RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
ओहहहहहह,,,,, शुभम,,,,,, यह सब कहां से सीखा। तूने तो मेरी हालत ही खराब कर दिया है मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि तू सीधा-साधा सुभम है।,,,
मेरी जान मुझे भी कहां यकीन होता है कि तुम वही मेरी सीधी सादी रूचि मामी हो,,,,,
तो क्या लगता है तुझे,,,
सच कहूं तो मुझे इस समय ऐसा लग रहा है कि मैं अपनी खूबसूरत माल के साथ इस बगीचे में मजे कर रहा है एकदम रंडी लग रही हो तुम,,,( एक चूची को कस के दबा कर दूसरी को मुंह में भरते हुए बोला)
छी,,,, कितना गंदा बोलता है तू मेरे बारे में क्या मैं तुझे सच में रंडी लगती हुं।
रुचि को इस तरह से नाराजगी दर्शाते हुए देखकर शुभम बोला,,,
मेरा यह कहने का मतलब नहीं था मैं तो यह कह रहा हूं कि तुम इतनी ज्यादा खूबसूरत हो कि मन करता है कि तुम्हें अपनी प्रेमिका बना लूं और इस समय जिस तरह का खूबसूरत बदन लिए हुए हो मेरी तो जान ही निकाल दोगी मैंने आज तक तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखा,,,( शुभम रुची की आंखों में झांकते हुए उसकी चूची को जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,।)
क्या मैं तुझे इतनी अच्छी लगती हुं।
तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो मेरी जान अभी तो मैं सिर्फ तुम्हारी कमर के ऊपर का ही नजारा देखकर मरा जा रहा हूं अगर मैं तुम्हारी कमर के नीचे का खूबसूरत बदन देखूंगा तो ना जाने क्या हो जाएगा,,, सच बताओ मेरी जान क्या तुम्हें यह सब अच्छा लग रहा है?
बहुत अच्छा लग रहा है शुभम सच बताऊं तो तूने जिस तरह से मेरी चूचियों को दबा दबा कर उसे मुंह में भर कर पी पी कर मुझे जो मजा दिया है मैंने ऐसा मज़ा आज तक नहीं ले पाई हूं।
ओह,,,, मेरी रानी यही तो मैं चाहता हूं कि मैं जो भी करूं तुम्हें अच्छा लगे तुम्हें ऐसा सुख देना चाहता हूं कि तुम जिंदगी भर मुझे याद रखो,,,( इतना कहते हुए शुभम अपनी हथेली को रुचि के चिकने पेट पर फिराने लगा,,, और पेट पर फिराते फिराते अपनी हथेली को पेट के नीचे की तरफ ले जाकर साड़ी के ऊपर से ही बुर वाली जगह को दबाते हुए बोला,,,,।) मेरी जान सच-सच बताना तुम्हें तुम्हारी खूबसूरत बुर की कसम,,, क्या इस समय तुम्हारी बुर पानी छोड़ रही है,,,।
( शुभम के मस्त बातों से रुचि एकदम मदहोश होने लगी थी उसकी हालत कामोतेजना की वजह से नाजुक होते जा रहे थे उसकी आंखों में खुमारी जा रही थी,,, शुभम के इस तरह के मस्त सवाल सुनकर रोजी की आंखों में चुदाई का नशा साफ झलकने लगा,,, और वह मस्ती भरे अंदाज में बोली,,,,।
हाथ कंगन को आरसी क्या मैं तुम्हारे सामने हूं मेरा खूबसूरत बदन तुम्हारे हाथों में तुम्हारा सवाल खुद जवाब भी है देखना चाहो तो देख सकते हो तुम्हें ना तो मै रोकुंगी और ना ही मेरा वजुद।,,,,( इतना कहते हुए वह शुभम की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए अपने लाल-लाल होठों को अपने ही दांत से काटकर शुभम को उकसाने लगी,,,, शुभम रुचि का यह रुप और उसकी अदाएं देखकर एकदम कामविभोर हो गया,,, और तुरंत अपने हाथ को पेट के नीचे की तरफ से ही बीचोबीच ठुंसी हुई साड़ी के घाट का पकड़ कर खोलने लगा,, शुभम के अगले कदम से रूचि समझ गई कि कुछ ही देर में बात संपूर्ण रूप से महंगी हो जाएगी और उसकी मदमस्त जवानी को सुभम अपना मुंह लगाकर पीना शुरु कर देगा,,, यह सब सोचते हैं उसका पूरा बदन उत्तेजना के मारने झनझना गया,,, और उत्तेजना बस उसकी बुर से मदन रस की बूंदे टपकने लगी।
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