RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
गांड में लंड डालने तो देती ही नहीं हो तो घुसने कहां से दोगी,,,,( शुभम भी अपनी मां की तरफ करवट लेकर अपने खड़े लंड को साड़ी के ऊपर से ही गांड पर रगड़ते हुए बोला,,, खड़े लंड की रगड़ अपनी गांड पर महसूस करते ही निर्मला के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़नें लगी। और उससे रहा नहीं गया और वह अपना एक हाथ पीछे की तरफ लाकर बिना देखे ही शुभम के खड़े लंड को पकड़ कर खुद ही अपनी गांड पर रगड़ने लगी,,,,।)
ऐसे नहीं मेरी जान साड़ी तो ऊपर उठा लो तभी तो तुम्हारी नंगी गांड पर लंड रगड़ने का मजा ही कुछ और आएगा।,,,,
मेरे बदन में दर्द है मुझसे कुछ होगा नहीं तुझे मजा लेना है तो तु खुद ही ऊपर उठा लै।,,,,,
बोल तो ऐसे रही हो जैसे मेरी ही गरज है तुम्हें तो मजा आएगा नहीं,,,,
तो क्या तुझे करना है तू ही सब कुछ कर मैं कुछ नहीं करूंगी,,,( शुभम की तरफ बिना देखे ही इस तरह से बोल कर वह मुस्कुरा रही थी,,,,।)
अच्छा मुझे मालूम है तुम्हारी बुर में भी खुजली हो रही है मेरे मोटे लंड को लेने के लिए जब मेरा मोटा लंड तुम्हारी बुर में रगड़ रगड़ कर जाएगा ना,,,, तब खुद ही मजा लेते हुए अपने मुंह से आहहहहहहहह,,, आहहहहहहहह,,, ओहहहहहहहहह मां,,,, की आवाजें निकालोगी।( इतना कहते हुए शुभम जाओ ऊपर से साड़ी को पकड़कर ऊपर की तरफ खींचने लगा,,,, लेकिन शुभम की बात सुनकर निर्मला अपनी हंसी रोक नहीं पाई और जोर-जोर से हंसने लगी,,,, उसको हंसता हुआ देखकर शुभम बोला,,,,।
क्या हुआ मेरी जान इतना हंस क्यों रही हो,,,,।( इतना कहते हुए शुभम अपनी मां की साड़ी को जांघो तक उठा दिया था लेकिन उसके बड़े-बड़े नितंबों के भार के नीचे दबी साड़ी ऊपर की तरफ नहीं उठ रही थी,, इस बात का एहसास निर्मला को भी हो गया था इसलिए वह खुद ही अपनी गांड को हल्के से ऊपर की तरफ उठा दी ताकि शुभम उसकी साड़ी को कमर तक उठा सके,,, अपनी मां को अपनी बड़ी बड़ी गांड को उठाए देख कल सुभम भी जल्दी से पूरी साड़ी को कमर तक खींचकर कर दिया,,, पलभर में ही शुभम को अपने बिस्तर पर चांद नजर आने लगा गोल गोल गांड चमकते हुए चांद से कम नहीं लग रहा था,,,, शुभम से रहा नहीं गया और वो फिर से एक चपत गोरी गोरी गांड पर लगाते हुए बोला,,,
वाह मेरी जान तुमने तो मेरे हाथों में चांद थमा दी,,,
चांद थमा दी तो ठंडक ले ले बहुत तड़प रहा था ना तु इसके लिए,,,
क्या करूं मेरी जान यही तो मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है,,, तेरी खूबसूरत नंगी गांड मुझे आसमान के चांद से भी बेहद खूबसूरत लगती है,,।( शुभम हौले हौले से अपनी हथेली को अपनी मां की नंगी गांड पर फिर आ रहा था कि तभी उसका ध्यान किस बात पर गया कि उसकी मां ने पेंटी नहीं पहनी थी और यह बात शुभम को बेहद हैरान करने वाली लग रही थी क्योंकि आज तक उसने अपनी मां को साड़ी के नीचे कभी भी पेंटी के बगैर नहीं देखा था इसलिए वह बोला,,,,।
अरे वाह मम्मी तुम तो यहां पर एकदम गांव वाली बन गई हो,,,
क्यों क्या हुआ (आश्चर्य के साथ शुभम की तरफ देखते हुए बोली,,)
तुम भी साड़ी के अंदर पेंटी नहीं पहनी हो,,,,।
क्या करूं शुभम यहां गर्मी है कि नहीं पड़ती है कि मन तो करता है कि सारे कपड़े उतारकर नंगी ही घूमा,,,,
लेकिन तुझे कैसे मालूम कि गांव की औरतो साड़ी के अंदर पैंटी नहीं पहनती है?
( इस बार वह अपनी मां की बात सुन कर चोंक गया)
|