RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
और एक बार की बात नहीं है पहले भी मैं तुम्हें खेतों की तरफ छुपते छुपाते जाते हुए देख रहा था,,,,। ( शुभम इतना कहते ही रुचि के बिल्कुल करीब आ गया वह रुचि के बिल्कुल ठीक पीछे खड़ा था,,, रुची पूरी तरह से स्तब्ध हो चुकी थी क्योंकि यह वर्षों से चला आ रहा था लेकिन आज तक किसी को कुछ भी पता नहीं चल पाया था लेकिन शुभम को आए अभी दो-तीन दिन ही हुए थे कि उसमें उसकी रंगरेलीया अपनी आंखों से देख लिया,,, शुभम रुचि के बिल्कुल करीब खड़ा था और आम को चुसने का मजा ले रहा था,,, शुभम रुचि के खूबसूरत बदन की खुशबू को अपने अंदर महसूस कर पा रहा था जिसकी वजह से उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी,,। और रूचि भी शुभम को अपने एकदम करीब पीछे खड़ा हुआ महसूस करके एक अजीब सी उत्तेजनात्मक स्थिति को महसूस कर रही थी। शुभम आम का मजा लेते हुए रूचि के खूबसूरत बदन की महक को महसूस करके उत्तेजित हुए जा रहा था। जिसकी वजह से उसके लंड का तनाव बढ़ने लगा था,,,, कुछ ही सेकंड में उसके लंड का थाना ईतना ज्यादा बढ़ गया कि,, उसकी पेंट का तंबू हल्के हल्के रुची के उभार मय नितंबों पर स्पर्श होने लगा,,,, और रूचि शुभम के तंबू का स्पर्श अपने नितंबों पर होते ही उसे समझते देर नहीं लगी कि यह स्पर्श शुभम के कौन से अंग का है,,,, इतना समझते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, रुचि के नितंबों पर अपने लंड से बने तंबू का स्पर्श होते ही शुभम के तन-बदन में कामोत्तेजना जोर मारने लगे और वह जानबूझकर अपनी कमर को हल कैसे आगे की तरफ सरकाया जिसकी वजह से उसके लंड से बना कठोर तंबू,,, साड़ी सहित गांड की गहरी दरार में धंसने लगी, रुचि की सांसे तेज गति से चलने लगी शुभम उसकी हालत को देखकर इतना तो अंदाजा लगा दिया कि यह कबूतर उसके हाथों में पूरी तरह से आ चुका है,,,, फिर भी वह पूरी तरह से रुचि को अपने कब्जे में करने के लिए बोला,,,।
मामी अगर मैं तुम्हारी यही काम लीला घर वालों को बता दूं तो क्या होगा तुम्हें ईसका अंदाजा भी है।
( शुभम की बातें और उसका इरादा भांपकर रूचि समझ गई कि अब उसके लिए कोई रास्ता नहीं बचा है,, इसलिए वह बोली,,,।)
तू चाहता क्या है,,,,?
( रुचि के मुंह से यह सवाल सुनते ही शुभम का मन प्रसन्नता से भर गया क्योंकि वह समझ गया था कि उसका रास्ता खुलने वाला है और वैसे भी औरत जब बेबस हो जाएं और इस तरह का सवाल करने लगे तो समझ जाना चाहिए कि वह पूरी तरह से सहकार करने के लिए तैयार है।,,, यह समझते ही, शुभम के लंड में रक्त का भ्रमण तेज गति से होने लगा,,, रूचि के पूछे जाने पर वह आम को फेंक दिया और रुचि को पीछे से अपनी बांहों में भरते हुए अपने दोनों हाथों को रुची की बड़ी बड़ी चूचियो पर ब्लाउज के ऊपर से ही रखकर दबाते हुए बोला,,,,।
मैं यही चाहता हूं कि जो तुम उस आदमी के साथ कर रही थी मेरे साथ करो और मुझे भी करने दो,,,( इतना कहने के साथ ही वह रुची की बड़ी बड़ी चूचियां को ब्लाउज के ऊपर से ही जोर से मसल दिया जिसकी वजह से रुचि के मुंह से सिसकारी निकल गई,,,,।
सससहहहहहहह,,,,,, नहीं यह नहीं हो सकता,,,,
क्यों नहीं हो सकता( इतना कहने के साथ ही शुभम लगातार उसकी चूचियों को मसलते हुए अपने तंबू को और ज्यादा उसकी गांड की दरार में धंसााने लगा,,, स्तन मर्दन और अपने नितंबों पर हो रहे कठोर लंड का एहसास रुची को कामोतेजना से भरने लगा,,, रुचि को इस बात का डर भी लग रहा था कि कहीं कोई उन दोनों को इस हाल में देख ना ले। उत्तेजना के साथ-साथ उसे घबराहट भी महसूस हो रही थी।,,,,
नहीं सुभम यह बिलकुल भी नहीं हो सकता मुझे छोड़ दे।,, मैं सबको बता दूंगी कि तू मेरे साथ क्या करना चाहता है,,,।( उसकी बांहों में से निकलने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली,,,।)
नहीं तुम ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर सकती वरना मैं वह सच्चाई घरवालों को बताऊंगा जिससे वह आज तक अनजान है और तुम्हें एकदम पवित्र समझते हैं। शायद तुम अनजान बनने की कोशिश कर रही हो क्योंकि तुम भी अच्छी तरह से जानती हो कि मेरे बस मुंह खोलने भर की देरी है उसके बाद तुम्हारा क्या हाल होगा यह तुम अच्छी तरह से जानती हो,,,।( शुभम ईस बार एक हाथ चूची पर से हटा कर उसकी जांघों के बीच ले जाकर साड़ी के ऊपर से ही ऊसकी बुर को दबाने लगा,,,, जिससे रूचि की उत्तेजना पल-पल बढ़ती जा रही थी,, और तो और उसका लंड साड़ी सहित वह अपनी गांड की दरार के भीतर घुसता हुआ महसूस कर पा रही थी,,, रूचि उसकी इस ताकत की वजह से एकदम से मदहोश होने लगी उसे शुभम के लंड की ताकत का जायजा मिल गया था। इसलिए तो ना-नुकुर करते हुए भी उसके मुंह से गरम सिसकारी छूट पड़ी,,,
ससससहहहहहह,,,, शुभम यह क्या कर रहा है तू कोई देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,,
यहां दूर-दूर तक कोई भी नहीं है मामी,,, मेरी बात मान जाओ ऐसा मजा दूंगा कि जिंदगी भर याद रखोगी,,,
नहीं यह नहीं हो सकता मैं तेरी मामी और तू मेरा भांजा है हम दोनों के बीच इस तरह के संबंध नाजायज के साथ-साथ बहुत ही ज्यादा अनैतिक है अगर इस बारे में किसी को भी भनक लग गई तो हम दोनों की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी इसलिए मैं तुझे कह रही हूं कि अपने आप को संभाल और इस तरह का अनैतिक कार्य करने से बच जा।,,,,
रूचि शुभम को समझाने की कोशिश भी कर रही थी और शुभम की हरकतों का पूरी तरह से आनंद भी ले रही थी रुचि के मुंह से निकलने वाली सिसकारी शुभम के सामने घुटने टेकने का संकेत था आखिरकार रुचि भी एक प्यासी औरत थी। उसे हमेशा एक मोटे लंड की तलाश रहती थी इसलिए तो उसे शुभम की हरकतों से बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी। शुभम उसकी चूचियों को जोर-जोर से मसलते हुए बोला।
मामी कुछ देर के लिए भूल जाओ कि तुम मेरी मामी और मैं तुम्हारा भांजा हूं बस इतना याद रखो कि तुम एक औरत और एक मैं मर्द हूं और वैसे भी यहां कोई देखने वाला नहीं है चारों तरफ परिंदा भी नजर नहीं आ रहा है तो फिर ऐसी चिल चिलाती धुप में कोई इंसान केसे नजर आएगा।,,,,( रुचि भी यह बात अच्छी तरह से जानती थी यहां वैसे भी ऐसी कड़कड़ाती धूप में आने वाला नहीं था,,,, लेकिन फिर भी वह शुभम को समझाते हुए बोली।)
फिर भी सुभम मैं तुझे ऐसा पाप नहीं करने दूंगी,,,,,
( ऐसा कहते हुए वह फिर से छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन तभी शुभम एक हाथ से अपने पजामे को नीचे कर दिया और रुचिका हाथ पकड़ कर जबरदस्ती उसकी हथेली में अपना लंड थमा दिया,, अपनी हथेली में गरमा गरम मोटा लंड महसूस होते ही उसके तन बदन में कामाग्नि भड़क उठी,,,, उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि कोई गरमा गरम रॉड उसके हाथ में थमा दिया हो,,, उसका छटपटाना कम होने लगा,,, लंड की मोटाई उसे उसके लंड की तरफ देखने के लिए मजबूर कर दी,,, उसकी हथेली की पकड़ को देखते हुए शुभम अपना हाथ हटा दिया था और रुचि ही उसके लंड को कस के पकड़े हुए थी,,,लंड की तरफ देखे बिना ही रुचि को हथेली में लेकर के उसके लैंड की ताकत का अंदाजा लग गया,,, क्योंकि अब तक जितने भी लंड उसकी हथेली में आए थे इस तरह की मजबूती का एहसास उसे कभी नहीं हुआ था।,,,, उसका मन एकदम से व्याकुल हो उठा अपनी खुली आंखों से शुभम के लंड का दीदार करने के लिए। इसलिए वह अपना विरोध भूलकर शुभम की तरफ घूम गई और धीरे-धीरे घबराते हुए अपनी नजरों को नीचे करके सुभम के लंड को देखने लगी,,,, जैसे ही रुचि की नजर शुभम के तने हुए और खड़े लंड पर कड़ी एक पल के लिए वह सब कुछ भूल गई क्योंकि जिंदगी में पहली बार बार इतनी ताकतवर मजबूत मोटे और लंबे लंड को देख रही थी जो कि उसकी हथेली में मचल रहा था।,,, रुचि के चेहरे के हाव भाव को देखकर शुभम समझ गया कि उसका काम बन गया है रुचि से रहा नहीं गया और वह कसके उसके लंड को हथेली में पकड़कर आगे पीछे करके देखने लगी,,,, उत्तेजना के मारे रुचि की सांसे उखड़ रही थी अब बिल्कुल भी विरोध करने की हालत में वह नहीं थी वह पूरी तरह से शुभम को समर्पित होने के लिए तैयार थी। वह शुभम के लंड को अपने बुर के अंदर महसूस करने के लिए व्याकुल हो उठी,,,, वह शुभम के लंड को मुठीयाते हुए बोली।
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