RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
रूचि जिस अंदाज में शुभम की तरफ पीठ करके खड़ी हो गई थी उसका अंदाज देखते हो शुभम की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जाना लाजमी था।,, अक्सर मर्द को उस वक्त का बेहद बेसब्री से इंतजार रहता है जब ऐसे ही किसी अतरंग समय पर औरत अपनी तरफ से बेहद लुभावना और उत्तेजनात्मक हरकत करती है जिसकी वजह से मर्द की उत्तेजना मैं बेहद वृद्धि होने लगती है और यही शुभम के साथ भी हो रहा था जिस अंदाज से रुचि ने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिराई थी,,, उसे देखते हुए शुभम के मुंह में पानी आ गया था और खास करके एक झोपड़ी में एक खूबसूरत औरत के साथ शुभम को और भी ज्यादा कामोंतेजना का अनुभव हो रहा था। शुभम एक कदम आगे बढ़ाकर रुचि के बदन से सट गया और हल्के से अपने दोनों हाथों को उसके कंधों पर रखकर बड़े ही गर्मजोशी से अपनी हथेलियों में दबोचे हुए अपनी हथेली को नीचे की तरफ लेकर आया और उसकी नंगी गर्दन पर अपने होंठ रख कर चूमना शुरू कर दिया एक औरत के लिए मर्द के द्वारा उसकी गर्दन पर चुंबन लेना उसकी उत्तेजना को परम शिखर पर पहुंचाने में सहायक होता है इसी वजह से शुभम की चुंबन लेते ही रुचि के मुंह से गर्म सिसकारी निकल गई,,
सससससस,,,, आहहहहहहहह,,,, शुभम,,,,,,
( रुचि की यह सिसकारी शुभम की उत्तेजना का पारा बढ़ाने लगी,, वहां और ज्यादा रुचि के खूबसूरत कोमल बदन को अपनी हथेली में दबोच लिया एक मजबूत शरीर के मालिक द्वारा अपने नाजुक बदन को दबाए जाने की वजह से रुचि की बुर से पानी टपकने लगा,,, शुभम पागलों की तरह उसकी नंगी पीठ पर जगह-जगह पर चुंबनों की बौछार करने लगा शुभम का लंड अभी भी पेंट के बाहर था जिसको वह रुचि के नितंबों से सटाया हुआ था,,, और तने हुए मोटे लंबे लंड की रगड़ को अपनी बड़ी बड़ी गांड पर महसुस करके रुची के बदन मे सुरसुराहट सी खेल रही थी वह बार-बार अपने बदन को कसमसाते हुए अपनी बड़ी बड़ी लचीली गांड को दाएं-बाएं हिलाकर लंड की रगड़ का मजा ले रही थी।,, शुभम की सांसे तेज चल रही थी बगिया में चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था केवल हवा चलने की वजह से सूखे पत्तों के फड़फड़ाने की आवाज और पंछियों की चहकने की आवाज से बगीए का वातावरण खुशनुमा लग रहा था और उससे भी ज्यादा तो खुशनुमा वातावरण के साथ साथ उत्तेजनात्मक वातावरण तो झोपड़ी के अंदर का था जिसमे रुचि की गर्म सांसे और उसकी गरम सिसकारी से,,, ऐसा लग रहा था कि कहीं सूखे हुए पुआल में आग न लग जाए,,,, वैसे तो रुची की गर्म जवानी ने शुभम के बदन में आग लगा ही दी थी।,,,
रुचि बेसब्री से,,, अपने खुले हुए ब्लाउज को अपनी बाहों से निकलने का इंतजार कर रहे थे इसलिए दोनों चूचियां किसी कबूतर की तरह शुभम के हाथों में आने के लिए फड़फड़ा रहे थे। लेकिन सुभम था की दोनों फड़फड़ाते हुए कबूतर को छोड़कर रुचि की मक्खन जैसी मखमली चिकनी पीठ को चाटने में लगा हुआ था,,, रुचि बेसब थ्री लेकिन जिस तरह से सुभम अपनी हरकतों से उसके बदन की गर्मी बढ़ा रहा था उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी। इसलिए वहां भी अपने ब्लाउज को उतरवाने में बिल्कुल भी उतावलापन नहीं दिखा रही थी। कुछ देर तक रुचि की चिकनी पीठ से खेलने के बाद आखिरकार शुभम अपने दोनों हथेलियों को रुचि के कंधों पर रखकर उसकी ब्लाउज के छोर को कंधों से पकड़कर नीचे की तरफ सरका कर उसकी बाहों से निकालने लगा रूचि भी तुरंत अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ सीधा कर दी ताकि आराम से उसका ब्लाउज़ निकल सके और अगले ही पल शुभम रुची के ब्लाउज को निकालकर सूखी हुई घास पर फेंक दिया।
और उसकी बांह पकड़ कर फिर से अपने सीने से चिपका कर अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ ले अाया और ब्रा के ऊपर से ही उसकी चुचियों को दबाना शुरु कर दिया। सुभम अपनी मजबूत हथेलियों में रूचि की नरम नरम लेकिन कठोर चूचियों को दबा रहा था,,, जिसकी वजह से रूची के मुख से लगातार सिसकारियां निकलना शुरू हो गई। शुभम का तना हुआ लंड रुचि की मखमली गांड पर दस्तक दे रही थी। शुभम ब्रा के ऊपर से ही रुचि की गोल गोल चूचियों को हथेली में भरकर दबा रहा था।,,, शुभम की हरकत से रुचि एकदम मदमस्त हुए जा रही थी उसके मुंह से लगातार सिसकारी की आवाज गूंज रही थी।
सससहहहहह,,,, शुभम तेरे हाथों में तो जादू है रे,,,,,
जादू मेरे हाथों में नहीं तुम्हारी इन चुचीयों में है तभी तो मेरी उंगलियां अपने आप ही इस पर कसती चली जा रही है,,,।,,,( इतना कहने के साथ ही शुभम ने उंगलियों का सहारा लेकर चूचियों के नीचे की पट्टी को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर की तरफ उठा दिया,,,, जिससे रुचि की दोनों नारंगिया ब्रा से बाहर आ गई,,, जैसे ही रुचि की दोनों चूचियां बाहर आई शुभम ने झट से उन्हें लपक लिया और जोर जोर से दबाना शुरु कर दिया,,,, नंगी चूचियों को हथेली में भरकर दबाने का अपना अलग ही मजा है। इस बात को सुभम अच्छी तरह से जानता था इसलिए तो चूचियों को दबाने और मसलने का कोई भी मौका वह अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था।,,, रुचि की हालत पल-पल खराब हुए जा रही थी आज उसे अपनी चूची दबवाने और मसलवाने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी। रुचि को इस बात की जरा भी उम्मीद नहीं थी कि शुभम जैसा जवान लड़का बेहद इत्मिनान से आगे बढ़ेगा उसे तो ऐसा ही लग रहा था कि झोपड़ी में जाते ही वह उसकी साड़ी उठाकर बस अपने मोटे लंड को ऊसकी बुर में डालकर चोेदना शुरु कर देगा,,,, लेकिन जिस तरह से शुभम धीरे-धीरे आगे की तरफ बढ़ रहा था उसने रूचि को बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था।,, जितने प्यार और मजबूती से उसने रुचि के चुचियों से खिलवाड़ कर रहा था उस तरह से आज तक किसी ने भी नहीं खेला था।,,,, इसलिए रुचि भी शुभम का पूरा साथ देते हुए उसकी हर हरकत का मजा ले रही थी,। वह मन में अभी यह सब सोच ही रही थी कि तभी अचानक सुभम एक झटके से रूचि की बांह पकड़ कर उसे अपनी तरफ घुमा दिया और पागलों की तरह उसके गुलाबी होठों को अपने मुंह में भर कर चुसना शुरु कर दिया,,,, रुचिका शुभम के ऐसे दीवाने पन से एकदम मदहोश हुए जा रहे थे,,, शुभम एकदम जोश में आकर उसके गुलाबी होठों का रसपान करते हुए अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले गया और ब्रा की हुक को खोल दिया,,, अगले ही पल रूचि की ब्रा घास के सुखे ढेर में पड़ी हुई थी,,, रूचि के दोनों कबूतर ब्रा की कैद से आजाद होते हीैं हवा में फड़फड़ाने लगे,,,, और उन फड़फड़ाते हुए कबूतर को अगले ही पल शुभम ने अपनी हथेलियों में दबोच लिया,,,, ऐसा लग रहा था कि शुभम ने किसी खूबसूरत पंछी के गले को अपनी हथेली से दबोच लिया हो इस तरह से दोनों सूचियों का रंग सुर्ख लाल हो गया,,, गोल गोल नारंगी के समान लेकिन बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियों को अपनी हथेली से दबाता हुआ शुभम मस्त हुए जा रहा था।,,, रुचि का चेहरा शर्म और उत्तेजना के कारण लाल टमाटर की तरह हो गया था। वह शुभम को बड़े गौर से देख रही थी और उसके चेहरे के मासूम को देखते हुए इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल था कि इस मासूम से दिखने वाले चेहरे के पीछे,,, कितना शातिर और वासना मई इंसान छुपा हुआ है। उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि,,, उस का भांजा उसके खूबसूरत स्तनों से खेल रहा है। शुभम जी उसकी चूचियों को दबाता हुआ रुचि की तरफ देखते हुए अपने मुंह से गर्म
सीईईई,,, सीईईई,,,,, की आवाजे निकाल कर मज़ा ले रहा था।,,, कुछ देर तक यूं ही स्तनों से खेलते खेलते शुभम ने कब दोनो चुचियों को बारी-बारी से अपने मुंह में भर कर पीने लगा इस बात का पता रुची को बिल्कुल नहीं चला। उसे इस बात का एहसास तब हुआ जब उत्तेजना वस सुभम नै जोर से उसकी चॉकलेटी निप्पल में अपने दांत गड़ा दिए,,,, एकाएक निप्पल में दांत धंसाने की वजह से रुचि के मुंह से चीख निकल गई,,।
आहहहहहहहह,,,, क्या कर रहा है,,,,?
मजा ले रहा हूं मेरी जान,,,,,
( शुभम एकदम खुले तौर पर रुचि को पुकारने लगा था रूचि को पहले तो थोड़ा अजीब लगा लेकिन जिस तरह का मजा वहां उसे दे रहा था उसे देखते हुए रुचि को भी शुभम के द्वारा उसे जान कहे जाने पर अच्छा लगने लगा,,, वह यह देखकर एकदम हैरान थी कि शुभम कैसे जल्दी जल्दी उसकी दोनों चूचियों के साथ खेल रहा था कभी एक चूची को मुंह में भरकर तीता तो कभी दूसरी चूची को,,, कभी-कभी जितना हो सकता था उतना पूरा का पूरा उसकी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरु कर देता था और दांत गड़ाकर आनंद ले रहा था। भले ही बड़ी बेरहमी से वह रुचि के बदन से खेल रहा था लेकिन इस बहरेहमीपन में ही रुचि को बेहद मजा मिल रहा था। पहली बार स्तन चुसाई का आनंद रूचि प्राप्त कर रही थी वरना दो-तीन मिनट दबाकर मजे लेने के बाद लंड उसकी बुर की गहराई नाप रहा होता इसलिए आज पूरी तरह से वह शुभम को अपने बदन से खेलने की इजाजत दे दी थी। सुभम भी पागलों की तरह उसकी चूची को चूस चूस कर लाल टमाटर बना दिया था। कामोत्तेजना मे तप रहे अपने बदन पर खुद रुचि का काबू बिल्कुल भी नहीं था शुभम जिस तरह से और जिस तरफ से खेलना चाह रहा था उसी तरह से खेल रहा था। कमर के ऊपर का बदन पूरी तरह से निर्वस्त्र हो चुका था। बुर काम रुपी रस छोड़ते हुए और भी प्यासी हुए जा रही थी। बुर का दाना अपने आप ही फुदकने लगा था। शुभम रुचि की चूची को दोनों हाथों से खींच खींच कर पी रहा था मानो कि जैसे वह चुची न हाें पका हुआ आम हो,,,, और रुची गरम सिसकारी लेते हुए शुभम को और ज्यादा उकसा रही थी।
|