RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
वह मन ही मन सोच रही थी कि इस समय शुभम उसके पास होता तो कितना मज़ा आता मुझे यहां तड़पता छोड़ कर अपने कमरे में आराम से सो रहा होगा यही सब सोचते हुए वह साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर को जोर-जोर से रगड़ रही थी। उसे लग रहा था कि शुभम अपने कमरे में सो रहा होगा लेकिन शुभम अपनी मां को एकदम नंगी करके और खुद भी नंगा होकर उसे अपनी बाहों में भर कर उसके गुलाबी होठों का रसपान कर रहा था। निर्मला भी काफी दिनों से प्यासी थी इसलिए वह भी उत्तेजना से भर कर अपने बेटे को अपनी बाहों में कस कर ऊसका साथ देते हुए उसके होठों को मुंह में भरकर चूस रही थी। निर्मला नीचे लेटी हुई थी और उसके ऊपर शुभम लेटा हुआ था शुभम के दोनों हाथों में उसकी बड़ी बड़ी चूचियां थी जिसे वह जोर-जोर से दबाते हुए मजे ले रहा था। कुछ ही देर में पूरा कमरा गर्म सिसकारियों से गूंज रही थी शुभम का लंड पूरी तरह से तैयार था जो कि उसकी जांघों के बीच उसकी बुर के इर्द-गिर्द ठोकर मार रहा था। जिससे उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। शुभम बेहद कामी मर्द बनता जा रहा था क्योंकि दोपहर में ही उसने अपनी मामी के साथ कई बार संभोग सुख भोग चुका था अगर शुभम की जगह दूसरा कोई होता तो शायद उसका लंड खड़ा ही नहीं होता वह थक कर अब तक सो गया होता लेकिन शुभम फिर से चोदने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका था। और ऐसे ही मर्द को तो औरत तलासती रहती है। शुभम पागलों की तरह अपनी मां के गुलाबी होठों को चूस रहा था। निर्मला की उत्तेजना से भाग चुकी थी वह अपने बेटे का पूरा साथ दे रही थी उसकी दोनों हथेलियां शुभम की नंगी पीठ से होती हुई नीचे की तरफ उसकी नितंबों तक जा रही थी जिसे वह पागलों की तरह अपने हथेली में भरकर दबा रही थी जिससे शुभम उत्तेजित होकर अपनी कमर को हल्के हल्के से गोल-गोल घुमाते हुए अपने लंड की रगड़ उस की बुर पर महसूस करा रहा था। और यह रगड़ निर्मला को पूरी तरह से कामोत्तेजीत बनाकर उत्तेजना के सागर में गोते लगवा रही थी। दोनों पागलों की तरह एक-दूसरे के बदन को नोच खसाेट रहे थे।
ओह सुभम तेरी बाहों में ही मुझे सुकून मिलता है। ना जाने मुझे तेरा नशा सा हो गया है कि जब तक तेरे लंड को अपनी बुर में ले कर चुदवाती नहीं हूं तब तक मेरे बदन मै ना जाने कैसा दर्द सा महसूस होता रहता है।,,
तेरा यही दर्द खत्म करने के लिए तो मैं तेरे कपड़े उतार कर तुझे नंगी कीया हुं मेरी रानी,,,,। अब देख मेरा कमाल,,,, (इतना कहने के साथ ही शुभम ने अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ लाकर,,, उसकी मोटी मोटी और चिकनी जांघो को पकड़कर फैला दिया,,, शुभम की इस हरकत की वजह से निर्मला की धड़कनें तेज हो गई क्योंकि वह समझ गई कि अब शुभम क्या करने वाला है अभी भी शुभम के मोटे लंड का सुपाड़ा उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों के ईर्द गिर्द रगड़ खा रही थी। जोकी दोनों के उत्तेजना को पल-पल बढ़ा रहा था।,,, निर्मला की बुर पहले से ही एकदम गीली हो चुकी थी इसलिए जैसे ही शुभम ने उसकी जांघों को चौड़ा करके अपने लंड को बिना हाथ लगाए,,, केवल सुपाड़े पर हो रहे जयपुर की गुलाबी पति के स्पर्श मात्र से ही उसने अपनी कमर पर दबाव देकर नीचे की तरफ झुक आया ही था कि उसके लंड को मोटा सुपाड़ा गप्प से रसीली बुर में समा गया,,, और जैसे हैं सुपाड़ा बुर में प्रवेश किया निर्मला के मुख से हल्की सी चीख निकल गई।
आहहहहहहहह,,,,
अपनी मां के मुख से गरम सिसकारी की आवाज सुनते ही शुभम एकदम से जोश में आ गया और दूसरे धक्के में ही वह अपने पूरे लंड को बुर के अंदर उतार दिया,,,
निर्मला भी पूरी तरह से कामोत्तेजित होकर एकदम से जोश में आ गई,,,और कस के शुभम को अपनी बांहो मे भींच ली,, दोनों पूरी तरह से उत्तेजना मैं सराबोर होकर एक दूसरे का शिकार करते हुए चुदाई का आनंद लेने के लिए आतुर हो चुके थे शुभम,,, धीरे-धीरे ना करते हुए शुरू से ही तेज झटकों का सहारा लेकर अपनी मां की जम के चुदाई करना था,,, निर्मला भी शुभम के हर धक्के का स्वागत करते हुए अपनी मुंह से गरम सिसकारियां भरते हुए आहहहह आहहहहहहहह ऊूहहहहहहह,,, की मादक आवाजें निकाल रही थी,,,,
शुभम के जेहन में अभी भी उसकी मामी की गांड मराई की यादें ताजी हुए जा रही थी इसलिए उसका मन निर्मला की गांड मारने को कर रहा था,,,। इसलिए वह अपनी मां की रसीली बुर में तेज तेज धक्के मारते हो उसके गालों को चूमते हुए बोला,,,,,
ओहहहहह,,,,,, मम्मी मैं तुम्हारी गांड मारना चाहता हूं मैं देखना चाहता हूं कि मेरा लंड तुम्हारी कसीली गांड के अंदर कैसे जाता है,,,,,
( निर्मला शुभम की बाते सुनकर एक पल के लिए सीहर सी गई,,, लेकिन शुभम की बातें सुन सुनकर उसके मन मेभी गांड मराने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी।,,, शुभम के मुंह से गांड मारने वाली बातें सुनकर उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी और वह भी शुभम को कस के अपनी बाहों में भरते हुए उसके चेहरे पर चुंबनों की बौछार करते हुए बोली,,,,।
बेटा तेरी बातें सुन-सुनकर मेरा भी मन करने लगा है लेकिन आज मैं थक चुकी हूं और पूरी तरह से तैयार नहीं हो लेकिन तुझसे वादा करती होगी गांव में ही तेरी
गांड मारने की ईच्छा जरुर पुरी करुंगी,,,, ओर अब बस इससे ज्यादा कुछ मत बोलना मुझे मस्त कर दे,,, मुझे मजा दे।,,,, मे तेरे लंड की प्यासी हुं।,,,,
( अपनी मां की बात सुनकर सुभम समझ गया कि इससे ज्यादा और कुछ बोलने जैसा नहीं है लेकिन उसे एक बात की तसल्ली हो गई थी कि गांव में ही उसे बहुत ही जल्द गांड मारने को मिलने वाला है। इसलिए जोर-जोर से अपनी मां की बुर में लंड पेलने लगा,,, शुभम के धक्के और उसकी कमर इतनी ज्यादा तेज चल रही थी की निर्मला अपने दोनों टांगों को ऊपर की तरफ उठा ली थी जिससे शुभम को उसे चोदने में और ज्यादा मज़ा आ रहा था। दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे निर्मला कहां जानती थी की दिन भर वह अपनी मामी की सेवा में लगा हुआ था और उसी से वह गांड मारने का अनुभव और सुख भी भोग चुका था।,,,, तकरीबन 30 35 मिनट की जमकर चुदाई करने के बाद शुभम के साथ-साथ निर्मला भी झड़ गई,,,,। दोनों इसी तरह से नग्न अवस्था में एक दूसरे को बाहों में लिए हुए सो गए।
शुभम के लिए गांव का सफर अच्छे तरीके से गुजर रहा था शादी में अभी भी चार-पांच दिनों की देरी थी घर के सभी लोग शादी की तैयारी में जुटे हुए थे।,,, दोपहर का समय था गर्मी के महीने में गर्मी अपना जोर दिखा रही थी सब के सब लोग घर में ही दुबके रहते थे। शुभम मन ही मन सोच रहा था कि अगर फिर से उसकी बड़ी मामी की गांड मारने को मिल जाए तो मजा आ जाए अब यही सोचकर वह इधर उधर के कमरों में उसे खोज रहा था लेकिन,, लेकीन ऊसकी बड़ी मामी कहीं नजर नहीं आ रही थी।,,, शुभम उसे हर कमरे में खोजता हुआ,,, अपनी छोटी मामी के कमरे की तरफ जाने लगा और जैसे ही वह कमरे के दरवाजे के करीब पहुंचा वह सोचने लगा कि कहीं उसकी छोटी मामी जिसका नाम रूचि था वह सो रही होगी तो,,, खांमखा उसे परेशानी होगी,,,, वह वापस जाने ही वाला था कि तभी उसके मन में ख्याल आया कि अभी तक वह अपनी छोटी मामी से ठीक से बात तक नहीं किया है अगर वह जाग रही होंगी तो ऊनसे बात भी कर लेगा,,, और नजदीक से उनकी खूबसूरती को जी भर कर देख लीजिएगा क्योंकि वह जानता था कि उसकी छोटी मामी गोरी-चिट्टी और खूबसूरत थी क्योंकि वह खिड़की से उन्हें नहाते हुए देख चुका था। इसलिए वह दरवाजा खटखटाने के उद्देश्य से अपना हाथ आगे बढ़ा कर जैसे ही दरवाजे पर टिकाया दरवाजा अंदर से खुले होने की वजह से अपने आप ही हल्का सा खुल गया और उसकी नजर जैसे ही कमरे के अंदर गई तो वह देखता ही रह गया उसकी छोटी मामी बिस्तर ठीक से सही कर रही थी,,, वह बिस्तर पर घुटनों के बल झुकी हुई थी। और उसका मुंह दूसरी तरफ दीवाल की तरफ था जिसकी वजह से उसका ध्यान दरवाजे पर बिल्कुल भी नहीं था शुभम देखा तो देखता ही रह गया,,, क्योंकि उसकी छोटी मामी के बड़े बड़े नितंब उसकी आंखों के सामने ही हीलोरे खा रहे थे। वह घुटनों के बल बिस्तर पर छोड़ कर पलंग पर बिछी चादर को ठीक से फैला रही थी। शुभम की नजर उसकी बड़ी बड़ी गांड के घेराव पर ही टिकी की टिकी रह गई,,, बदन में हो रही हलन चलन की वजह से उसकी बड़ी बड़ी गांड के दोनों फांके साड़ी के ऊपर से लहराते हुए नजर आ रहे थे। शुभम यह नजारा देखकर एकदम से उत्तेजित हो गया मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें एक तो औरतों की बड़ी बड़ी गांड शुभम की सबसे बड़ी कमजोरी थी। नजारा इतना ज्यादा उत्तेजना से भरा था कि इस नजारे को छोड़ कर उसे जाने की इच्छा भी नहीं कर रही थी।,,, शुभम का लंड पेट में जोर मारने लगा था। दो-तीन मिनट तक उसकी छोटी मामी उसी तरह से अपनी बड़ी बड़ी गांड को हीलाते हुए बिस्तर ठीक करती रही, और शुभम इस नजारे की मादकता को अपनी आंखों से अपने बदन में उतारता रहा। अब ज्यादा देर तक इसी तरह से खड़े रहने में गड़बड़ हो सकती थी इसलिए उसकी मामी की नजर शुभम पर पड़ती इससे पहले ही वह दरवाजे को खटखटाते हुए दस्तक दे दिया।
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