RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम की मामी बेहद खुश नजर आ रही थीे और खुश नजर आती भी क्यों नहीं जिंदगी में पहली बार तो उसने एक असली मर्द से चुदाई के सुख की अनुभूति जो की थी।,,, बाजार से सभी लोग वापस आ चुके थे,,। शुभम भी बहुत खुश नजर आ रहा था उसने भी आज किसी दूसरी औरत को चोदने का सुख जो प्राप्त किया था। मजा दोनों को आया था। शाम ढल चुकी थी रात धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी घर की सभी औरतें खाना बनाने में जुट गई थी।,, शुभम इधर उधर टहल कर अपना समय व्यतीत कर रहा था क्योंकि उसकी मां भी घर की औरतों के साथ खाना बनाने में उनकी मदद कर रही थी वैसे भी शुभम को घर के लोगों में सिर्फ औरतो मे ही दिलचस्पी रहती थी बाकी किसी से कोई मतलब नहीं रहता था क्योंकि उसके काम की और सुख की, चीज केवल औरतों के पास ही रहती थी। गांव में आते ही सबसे पहले उसकी नजर उसकी मामी पर ही थी जिसे वह प्राप्त कर चुका था। और उसकी नमकीन रसीली बुर का स्वाद चख कर उसका आत्मविश्वास और ज्यादा बढ़ चुका था।,,, इधर-उधर टहलते हुए अपनी मामी के बारे में ही सोच रहा था और उसे उसकी गांड मारने में जो सुख मिला था उस सुख की अनुभूति करके उसका तन बदन अभी तक उत्तेजना के मारे गनगना जा रहा था।,, उसे यकीन हो चला था कि औरतों की गांड मारने में भी बहुत मजा आता है और उसके मन में यह ख्याल बार-बार आ रहा था कि जब उसकी मामी की गांड मारने मैं उसे इतना मजा आया तब,, जब वह उसकी मां की गांड मारेगा तब उसे कितनी ज्यादा सुख की अनुभूति होगी,,
क्योंकि हर मामले में उसकी मां उसकी मामी से बेहतरीन थी। बहुत दिन हो गए थे शुभम अपनी मां के साथ खुलकर चुदाई का सुख नहीं ले पाया था। इसलिए अपनी मां के बारे में सोच कर उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,।
दिन भर के ख्याल से ही उसके तन-बदन में फिर से मस्ती की लहर जोर मारने लगी वह धीरे-धीरे करके वह छत पर चला गया छत पर इधर-उधर चहल कदमी करते हुए पूरे गांव का नजारा ले रहा था चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था लेकिन,,, दूर दूर घरों में थोड़ी बहुत रोशनी नजर आ रही थी जो कि दूर से देखने पर बहुत ही खूबसूरत नज़ारे के रूप में प्रतीत हो रही थी।
वह इधर उधर देख कर समय व्यतीत करते हुए भोजन का इंतजार कर रहा था क्योंकि उसे भूख भी लग चुकी थी कुछ देर तक यूं ही टहलते हुए वह छत के नीचे की तरफ देखने लगा, तो जहां पर गाय भैंस बात कर रखी जाती है वहां से एक साया निकल कर घर के पीछे की तरफ जाता हुआ नजर आने लगा अधेरा इतना थानकृ ज्यादा कुछ नजर नहीं आ रहा था,, लेकिन उस साये को देखकर शुभम को इतना तों पता चल ही गया कि वह कोई औरत थी, वह कुतूहल वस उस औरत को देखने लगा जो कि उसे ठीक से वह देख नहीं पा रहा था,,, वह साया घर के पीछे की तरफ जाते हुए बार-बार पीछे मुड़कर देख ले रही थी और कभी-कभी जाकर खड़ी हो जाती थी और खड़ी होकर इधर उधर देखने लगती थी उसकी इस हरकत को देखकर शुभम को थोड़ा शक होने लगा,,,, क्योंकि उस साये की हरकत बेहद शंकास्पद थी,,, वह साया घर के पीछे की तरफ थोड़ी दूर तक जा कर रुक गया,,,,, शुभम उत्सुकतावश ऊसे साये पर बराबर नजर रखे हुए था क्योंकि इतना तो तय था कि वह साया उसके ही घर से निकलकर पीछे की तरफ जा रहा था,,, इसलिए वह यह देखना चाहता था कि आखिर वह है कौन और पीछे की तरफ क्यों जा रही है। वह साया कुछ देर तक उस झाड़ी के पास रुक गया एक पल को तो ऊसे लगा कि कहीं सौच के लिए ना गई हो,, लेकिन तभी उसी झाड़ियों के बीच से एक साया और बाहर की तरफ निकला,,,, और उस साए के साथ झाड़ियों के अंदर की तरफ चली गई शुभम को समझते देर नहीं लगी कि मामला कुछ ज्यादा ही गड़बड़ है। शुभम वहीं खड़े रहकर ऊस साऐ के निकलने का इंतजार करने लगा वह देखना चाहता था कि आखिर वह है कौन क्योंकि अंधेरा इतना था कि ठीक से नजर भी नहीं आ रहा था।।,,,, लेकिन तभी खाने के लिए उसका नाम लेकर बुलाने लगे और बुलाने वाली उसकी मामी थी,,। बहुत अपनी मामी की आवाज सुनकर कुछ देर में आता हूं इतना कहकर फिर से वही खड़ा हो गया लेकिन उसकी मामी लगातार उसे आवाज देती रही, इसलिए तंग आकर वह छत से नीचे भोजन करने के लिए आ गया।,,, खाते समय भी वह उस साए के बारे में सोचने लगा,,, शुभम की बड़ी मामी आज और भी ज्यादा प्यार से उसे खाना परोस रही थी जिसका मतलब शुभम अच्छी तरह से जानता था,,,, निर्मला भी घर के सभी लोगों के साथ बैठकर खाना खा रही थी।,, खाते-खाते निर्मला शुभम से बोली,,,,
शुभम तूने मामी को ज्यादा परेशान तो नहीं किया ना।
( शुभम के जवाब देने से पहले ही शुभम की मामी बोली,,,)
अरे नहीं निर्मला शुभम ने मुझे जरा भी परेशान नहीं किया बल्कि यह तो बहुत ही अच्छा लड़का है। आज दिनभर मेरी मदद करता रहा,,,( इतना कहकर वह शुभम की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी शुभम भी जवाब में मुस्कुरा दिया,,,,)
चलो अच्छा है कि तुम्हारे किसी काम तो आया वरना वहां तो जरा भी काम नहीं करता था।( निवाला मुंह में डालते हुए बोली,,,, अपनी मां की बात सुनकर शुभम बोला,,,)
क्या मम्मी तुम भी झूठ बोलती हो क्या मैं तुम्हारी मदद नहीं करता जब भी तुम्हें जरूरत पड़ती है,,, चाहे दिन हो या रात हमेशा तुम्हारी मदद के लिए तैयार रहता हूं,,।
( अपने बेटे की बात और उसके कहने का मतलब समझकर निर्मला मुस्कुराने लगी)
और सच बताऊं तो मम्मी मामी भी बहुत प्यारी है आज दिन भर मुझे खिलाती रही जब तक कि मेरा पेट भर नहीं गया,,,, ( शुभम की मामी शुभम की बात सुनकर एक पल के लिए तो झेंर सी गई,,,, लेकिन फिर मुस्कुराने लगी इसी तरह से बातों का दौर चल रहा है,,, घर के सभी लोग भोजन करके अपने अपने कमरे में जा चुके थे।,, लेकिन उसकी बड़ी मामी की नींद उड़ी हुई थी,,,, दिन में जिस तरह की जबरदस्त चुदाई करवाई थी उस चुदाई की वजह से उसकी बुर में खुजली होने लगी थी,, उसे फिर से शुभम के लंड की आवश्यकता जान पड़ रही थी,,, बगल में उसका पति खर्राटे भर रहा था जिसकी तरफ देखकर मन ही मन में भुनभुनाने लगी,,, आज की चुदाई के बाद से वह समझ गई थी कि उसका पति कोई काम का नहीं है। रात काफी हो चुकी थी लेकिन उसकी आंखों में नींद नहीं थी वह कमरे से बाहर जाना चाहती थी शुभम के पास लेकिन वह हम यह भी जानते थे कि शुभम तो कमरे में सोता है अगर कहीं बाहर सोता होता तो वह उसे जरूर जगाकर अपनी प्यास बुझवा ली होती,,, क्या करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था उत्तेजना के मारे उसकी बुर फिर से पानी छोड़ रही थी,,,, जिसे वह साड़ी के ऊपर से ही अपनी हथेली से रगड़ कर उसे और ज्यादा गर्म कर रही थी,,,।
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