RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला अपने बेटे की इस बात को सुनकर कि वह भी गांव वाली औरतों की तरह साड़ी के अंदर पेंटिं नहीं पहनती है यह बात सुनते ही वह चौक गई थी। क्योंकि वह जानते हैं ठीक है शुभम गांव पहली बार आया था और उसे कैसे मालूम हो गया कि गांव की औरतें अधिकतर साड़ी के अंदर कुछ भी नहीं पहनती हैं,,,। और इसी बात का खुलासा करवाने के लिए वह शुभम से पूछ रही थी जो कि शुभम भी पूरी तरह से चौक गया था,,, शुभम के पास कोई भी जवाब नहीं था लेकिन अभी भी वह अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर हाथ फेरते हुए मजा भी ले रहा था और अंदर ही अंदर जवाब ढूंढने की कोशिश भी कर रहा था जो कि इस बात से मुकरने का उसके पास कोई भी रास्ता नहीं बचा था और निर्मला जिद पर आई थी उसके मुंह से सुनने के लिए कि वह कैसे जानता है कि गांव की औरतें साड़ी के अंदर कुछ भी नहीं पहनती है। निर्मला को इस बात का अहसास हो गया था कि वह जरूर यहां पर किसी न किसी को ऐसी स्थिति में देखा होगा तभी वह ऐसा कह रहा है,,,।
चल अब बता देते कि तुझे कैसे मालूम है वरना मैं तुझे आज कुछ भी करने नहीं दूंगी (और इतना कहने के साथ ही निर्मला अपनी बड़ी बड़ी गांड पर से शुभम का हाथ हटाते हुए बोली,,,,)
क्या मम्मी तुम तो एक ही बात पर अड़ चुकी हो,,,, ऐसा कुछ भी नहीं है,,,।( इतना कहने के साथ बहुत तेरे से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर हाथ रख दिया जिसे निर्मला फिर से दूर झटकते हुए बोली,,,।)
नहीं तो बातें मत बना और मुझसे तो बिल्कुल भी मत बना क्योंकि मैं जानती हूं कि तू कितने पानी में है जरूर कहीं ना कहीं नजारा मार के आया होगा कभी मुझसे इस तरह से बोल रहा है वरना तुझे कैसे मालूम कि गांव की औरतें चड्डी नहीं पहनती है।,,,,
( शुभम एकदम परेशान हुआ जा रहा था क्योंकि उसकी आंखों के सामने उसकी मां की बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी नंगी गांड बिस्तर पर लुभावने स्थिति मे तबले की मानिंद थिरकट कर रही थी। जिसे देखकर शुभम के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी और उसके मुंह में पानी आ रहा था लेकिन इस समय वह एक अजीब स्थिति का सामना कर रहा था क्योंकि उसकी मां वह जानने के लिए जिद्द पर अड़ी थी,, जिसे वह अब तक राज रखते हुए रोज उस दृश्य को देखकर उत्तेजित हुआ करता था। और यह उसका रोज का हो गया था,, सुबह वह कमरे से अपनी मां के चले जाने का इंतजार करता था और जैसे ही कमरे से बाहर ऊसकी मा जाती थी,, वैसे ही वह तुरंत उठ कर बैठ जाता था और खिड़की से चोरी छुपे बाहर म्हारे घर की औरतों के खूबसूरत बदन को अपनी आंखों से देखकर उनका रसपान किया करता था,,। अब वह यह बताने में एकदम शर्म का अनुभव कर रहा था कि वह रोज़ खिड़की से उन्होंने लोगों को नहाते हो और वह क्या पहनती है क्या नहीं पहनती है यह देखा करता था,,,,। शुभम बहुत ही अजीब सी कशमकश में फंसा हुआ था। वैसे तो जिस तरह के संबंध शुभम के उसकी मां के साथ से उसे देखते हुए शुभम को बिल्कुल भी शर्म का एहसास नहीं होना चाहिए लेकिन उसकी मां थी तो एक औरत ही,,, और प्रकृति के अनुसार एक औरत भला कैसे बर्दाश्त कर सकती है कि जिस पर उसका पूरी तरह से हक है वहां किसी और औरत के नंगे जिस्म को देखकर खुश होता है। और यही बात शुभम को परेशान कर रही थी की कहीं उसकी मां नाराज ना हो जाए,,, उसकी नजर उसकी मां की बड़े-बड़े गांड पर ही टिकी हुई थी जिस पर वह फिर से हाथ रखने चला तो निर्मला फिर से तुरंत हटा दी,,,
जब तक तू मुझे नहीं बताएगा कि तुझे कैसे पता चला तब तक मैं तुझे हाथ भी नहीं लगाने दूंगी,,,,
( निर्मला वैसे ही दूसरी तरफ मुंह किए हुए बोली इधर शुभम की आदत खराब होते जा रही थी क्योंकि उसकी मां की बड़ी-बड़ी मचलती गांड उसके तन-बदन में खलबली मचा रही थी,,,, शुभम समझ गया कि बिना उसके मुंह से सुने उसकी मां उसे हाथ लगाने नहीं देगी और वह इतना अच्छा मौसम यूं ही नहीं गवाना चाहता था,,, इसलिए वह बोला,,,।
क्या मम्मी तुम भी,,,, अगर मैं यह जान गया कि गांव की औरतें साड़ी के अंदर कुछ नहीं पहनती तो इसमें कौन सी बड़ी बात हो गई,,,।
बड़ी बात क्यों नहीं है,,, क्यों नहीं है बड़ी बात,,,( इतना कहते हुए निर्मला उसकी तरफ गुस्से में घूम गई लेकिन अभी भी उसने अपनी साड़ी को कमर से नीचे खींच कर अपनी नंगी जवानी को ढकने का बिल्कुल भी प्रयास नहीं की थी,, और वहां उसकी तरफ देखते हुए बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)
तेरा यह जानने का मतलब यही है कि तूने इस तरह का नजारा जरूर देखा होगा और एक औरत को नहीं बल्कि 1 से ज्यादा औरत को देखा होगा तभी तुझे इस बात का पता है,,,,। और तेरा इस तरह से औरतों को देखना मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता,,,
नहीं मम्मी ऐसा कुछ भी नहीं है । ( ऐसा कहते हुए शुभम ने एक बार फिर से अपनी हथेली को निर्मला की दुधिया जांघो पर रख दिया जिसे निर्मला फिर से अपने हाथ से हटाते हुए बोली,,,।
ऐसे कैसे बड़ी बात नहीं है तेरा एक तरफ से दूसरी औरतों को देखने का मतलब है कि मुझ में कोई कमी आ रही है या तो फिर तेरा मुझसे मन भर गया है,,,।
( निर्मला न जाने क्यों आज गुस्से में आ गई थी शुभम बिल्कुल भी नहीं समझ पा रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है क्योंकि आज तक उसने अपनी मम्मी को इस तरह से उस पर चिल्लाते हुए नही देखा था। इसलिए उसे भी बहुत अजीब लग रहा था और वह अपनी मम्मी को समझाते हुए बोला,,,।)
मम्मी यह तुम क्या कह रही हो इस तरह से तुम मुझसे क्यों बात कर रही हो आखिरकार मैंने कौन सी बड़ी गलती कर दी है। ( शुभम अपनी मम्मी को शांत कराते हुए बोल रहा था लेकिन निर्मला थी की कुछ भी सुनने को तैयार ही नहीं थी और वह बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)
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