Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 03:27 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम कमरे से बाहर आकर सीधे अपने कमरे मे आकर बिस्तर पर बैठ गया वह काफी डरा हुआ था क्योंकि उसने ऐसा कुछ हो जाएगा यह सब के बारे में सोचा ही नहीं था क्योंकि अभी तक जितनी भी औरतें उसे मिली थी वह सभी को आसानी से प्राप्तकर्ता जा रहा था। बड़ी मामी के साथ भी संभोग सुख की प्राप्ति आसानी से कर लेने की वजह से उसे ऐसा ही लग रहा था कि वह छोटी मामी के साथ भी अपनी मनमानी कर लेगा लेकिन उसके सोचने के विरुद्ध उसकी छोटी मामी उसे भला बुरा सुना दी,,, वह मन ही मन में सोचने लगा कि अगर वह सबको बता देती तो ना जाने क्या हो जाता,,,।,, लेकिन इतना तो समझ ही गया था कि छोटी मामी किसी भी तरीके से उसके नीचे आने वाली नहीं है इसलिए उसे उसकी छोटी मामी को पाने का ख्याल छोड़ देना चाहिए।,,, उसे अपने आप पर बेहद शर्मिंदगी महसूस हो रही थी क्योंकि जिस तरह से वह रोते हुए अपनी मामी के पैर पकड़ कर गिड़गिड़ा रहा था,,,, वह तरह की स्थिति में कभी पहुंच जाएगा उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था।,,,
वह बिस्तर पर लेट कर यही सब सोच रहा था लेकिन उसके जेहन से वह नजारा भी नहीं हट रहा था जब वह दरवाजे पर खड़े होकर अपनी छोटी मामी की गदराई गांड को देखकर उत्तेजित हुए जा रहा था।,,,, वह मन मसोसकर रह गया कि काश उसकी छोटी मामी की मद मस्त गांड का स्वाद भी उसे चखने को मिल जाता,,,, लेकिन अफसोस कि वह चरित्र की एकदम पक्की निकली,,, काश वह भी उसकी बड़ी मामी की तरह फिसल जाती तो एक और खूबसूरत औरत उसकी बाहों में आ जाती।,,,, इतना कुछ हो जाने के बावजूद भी की आंखों के सामने रुचि की बड़ी बड़ी गांड मटक रही थी जिसके बारे में सोचते हुए वह सो गया।,,,

रात अपने पूरे शबाब पर थी भोजन तैयार हो चुका था धीरे-धीरे लोग खाने के लिए इकट्ठे हो रहे थे शुभम भी हाथ मुंह धोकर भोजन करने के लिए जाने ही वाला था कि उसे फिर से वही साया नजर आया और वह सब की नजरें बचाकर घर के पीछे की तरफ आगे बढ़ती चली जा रही थी क्योंकि इतना तो समझ ही गया था कि वह साया किसी औरत का ही था,,,, इसलिए बाकी सब से नजरें बचाकर दुबते हुए ऊस।साए के पीछे जाने लगा,,,
चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था,,, आज उस साएे के हाथ में टॉर्च भी थी जिसे वह रह रह कर सब की नजरें बचाकर जला दे रही थी और उस टॉर्च की रोशनी में रास्ता देखते हुए आगे बढ़ रही थी। शुभम अपने आप को उसके सारे की नजर से बचाते हुए झाड़ियों के पीछे पीछे चला जा रहा था वह मन में फैसला कर चुका था कि आज उस कार्य को देखकर ही रहेगा कि आखिर वह साया है किसका,,,, क्योंकि औरत का इस तरह से छुपते छुपातो रात के समय घर से बाहर निकलने का मतलब बिल्कुल साफ होता है कि वह किसी से मिलने ही जा रही है। गांव का माहौल जिसकी वजह से चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था शुभम को थोड़ा बहुत डर भी लग रहा था लेकिन अपने आगे आगे चल रहे औरत के सारे की वजह से उसे थोड़ी बहुत हिम्मत भी मिल रही थी। कुत्तों के भौंकने की आवाज शुभम थोड़ा बहुत सहम जा रहा था। वह साया धीरे-धीरे खेतों की तरफ आ गया था।,,, वह साया खेतों के करीब घनी झाड़ियों के पास रुक गया और इधर-उधर नजरें घुमा कर देखने लगा,,,, शुभम भी पेड़ के पीछे अपने आप को छिपाकर खड़े हो गया और वहां से ऊस साए की तरफ बराबर नजर गड़ाए हुए देखने लगा,,,। पेड़ से गिरी सूखी पत्तियों की वजह से उसके कदमों की आवाज़ उस साए को ना सुनाई दे इसलिए वह बचा बचा कर बहुत ही धीरे-धीरे कदम रख रहा था। शुभम के दिल की धड़कन उत्सुकतावश बहुत तेज हो चुकी थी क्योंकि वह जानना चाहता था कि वह सहाय के पीछे कौन सा चेहरा छुपा हुआ है और वह किसका इंतजार कर रही है।

खेतों में छाए हुए सन्नाटे में ऊस साए की चूड़ियों की खन खन की आवाज शुभम को मादकता का एहसास दिला रही थी। एक तरह से उस साए की चूड़ियों की आवाज शुभम के तन-बदन में उत्तेजना का अहसास करा रही थी। वह पाया कुछ देर तक इधर उधर देखती रही वह किसी का इंतजार कर रही थी शुभम अपनी धड़कनों को संभाले हुए उस साए की तरफ नजरें गड़ाए हुए था। तभी झाड़ियों के पीछे से एक दूसरा साया बाहर आया और आते ही उसने उसकी आंखों पर हाथ रख कर उसे डरा दिया,,,,

क्या करते हो कितनी देर लगा दी तुमने मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही हूं,,,( वह नाराजगी दर्शाते हुए बोली)

क्या करूं मेरी जान सब काम जल्दी जल्दी निपटा कर भागता हुआ तुम्हारे पास आया हूं क्या करूं तुमसे मिले बिना मुझे भी चैन नहीं मिलता,,,,

मेरा भी तो यही हाल होता है तुम्हारे बिना तभी तो मैं सब कुछ छोड़ छाड़ कर तुमसे मिलने यहां चली आती हूं,,,।

तो मेरी जान खेतों में चलते हैं और वहां जी भर कर प्यार करते हैं,,,,
( इतना कहने के साथ ही वह साया उसे खेतों के अंदर ले जाने लगा,,, दोनों धीरे-धीरे फुसफुसाकर बातें कर रहे थे इसलिए शुभम को बात तो थोड़ी बहुत समझ में आ रही थी लेकिन आवाज नहीं पहचान पा रहा था लेकिन इतना तो तय था कि खेतों के अंदर दोनों के जाने का मतलब था कि चुदाई का खेल शुरू होने वाला था इसलिए शुभम भी बेहद उत्सुक हो गया खेतों के बीच का नजारा देखने के लिए उसने जाने से ज्यादा उसे इस बात की उत्सुकता थी कि आखिरकार दोनों साए हैं किसके,,,, यह देखने के लिए वह भी धीरे-धीरे खेतों के अंदर जाने लगा,,,,,।)


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