RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
ऐसे क्या देख रही है मेरी जान,, यह तेरा ही है। ( अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए बोला,,,)
अगर मेरा ही है तो अब तक बाहर क्यों है मेरी बुर के अंदर क्यों नहीं,,,?
बस अब जाने ही वाला है,,,,।( इतना कहने के साथ ही वह घास पर झुकने लगा,,,, रूचि समझ गई कि आप उसे क्या करना है इसलिए वह गहरी सांस लेते हुए सूखी हुई घास पर पीठ के बल लेट गई,,,, शुभम जल्द ही उसकी जांघों को फैलाकर अपने लिए जगह बना लिया और तुरंत अपने लंड के सुपाड़े को उसकी गीली बुर पर रखकर एक जोरदार धक्का लगाया लंड का सुपाड़ा तुरंत सरकते हुए रुचि की रसीली बुर में समा गया,,, रुची की बुर में अब तक ईतना मोटा लंड कभी नहीं गया था,,, इसलिए शुभम के इस वार पर उसके मुंह से चीख निकल गई,,,, और उसकी चीख सुनकर उसकी जांघो को अपनी हथेली में दबेचते हुए बोला,,,,
क्या हुआ मेरी जान बस इतने से चिल्लाने लगी तुम तो कहती थी कि मैं तुमको पूरा अपने अंदर ले लूंगी,,,,
थोड़ा संभलने का मौका तो दिया होता यु एकाएक हमला करेगा तो किसी के पास भी बचने का समय नहीं रहेगा,,,,।,,,
मेरी जान प्यार में और वार में मौका नहीं दिया जाता तभी तो मजा आता है (इतना कहने के साथ फिर से एक करारा झटका मारा और इस बार उसका मोटा लंड सब कुछ चीरता हुआ बुर की गहराई में समा गया,,,, रुचि अपने आपको संभाल नहीं पाई और उसके मुख से जोरों की चीख निकल गई,,, वह तो अच्छा हुआ कि बगीचे में और दूर-दूर तक कोई नहीं था वरना लोग इकट्ठा होने लगते वह दर्द से कराहते हुए बोली,,,।)
हरामजादे मैं कहीं भागी चली जा रही थी क्या जो इस तरह से जानवरों की तरह डाल दिया,,,।
कुछ नहीं मेरी जान मैं तेरा दम देखना चाहता था,,,।
साले कुत्ते जान निकालकर दम देखना चाहता है,,,।
क्या करूं मेरी रानी प्यार से चोदने लायक तू नहीं है तुझे देखते ही आंखों में दस बोतलों का नशा चढ़ जाता है,,,। बहुत नशा भरा है तेरे इस नशीले बदन में,,,, देख तेरी गुलाबी बुर कैसे फैल गई है,,,,( शुभम अपने लंड को उसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए बोला रुचि भी सौतन की बात सुनकर अपनी नजरें उठाकर अपनी टांगों के बीच में देखने लगी तो वह भी हैरान रह गई,,, सच में उसकी बुर की गुलाबी पत्तियां एकदम से चोड़ी हो गई थी,,, जोंकि अब तक किसी ने भी नहीं कर पाया था,, रूचि को इस तरह से हैरान होकर देखते हुए देखकर सुभम मुस्कुराते हुए बोला।,,,,
देख मेरी जान इस तरह से तेरी बुर को उसने भी नहीं फैलाया होगा जो कल रात को तेरी चुदाई कर रहा था।
( ऐसा कहते हुए शुभम जोर-जोर से अपने लंड को उसकी बुर में पेल रहा था,,, हर धक्के के साथ रुची गरम सिसकारियां निकल जा रही थी,,,
आहहहहहहहह,,,,,, आहहहहहहहह,,,,, शुभम थोड़ा धीरे तेरा धक्का मुझसे सहा नहीं जा रहा है सच में तेरा लंड बहुत दमदार है,,,,।
मेरी जान मेरा लंड दमदार है तभी तो तू मेरे नीचे लेटी हुई है वरना मुझे भाव भी नहीं दे रही थी,,,।
सच रे शुभम मुझे पहले पता होता तो मैं खुद ही तेरे पास आ गई होती,,,,
चल कोई बात नहीं मेरी जान देर से ही सही लेकिन आई तो,,, देख मैं तुझे इतना मस्त चुदाई का मजा दूंगा की तु जिंदगी भर मुझे और मेरे लंड को याद रखेगी,,,, (इतना कहते हुए शुभम ताबड़तोड़ लंड का वार ऊसकी रसीली बुर के अंदर करने लगा,,, शुभम इतनी तेज अपनी कमर चला रहा था की रुूची को बिल्कुल भी संभलने का मौका नहीं मिल रहा था। लेकिन आज चुदवाने का जो मजा उसे मिल रहा था ऐसा मजा उसे आज तक नहीं मिल पाया,,,, शुभम रुचि को अपनी बाहों में भर कर अपनी कमर हिला रहा था जिससे उसकी बड़ी बड़ी चूचियां उसकी नंगी छातियों से चिपकी हुई थी,,, और दोनों का बदन चुदास भरी गर्मी से तप रहा था। शुभम रुची को अपनी बाहों में भरकर धक्के पर धक्के लगा रहा था।
जिससे दोनों का मजा दुगना हो रहा था। झोपड़ी के अंदर रुचि की गरम सिस्कारियां गूंज रही थी,,,। शुभम का मोटा लंड पूरे का पूरा रुचि की बुर की गहराइयों में डूब जा रहा था। शुभम जल्दी-जल्दी उसे चोदते हुए अपने दोनों हाथों से उसकी दोनो चुचियों को पकड़कर मसलने लगा,,, जिससे रुचि को थोड़ा दर्द का एहसास भी हो रहा था लेकिन मज़ा भी उतना आ रहा था,,,। रुचि भी रह-रहकर नीचे से अपनी कमर को ऊपर उठाने की कोशिश कर रही थी लेकिन शुभम के धक्के इतने ताकतवर थे की रूचि पूरी तरह से नीचे से धक्के लगा ही नहीं पा रही थी शुभम पूरी तरह से उस पर छा चुका था तभी उसकी चूचियों को दवाता तो कभी उसकी पतली कमर को अपनी हथेली में भरकर मसलने लगता,,, जिस दर्द के साथ शुभम रुचि से संभोग कर रहा था रुचि हवा में उड़ रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि शुभम जैसा भोला भाला लड़का ऊसकी जबरदस्त चुदाई कर लेगा । लेकिन यह हकीकत ही था इसमें कोई दो राय नहीं थी,,, कि शुभम अपनी ताकत से और अपने दमदार लंड से रुचि को झूला झूला रहा था।
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