Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 03:25 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
मामी चिंता मत करो बहुत ही जल्द ही यहशदर्द तुम्हें मस्त कर देगा,,,( इतना कहते हुए शुभम अपने लंड को हाथ में पकड़कर उसकी बुर के मुहाने के करीब ले जाने लगा,,, और अगले ही पल सुभम अपनेे लंबे मोटे सुपाड़े को उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीचो बीच रख दिया,,, लंड के मोटे से पानी का स्तर अपनी प्यासी बुर पर होते ही एक दम से मचल उठी और मस्ती के सागर में गोते लगाते हुए खुद-ब-खुद उसकी आंखें मूंद गई,,,,
और उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,,

सससससहहहहहह,,,,,,

( अपनी मामी की सिसकारी की आवाज सुनकर सुभम समझ गया कि इस खेल में बहुत मजा आने वाला है। वह धीरे से लंड के सुपाड़े को एडजस्ट करते हुए बुर की गुलाबी पत्तियों के बीचो-बीच हल्के-हल्के सरकाने लगा,,, बुर नमकीन पानी की चिकनाहट की वजह से एकदम तरोतर हो चुकी थी। इसलिए सुपाड़े को बुर के अंदर सरकाने में ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं थी लेकिन,,, बुर गीली और चिकनी होने के बावजूद भी जैसे-जैसे शुभम सुपाड़े को अंदर की तरफ सरका रहा था वैसे वैसे उसकी मामी के चेहरे का हाव भाव बदलते जा रहा था,,, उसके चेहरे पर दर्द के भाव साफ नजर आ रहे थे लेकिन फिर भी वह अपने आप को संभाले हुए थी, शुभम के मोटे लंड के साथ-साथ उसका सुपाड़ा भी कुछ ज्यादा ही मोटा था। इसलिए उसे अंदर सरकाने मे दिक्कत पेश आ रही थी और वह भी दिक्कत उसकी मामी को पेश अा रही थी शुभम के लिए तो कुछ भी नहीं था वह तो एक झटके में ही अपना लंड का सुपाड़ा बुर के अंदर उतार देता लेकिन ऐसा करने से उसका काम बिगड़ जाता है इसलिए वह धीरे-धीरे अपने काम मेे आगे बढ़ रहा था,,, धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग ला रही थी। शिवम ने आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड के सुपाड़े को उसकी बुर के अंदर प्रवेश करा दिया था। उसकी मामी की हिम्मत की दाद देनी पड़ रही थी क्योंकि वह अपने दर्द को अपने अंदर ही अंदर छुपाए हुए थी।,, बस घुटी घुटी किसके साथ उसके मुंह से केवल आह आह ही निकल रही थी,,, और वैसे भी शुभम के लिए एक रास्ता आसान हो चुका था क्योंकि किसी भी बिल में अगर मुंह घुस जाए तो पूरे शरीर को जाने में ज्यादा वक्त नहीं लगता,,, शुभम अपनी मामी का हौसला बढ़ाते हुए बोला,,,।

वाह मामी बहुत मजा आ रहा है, मै तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तुम्हारे जैसी औरत की बुर इतनी ज्यादा टाइट होगी पता ही नहीं चल रहा है कि किसी लड़की की बुर है या औरत की,,,,आहहहहहहहह,,,, तुम तो मेरी भी सिसकारी निकाल दे रही हो (शुभम उसी तरह से अपने सुपारी को बुर में लटकाए हुए उसकी चिकनी जांघों पर हाथ फेरते हुए बोल रहा था,,,)

तुझे तो मजा आ रहा है लेकिन मुझे बहुत दर्द कर रहा है वह तो ना जाने मैं कैसे इस दर्द को बर्दाश्त कर ले रही हूं।,,,,

मामी बस थोड़ा सा और पहन कर लो उसके बाद तो मस्ती के सागर में गोते लगाओगी,,,, ( इतना कहते हुए शुभम इस बार हम कैसे अपनी कमर को आगे की तरफ धक्का लगा और धक्के के साथ ही उसकी मामी की चीख निकल गई और लगभग 1 इंच तक,,,उसका लंड बुर मे घुस गया।,,, दर्द के मारे उसकी मांमीें झटपटाने लगी,,,

ओहहहहहहह,,,,, मां,,,,, यह क्या डाल दिया तूने मुझे बहुत दर्द कर रहा है मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा (इतना कहते हुए वह अपने सिर को दाएं-बाएं पटक रही थी,,, शुभम जानता था कि अब क्या करना है वह दोनों हाथ अपने आगे बढ़ाकर उसकी मस्ताई चूचियों को थाम लिया,,, और उन्हें दबाते हुए बोला।

बस मामी कुछ देर और कुछ देर और दर्द सहन कर लो मेरी खातिर अपनी जवानी की खातीर थोड़ा सा और दर्द सहन कर लोगी तो उसके बाद ही,

कुछ देर और दर्द सहन कर लोगी तभी तुम्हें जचुदाई के असली सुख के बारे में पता चलेगा,, अभी तो दर्द से छटपटा रही हो उसके बाद उस औरत की तरह मस्त होकर चीखेगी चिल्लाएगी की ओर डाल ओर डाल,,,,,
( शुभम पूरी चुचियों को हथेली में भर-भरकर दबाते हुए बोल रहा था,,,,)

लेकिन सुभम यह दर्द तो मेरी जान ले लेगा मुझसे नहीं लग रहा है कि मैं यह दर्द सहन कर पाऊंगी,,,,( दर्द के भाव अपने चेहरे पर लाते हुए बोली)

चुदाई का मजा लेना चाहती हो तो इतना तो दर्द सहन करना पड़ेगा तुमको मामी,, वरना तुम समझ नहीं पाओगी कि असली चुदाई का सुख क्या होता है,,,।
( इतना कहते हुए शुभम दोनो चुचियों को हाथ में भरकर जोर-जोर से दबाते हुए एक और जबरदस्त धक्का मारा बुर पहले से ही पानी कि चिकनाहट की वजह से गीली हो चुकी थी,,, इसलिए इसके साथ ही शुभम का मोटा और मजबूत लंड बुर की गुलाबी पत्तियों को लगभग चीरता हुआ जैसे कि किसी ककड़ी को चीरते हैं वैसे ही गुलाबी पत्तियों को फैलाता हुआ बुर की जड़ में जाकर समा गया।,,, इस बार शुभम के इस जबरदस्त धक्के को उसकी मामी सहन नहीं कर पाई और बहुत रोकने के बावजूद भी उसके मुख से चीख निकल गई,,,,।

आहहहहहहहहह,,,,,, मर गई रे,,,,,, निकाल हरामी साले हरामजादे ऐसे भी कोई करता है क्या,,,,,,,ओहहहहहहहह,,,, मां,,,, बहुत दर्द कर रहा है,,,,,,।
( शुभम जानता था कि इस तरह की कसीली बुर मे धीरे-धीरे लंड प्रवेश कराना बहुत मुश्किल होता है और ऐसे में मौका देखकर अगर एक साथ ही धक्का मार कर पूरा लंड बुर में उतार दिया जाए तो भले ही दर्द होता है लेकिन उसके बाद मजा भी उतना आता है और वही काम शुभम ने किया था,,, लेकिन जिस तरह से उसके मुंह से चीख निकली थी उसे डर था कि कहीं कोई सुन ना ले और जल्दी से उसने अपने होंठ को उसके होठों पर रख कर चुसना शुरु कर दिया,,,, वह जानता था कि अगर वह उसके होठों को अपने मुंह में भर कर चूसना शुरू नहीं करेगा तो वह इसी तरह से चीखती चिल्लाती रहेगी और कहीं ऐसा ना हो जाए कि उसकी चीज़ों को कोई सुन ले और सारा काम बिगड़ जाए,,,, इसलिए शुभम उसके होठों को चूसते हुए उसकी चूचियों को भी दबाना शुरु कर दिया और अपने मोटे लंड कों ज्यो का त्यो उसकी बुर की गहराई में ठहराया रहा। हालांकि उसकी मामी छटपटाते हुए अपने होंठ को उसके मुंह से छुड़ाना चाह रही थी लेकिन शुभम ने इतने कस के उसे अपने मुंह में लेकर चूस रहा था कि,,, वह छुड़ा नहीं पाई। और वहां लगातार उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो को दबाते हुए मसलते हुए उसके होठों का रसपान करते जा रहा था। नतीजन यह हुआ कि थोड़ी ही देर में उसकी छटपटाहट बंद हो गई,, और वह भी शुभम का साथ देते हुए शुभम के होठों को अपने मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दी ऐसा कैसे हो गया यह उसे भी पता नहीं चला बस मस्ती के सागर में अपने आपको डुबोए ले चली जा रही थी। शुभम एकदम पागलों की तरह उसके बड़े-बड़े पपीते सामान सूचियों को दबा दबा कर मजा ले रहा था और साथ ही उसके होठों के रस को पीकर एकदम नशे में हो गया था,,,, अपनी मामी को जोश में आता देख कर वह एक बार फिर से अपनी कमर को हलके के ऊपर उठाते हुए अपने लंड को बाहर की तरफ खींचा,,, और फिर से जोरदार धक्का मारा लेकिन इस बार उसकी मामी के मुख से पहले की तरह चीखशना निकल कर हल्की सी सिसकारी की आवाज आई,,,

सससससहहहहहह,,,,,,,,

शुभम समझ गया कि अब यह पूरी तरह से तैयार है,,, इसलिए धीरे-धीरे अपनी कमर को ऊपर नीचे करते हुए उसे चोदना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में शुभम की कमर लय आ गई वह अपनी मामी को बराबर चोदे जा रहा था। उसकी मम्मी मस्ती के सागर में डूबते हुए मजे लेते हुए अपने भांजे की हॉठ को अपने होटो से अलग ही नहीं कर रही थी,,,, वह शुभम को अपनी बांहों में भीगे हुए थे और अपनी हथेली को उसकी नंगी पीठ पर इधर-उधर घूमाते हुए रह-रहकर उसकी नितंबों को दबोचने रही थी। शुभम की तो जैसे लॉटरी लग गई थी उसे अपनी मामी की बालों वाली बूर को चोदने में बहुत मजा आ रहा था। उसकी कमर एक पल का भी थकान महसूस नहीं कर रही थी बल्कि रह-रहकर उसकी गति और ज्यादा बढ़ती जा रही थी पुरे कमरे में चप्प चप्प की आवाज गूंज रही थी।,,,,, शुभम अपने होठों को अपनी मामी के होठों से अलग करता हुआ उसकी बुर में लंड अंदर बाहर करके चोदते हुए बोला,,,।

अब बोलो मामी कैसा लग रहा है?

कुछ मत पूछ कैसा लग रहा है मैं बता नहीं सकती,,,, जिंदगी में पहली बार चुदवाने का मजा आ रहा है।


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RE: Sex kahani अधूरी हसरतें - by sexstories - 04-01-2020, 03:25 PM

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