Sex kahani अधूरी हसरतें
04-02-2020, 04:57 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
आप आराम करिए (और इतना कहकर कोमल वहां से चल दी,, उसे जाता हुआ देखकर निर्मला को राहत हुई और वजह से दरवाजा बंद करके बिस्तर पर आकर बैठ कर लंबी लंबी सांसे भरने लगी दरवाजे के बंद होने की आवाज सुनते ही शुभम भी उठ कर बैठ गया,,।)

यह मामी की लड़की भी ना बहुत परेशान कर दी,,, अच्छा मम्मी कहीं उसे शक तोे नहीं हुआ,,,।

नहीं बेटा सब तो नहीं हुआ अच्छा हुआ बला टली वरना वह मुझे लिए जाए बिना नहीं मानती।,,,,( इतना कहने के साथ ही साड़ी के पल्लू को अपने कंधे पर से नीचे गिरा दी एक बार फिर से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां शुभम की आंखों के सामने उछलने लगी जिसे देख कर शुभम अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर दोनों से जियो को फिर से थाम लिया और अपनी मां को आंख मारते हुए बोला,,,।

ओह बेटा गर्मी बहुत है ना इसके लिए निकाल दि,,,
( इतना कहते ही शुभम हंसने लगा और साथ में निर्मला भी। )

अच्छा खासा मूड खराब कर दि इस लड़की ने,,,

इसमें कौन सी बड़ी बात है मम्मी आओ फिर से तुम्हारा मूड बना देता हूं (इतना कहने के साथ ही शुभम अपनी मां का हाथ पकड़कर बिस्तर पर लिटा दिया और इस बार एक झटके में ही उसकी साड़ी और पेटिकोट खोलकर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया,,, हुस्न की मल्लिका निर्मला का गोरा बदन एक बार फिर से सुभम की आंखों के सामने अपना कहर बरसाने लगा,,, अपनी मां का गोरा बदन देखते ही शुभम उस पर टूट पड़ा और पूरे बदन पर चुंबनों की बौछार करने लगा ऊपर से चुमते हुए वह नीचे की तरफ बढ़ रहा था,,, और जैसे ही वह निर्मला की रसीली बूर-के करीब पहुंचा,,, ऊसके होंठ अपने आप लपलपाने लगे,,,, निर्मला की बुर भी कुलबुलाने लगी,,, और अगले ही पल शुभम अपनी मां की रसीली बुर पर अपने होंठ रख कर उसे चाटना शुरू कर दिया,,,,, पूरे कमरे में निर्मला की गर्म सिसकारी गूंजने लगी,,,, दोनों पूरी तरह से चुदवासे हो गए।,,,, शुभम अपनी मां की मोटी मोटी जांघों के बीच पोजीशन ले लिया था उसकी मां पूरी तरह से तैयार थी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए,,,,, शुभम अपने खड़े लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए बोला,,,।

कोमल ने आकर सारा मजा बिगाड़ दिया वरना अब तक तो मेरा मोटा लंड तुम्हारी बुर में होता,,,,

सच कह रहा है तू कितना मजा आ रहा था मैं तो एक दम पागल हुए जा रही थी लेकिन कोमल ने वाकई में सारा मजा किरकिरा कर दिया।,,,
( इधर दोनों मां बेटे संभोग सुख प्राप्त करने की पूरी तैयारी कर चुके थे दोनों संभोग सुख का मजा लेने के लिए तड़प रहे थे,,, वहीं दूसरी तरफ कोमल पूरी तरह से हत प्रत थी उसे कमरे के अंदर जरूर कुछ गड़बड़ हो रही है इस बात की आशंका हो रही थी।

वह इस बात से ज्यादा परेशान हुए जा रही थी कि,, भला एक औरत कैसे एक जवान लड़के की उपस्थिति में अपने ब्लाउज और ब्रा को निकाल कर रह सकती है। शुभम पूरी तरह से जवान था और कमरे में मौजूद होने के बावजूद भी उसकी बुआ ने, कैसे अपना ब्लाउज निकाल कर अपनी बड़ी-बड़ी चूचियों को दिखाते हुए अपने जवान बेटे की मौजूदगी में रहती होंगी,,, कोमल को यह बात परेशान कर दे रही थी क्योंकि बुआ अभी बुढी नहीं थी,,, अभी तो वह पूरी तरह से खिल रही थी,, और सुभम भी छोटा बच्चा नहीं था। वह पूरी तरह से जवान हो चुका था,,,,। कोमल बार-बार अपने मन को यह समझाने की कोशिश कर रही थी कि जो कुछ भी हुआ देखी वह सब उसकी आंखों का भ्रम था ऐसा कुछ भी नहीं है जैसा वह सोच रही है लेकिन फिर भी उसके मन में बार-बार यही सवाल उठता था कि अगर सबकुछ सही है तो बिस्तर के नीचे बुआ की ब्रा और ब्लाउज के ऊपर की हुई थी अगर वह सच में निकाल कर रखी होती तो वह अलमारी या बिस्तर पर होती नीचे ना फेंकी होती। अब कोमल का बेसब्र मन व्याकुल होने लगा उसे हकीकत जानना था और वह अपनी मां के कमरे की तरफ जाने की वजह वापस घूम गई अपनी बुआ के कमरे की तरफ जहां पर शुभम और निर्मला संभोगरत होकर मजे लूटने जा रहे थे,,,,, जहां पर निर्मला अपने बेटे को उकसाते हुए बोल रही थी।

तो देर किस बात की है मेरे राजा मेरी बुर भी तेरे लंड के सामने है, और तेरा लंड भी पूरी तरह से खड़ा हो चुका है। तू अब अपने मोटे लंड को मेरी बुर मे डालकर चोद,़ मेरी प्यास बुझा दे,,,

आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी ना तो निर्मला से रहा जा रहा था और ना ही शुभम से,,, अपनी आंखों के सामने अपनी मां की रसीली गुलाबी बुर को देखकर शुभम की आंखों में चमक आ गई और वह एक हाथ से अपनी मां की जांघों को थोड़ा सा फेलाकर,, दूसरे हाथ में पकड़े लंड को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच भीढ़ा दिया,,, इसके बाद शुभम ने कचकचाकर ऐसा शॉट मारा कि,,, शुभम का मोटा लंड निर्मला की कसीली टाइट बुर के अंदरूनी सारे अवरोधों को दूर करते हुए सीधे जाकर बच्चेदानी से टकरा गया,,, शुभम के इस तरह के जबरदस्त हमले को निर्मला सहन नहीं कर पाई और उसके मुख से चीख निकल गई,,,, लेकिन वह अपने होठो को आपस में भींच कर अपनी चीख को अंदर ही अंदर दबा ले गई,,,, शुभम बेहद खुश नजर आ रहा था और ऐसी खुशी,,, इंसान के चेहरे पर तभी नजर आती है जब वह किसी चीज पर जीत प्राप्त कर लेता है,,,, शुभम के चेहरे पर भी उसी प्रकार की जीत की खुशी में जरा रही थी क्योंकि उसने अपनी मां की बुर पर पूरी तरह से फतेह प्राप्त कर लिया था,,,, वह अपना मोटा लंबा लंड अपनी मां की बुर नुमा जमीन पर गाड़ दिया था।,,, अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से थाम कर अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए उसको चोदना शुरू कर दिया था,,,,,
दूसरी तरफ कोमल निर्मला के कमरे तक पहुंच चुकी थी और अंदर की हलचल को सुनने के लिए दरवाजे से कान लगा दी,,,, कमरे से आ रही आवाजों को सुनकर कोमल को अपने कानों पर भरोसा नहीं हुआ वह समझ नहीं पा रही थी कि आखिरकार यह हो क्या रहा है कमरे के अंदर की मादक आवाज उसके तन-बदन में ना जाने किस तरह की लहर पैदा कर रही थी यह खुद उसे भी समझ में नहीं आ रहा था,,,,। वह इस तरह की आवाज को पहली बार सुन रही थी

ससससहहहहह,,,,, आहहहहहहहहहह,,,,, व,ऊहहहहहहहहहहहह,,,,,,ओहहहहहह म्मा,,,,,,,,,,,( कोमल पूरी तरह से हैरान हुए जा रही थी आखिरकार यह आवाज में किस तरह की है वह दरवाजे के बराबर सुन लगाकर अंदर की आवाज को सुन रही थी,,,, लेकिन तभी जो आवाज उसके कानों में सुनाई दी,,, उसे सुनकर वह पूरी तरह से हिल गई,,, उसके पूरे बदन में सनसनी की लहर दौड़ गई)
ओहहह शुभम मेरे राजा तेरा लंड बहुत मोटा और लंबा है रे मेरी बुर का सारा रस निचोड़ डाल रहा है,, बस ऐसे ही और तेज धक्के लगा कर चोद मुझे और जोर से चोद फाड़ दे मेरी बुर को,,,,
( जैसे ही कोमल के कानो में निर्मला की यह बात सुनाई दी उसके तो होश उड़ गए कोमल अभी अभी जवान हो रही थी इसलिए उसके कानों में पड़ने वाले यह शब्द पहली बार ही उसे सुनाई दिए थे वह तो समझ ही नहीं पाई कि वह क्या करें अंदर की बातों को सुनकर उसके तन-बदन में ना जाने कैसी हलचल मचने लगी,, उसकी जांघों के बीच के भाग में रक्त का प्रभाव बड़ी तेजी से होने लगा उसे जांघों के बीच का वह अंग फुदकता हुआ महसूस हो रहा था। अब उसके बर्दाश्त के बाहर था,,, क्योंकि अंदर से उसे आप शुभम की आवाज़ आ रही थी जो की कह रहा था कि,,,

ओ मेरी रानी तेरी रसीली बुर में तो मैं पूरी जिंदगी गुजारने को तैयार हूं,,, सच कह रहा हूं जब तक तेरी बुर में मैं अपना मोटा लंड डालकर तुझे चोद ना दु तब तक मुझे चैन नहीं मिलता,,,, तू ऐसे ही मुझसे चुदवाया कर मैं जिंदगी भर तुझे ऐसे ही चोदूंगा,,, मेरी रानी,,,
( अब कोमल के सामने सब कुछ साफ हो चुका था वह समझ चुकी थी कि अंदर क्या चल रहा है लेकिन इस समय उसे अंदर का नजारा दिखाई नहीं दे रहा था इसलिए वह बेचैन हो रही थी,,,, वह अंदर देखने के लिए जुगाड़ ढुंढने लगी,, और जल्द ही उसे दरवाजे की कुंडी के पास एक छोटा सा छेद नजर आया जिस मे आंख सटाते ही उसे किसी फिल्म की तरह पर्दे पर पूरा दृश्य नजर आने लगा,,,, अंदर का नजारा देखकर वह पूरी तरह से चौंक. गई उसका शक हकीकत में बदल गया था। वह जो अपने दिमाग में सोच रही थी वही नजारा उसकी आंखों के सामने बिस्तर पर हो रहा था उसे पहले तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि एक बेटा अपनी मां को इस तरह से चोद सकता है और एक मां अपने बेटे से पूरी नंगी होकर उसका लंड अपनी बुर में डलवा कर चुदवा सकती है।,,, अंदर का नजारा देखकर तो कोमल पसीने-पसीने हो गई शुभम अपनी मां पर चढ़ा हुआ था और उसकी मां खुद ही अपनी टांगे फैलाकर अपने बेटे के धक्के का मजा ले रहीे थी। दोनों पूरी तरह से नंगे थे कोमल को आपकी समझ में आ गया कि उसकी बुआ दरवाजा जिस हालत में खोली थी क्यों खोली थी,,, वह समझ गई कि उसके आने से पहले से ही वह दोनों कार्यक्रम में लगे हुए थे और शुभम भी सो नहीं रहा था जाग रहा था। यह सब सोचते हुए वहां अंदर का नजारा देख रही थी अंदर का गर्म दृश्य उसके कोमल मन पर भारी पड़ रहा था। वह वहां से हट जाना चाह रही थी लेकिन ना जाने किस प्रकार का आकर्षण उसे वही खींच कर स्थिर किए हुए था।,,
शुभम की कमर जोर-जोर से हिलती हुई उसे नजर आ रही थी हालांकि उसने अभी भी उन दोनों के संभोगरत अंगों को नहीं देख पाई थी,,,, लेकिन इतना तो जानती थी कि उन दोनों के बीच क्या हो रहा है। शुभम भी गरम सिसकारी लेते हुए जोर जोर से धक्के लगा रहा था,,, निर्मला भी अपनी नंगी बांहों में उसे जकड़ कर चुदाई का मजा लूट रहीे थी वह दोनों इस बात से बिल्कुल अनजान थे की कोई और भी है जो कि दरवाजे के बाहर खड़े होकर दरवाजे के छेद से उन दोनों के काम लीला को देख रही थी।,, कोमल के बदन में उत्तेजना के सुरसुराहट हो रही थी जिसको वह बिल्कुल भी पहचान नहीं पा रही थी।,,,,
आखिरकार शुभम के तेज झटकों की बदौलत निर्मला का मदन रस भलभलाकर बहने लगा,,, साथ ही वह भी झड़ गया,,, लेकिन कोमल को कुछ भी समझ में नहीं आया कि उन दोनों के बदन में ऐसा कौन सी हरकत हुई कि दोनों एकदम से थक गए दोनों शांत एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले पड़े थे।,, दोनों का काम निपट चुका था लेकिन कोमल यह नहीं जानती थी इसलिए वह अभी भी उस छेंद मे आंख गड़ाए अंदर के दृश्य को देख रही थी,,, लेकिन जैसे ही शुभम अपनी मां के ऊपर से उठा कोमल तुरंत वहां से चली गई।


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