RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
दोनों साए खेतों में प्रवेश कर चुके थे,, यह देख कर शुभम से रहा नहीं गया और वह भी नजरें बचाते हुए कुछ ही देर बाद उन दोनों साए के पीछे पीछे खेतों में प्रवेश करने लगा,,,, चारों तरफ घना अंधेरा छाया हुआ था,,,,, शुभम को कुछ नजर नहीं आ रहा था लेकिन उनके आगे चल रहे हैं दोनों साए,,, जो कि एक के हाथ में टॉर्च होने की वजह से टॉर्च की रोशनी शुभम को नजर आ रही थी और वह उसी रोशनी की तरफ धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था।,,, कुछ कदम जाने के बाद वह दोनों साए एक जगह पर रुक गए,,,,,, चारों तरफ घनी झाड़ियां फैली हुई थी जिसकी वजह से खेतों के बाहर से कोई भी अंदर की तरफ नहीं देख सकता था। शुभम की मन में उत्सुकता बढ़ने लगी उनसे महज 3 कदम की दूरी पर अपने आप को झाड़ियों के पीछे छुपाए हुए खड़ा था। शुभम वहां से उन दोनों को एकदम साफ तौर पर देख पा रहा था चारों तरफ घनी झाड़ियों के होने के बावजूद जिस जगह पर दोनों खड़े थे उस जगह की झाड़ियों को ऐसा लग रहा था कि साफ कर दिया गया हो,,,, शुभम को अभी तक उन दोनों का चेहरा नजर नहीं आया था।,, जिस तरह से खेतों के बीच की उतनी सी जगह साफ की गई थी ऐसा लग रहा था कि यह दोनों रोज रात को यहीं मिलते थे। और यह दोनों मिलकर ही इतनी सी जगह को साफ़ किए हैं।,, तभी उस साए की आवाज आई,,,
जो करना है जल्दी कर लो मुझे जल्दी घर वापस लौटना है क्योंकि सब लोग खाने पर इंतजार कर रहे होंगे,,,
( इतनी आवाज सुनते ही शुभम के कान खड़े हो गए क्योंकि आवाज जानी पहचानी थी और कुछ ही पल में उसे समझते देर नहीं लगी कि वह आवाज उसकी छोटी मामी रुचि की थी,,,,, शुभम पूरी तरह से सकते में आ गया था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि,,, दोपहर में उसे संस्कार के पाठ पढ़ाने वाली इस हद तक गुजर सकती है किस्मत की आंखों में धूल झोंककर अपने प्रेमी से चोरी चुपके रात को खेतों में मिलती है और अपनी जवानी की प्यास बुझाती है।,,, शुभम को सब कुछ समझ में आ गया था बस उसका चेहरा ठीक से नजर नहीं आ रहा था।,, तभी दूसरे साए ने उसके हाथों से टॉर्च लेकर उसके चेहरे पर टॉर्च की रोशनी फेंकते हुए बोला,,,।
सब कुछ करुंगा मेरी जान यही करने के लिए तो तुम्हें यहां बुलाता हूं लेकिन उससे पहले मैं अपनी रानी का चांद सा मुखड़ा तो देख लुं।,,,,( और इतना कहते ही टॉर्च की रोशनी में उसे साए का चेहरा बिल्कुल साफ नजर आने लगा,,,, टॉर्च की रोशनी में उसका चेहरा नजर आते ही शुभम चौक गया और उसे पक्का यकीन हो गया कि उसकी छोटी मामी ही है लेकिन कुछ ही देर में उसके चेहरे पर मुस्कान फेलने लगी,,,, क्योंकि अब उसे उसकी छोटी मामी उसके हाथों में आती नजर आने लगी,,, चेहरे पर टॉर्च की रोशनी पड़ते ही रुचि शर्मा गई,,, और अपने हाथों से टॉर्च को दूसरी तरफ करते हुए बोली ।
मेरे पास समय नहीं है,,,, और तुम्हें मुखड़ा देखने से फुर्सत नहीं मिल रही है मुखड़ा को छोड़ो मेरी पेटीकोट में आग लगी हुई है उसे बुझाओ,,,,
( इतना कहने के साथ ही रुचि अपनी साड़ी को एक झटके में कमर तक उठा दी,,,, और उसे समझते देर नहीं लगी वह तुरंत नीचे घुटनों के बल बैठ गया,,,, और एक पल भी गवाए बिना तुरंत अपना मुंह रुची की जांघो के बीच डालकर चाटना शुरु कर दिया,,,, जैसे ही,,, उसके होंठ रूचि की रसीली बुर पर स्पर्श हुआ रुची एकदम से काम वीभोर हो गई,,,, उसने भी टोर्च को नीचे जमीन पर रख दिया हालांकि टॉर्च चालू ही था जिससे साफ तौर पर सब कुछ तो नहीं लेकिन बहुत कुछ नजर आ रहा था। शुभम यकीन नहीं कर पा रहा था कि यह दोपहर वाली मामी है जो उसे गंदे नजरिए से देखने पर डांट फटकार रही थी।,,,, कुछ देर तक बाहर रूचि को उसकी बुर चाट कर उसे मजे देता रहा,,, रुचि भी अपने प्रेमी से मजे लेते हुए दबी दबी आवाज में सिसकारी ले रही थी। इसके बाद खुद ही वह उसके बाल पकड़कर उसे खड़ा करने लगी और वह पूरी तरह से खड़ा हो पाता इससे पहले ही वह उसकी तरफ अपनी बड़ी-बड़ी गांड करके झुक गई,,, रुचिका यह उतावलापन शुभम को एकदम मदहोश कर गया अब तो उसकी अभिलाषा और भी ज्यादा रुचि को पाने के लिए बढ़ने लगी,,,, झुकी हुई रुची की बड़ी-बड़ी गांड को देखकर,, वह तुरंत रूचि के पीछे खड़ा होकर अपने लंड को बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया,,,,। रूचि के प्रेमी का चेहरा तो उसे नजर आ रहा था लेकिन शुभम उसे पहचान नहीं पा रहा था क्योंकि गांव में वहां किसी को जानता नहीं था।
शुभम के लिए इतना काफी है वह दोनो अपनी चुदाई खत्म कर दें इससे पहले ही शुभम खेतों से बाहर निकलकर वहीं खड़ा होकर रुचि के बाहर निकलने का इंतजार करने लगा,,,,,। शुभम का भी लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था।,,, अगर रूचि इजाजत देती तो वह दोपहर को ही उसकी बुर का उद्घाटन कर दिया होता,,,, किसी और के लंड से चुदता हुआ देखकर शुभम थोड़ा परेशान जरूर नजर आ रहा था लेकिन इसी की वजह से तो उसे अपने लंड की भी किस्मत जगती नजर आ रही थी,,,। कुछ देर तक वहीं खड़े रहने पर उससे रहा नहीं जा रहा था वह जल्द से जल्द इस बारे में रुचि से बात कर लेना चाहता था।,,,, चारों तरफ घना अंधेरा छाया हुआ था। समय काफी गुजर गया था उसे इस बात की भी चिंता जताई जा रही थी कि घर पर उसका सब इंतजार कर रहे होंगे क्योंकि उसने अब तक खाना नहीं खाया था तभी झाड़ियों के बीच सुरसुराहट होने लगी शुभम समझ गया कि वह लोग बाहर आ रहे हैं।
शुभम छुपने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था क्योंकि वह जानबूझकर अपनी छोटी मामी से आंख से आंख मिलाकर बात करना चाहता था ।क्योंकि उसकी रंगरेलियों को वह अपनी आंखों से देख चुका था। इसलिए शुभम को आत्म विश्वास हो गया था कि इस बार रूचि उसे ना तो रोक ही पाएगी ना तो डांट ही पाएगी और ना ही किसी को बता देने की धमकी देगी क्योंकि पूरी तरह से रुचि अब उसे अपने कब्जे में लगने लगी थी। तभी रूचि अपने ब्लाउज के बटन बंद करते हुए खेतों से बाहर निकली और सामने सुभम को खड़ा देखकर एक दम से चौंक गई।,,, वैसे तो अंधेरा एकदम घना था लेकिन शुभम उसके बिल्कुल करीब ही खड़ा था इसलिए वह उसे पहचान ली।,,, रुचि एकदम से घबरा गई थी लेकिन फिर भी अपनी घबराहट छुपाते हुए वह बोली।
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