RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
तू यहां क्या कर रहा है? ( अपने साड़ी के पल्लू को ठीक करते हुए बोली,,।)
पहले यह बताओ कि तुम यहां क्या करने आई थी,,
( शुभम जिस तरह से, उसी से यह सवाल पूछा था रूचि घबरा सी गई थी। फिर भी अपने आप को संभालते हुए बोली।)
अब तुझे यह बताना होगा कि इतनी रात को मैं खेतों में क्या करने आई थी,,,, सौच करने आई थी और क्या करने आई थी,,,( इस बार रुचि थोड़ा शरमाते हुए बोली लेकिन शुभम उसे जरा सा भी मौका नहीं देना चाहता था इसलिए वह तुरंत बोला।)
ज्यादा बातें बनाने की जरूरत नहीं है दिन में तो बहुत सती सावित्री बन रही थी।
तततत,,,, तु,, क्या कह रहा है मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
सब कुछ समझ में आ जाएगा पहले यह बताओ कि वह कौन था जो तुम्हारे साथ खेतों में अंदर गया था।,,,,,
( शुभम की यह बात सुनकर उसके पसीने छूट मिलेगी उसका जल्दी-जल्दी अपने कदम बढ़ाते हुए घर की तरफ जाने लगी तो शुभम भी उसके पीछे-पीछे हो चला
,, रुचि ऊसके सवालों का जवाब नहीं देना चाहती थी,,, लेकिन शुभम उसके पीछे ही पड़ गया था वो फिर से अपने सवाल को दोहराते हुए बोला।)
बताओ वह कौन था?
देख तू मुझे परेशान मत कर मुझे नहीं मालूम कि तू क्या बोल रहा है मैं इधर अकेले ही आई थी और अकेले ही जा रही हूं,,,,( रूचि तेज कदम बढ़ाते हुए बोली,,)
मैं सब जानता हूं वह पीछे की तरफ से चला गया होगा और अब मुझसे कुछ भी छुपाने की जरूरत नहीं है मैं तुम्हारी चुदाई लीला को अपनी आंखों से देख चुका हूं।
( इस बार शुभम की बात सुनकर रुची के पैर वहीं के वहीं रुक गए। अब उसके पास छुपाने जैसा कुछ भी नहीं था।,,,, अब समझ गई थी कि सुभम सब कुछ देख चुका है,,, अब उसके पास कोई भी बहाना नहीं बचा था इस बार वह बिना जवाब दिए ही आगे बढ़ती चली गई,,,
रुचि को इस तरह से जाते देख,,,, शुभम वहीं खड़ा हो गया क्योंकि घर आ गया था लेकिन फिर भी वह खड़े होकर बोला,, रूचि,,,,,( शुभम के मुंह से इस बार अपना नाम सुनकर रुचि एक पल के लिए वहीं रुक गई और पलटकर शुभम की तरफ देखने लगी,,, जैसे ही रुचि पलटकर शुभम की तरफ देखि वैसे ही शुभम बोला,,,।)
मिलना जरूर इस बारे में मुझे तुमसे बात करनी है,।
( इतना सुनकर रुचि वहां से चली गई रुचि से जाने के बाद सुभम के होठों पर मुस्कुराहट फैल गई,,,, और रात भर रूचि बिस्तर पर करवट बदलते हुए यह सोचने लगी कि आखिर शुभम उसे क्या बात करना चाहता है,, दोपहर वाली हरकत को देखते हुए इतना तो रुचि समझ गई थी कि उसके भी इरादे कुछ नेक नहीं है। और इस बात का डर उसे बराबर बना हुआ था कि कहीं सुभम घर में किसी को बोल ना दे, शुभम अभी जवान हो रहा है और ऐसे में इस उम्र के लड़कों की नजर हमेशा ही औरतों पर और लड़कियों पर बनी रहती है दोपहर में जिस तरह से वह उसके पिछवाड़े को देख रहा था इससे साफ जाहिर था कि वह उसके प्रति आकर्षित था तभी तो,,,, रात को भी वह उसके पीछे पीछे खेतों की तरफ आ गया था,,,,। यही सब सोचते हुए रूचि सो गई,,,, और दिन भर निर्मला शादी की तैयारी में जुटी होने की वजह से थक कर सो गई थी इसलिए शुभम उसकी चुदाई नहीं कर पाया लेकिन रात भर वह उसकी बड़ी बड़ी चूची को मुंह में भरकर पीता रहा।,,,
सुबह से शुभम मौके की ताक में था कि रूची से रात वाली घटना के बारे में बात कर सके,,, लेकिन रुची जान बूझकर उससे कतरा रही थी।,,, शुभम बार-बार उसके पीछे लगा हुआ था लेकिन उसे बिल्कुल भी मौका नहीं मिल पा रहा था इस ताक झांक लुका छुपी में दोपहर हो गई,,,, घर के सभी लोग शादी की तैयारी की बातें करने के लिए बरामदे में बैठे हुए थे। तभी उसके छोटे मामा जो की रुचि के पति थे वह बोले,,,
देखो शादी की तैयारी अभी पूरी तरह से हुई नहीं है और समय बहुत कम है,,,, मैं और भाई साहब शहर जा रहे हैं खरीदी करने के लिए,,,, और घर पर कोई युं ही बैठा भी नही है।
घर के सभी लोग काम में लगे हुए हैं किसी के पास समय नहीं है ऐसे में आम के बगीचे की देखरेख नहीं हो पा रही है तो रुचि तुम ऐसा करो की खाना खाने के बाद
जाकर आम के बगीचे का थोड़ा देखरेख कर लो कहीं ऐसा ना हो कि हम लोग शादी में व्यस्त रहे और बगीचे के सारे आम गायब हो जाए,,,,
ठीक है मैं खाना खा कर चली जाऊंगी,,,,
मैं भी चलूंगा मामी इसी बहाने में आम का बगीचा भी देख लूंगा,,,( शुभम तपाक से बोला)
ठीक है तू भी चले जाना इसी बहाने तु भी घूम घाम लेगा,,,,
( अपने मामा की बात सुनकर शुभम प्रसन्न हो गया वह अंदर ही अंदर खुश होने लगा,,, लेकिन शुभम की बात सुनकर रुचि के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी वह अंदर ही अंदर घबराने लगी,,,, और थोड़ा गुस्से से शुभम की तरफ देखकर कमरे में चले गई,,,, शुभम बस रुचिका आम के बगीचे में जाने का इंतजार करने लगा।,,,
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