी बोर के अंदर फोन आने वाला है लेकिन कैसे घुसेगा इस बारे में सोचकर उसके पसीने छूट रहे थे क्योंकि हल्की सी एक उंगली डालने पर भी उसे दर्द का अनुभव होता था उसके मुकाबले तो यह गधे के लंड के बराबर ही था,,, यह सब सोचकर उसके चेहरे पर हैरानी के भाव नजर आ रहे थे शुभम भी पूरी तरह से तैयार हो चुका था संपूर्ण रूप से नंगी होने के बावजूद भी उसके बदन पर ब्लाउज और पेटीकोट था जिस की डोरी को हाथ बढ़ाकर एक झटके में खोलकर उसे ढीला कर दिया,,, और उसे उसकी कमर से नीचे उतारने के लिए अपने दोनों हाथों में पेटीकोट के छोर को पकड़ कर नीचे की तरफ सरकाने लगा,,, भारी भरकम गोलाई लिए हुए उसकी बड़ी बड़ी गांड के वजन के नीचे पेटीकोट तभी होने की वजह से वह ठीक से उतार नहीं पा रहा था,,, इसलिए वह उसका सहकार देते हुए अपने भारी भरकम गांड को ऊपर की तरफ हल्के से उचका दी और,,, शुभम भी मौके का फायदा उठाते हुए ऊसकी पेटीकोटशको खींचकर ऊसके चिकनी पेर से बाहर कर दिया,,,।,,, मदहोशी का उन्माद इतना ज्यादा बढ़ गया था कि उसकी मामी भी खुद ही अपने ब्लाउज को निकाल कर बाहर फेंक दि, उसके उतावलेपन को देखकर शुभम की लंड ठुनकी मारने लगा शुभम की आंखों के सामने उसकी मांमी पूरी तरह से नंगी निकली हुई थी। उत्तेजना के मारे शुभम की मामी की सांसे बड़ी तीव्र गति से चल रही थी और सांसों के साथ साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां भी ऊपर नीचे होते हुए माहौल को और ज्यादा गर्म कर रही थी।,, शुभम अपनी मामी की खूबसूरती को ऊपर से नीचे तक निहारते हुए बोला,,,।
वाह मामी तुम तो कितनी खूबसूरत लगती हो इस उम्र में भी तुम जवान लड़की को फेल कर सकती हो,,( इतना कहते हुए वह अपना टी शर्ट उतारने लगा,, औरत की कहानी कामुकता भरी नजरों से शुभम को अपना टीशर्ट उतारते हुए देखने लगी,,, टी-शर्ट के उतरते ही शुभम का चौड़ा गठीला सीना नजर आने लगा और शुभम का गठीला जवान बदन देख कर उसकी मामी की बुर की गुलाबी पत्तियों में थिरकन होने लगी,,, वह शुभम को अपने सीने से लगा लेना चाहती थी और अपनी बड़ी बड़ी छातियों को उसकी छातियों पर रगड़ने का आनंद अपने तन बदन को महसूस कराना चाहती थी लेकिन वह सामने से ऐसा करने में असमर्थ थी।,,,वह एकटक बस शुभम को देखे जा रही थी,,, शुभम जानता था कि उसकी गठीले बदन को देखकर प्यासी औरतों का क्या हाल होता है इसलिए वह अपनी मामी की प्यास को और ज्यादा बढ़ाने के उद्देश्य से अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया,,, और हिलाते हुए बोला,,,।
ओहहहह,,, मामी देखना जब यह मेरा मोटा लंबा लंड तुम्हारी छोटी सी बूर मे जाएगा तो कैसा रगड़ता हुआ जाएगा तुम्हारी बुर की गुलाबी पत्तियों को कैसे फैलाता हुआ अंदर घुस जाएगा,,,( ऐसा कहते हुए शुभम जानबूझकर अपने लंड को हिला रहा था और शुभम की बातें और उसकी हरकत को देखकर उसकी मामी शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,, उसे खुद समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह के दृश्य को वह कैसे खुली आंखों से देख पा रही है क्योंकि उसके अंदर शर्म की भावना बेहद जोर मार रही थी लेकिन उत्तेजना का बवंडर उसे अपने अंदर खींचे लीएे जा रहा था। इसलिए बात ना कर दी अपनी नजरों को हटाने में असमर्थ हुए जा रही थी शुभम धीरे से बिस्तर पर घुटनों के बल बैठ गया,, और अपनी मामी की टांगों के बीच जगह बनाते हुए, शुभम अपनी मामी की कमर को दोनों हाथों से थाम कर उसे अपनी तरफ खींचा ऐसा करने पर उसकी मामी की गुदाज जांघे शुभम की जांघों पर चढ़ गई,,, सुभम अब पूरी तरह से तैयार था अपनी मामी की बुर में लंड डालने के लिए,,, उत्तेजना के मारे उसकी मामी लंबी लंबी सांसे ले रही थी। उसका बदन रह रह कर इस इंतजार में कसमसा रहा था कि किसी भी पल शुभम का लंड ऊसकी बुर में प्रवेश करने वाला था। शुभम की नजर उसकी रसीली बुर पर ही टिकी हुई थी जो कि बालाे से लगभग ढकी हुई थी। शुभम से अपनी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी और वह अपनी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाते हुए उसकी जांघो को अपनी हथेली में भर भर को दबा रहा था।,,,
ससससहहहहहहह,,,,, शुभम क्या कर रहा है मुझे दर्द हो रहा है।( सिसकारी लेते हुए बोली)
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