RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
( शुभम के शैतानी दिमाग में कुछ और ही चल रहा था वह अपने मामा की तरफ देखा तो वह अपने काम में मशगूल था और वह तुरंत कांटेक्ट नंबर मैसेज अपनी छोटी मामी का नाम ढूंढने लगा जल्द ही उसे सुनंदा लिखा हुआ मिल गया और वह अपना मोबाइल निकालकर उसमें लिखा नंबर अपने मोबाइल में ऐड करने लगा,,, और जल्द ही उसने अपनी मम्मी का नाम शार्टकट में S लिखकर ऐड करते हुए अपने मामा को मोबाइल थमा दिया,,,, इतना तो समझ ही गया था कि उसका मामा पूरी तरह से बेवकूफ है जो कि लड़कियों से बात करने में घबराता है,,,। और बातों ही बातों में उसे सबसे बड़ी बात यह मालूम पड़ गई थी कि अभी तक उसकी छोटी मामी ने उसके मामा की आवाज तक नहीं सुन पाई थी और यही कारण भी था उसे फोन जल्दी से काट देने के लिए,,, हर वह लड़की यही चाहती है कि जिससे उसकी शादी होने वाली है उससे वह फोन पर रोमांटिक बातें करें,,, उसे फोन पर खुश करे
लेकिन इस मामले में उसका मामा पूरी तरह से फिसड्डी साबित हुआ था जिसका फायदा अब वह उठाना चाहता था। फोन नंबर एड करने के बाद वह वापस फोन को उसके छोटे मामा के जेब में डाल दिया,,,
दोनों खेतों से वापस लौट चुके थे,,,। शुभम को अब इंतजार था उसकी होने वाली छोटी मामी सुनंदा से बात करने का,,, लेकिन अभी बात करने जैसा माहौल बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि वह कमरे में अपनी मम्मी के साथ बिस्तर पर था,,, दोपहर का समय था जिसकी वजह से गर्मी कहर ढा रही थी घर के सभी लोग अपने अपने कमरे में दुबक कर आराम कर रहे थे।,, निर्मला और शुभम दोनों बिस्तर पर पीठ के बल लेटकर छत की तरफ देखते हुए बातें कर रहे थे,,,।
मम्मी यहां गांव में कितना मजा आ रहा है,, किसी बात की टेंशन बिल्कुल भी नहीं है। बस खाओ पियो और मौज करो,,
अरे तुझे ऐसा लग रहा है ना लेकिन शादी का माहौल होने पर मुझे यहां कितना काम करना पड़ रहा है कभी यह काम करो कभी यह काम करो इधर उधर भागते भागते एकदम थक गई हूं,,,
लेकिन मम्मी तुम्हें तो आराम करना चाहिए ना यहां तुम्हें काम करने को कौन कहता है (इतना कहने के साथ ही वह अपनी मां की तरफ करवट लेते हुए उसकी तरफ देखने लगा,,, क्योंकि बला की खूबसूरत लग रही थी बालों की लट खिड़की से आ रही ठंडी हवा के साथ साथ उसके चेहरे पर बिखर जा रही थी, जिसे वह बार-बार अपनी नाजुक उंगलियों से हटा दे रही थी और साथ ही लेटने की वजह से उसकी छातियों से साड़ी का पल्लू नीचे लुढ़क गया था और उसकी बड़ी बड़ी विशाल छातिया सांसो की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही थी,,,, शुभम खूबसूरत वक्षस्थल को देख कर कामुकता से भरने लगा और निर्मला उसकी बात का जवाब देते हुए बोली,,,।)
हां मैं जानती हूं कि मुझे यहां कोई काम करने नहीं देता लेकिन ऐसे बैठे रहने से भी तो काम नहीं चलने वाला है घर में शादी का माहौल है सब का हाथ बंटाती रहेंगी तो मेरा भी समय अच्छे से गुजर जाएगा वरना दिन भर आराम कर कर के और भी ज्यादा थकान महसूस होने लगती है।,,,( वह उसी तरह से छत की तरफ देखते हुए बोली लेकिन इतना समझ गई थी कि शुभम की नजर उस की विशाल छातियों पर घूमने लगी है जिसकी वजह से उसके बदन में सुरसुराहट होने लगी क्योंकि जब से वह गांव आई थी ठीक से चुदने का आनंद नहीं लूट पाई थी।.. इसलिए थोड़ा सा शुभम को उत्तेजित करने के उद्देश्य से छत पर नजरें गड़ाए हुए ही अपना एक हाथ चूची पर रखकर उसे खुजलाने लगी। यह देख कर शुभम अपना हाथ अपनी मम्मी के हाथ पैर रखकर हल्के से चूची के ऊपर दबाने लगा और बोला,,,,।
क्या सच में थक गई हो मम्मी,,,,?
हा रे दर्द के मारे मेरा बदन टूट रहा है थोड़ा आराम कर लु तो ठीक हो जाएगा,,,( इतना कहते हुए बाद दूसरा हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपनी बुर को खुजलाने लगी,,,, यह देखकर शुभम बोला,,,
क्या हुआ मम्मी तुम्हारे बदन में लगता है कुछ ज्यादा ही दर्द और खुजली दोनों हो रही है,,,।
हारे पता नहीं क्या हुआ,,, शायद गर्मी की वजह से,,,
सच कहूं तो तुम्हारी खुजली देखकर मेरे में भी खुजली होने लगी (और इतना कहने के साथ ही वह पेंट में बने तंबू को खुजलाने लगा)
हां तो खुजला ले रोका किसने है।,,,
लेकिन यह खुजली हाथों से नहीं मिटती,,,,( शुभम अपने होठों पर कामुक मुस्कान बिखेरते हुए बोला)
तो कैसे मिटती है,,,?( निर्मला भी इतराते हुए बोली,,, क्योंकि वह जान गई थी कि शुभम क्या बोलने वाला है।)
यह खुजली तो मेरी जान तेरी रसीली बुर में जाकर ही मिटेगी,,,( इतना कहने के साथ ही शुभम ने अपने पजामे को नीचे की तरफ सरका कर अपने खडे लंड को पजामे के बाहर कर दिया,,, इतनी देर में ही उसका लंड पूरी तरह से तैयार होकर छत की तरफ देखने लगा था और यह देखकर निर्मला की बुर में सुरसुराहट होने लगी लेकिन वह अपने बेटे को तड़पाने के उद्देश्य से करवट दूसरी तरफ लेते हुए बोली,,,,,
नहीं आज कुछ भी नहीं मैं थक चुकी हूं मुझे आराम करने की जरूरत है,,।( इतना कहते हुए वह दूसरी तरफ करवट ले ली और उसकी बड़ी-बड़ी मदहोश कर देने वाली विशाल गांड शुभम की तरफ अपना उठान लिए,, शुभम पर कहरं ढाने लगी,,, शुभम की नजर अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर पड़ते ही उससे रहा नहीं गया और वह जोर से एक चपत गांड पर लगा दिया,,,।
आहहहहहहहह,,,, क्या कर रहा है । (वह अपनी गांड को सहलाते हुए बोली)
कुछ नहीं मेरी जान तेरी नशीली गांड को देखकर ना जाने मुझे क्या हो जाता है,,,।( गांड की ऊपरी फांक को हाथों में भरकर दबाते हुए बोला,,,।)
अरे इसे देखकर तुझे कुछ हो जाता है तो क्या इस में घुसने का इरादा है क्या,,,,( शुभम की तरफ बिना देखे ही बोली,,,।)
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